मधुमेह-(Diabetes in Hindi) :
आज कल मधुमेह की बीमारी आम बीमारी है इससे किसी का लिवर ख़राब हो जाता है, किसी की किडनी किसी को paralisis हो रहा है तो किसी को brain stroke हो रहा है ,किसी को heart attack आ रहा है। कुल मिलकर diabetes के complications बहुत है।
प्रीतिदिन बहुत लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे है। कभी भी शुगर में इन्सुलिन नहीं लेनी चाहिए क्योंकि इसे लगातार लेने से किडनी ख़राब हो जाती है। यह बिमारी हमारे शरीर में अग्नाशय द्वारा इंसुलिन का स्त्राव कम हो जाने के कारण होती है। रक्त ग्लूकोज स्तर बढ़ जाता है, साथ ही इन मरीजों में रक्त कोलेस्ट्रॉल, वसा के अवयव भी असामान्य हो जाते हैं।
सुगर को कई नाम से जाना जाता है जेसे मधुमेह, डायबिटीज, सुगर, चीनी रोग इत्यादि। ये बीमारी व्यक्ति को कमजोर बनाती है। जिससे व्यक्ति को बहुत सारी परेशानियों का समाना करना पड़ता है। जब व्यक्ति को सुगर होता है तब शरीर को भोजन से उर्जा प्राप्त करने मैं कठनाई होती है पेट फिर भी भोजन को ग्लूकोज में बदलता रहता है।
ग्लूकोज रक्त धारा में जाता है। किन्तु अधिकांश ग्लूकोज कोशिकाओं में नही जा पाते। जिनके कारण हैं :- इन्सुलिन की मात्रा कम होने के कारण, पूरे ग्लूकोज को ग्रहण कर सकने के लिए रिसेप्टरों की संख्या कम हो सकती है। समय समय पर डॉ. पर जाच करवानी चाहिए। जिससे इससे सावधान रहा जा सके अगर आपको सुगर है तो घबराएँ नहीं इसका बहुत ही अच्छा इलाज आयुर्वेद में है जो की नीचे बतया गया है।
मधुमेह के प्रकार-(Types Of Diabetes In Hindi):
मधुमेह (शुगर) मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है
टाइप-1 मधुमेह-(Type-1 Diabetes) :
यह मुख्य रूप से बचपन से युवावस्था (14 -25 उम्र) में होती है! यह मुख्य रूप से पैनक्रियास के बीटा में इन्फेक्शन के कारण होती है जिससे इन्सुलिन को उत्पन नहीं किया जा सकता! आम तौर पर इसके रोगी नियमित रूप से बाहर से इन्सुलिन शरीर में लेते हैं!
डीएम पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए अग्न्याशय की विफलता का परिणाम है। इस रूप को पहले “इंसुलिन-आश्रित मधुमेह मेलाईटस” (आईडीडीएम) या “किशोर मधुमेह” के रूप में जाना जाता था। इसका कारण अज्ञात है।
टाइप-2 मधुमेह-(Type-2 Diabetes) :
डीएम इंसुलिन प्रतिरोध से शुरू होता है, एक हालत जिसमें कोशिका इंसुलिन को ठीक से जवाब देने में विफल होती है। जैसे-जैसे रोग की प्रगति होती है, इंसुलिन की कमी भी विकसित हो सकती है।
इस फॉर्म को पहले “गैर इंसुलिन-आश्रित मधुमेह मेलेतुस” (एनआईडीडीएम) या “वयस्क-शुरुआत मधुमेह” के रूप में जाना जाता था। इसका सबसे आम कारण अत्यधिक शरीर का वजन होना और पर्याप्त व्यायाम न करना है।
गर्भावधि मधुमेह-(Gestational diabetes) :
इस प्रकार की diabetes गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को प्रभावित करती है। कुछ महिलाओं में उनके रक्त में ग्लूकोज का उच्च स्तर होता है, और उनके शरीर में सभी ग्लूकोज को उनके कोशिकाओं में परिवहन के लिए पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने में असमर्थ होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बढ़ते स्तर में ग्लूकोज का स्तर होता है।
गर्भावधि मधुमेह का निदान गर्भावस्था के दौरान किया जाता है। गर्भावधि मधुमेह रोगी बहुमत से व्यायाम और आहार के साथ अपनी मधुमेह को नियंत्रित कर सकते हैं। उनमें से 10% से 20% के बीच किसी प्रकार की रक्त ग्लूकोज-नियंत्रित करने की दवाएं लेने की आवश्यकता पड़ सकती है। निदान या अनियंत्रित गर्भावधि मधुमेह बच्चों के जन्म के दौरान जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। बच्चे को इतना होना चाहिए जितना वह होना चाहिए।
शुगर (मधुमेह) के लक्षण-(Diabetes Symptoms In Hindi) :
मधुमेह व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करती है जैसे 40 साल से अधिक उम्र होने के बाद सभी को डायबिटीज होने की सम्भावना होती है और उन्हें कमसे कम साल में एक बार शुगर की जाँच करानी चाहिए। यदि आपके परिवार में माता, पिता, भाई या बहन को डायबिटीज है तो सम्भावना अधिक है। कई बच्चो को 12 साल की उम्र में भी डायबिटीज हो जाता है।
1. आँख के रोग :- जब यह रोग व्यक्ति को लगता है तो व्यक्ति की आँखों में धुंधलापन छा जाता है और आँखों की रोसनी बिना किसी कारण के कम होने लगती है।
2. कमजोरी या थकान होना :- इस रोग में रोगी को हर समय थकान या कमजोरी महसूस होती है आलस छाया रहता है कुछ भी कार्य करने का मन नही करता।
3. अधिक भूक लगना :- इस रोग में व्यक्ति को भूक बहुत लगती है खाना खाने के बाद भी व्यक्ति को खाने का मन रहता है और खाना खाने के बाद भी भूक लगती है।
4. रक्त ग्लूकोज का बढ़ना :- इस रोग में व्यक्ति का रक्त ग्लूकोज स्तर बढ़ जाता है। मधुमेह से ग्रसित लोगो में, इस समस्या के प्रबंधन के लिए नियमित अंतरालों में,रक्त ग्लूकोज की मॉनिटरिंग की जाती है।
5. अधिक प्यास लगाना :- रोग से ग्रस्त व्यक्ति को प्यास बहुत लगती है पानी पीने के बाद भी व्यक्ति का गला सूखा रहता है।
6. जख्म ठीक ना होना :- इस रोग में अगर व्यक्ति को कही चोट लग जाती है या शारीर पर कोई जख्म हो जाता है तो उसको ठीक होने में बहुत समय लगता है और कभी कभी ठीक भी नहीं होता है।
7. स्किन इन्फेक्सन होना :- इस रोग में रोगी को स्किन इन्फेक्सन बहुत होते हैं जैसे त्वचा पर फोड़े फुंसियों का निकलना त्वचा में रूखा पन आती रोग हो जाते हैं।
8. पैशाब आना :- इस रोग में रोगी को पैशाब बहुत आती है किसी-किसी व्यक्ति को पैशाब करने में जलन भी होती है कभी-कभी यूरिन में इन्फेक्सन भी हो जाता है।
9. वजन कम होना :- इस रोग में व्यक्ति का वजन दिन प्रति दिन कम होने लगता है और साथ ही कमजोरी भी महसूस होने लगती है।
10. मासिक स्राव में विकृति :- इस रोग में स्त्रियों में मासिक स्राव में विकृति अथवा उसका बन्द होना। मासिक धर्म के दौरान ब्राउन रक्त एक महिला के शरीर में रोग प्रक्रिया के विकास का संकेत हो सकता है।
11. ब्रेन हेमरेज होना :- कभी कभी इस रोग मे व्यक्ति को ब्रेन हेमरेज हो जाता है रक्त धमनियों में किसी भी प्रकार का अवरोध या किसी प्रकार का कोई क्लॉट बन जाता है तो उनके द्वारा दिमाग तक पहुंचने वाला रक्त व उसका प्रवाह कम हो जाता है।
12. आनुवंशिक कारण :- आपके परिवार में किसी अन्य सदस्य को भी मधुमेह की समस्या रही हो तब भी आपको सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि यह एक आनुवांशिक बीमारी है।
13. हाथ पैरों में अकडन :- इस रोग में रोगी के हाथ पैरों में अकडन अकडन रहती है और पूरे शरीर में झनझनाहट सी रहती है।
14. मूत्र में शर्करा का निष्कासन :- मधुमेह का ये सबसे बड़ा लक्षण है। लेकिन मधुमेह हो जाने पर बहुत समय तक रोगी को इस स्थिति का पता नहीं चलता और रोगी जब अपने मूत्र या रक्त का परिक्षण कराता है तो मधुमेह रोग का शर्करा के निष्कासन से पता पता चलता है।
15. खुजली का होना :- मधुमेह रोग होने पर रोगी के शरीर पर बहुत खुजली रहती है और गुप्त अंगो पर भी खुजली रहती है और इसके साथ-साथ पूरे शरीर पर चुभन सी महसूस होती है।
16. नपुंसकता बढ़ना :- मधुमेह रोग होने पर नपुंसकता तेजी से बढ़ने लगती है यह भी एक मधुमेह का मुख्य लक्षण है इसलिए समय-समय पर जाँच कराते रहना चाहिए।
शुगर (मधुमेह ) के कारण-(Diabetes Reason In Hindi) :
जब तक आप मधुमेह बीमारी का असली कारण नही समझेगे आपकी मधुमेह कभी भी ठीक नही हो सकती है जब हमारे रक्त में वसा (गंदे कोलेस्ट्रोल) या LDL की मात्रा बढ जाती है तब हमारे रक्त में मौजूद कोलेस्ट्रोल कोशिकाओ के चारों तरफ चिपक जाता है और जो खून में मोजूद जो इन्सुलिन होता है वो हमारी कोशिकाओं तक नही पहुँच पाता है इसलिए वो इन्सुलिन शरीर के किसी भी काम में नही आता है।
जिस कारण जब हम अपना शुगर level चैक कराते हैं तो शरीर में हमेशा शुगर का स्तर ही बढा हुआ होता है। क्यूंकि वो कोशिकाओ तक नहीं पहुंची क्योंकि वहाँ (गंदे कोलेस्ट्रोल)LDL VLDL जमा हुआ है जबकि जब हम बाहर से इन्सुलिन लेते है तब वो इन्सुलिन नया-नया होता है तो वह कोशिकाओं के अन्दर पहुँच जाता है।
1. आनुवंशिक :- मधुमेह आनुवंशिक भी हो सकती है, तो अगर माता-पिता को Type -2 शुगर की शिकायत है तो होने वाले बच्चों को शुगर की शिकायत की संभावना अधिक होती है।
2. नशीले पदार्थों का सेवन :- शराब पीना, धूम्रपान करना और आदि नशीले पदार्थों का सेवन करने से यह रोग हो सकता है।
3. मोटापे के कारण :- मोटापा-Diabetes Causes में सबसे ऊपर शुमार होता है , इसलिए सभी के लिए यह जरुरी है कि अपने शरीर पर मोटापा न आने दें।
4. ख़राब खान पान करना :- खराब पोषण टाइप 2 मधुमेह में योगदान कर सकता है। कैलोरी, वसा और कोलेस्ट्रॉल में उच्च आहार आपके इंसुलिन के प्रतिरोध को बढ़ा देता है।
5. तनाव के कारण :- तनाव शुगर में एक महत्पूर्ण भूमिका रखता है अगर आप तनाव से ग्रस्त हो तो ये रोग जन्म ले सकता है तो जितना हो सके तनाव से मुक्त रहें।
6. व्ययाम की कमी :- व्यायाम मांसपेशियों के ऊतक इंसुलिन को बेहतर प्रतिक्रिया देता है। यही कारण है कि नियमित रूप से एरोबिक व्यायाम और प्रतिरोध प्रशिक्षण आपके मधुमेह के जोखिम को कम कर सकते हैं।
7. जादा मिठाई का सेवन करने से :- जो व्यक्ति जादा मिठाई जैसे चीनी, शक्कर , गुड आदि का सेवन करते हैं खासकर वो लोग भी इस रोग के शिकार हो जाते हैं। क्युकी जब आप जादा मीठी चीजों का सेवन करते हैं तो शरीर में शर्करा की मात्रा बढ़ने लगती है।
8. अग्न्याशय में विक्रति के कारण :- अग्न्याशय में विक्रति के कारण इन्सुलिन की मात्रा कम होने पर भी मधुमेह रोग उत्पन्न हो जाता है।
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शुगर (मधुमेह) का घरेलू इलाज-(Diabetes Treatment In Hindi) :
आयुर्वेद की ये सबसे अच्छी दवा ये है जो नीचे लिख रही है इससे शुगर 101% ठीक हो जाता है ये दवाई मेथी दाने, करेले के बीज, जामुन के बीज, बेल के पत्ते से बनायीं जाती है जेसा की नीचे आपको बताया गया है।
उपचार के लिए क्या चाहिए :-
1०० ग्राम मेथी का दान | 1०० ग्राम तेज पत्ता | 150 ग्राम जामुन के बीज | 250 ग्राम बेल के पत्ते |
1.100 ग्राम मेथी का दान।
2.100 ग्राम तेज पत्ता।
3.150 ग्राम जामुन के बीज।
4.250 ग्राम बेल के पत्ते (ये वो पत्ते है जो शिव भोले पर चढ़ाये जाते है)
अब इनको धुप में सुखाकर फिर सिलबाट पर या पत्थर पर पीसकर अब इन सभी को एक साथ मिला ले और किसी सीसी मैं भरकर रख लें। ये आपकी डाइबिटीज़ की दवा बनकर तैयार है।
इस दवाई का सेवन कैसे करें-(How To Eat This Medicine) :
सुबह नास्ता करने से एक घंटे पहले एक चम्मच गर्म पानी के साथ ले फिर साम को खाना खाने से पहले एक चम्मच गर्म पानी से ले (मतलब ये दवा आपको सुबह साम खाली पेट लेनी है) अगर आप इसके साथ एक-दो दवाई और लें ले तो इस दवा का असर बहुत ही जल्द होगा शरीर की सभी बीमारियाँ वात,पित ,और कफ के बिगड़ने से होती हैं। दुनिया मे सिर्फ दो ही ऐसी ओषधियाँ है जो इन तीनों के सतर को बराबर रखती है वो हैं गौ मूत्र और त्रिफला चूर्ण।
त्रिफला चूर्ण का सेवन :- त्रिफला चूर्ण को रात को सोने से पहले एक से डेड चमच गर्म दूध के साथ ले लें उसके बाद थोडा सा चल फिर लें।
गौ मूत्र का सेवन :- आधा कफ ताजा गौ मूत्र लेकर उसमें आधा कफ पानी मिला लें और उसे सुबह-सुबह पी लें।
कब तक सेवन करें :- इस दवा का सुबह-सुबह खाली पेट 3 महीने तक सेवन करें।
1. मेथी के दाने से उपचार (Treatment With Fenugreek Seeds ):
एक चम्मच मेथी के दानो को रात को थोड़े से पानी में भिगो कर रख दो फिर सुबह उठ कर पानी को घूट -२ कर के पिए और मेथी के दानो चबा लें। इससे भी आपकी सुगर cure होगी। मेथी के दानों (methi dana )का चूर्ण 2-2 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 से 4 बार सेवन करने से शरीर में चीनी और कोलेस्ट्रोल की मात्रा कम होती जाती हैं। 5 ग्राम मेथी का चूर्ण खाना-खाने के आधा घंटे पहले सेवन करने से मधुमेह (डायबिटीज) में लाभ होता है।
2. तुलसी से उपचार (Treatment With Basil) :
तुलसी की दो तीन पत्तियां या एक टेबलस्पून तुलसी का रस खाली पेट लेने से ब्लड शुगर का स्तर घटता है। क्यूंकि तुलसी की पत्तियां एंटीऑक्सीडेंटस और आवश्यक तेल से समृद्ध होती है जो यूग्नोल, मिथाइल यूगेनोल और केरियोफिलीन का उत्पादन करते हैं। – तुलसी के फायदे
3. जामुन से उपचार (Treatment with Jamun) :
जामुन की गुठलियाँ लेकर उनको सुखा लें सूखने के बाद उनको पीसकर चूर्ण बना लें अब एक चम्मच दिन में दो बार पानी या दूध के साथ ऐसा करने से मधुमेह की बीमारी को जड़ से समाप्त हो सकती है।
4. करेला से उपचार (Treatment With Bitter Gourd ) :-
करेले में कैरेटिन नामक रसायन होता है, इसलिए यह प्राकृतिक स्टेरॉयड के रुप में इस्तेमाल होता है, जिससे खून में शुगर लेवल नहीं बढ़ पाता। करेले के 100 मिली. रस में इतना ही पानी मिलाकर दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है।
5. शिलाजीत से उपचार (Treatment With Shilajit) :-
मधुमेह रोग में शिलाजीत 3 रत्ती मात्रा में सुबह और रात को सोने से पहले शहद के साथ सेवन करें मधुमेह रोग में बहुत लाभ मिलता है।
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शुगर (मधुमेह) में क्या खाएं-(What To Eat In Diabetes In Hindi) :
1. फल का सेवन करें :- फलों में आपको आमला, खरबूजा, तरबूज, अनार, पपीता, संतरा ,नीबू, मोसमी नाशपाती, अमरुद, आदि फलों का सेवन करना चहिये क्यूंकि ये हमरी शरीर में मिनरल्स विटामिन की कमी को पूरा करते हैं।
2. सब्जियों का सेवन करें :- सब्जियों में आप मेथी, पालक, हर धनिया, तोरई, भिन्डी, चने का साग, ग्वार की फली आदि सब्जियों का सेवन कर सकते हैं।
3. मसाले का सेवन :- मसाले में आप लहसुन जो ग्लूकोज के लेवल को कम करता है और दालचीनी का सेवन कर सकते हैं।
4. पेय पदार्थों का सेवन करें :- पेय पदार्थों में आप अलोवेरा जूस, ग्रीन टी, अनार का जूस, मोसमी का जूस आदि को सामिल कर सकते हैं क्यूंकि ये सभी गुड कोलेस्ट्राल को बढाते हैं। इसके साथ साथ आप काला नमक डालकर छाछ पिएं। नारियल पानी पिएं।
5. दूध से बनी चीजों का सेवन :- इस रोग में आप दूध से बनी चीजें जैसे दही , पनीर, मख्खन आदि को सेवन में ला सकते हैं।
6. फाईबर का सेवन :- ऐसी चीजे ज्यादा खाए जिसमे फाइबर हो रेशे ज्यादा हो हरी सब्जी जैसे दाल, पालक, छिलके वाली दाल आदि।
शुगर (मधुमेह) में क्या नहीं खाएं (Do Not Eat In Diabetes In Hindi) :
1. वसायुक्त भोजन :- इस रोग में रोगी को वसायुक्त भोजन का सेवन कम करना चहिये क्यूंकि वसा या कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करने से मधुमेह बढ़ता है।
2. इन फलों का सेवन न करें :- केला, आम, लीची जैसे फलों को ना खाएं या कम मात्रा में खाएं, क्योंकि इससे मधूमेह का खतरा बढ़ता है।
3. मिठाई का सेवन न करें :- मधुमेह मीठा खाने के कारण नहीं होता, लेकिन एक बार यह हो जाए तो मरीज को मीठे से दूर रहना पड़ता है। इसलिए कोशिश करें कि मिठाई ना खाएं।
4. फ़ास्ट फ़ूड से बचें :- इस रोग में रोगी को फ़ास्ट फ़ूड जैसे बर्गर, पैटीज, समोसे आदि तले व् चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों से बचना चहिये।इससे मधुमेह का खतरा और बढ़ जाता है।
5. मक्के और मैदा :– मैदा और मक्के का आटा न खाएं। इनका ग्लाइसिमिक इंडेक्स ज्यादा होता है और ये रिफाइन भी होते हैं।
6. सब्जियों में :- सब्जियों में आलू , अरबी , कटहल , जिमिकंद , शकरकंद , चुकंदर न खाएं। इनमें स्टार्च और कार्बोहाइड्रेट काफी ज्यादा होता है , जो शुगर बढ़ा सकते हैं।
7. इन सब का सेवन न करें :- चीनी , शक्कर , गुड़ , गन्ना , शहद , चॉकलेट , पेस्ट्री , केक , आइसक्रीम आदि मीठी चीजें न खाएं।
8. नशीले पदर्थों :- शराब, बियर, कॉफ़ी आदि पदार्थो का सेवन न करे। क्यूंकि ये भी मधुमेह का कारण बन सकते हैं।
9. ठंडे पदार्थों से बचे :- शक्कर, मिश्री, चीनी, शर्बत, मुरब्बा, शहद, पिज़्ज़ा, बर्गर, क्रीम रोल,आइसक्रीम तथा ठंडे पेय पदार्थ इस्तेमाल नहीं करने चाहिए।
10. शर्करा युक्त खाद्य पदार्थ:- मधुमेह रोग में शर्करा युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कार्बोहाइड्रेट व् प्रोटीन नहीं खाने चहिये क्यूंकि इस रोग में शर्करा की पाचन क्रिया सपन्न नहीं होती है।
मधुमेह को नियंत्रित रखने के उपाय-(How To Save From Diabetes In Hindi) :
1. व्ययाम करें :- हर रोज कोई-न-कोई व्यायाम और योग आसन अवश्य करना चाहिए। शारीरिक श्रम (physical exercise/Activity) Diabetes दूर भगाता है।
2. मेडिटेशन करें :- ध्यान हमारे शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध को कम करता है. मेडिटेशन करने से कोर्टिसोल , एड्रेनालाईन और नार एड्रेनालाईन के रूप में तनाव हार्मोन इंसुलिन और ग्लूकोज के स्तर के उत्पादन को तेज करके शुगर लेवल को संतुलित करता है।
3. भोजन का समय :- साम को सूरज अस्त होने से पूर्व भोजन कर लेना चाहिए।
4. चीनी की जगह गुड :- चीनी का प्रयोग कभी ना करें चीनी की जगह आप गुड का प्रयोग कर सकते हैं।
5. भरपूर नीद : – शुगर से बचने के लिए भरपूर नीद लेनी चहिये समय से जागना और समय पर ही सोना चहिये। ऐसा करके भी हम मधुमेह से बच सकते हैं।
6. धूम्रपान न करें :- जो लोग धूम्रपान करते हैं, वह मधुमेह होने का खतरा दुगुना कर देते हैं। आपको इस आदत को छोड़ना पड़ेगा।
7. तनाव से मुक्त रहें :- अध्यन से पता चला है की तनाव के हॉर्मोन्स रक्त शर्करा के स्तर में परिवर्तन लाते हैं और सीधा आपके मधुमेह के जोखिम को बढ़ाते हैं। अपने तनाव के स्तर को कम करना होगा।
8. नियमित स्वास्थ्य जाँच :- जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम भी बढ़ जाता है जो मधुमेह से जुड़े हैं। इसलिए, ४५ साल की उम्र के बाद, हर साल नियमित रूप से पूर्ण स्वास्थ्य जांच कराना ज़रूरी है।
9. वजन को कम करें :- मोटापा शुगर का एक मुख्य कारण है इसलिए हमे अपना weight कण्ट्रोल करना पड़ेगा तो मधुमेह से बचने के लिए मोटापा को कम करें।