फुफ्फुसावरण शोध एक फेफड़ों से संबंधित रोग है। मरे फेफड़ों की सुरक्षा करने के लिए उन पर पतली झिल्ली का दोहरा या दो खोल चढ़े होते हैं जिन्हें प्लूरा के नाम से जाना जाता है। इसकी एक परत फेफड़ों के बहरी भाग पर और दूसरी परत पसलियों के भीतरी भाग पर चढ़ी होती है।
जब इन झिल्लियों में संक्रमण हो जाता है तो उसे प्लूरिसी या फुफ्फुसावरण के नाम से जाना जाता है। जब इनमें संक्रमण हो जाता है तो संक्रमण की वजह से इन झिल्लियों में सूजन हो जाती है। इन दोनों झिल्लियों के बीच में द्रव की एक बहुत ही पतली परत होती है जो इन दोनों को चिकनाहट देती है।
इस रोग के होने की वजह से इन झिल्लियों में सूजन आ जाती है और ये मोटी हो जाती हैं। इनके मोटा होने की वजह से इन दोनों झिल्लियों में आपस में टकराव होने लगता है। इस टकराव की वजह से झिल्लियों के बीच का द्रव एक जगह ठहरने लगता है और जमने लगता है जिसकी वजह से रोगी को छाती में बहुत तेज जलन और दर्द महसूस होने लगता है जो कभी-कभी असहनीय हो जाता है।
फुफ्फुसावरण शोध के लक्षण-Pleurisy Symptoms In Hindi
1. गले में दर्द होना : जब किसी व्यक्ति को फुफ्फुसावरण की समस्या हो जाती है तो उस व्यक्ति को साँस लेने में बहुत अधिक परेशानी होती है जिसकी वजह से व्यक्ति जब खांसता या छींकता है तो उसे गले में बहुत अधिक दर्द महसूस होने लगता है जिससे उसे बहुत अधिक परेशानी होती है।
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2. छाती में दर्द : जब किसी व्यक्ति की प्लूरा झिल्ली में सूजन आ जाती है तो दोनों झिल्लियों में टकराव होने लगता है जिसकी वजह से उनके बीच का द्रव एक जगह पर ठहरकर जमने लगता है जिसकी वजह से व्यक्ति को सीने में जलन और दर्द महसूस होने लगता है। व्यक्ति को अपनी छाती पर बहुत ही भारीपन का एहसास होने लगता है।
3. खांसी होना : अगर किसी व्यक्ति को यह समस्या हो गई है तो उस व्यक्ति को बहुत अधिक खांसी की समस्या होती है और उस व्यक्ति को खांसी के साथ-साथ मुंह से गंदे पदार्थों के निकलने की समस्या भी हो जाती है। व्यक्ति को अधिक खांसी होने की वजह से गला उखड़ने लगता है।
4. बुखार आना : जब व्यक्ति के शरीर में द्रव पदार्थ जमने लगता है तो उस व्यक्ति को छाती में बहुत अधिक जलन और दर्द का एहसास होता है जिसकी वजह से भी उसके शरीर का तापमान बढने लगता है जो उसके बुखार होने का कारण बन जाता है।
5. वजन कम होना : जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति को भोजन से अरुचि हो जाती है जिसकी वजह से उसे भूख नहीं लगती है और व्यक्ति का वजन भी समय के साथ कम हों लगता है जिसकी वजह से व्यक्ति को कमजोरी आ जाती है।
फुफ्फुसावरण शोध के कारण-Pleurisy Causes In Hindi
1. रोगों से : जब किसी व्यक्ति को फेफड़ों का टी.बी. या फेफड़ों के कैंसर की समस्या हो जाती है तो उस व्यक्ति में खून का प्रवाह रुक जाता है जिसकी वजह से यह रोग हो जाता है। जब किसी व्यक्ति को निमोनिया, ट्यूमर, कैंसर आदि रोग होते हैं तब भी उसे यह रोग होने की संभावना रहती है।
2. पानी भरने से : किसी व्यक्ति को जब झिल्लियों के बीच में द्रव के इकट्ठा होने की वजह से प्लूरिसी रोग हो जाता है तो यह रोग होने के बाद उस व्यक्ति की प्लूरिसी में पानी भर जाता है तो उस व्यक्ति को नम प्लूरिसी रोग हो जाता है।
फुफ्फुसावरण शोध का इलाज-Pleurisy Treatment In Hindi
1. तुलसी के सेवन से इलाज :
अगर आपको फेफड़ों का संक्रमण हो गया है जिसकी वजह से आपको फुफ्फुसावरण रोग हो गया है तो आप तुलसी का सेवन कर सकते हैं। आप तुलसी के कुछ पत्ते लें और उनका रस निकालकर उसका दिन में दो बार सेवन करें इससे आपकी फुफ्फुसावरण की समस्या ठीक हो जाएगी।
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2. अलसी के प्रयोग से इलाज :
अगर आपको सीने में या फेफड़ों में बहुत अधिक दर्द या सूजन महसूस हो रही है तो आप अलसी के बीजों का प्रयोग कर सकते हैं। आप अलसी की एक पोटली बना लें और उससे अपने सीने की सिंकाई करें इससे आपको फेफड़ों की सूजन के साथ-साथ दर्द में बहुत लाभ होगा।
3. लौंग के सेवन से इलाज :
अगर आप किसी वजह से इस रोग से ग्रस्त हो गए हैं तो आप लौंग का सेवन कर सकते हैं। सबसे पहले आप थोडा लौंग का चूर्ण लें और उसमें थोडा सा शहद मिलाएं। अब इस मिश्रण में थोडा सा घी मिला लें। अब आप इस मिश्रण का सेवन दिन में दो बार करें इससे आपकी खांसी और साँस लेने में परेशानी की समस्या ठीक हो जाएगी।
4. अर्जुन के पेड़ से इलाज :
आप सभी ने अर्जुन के पेड़ के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन उसके फायदों के बारे में किसी-किसी व्यक्ति को ही पता होता है। अर्जुन का पेड़ इस रोग को ठीक करने में बहुत मदद करता है इसके लिए आप अर्जुन के पेड़ की जड़ और लक्सी का चूर्ण बराबर मात्रा में ले लें और इसमें दूध मिलाकर इसका दिन में दो बार सेवन करें इससे आपकी समस्या ठीक हो जाएगी।
5. पालक के सेवन से इलाज :
अगर किसी व्यक्ति के या आपके फेफड़ों में पानी भर गया है तो आप पालक का सेवन कर सकते हैं क्योंकि यह जल्द-से-जल्द पानी को सूखने में मदद करता है। आप पालक के रस से कुल्ला करें इससे आपके फेफड़ों और गले की सूजन की समस्या ठीक हो जाएगी।
फुफ्फुसावरण शोध से बचाव के उपाय-Prevention of Pleurisy In Hindi
- रोगी को प्रतिदिन सुबह के समय नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
- अगर रोगी को यह रोग हो जाता है तो कुछ दिनों के लिए उपवास रखकर सिर्फ फलों का रस पीना चाहिए।
- अगर रोगी का पेट साफ नहीं होता है तो उसे उपवास के दौरान हर रोज गर्म पानी का सेवन करके एनिमा प्रक्रिया करनी चाहिए और अपने पेट को साफ करना चाहिए और उसके बाद कुछ देर तक अपने शरीर पर गीली चादर लपेटनी चाहिए।
- रोगी के शरीर का गुनगुने पानी से स्पंज करना चाहिए और उसके साथ एक गीली पट्टी में मिट्टी लपेटकर अपनी छाती पर रखनी चाहिए। इस पट्टी को दिन में बदलते रहना चाहिए।
- रोगी को जब छाती में दर्द होने लगे तो उसे दर्द से राहत पाने के लिए छाती को गर्म सेंक देनी चाहिए।
- रोगी को धुम्रपान या किसी भी तरह के नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
फुफ्फुसावरण शोध में क्या खाएं-Eat In Pleurisy In Hindi
- रोगी को बकरी का दूध, गाय का दूध, घी, चाय, कॉफी, आदि तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को गेंहूँ, मूंग दाल, चावल आदि अनाजों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को लौंग, काली मिर्च, सोंठ, आदि मसालों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को पालक, लहसुन, आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
फुफ्फुसावरण शोध में क्या न खाएं-Do Not Eat In Pleurisy In Hindi
- जिन लोगों को यह समस्या हो जाए उन्हें दही, संतरा, अनार, चकोतरा, नींबू, गाजर, मूली, अनानास, अरबी, गोभी, कचालू, मछली आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।