भस्त्रिका प्राणायाम-Bhastrika Pranayama In Hindi
भस्त्रिका प्राणायाम को अंग्रेजी में Bellow’s Breath भी कहा जाता हैं। भस्त्रिका शब्द संस्कृत से लिया गया है। जिसका अर्थ होता है धौंकनी अर्थात एक ऐसा प्राणायाम जिसमें लोहार की धौंकनी की तरह आवाज करते हुए वेगपूर्वक शुद्ध प्राणवायु को अन्दर ले जाते हैं और अशुद्ध वायु को बाहर फेंकते हैं। श्वास की प्रक्रिया को जल्दी-जल्दी करना ही भस्त्रिका प्राणायाम कहलाता है।भस्त्रिका प्राणायाम करने से वात, पित्त और कफ ये तीनों दोष ठीक हो जाते हैं।
भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि-Stpes of Bhastrika Pranayama In Hindi
- सबसे पहले किसी स्वस्छ व् समतल जगह पर चटाई बिछा लें और उस पर पद्मासन किसी अवस्था में बैठ जाएँ ।
- अब अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और अपना सिर बिलकुल सीधा रखें।
- अब अपने दोनों नासिका छिद्रों से एक गति से पूरी सांस अंदर लें। इतनी सांस लें की वायु फेफड़ों में आ जाये पूरी सांस अन्दर लेने के बाद, दोनों नासिका छिद्रों से एक गति से पूरी सांस को बाहर निकालें।
- सांस अंदर लेने और छोड़ने की गति “धौकनी” की तरह तीव्र होनी चाहिए और सांस को पूर्ण रूप से अन्दर और बाहर लेना चाहिए।
- हमारे दोनों हाथ घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रहेंगे और आंखें बंद रहेंगी।
- अब इस क्रिया को 5-7 मिनट तक दोहराएँ।
https://www.youtube.com/watch?v=oOwLfV_jIwU
भस्त्रिका प्राणायाम के लिए समय और अविधि-Times of Bhastrika Pranayama In Hindi
अगर आपने ये प्राणायाम करना अभी शुरू ही किया है तो आप इसका अभ्यास आप 5-7 मिनट तक ही करें क्यूंकि इस प्राणायाम की समय अविधि एक साथ नहीं बढ़ानी चाहिए।
सुबह और शाम के समय खाली पेट इस प्राणायाम का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। एक सामान्य व्यक्ति को भस्त्रिका प्राणायाम शुरुआत में पांच से सात बार करना चाहिए। कुछ समय तक निरंतर अभ्यास करते रहने के बाद इसे बढ़ा देना चाहिए।
यह भी पढ़ें :- Pranayama , kapalbhati yoga kaise kare
भस्त्रिका प्राणायाम से होने वाले लाभ- Benefits of Bhastrika Pranayama In Hindi
1. उर्जा प्राप्त करने में : भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास से हमारे मन और शरीर को बहुत उर्जा मिलती है।
2. पाचन शक्ति : भस्त्रिका प्राणायाम के नियमित अभ्यास से पाचन शक्ति मजबूत किया जा सकता है।
3. पेट के सभी रोग : भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करने से पेट के सभी रोग जैसे एसिडिटी, जी मिचलाना और अल्सर आदि समाप्त हो जाते हैं।
4. सभी नाड़ियाँ सुद्ध : भस्त्रिका प्राणायाम करने से शरीर की सभी नाड़ियों की शुद्धि होती है। यह प्राणायाम शरीर की सभी 72 हज़ार नाड़ियों में प्राण का संचार कराने में सहायक है।
5. रक्त संचार प्रक्रिया : भस्त्रिका प्राणायाम के नियमित अभ्यास से शरीर में रक्त संचार प्रक्रिया में सुधार आता है।
6. Oxygen की मात्रा : भस्त्रिका प्राणायाम अभ्यास करने से से व्यक्ति के शरीर में oxygen की मात्रा हमेशा संतुलित रहती है और इसके साथ-साथ ही शरीर को प्राणवायु अधिक मात्रा में मिलती है।
7. पेट की चर्बी : भस्त्रिका प्राणायाम पेट की चर्बी को कम करने में मदद करता है।
8. फेफड़ों को मजबूत : भस्त्रिका प्राणायाम का सबसे अच्छा फायदा ये है की ये हमारे फेफड़ों को मजबूत बनता है।
9. स्नायुओं से संबंधित रोग : इस प्राणायाम के अभ्यास से स्नायुओं से संबंधित सभी रोगों में लाभ मिलता है।
10. श्वास संबंधित समस्या : इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से श्वास से संबंधित समस्याओं जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी आदि को आसनी से दूर किया जा सकता है।
11. कुंडलिनी शक्ति जागने हेतु : भस्त्रिका प्राणायाम के नियमित अभ्यास से हम अपनी कुंडलिनी शक्ति जागृत कर सकते हैं।
12.नाड़ी प्रवाह शुद्ध : भस्त्रिका प्राणायाम नाड़ी प्रवाह को शुद्ध करता है और सभी कुंभकों में भस्त्रिका कुंभक सबसे लाभकारी होता है।
भस्त्रिका प्राणायाम में सावधानी-Precaution of Bhastrika Pranayama In Hindi
- उच्च रक्तचाप , हर्निया , ह्रदय रोग, गर्भवती महिलाए, अल्सर, मिरगी, पथरी, मस्तिष्क आघात इत्यादि के रोगी इस प्राणायाम को न करें।
- इस प्राणायाम को करने से पहले नाक साफ़ कर लेना अति आवश्यक है।
- गर्मियों के मौसम में ये सिर्फ एक ही समय करना चाहिए।
- भ्रस्त्रिका प्राणायाम प्रात: खुली और साफ हवा में करना चाहिए।
- भस्त्रिका प्राणायाम करते वक्त जब सांस अंदर की और लें तब फेंफड़े फूलने चाहिए और सांस बाहर त्याग करें तब फेंफड़े सिकुड़ने चाहिए।
- गर्मियों में इसके बाद सितली या सितकारी प्राणायाम करना चाहिए, ताकि शरीर ज्यादा गर्म ना हो जाए।