विपरीत नौकासन क्या है :-
विपरीत नौकासन एक योग है जो की तीन शब्दों से मिलकर बना है विपरीत + नौका + आसन = विपरीत नौकासन, जिसमें विपरीत = उल्टा , नौका = नाव और आसन = मुद्रा मतलब इस आसन को करते समय व्यक्ति के शरीर की आक्रति उल्टी नाव की स्तिथि की तरह हो जाती है इसलिए इसको विपरीत नौकासन योग कहा जाता है | पिछले नौकासन योग में हमने जो क्रिया की थी इस योग में उस योग से विपरीत करनी है | नौकासन योग को पीठ के बल लेटकर किया जाता है, जबकि विपरीत नौकासन को पेट के बल। आयें जानते हैं इसके फायदे और और इस योग को कैसे किया जाए |
विपरीत नौकासन योग को करने की विधि :-
पहली स्थिति:- सबसे पहले स्वच्छ-साफ व हवादार स्थान पर दरी या चटाई बिछा कर उस पर पेट के बल अथार्त मकरासन की स्तिथि में लेट जाएँ।
दूसरी स्थिति :- फिर अपने दोनों हाथों को सामने की ओर फैलाएँ और अपनी हथेलियों को एक-दूसरे से सटाते हुए जमीन पर रखें |
तीसरी स्थिति :- अब अपने पैरों को भी पीछे एक-दूसरे से मिलाकर तथा सीधे रखें और पंजे पीछे की ओर तने हुए हों।
चौथी स्थिति :- अब श्वास अन्दर भरकर अपने हाथ और पैर दोनों ओर से शरीर को उपर की ओर उठायें और पैर, छाती, सिर एवं हाथ भूमि से उपर उठे हुए होने चाहिए। इस अवस्था में शरीर का पूरा वजन नाभि पर आंना चाहिए | और इस स्थिति में 25-30 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें |
पांचवी स्थिति :- अब वापस सामन्य स्तिथि में आने के लिए धीरे-धीरे अपने हाथ और पैरों को समानांतर क्रम में नीचे लाते हुए कपाल को भूमि पर लगाएँ। फिर पुन: मकरासन की स्थिति में आ जाएँ। इस प्रकार 5-6 बार यह क्रिया करें |
विपरीत नौकासन योग करने का समय :-
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस आसन का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।| इस आसन को नियमित कम से कम 5-10 बार करे|
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विपरीत नौकासन योग के फायदे :-
1. मेरूदंड लचीला बनता है :- इस आसन के नियमित रूप से अभ्यास करने से मेरूदंड लचीला व मजबूत बनता है जिससे बुढ़ापे में भी व्यक्ति तनकर चलता है और उसकी रीढ़ की हड्डी झुकती नहीं है।मानव शरीर रचना में ‘रीढ़ की हड्डी’ या मेरुदंड पीठ की हड्डियों का समूह है जो मस्तिष्क के पिछले भाग से निकलकर गुदा के पास तक जाती है। इसमें ३३ खण्ड होते हैं। मेरुदण्ड के भीतर ही मेरूनाल में मेरूरज्जु सुरक्षित रहता है।
2. पेट की चर्बी को करता है कम :- यह आसन पेट की चर्बी को कम करने में हमारी मदद करता है ।पेट की चर्बी या शरीर के अन्य भागों की चर्बी, वसा की एक विशेष रूप से हानिकारक प्रकार है जो आपके अंगों के आसपास जमा होती है।
3. आंखों की समस्याओं से निजात :- अगर कोई भी व्यक्ति इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास करता है तो वो अपनी आखिन की समस्या से जल्द ही छुटकारा पा सकता है | अगर उसके चश्मे भी चढ़े हुए हैं तो वो भी उतर सकते हैं इसके लिए आप कुछ देशी ओषधि का सेवन भी कर सकते हैं ।
4. स्वास्थ्य फिट रहता है:- इस आसन के अभ्यास से पूरा शरीर फिट और active रहता है और व्यक्ति काम से थकता भी नही है। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों।
विपरीत नौकासन के अन्य फायदे:-
1. नाभि अपने स्थान पर वापस आ जाती है |
2. पट गैस में आराम मिलता है |
3. शरीर से आलस खत्म होता है |
4. गर्भाशय संबंधी तकलीफ में फायदा मिलता है |
5. डिस्क, कमर दर्द में आराम मिलता है |
6. सिरदर्द में राहत मिलती है |
विपरीत नौकासन करते समय सावधानी बरतें :-
1. योगा हमेसा खाली पेट ही करना चाहिए |
2. मेरुदंड और पेट संबंधी कोई गंभीर समस्या होने पर इस आसन को न करें |
3. हर्नियां से पीड़ित व्यक्ति अभ्यास न करें।
4. इस योग को योग गुरु के मार्गदर्शन में करें।
5. हाई ब्लड प्रेशर वाले इस आसन को न करें |
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