1. दूसरों को जानने के लिए बुद्धि व चातुर्य चाहिए। अपने आप को जानने के लिए खुद को प्रकाशित करना पड़ेगा। दूसरों को हराने के लिए ताकत चाहिए और अपने आपको हराने के लिए आंतरिक शक्ति चाहिए।
2. जो खुद को खुद में मानता है वही खुद को प्रकाशित कर पाता है।
3. प्रेम एक वजह है और हम उसी से हिम्मतवान बन सकते हैं।
4. वह जो ज्यादा विश्वास नहीं करता, उस पर भी विश्वास नहीं किया जाएगा।
5. इंसान, इंसानों की मौत पर जीत और खुशी का जश्न कैसे मना सकता है?
6. जो कोई भी अपनी ही बात पर बहुत जोर देता है, उसका कम ही लोग समर्थन करते हैं।
7. जो बहुत बोलता है जल्दी थक जाता है।
8. मेरे पास सिखाने के लिए बस तीन बातें हैं। सादगी, धैर्य, दया। ये तीनों आपका सबसे बड़ा खजाना हैं।
9. अगर आप दिशा नहीं बदलते, तो शायद आप वहीं पहुँच जाएँगे जिधर आप बढ़ रहे हैं।
10. हिंसा, यहाँ तक कि अच्छी नियत से भी की गई हिंसा खुद पर पलटवार करती है।
11. जब कोई राष्ट्र संघर्ष से भर जाता है, तो देशभक्त पनपते हैं।
12. प्रमुख बनो पर कभी स्वामी नहीं बनो।
13. बुरा नेता वो है जिससे लोग नफरत करते हैं, अच्छा नेता वो है जिसकी लोग इज्जत करते हैं, महान नेता वो है जब लोग कहते हैं, ये हमने खुद किया।
14. वो जो अपनी ही बात पर बहुत जोर देता है, उसे कम ही लोग समर्थन में मिलते हैं।
15. एक महान देश को ऐसे शासित करो जैसे कि छोटी मछली पकाई जाती है, ज्यादा मत पका दो।
16. कोई बहते हुए पानी में अपनी परछाई नहीं देख सकता, सिर्फ वो जो आंतरिक शांति अनुभव करते हैं इसे दूसरों को दे सकते हैं।
17. मौन महान शक्ति का स्त्रोत है।
18. स्वास्थ्य सबसे बड़ी संपत्ति है। संतोष सबसे बड़ा खजाना है। आत्मविश्वास सबसे बड़ा मित्र है।
19. सादगी दिखाओ, सरलता को अपनाओ, स्वार्थ को कम करो, कुछ ही इच्छाएं रखो।
20. किसी के द्वारा गहराई से प्रेम किया जाना ताकत देता है, और किसी को गहराई से प्रेम करना साहस देता है।
21. वह मन जो स्थिर है, उसके प्रति पूर्ण ब्रह्माण्ड समर्पित हो जाता है।
22. एक अच्छे यात्री की कोई तय योजना नहीं होती, और वह पहुँचने पर आमादा नहीं होता।
23. देखभाल करने से साहस आता है।
24. जिनके पास ज्ञान है वो भविष्यवाणी नहीं करते। जो भविष्यवाणी करते हैं, उनके पास ज्ञान नहीं है।
25. महान कार्य छोटे-छोटे कार्यों से बने होते हैं।
26. प्रकृति जल्दबाजी नहीं करती, फिर भी सारी चीजें पूरी हो जाती है।
27. दुनिया की सबसे कोमल चीज दुनिया की सबसे कठोर चीज को जीत लेती है।
28. एक चलती हुई चींटी एक ऊँघ रहे बैल से अधिक काम करती है।
29. जीवन और मृत्यु एक ही धागा है, अलग-अलग और से देखी गई एक ही रेखा।
30. अगर तुम्हें चाहिए तो पहले दो, यही बुद्धिमानी की शुरुआत है।
31. अपने कटोरे को ऊपर तक भरते जाओ और वो छलक जाएगा, अपने चाकू को लगातार तेज करते जाओ और वो कुंद हो जाएगा।
32. हजारों मील की यात्रा एक कदम के साथ शुरू होती है।
33. बीज में चीजों को देख लेना, यही जीनियस होना है।
34. चीजों को संभालने में अक्सर लोग, सफल होते-होते असफल हो जाते हैं, अगर कोई अंत में उतना ही सजग रहे जितना कि वो आरंभ में था, तो कोई असफल न हो।
35. वो जो जानता है, बोलता नहीं। वो जो बोलता है, जानता नहीं।
36. जो तुम्हारे पास है उससे संतुष्ट रहो, चीजें जैसी हैं उसमें आनंदित रहो। जब तुम इस बात का एहसास कर लेते हो कि किसी भी चीज की कमी नहीं है, पूरी दुनिया तुम्हारी हो जाती है।
37. पानी की तुलना में कुछ भी अधिक नरम या लचीला नहीं है, फिर भी कोई इसे रोक नहीं सकता।
38. आत्मा का संगीत ब्रह्माण्ड द्वारा सुना जा सकता है।
39. जब मैं उसे जाने देता हूँ जो मैं हूँ, मैं वो बन जाता हैं जो मैं हो सकता हूँ।
40. कठिन चीज तब करो जब वे आसन हों, और महान चीज तब करो जब वे छोटी हों।
41. दूसरों को जानना ज्ञान है, खुद को जानना आत्मज्ञान है।
42. वो जो संतुष्ट है धनवान है।
43. जो अत्यधिक बोलता है, वह जल्दी ही थक जाता है।
44. दूसरों से जीतना ताकत है पर अपने मन रूपी ह्रदय को जीतना सबसे बड़ी ताकत है।
45. संतोष सबसे बड़ा खजाना है।
46. शब्दों में दयालुता आत्मविश्वास पैदा करता है। सोच में करुणा होने से गंभीरता पैदा होती है। देने की दयालुता से प्रेम का निर्माण होता है।
47. अगर आप जान जाते है कि सब कुछ बदल स्ल्कता है। तो आपको कोई नहीं रोक सकता अगर आप मृत्यु से नहीं डरते तो ऐसी कोई चीज नहीं जो आप नहीं पा सकते।
48. अपने आप में मत झांको कुछ नहीं पाओगे। अपने आपको मत उचित मानो, आप खो जाओगे। अपने आप पर गर्व मत करो, आप गिर जाओगे।
49. बहते झरने में कभी हम अपने आपको नहीं देख सकते शांत झरने में ही देख सकते, इसी तरह आंतरिक शांति झरने की तरह किसी को दे सकते है।
50. अगर आप परिवर्तन नहीं चाहते समय के आधार पर तो आपका अंत होना ही है।
51. आप ज्ञान पाना चाहते हो तो हर दिन सीखें, अगर आप अच्छे बनना चाहते है तो हर दिन खराब बातें भूल जाए।
52. अगर आप पाना चाहते है तो पहले देना सीखो, यही ज्ञान की शुरुआत है।
53. लोगों को लीड करना है तो उनके पीछे चलो।
54. जो अच्छे हैं उनके साथ अच्छा व्यवहार करो, और जो बुरे हैं उनके साथ भी अच्छा व्यवहार करो। इस तरह से अच्छाई प्राप्त होती है। उनके साथ ईमानदार रहो जो ईमानदार हैं, और उनके साथ भी ईमानदार रहो जो ईमानदार नहीं हैं। इस तरह से ईमानदारी प्राप्त होती है।
55. कुदरत में मानव ह्रदय नहीं है।
56. शब्दों में मेहरबानी आत्मविश्वास पैदा करती है। सोच में मेहरबानी गूढता लाती है। देने में मेहरबानी प्रेम पैदा करती है।
57. जब आप सहर्ष वही बने रहने पर राजी होते है जो आप है और तुलना, प्रतिस्पर्धा में नहीं पड़ते है तो सभी आपका सम्मान करते है और आपको इज्जत देते हैं।
58. जीवन स्वभाविक और स्वछंद बदलावों की कड़ी है। उन्हें रोकना नहीं चाहिए। सच को सच की तरह स्वीकार किया जाना चाहिए। चीजों को स्वभाविक तरीके से होने दीजिए, जैसी कि वह होना चाहती है।
59. जिनके पास जानकारी है, ज्ञान है वे प्रेडिक्ट नहीं कर सकते। जो प्रेड़िक्ट करते है उनके पास ज्ञान नहीं है।
60. इंसान के दुश्मन राक्षस नहीं होते है, बल्कि उसी की तरह इंसान होते है।
61. सच्चे शब्द और बात अक्सर असत्य लगती है।
62. आपके अस्तित्व के केंद्र में इन सवालों का जवाब मौजूद होता है कि आप कौन है और क्या चाहते हैं।
63. सभी कर्मों में सबसे अधिक ईर्ष्यापूर्ण और निंदनीय है-युद्ध।
64. जो व्यक्ति अधिक इधर-उधर भटकता है, उसे उतना ही कम ज्ञान होता है।
65. मनुष्य को वाही कार्य करने चाहिए, जो स्वाभाविक और आवश्यक हो।
66. जो खुद को नम्र करेगा, वह ऊँचा होगा।
67. सरलता और सादगी सर्वोच्च आचरण है।
68. संत को वाद-विवाद न करके सदैव संतुष्ट रहकर सदा जीवन व्यतीत करना चाहिए।
69. मनुष्य का कल्याणकारी मार्ग बुद्धि के पचड़ों में नहीं, परिश्रमी और संयमी जीवन में है।
70. सज्जन अहंकार नहीं करता और न ही विरोध।
71. जो व्यक्ति अपने को सबसे उच्च मानता है। वह ऊँचा नहीं उठ सकता।
72. आत्म प्रशंसक यश प्राप्त नहीं कर सकता। यश की प्राप्ति पर अभिमान न करो अभिमान की मुक्ति से यश सदैव सुरक्षित रहता है।
73. जो थोड़े में संतुष्ट रहता है वह सफल होता है जो अधिक चाहेगा, अधिक संचय करेगा, वह असंतुष्ट रहेगा, पथभ्रष्ट बनेगा।
74. विनम्र व्यक्ति ही पूर्ण सुरक्षित रहता है।
75. वासनाओं के आभाव में संतोष मिलता है। वासनाओं में फंसने से मनुष्य असंतोषी होता है।
76. तुम अपने को संभालो लोग संभाल जाएंगे। तुम अपने को बदलो लोग बदल जाएंगे।
77. संत संचय नहीं करता। हर वस्तु को दूसरे की समझते हुए भी उसके खुद के पास प्रचुरता है। हर वस्तु दूसरों को देते हुए भी उसके खुद के पास उसका आधिक्य है।
78. तुम सब वृक्ष की तरह हो जाओ। अगर उपयोगी हुए तो तुम किसी न किसी काम आ सकोगे।
79. जो दूसरों को जानता है, वह शिक्षित है किन्तु जोखुद को पहचानता है वह बुद्धिमान है।
80. सभी मुश्किल चीजों के मूल में आसन चीजें होती हैं और बड़ी चीजों के मूल में छोटी चीजें होती हैं।
81. कहीं निवास करना हो तो जमीन के निकट रहें। सोचने में सरलता रखें। झगड़े में निष्पक्ष एवं उदार रहें। शासन में, नियंत्रण रखने की कोशिश न करें। काम में, वो करें जिसमें आनंद आए, पारिवारिक जीवन में, पूरी तरह से संलग्न रहे।
82. ये समझ लेना कि आप नहीं समझ रहे हैं गुण है, ये नहीं समझ पाना कि आप नहीं समझ रहे हैं दोष है।
83. स्वर्ग असीम धैर्यवान है और धरती बहुत लंबे समय से विद्यमान है। क्यों स्वर्ग और धरती इतने लंबे समय से सहन करने में सक्षम बने हुए है और निवर्तमान है इसका कारण बस यह है कि वे अपने लिए नहीं जीते हैं।