बाह्य प्राणायाम-Bahya Pranayama In Hindi
बाह्य प्राणायाम को अंग्रेजी में External Retention कहा जाता है। बाह्य का अर्थ होता है बाहर। अथार्त यह एक ऐसा प्राणायाम है जिसमे अभ्यास करते समय साँस को बाहर छोड़ा जाता है इसीलिये इसे बाह्य प्राणायाम कहा जाता है।
इस प्राणायाम को “बाहरी साँस का योगा”भी कहा जाता है। जब व्यक्ति कपालभाति करता है, तब उसकी मूलाधार चक्र की शक्ति जागृत होती है और उस जागृत हुई अमूल्य शक्ति का उर्धारोहण (उर्ध + आरोहण) करने के लिए “बाह्य प्राणायाम”किया जाता है।
बाह्य प्राणायाम करने की विधि-Bahya Pranayama Steps In Hindi
- सबसे पहले आप किसी समतल और स्वस्छ जमीन पर चटाई या आसन बिछाकर उस पर पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं।
- अब अपने मध्यपट को नीचे की ओर झुकाएं और अपने फेकडो को फुलाने की कोशिश करे।
- अब तेजी से अपना स्वास छोड़ें ऐसा करते समय अपने पेट पर भी थोडा जोर दे।
- अब धीरे-धीरे अपनी छाती से ठोड़ी लगाने की कोशिश करे और अपने पेट को हल्के हाथो से दबाकर साँस बाहर निकलने की कोशिश करते रहे।
- अब इसी अवस्था में थोड़ी सी देर तक रुकें।
- अब धीरे-धीरे अपने पेट और मध्यपट को छोड़े और उन्हें हल्का महसुस होने दे।
- अब इसी प्रिक्रिया को कम से कम 5-7 बार दोहरायें।
बाह्य प्राणायाम की समय अविधि-Bahya Pranayama Times In Hindi
अगर आपने ये प्राणायाम करना अभी शुरू ही किया है तो आप इसका अभ्यास आप 5-7 मिनट तक ही करें क्यूंकि इस प्राणायाम की समय अविधि एक साथ नहीं बढ़ानी चाहिए।
सुबह और शाम के समय खाली पेट इस प्राणायाम का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। एक सामान्य व्यक्ति को बाह्य प्राणायाम शुरुआत में चार से छह बार करना चाहिए। कुछ समय तक निरंतर अभ्यास करते रहने के बाद इसे बढ़ा देना चाहिए।
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बाह्य प्राणायाम से होने वाले लाभ- Bahya Pranayama Benefits In Hindi
1. पेट के सभी रोग : बाह्य प्राणायाम का अभ्यास करने से पेट के सभी रोग जैसे एसिडिटी, जी मिचलाना और अल्सर आदि रोगों में लाभ मिलता है।
2. एकाग्रता को बढाता है : बाह्य प्राणायाम का अभ्यास करने से मन और मस्तिषक की एकाग्रता बढती है।
3. मधुमेह में फायदेमंद : मधुमेह के रोगियों के लिए बाह्य प्राणायाम बहुत ही लाभदायक है।
4. पाचन शक्ति मजबूत होती है : बाह्य प्राणायाम के नियमित अभ्यास से पाचन शक्ति को मजबूत किया जा सकता है।
5. कब्ज व् एसिडिटी में फायदेमंद : बाह्य प्राणायाम के नियमित अभ्यास से कब्ज और एसिडिटी से मुक्ति पायी जा सकती है।
6. पौरुष ग्रंथि में फायदेमंद : इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से पौरुष ग्रंथि की समस्या दूर हो जाती है।
7. हर्निया रोग में : हर्निया के रोगियों के लिए यह प्राणायाम अत्यंत लाभदायी होता है।
8-मूत्रमार्ग से संबन्धित समस्या : इसके नियमित अभ्यास से मूत्रमार्ग से संबन्धित सारे रोग समाप्त हो जाते हैं।
9. इन सबकी निवृत्ति करता है : बाह्य प्राणायाम वीर्य की उधर्व गति करके स्वप्न-दोष, शीघ्रपतन आदि धातु-विकारों की निवृत्ति करता है।
10. शरीर में फुर्ती : बाह्य प्राणायाम के नियमित अभ्यास से शरीर की थकान दूर होकर शरीर में फुर्ती आती है।
बाह्य प्राणायाम करने में सावधानी-Bahya Pranayama Caution In Hindi
- यह प्राणायाम सुबह-सुबह खाली पेट करना चाहिए ।
- हृदय व् उच्च रक्तचाप के रोगी भी बाह्य प्राणायाम का अभ्यास ना करें।
- गर्भवती महिलाओं को बाह्य प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- पीरियड के समय में महिलाये इस प्राणायाम को ना करे।