1. तथ्य, तथ्य होते हैं और आपकी पसंद के हिसाब गायब नहीं हो जाएँगे।
2. जिंदगी ताश के पत्तों की तरह एक खेल है। आपके हाथ में जो है वह किस्मत है, जिस तरह से आप खेलते हैं वह स्वतंत्र इच्छा है।
3. असफलता तभी होती है जब हम अपने आदर्शों, उद्देश्यों और सिद्धांतों को भूल जाते हैं।
4. वह व्यक्ति जो अधिकतर अपने गुणों का बखान करता है प्राय: बहुत ही कम गुणवान होता है।
5. अज्ञानता हमेशा बदलाव से डरती है।
6. अत्यधिक सतर्क रहने की नीति सभी खतरों में सबसे बड़ी है।
7. जीवन में शायद भय जितना बुरा और खतरनाक कुछ भी नहीं है।
8. दुसरे हमारे बारे में क्या सोचते हैं, उससे कहीं अधिक ये मायने रखता है कि हम वास्तव में हैं क्या।
9. समय सालों के बीतने से नहीं, बल्कि कोई क्या करता है, क्या महसूस करता है और क्या हासिल करता है, से मापा जाता है।
10. ईमानदार और कार्यकुशल बड़े लक्ष्य के लिए काम करते हैं, भले ही उन्हें तुरंत पहचान न मिले, अंततः उसका फल मिलता है।
11. विजय उसी की होती है जो अपने को संकट में डालकर कार्य पूरा करते हैं।
12. जो पुस्तकें तुम्हें सबसे अधिक सोचने के लिए विवश करती हैं, वे ही तुम्हारी सबसे बड़ी सहायक हैं।
13. हिंदी एक जानदार भाषा है। यह जितनी बढ़ेगी, देश को उतना ही लाभ होगा।
14. बच्चों की सबसे बड़ी दौलत प्यार है।
15. सही कार्य अपने आप जन्म नहीं लेता, इसे विचारों की कोख में संवारना पड़ता है।
16. सबसे उत्तम विजय प्रेम की है, जो सदा के लिए विजेता का ह्रदय बांधती है।
17. ज्यों-ज्यों मनुष्य बूढा होता जाता है, त्यों-त्यों जीवन और मृत्यु से भय बढ़ता जाता है।
18. प्रगति ही जीवन है।
19. बुराई को न रोकने से वह बढती है, बुराई को बर्दास्त कर लेने से यह तमाम क्रियाओं में जहर फैला देती है।
20. विश्व का भविष्य विज्ञान की प्रगति पर अधिकारिक निर्भर होता जा रहा है, किंतु अध्यात्म के मार्गदर्शन बिना मानवता प्रलयकारी दुर्घटना की शिकार हो सकती है।
21. एक ओर तो लोग आणविक युग की चर्चा करते हैं, दूसरी ओर हम भारतवासी अभी तक गोबरयुग में रह रहे हैं।
22. मैं सोचता हूँ कि यह मेरा महज ख्याल ही है या यह सच्चाई है कि चौकोर दीवार की पक्ष गोल दीवार में आदमी को अपने कैद होने का ज्यादा भान होता है। कोनों और मोड़ों के न होने से यह भाव हमारे मन में भी बढ़ जाता है कि हम यहाँ दबाए जा रहे हैं।
23. हिंदुस्तान में एक प्रवृति यह देखि जाती है कि लोग पीछे देखना चाहते हैं, आगे नहीं, वे उस ऊँचाई की तरह देखते हैं, जिस पर कभी वे थे, उस ऊँचाई की तरफ नहीं, जिस पर उनको पहुंचना है। इस तरह हमारे देशवासी गुजरे हुए जमाने के लिए लंबी-लंबी सांसे लेते रहे और आगे बढने की बजाए जो कोई भी आया उसका हुक्म मानते रहे। असल में साम्राज्य अपनी ताकत पर उतना निर्भर नहीं करते, जितना कि उन लोगों की गुलाम तबियत पर, जिनके ऊपर वे हुकूमत करते हैं।
24. निरोग होना परम लाभ है, संतोष परम धन है, विश्वास सबसे बड़ा बन्धु है, निर्वाण परम सुख है।
25. जिस देश या जाति का ध्यान काम की तरफ जाता है, काम में फंसता रहता है उसको लड़ाई-झगड़े की फुरसत नहीं होती। वह काम में लगा रहता है। अगर आप लोग काम करते हैं तो आपको भी लड़ाई की फुरसत नहीं है। जब आदमी काम नहीं करते और तरक्की करते देखना उसे बुरा लगता है। फिर इसी से लड़ाई-झगड़े पैदा होते हैं।
26. मेरी हमेशा से यही राय है कि जाति की उन्नति उस देश के स्त्री वर्ग की हालत पर निर्भर होती है। हम पिछले वर्षों में देख भी चुके हैं कि हिंदुस्तान की स्वतंत्रता के युद्ध में स्त्रियों का सहयोग कितना कामयाब रहा है। वे खूब विख्यात हो गई और भविष्य में उनके लिए अनेक द्वार खुल गए।
27. जीने का अर्थ बदलती हुई स्थितियों के अनुसार बदलना है हर एक राजनितिक, आर्थिक या सामाजिक पद्धति के अपने नियम होते हैं। धार्मिक या सामाजिक नियम या आचार में नैतिक उगैर आध्यात्मिक आचार भी शामिल है। जब प्रयोजन और पद्धति बदलते हैं, तब पुराने नियम या उगचार भी टूटते हैं अगर नए नियम इनकी जगह लेते हैं। पिछले 50 वर्ष में कारीगरी में इतनी तेजी से परिवर्तन हुए हैं कि समाज का ढांचा अगर उराचार एकदम बेमोल बन गए हैं।
28. मनुष्य देवताओं के सामने हार नहीं मानता और न ही वह मौत के सामने ही सर झुकता है, जब कभी वह हार मानता है, अपनी इच्छा शक्ति की कमजोरी की वजह से ही मानता है।
29. कोई ऐसा पल जो इतिहास में बहुत कम बार आता है वह है पुराने को छोड़कर नए की तरफ जाना।
30. जब तक मुझे लगता है कि किया गया काम सही काम है तब तक मुझे संतुष्टि रहती है।
31. संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है।
32. लोकतंत्र सबसे अच्छा है क्योंकि बाकी सारी व्यवस्थाएं बुरी है।
33. कभी भी महान कार्य और छोटे लोग एक साथ नहीं चल सकते।
34. लोकतंत्र और समाजवाद लक्ष्य पाने के साधन है।
35. शांति के बिना सभी सपने खो जाते हैं और रख में मिल जाते हैं।
36. जो व्यक्ति सफल हो जाता है वह हर चीज फिर शांति और व्यवस्था के लिए चाहता है।
37. जीवन में डर के अलावा खतरनाक और बुरा और कुछ भी नहीं।
38. जो व्यक्ति भाग जाता है वह शांत बैठे व्यक्ति की तुलना में ज्यादा परेशानी में रहता है।
39. हम वास्तविकता में क्या हैं यह अधिक मायने रखता है बजाय इसके कि लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं।
40. जब भी हमारे सामने संकट या गतिरोध आते हैं, उनसे हमें एक फायदा तो होता है कि वे हमें सोचने पर मजबूर करते हैं।
41. हमें थोडा विनम्र रहना चाहिए और यह न सोचें कि शायद सत्य पूर्ण रूप से हमारे साथ न हो।
42. एक नेता या जुझारू व्यक्ति संकट के समय हमेशा अपने अवचेतन रूप में कार्य करता है।
43. हर हमलावर देश की यह दावा करने की आदत होती है कि यह कार्य वह अपनी रक्षा के लिए कर रहा है।
44. किसी कार्य को प्रभावी बनाने के लिए उसे स्पष्ट लक्ष्य की तरफ दिशा देनी चाहिए।
45. हमारी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि हम चीजों के बारे में बातें ज्यादा करते हैं और काम बहुत कम।
46. अगर पूंजीवादी शक्तियों पर अंकुश नहीं लगाया गया तो वे अमीर को और अमीर और गरीब को और गरीब बना देंगी।
47. हमारी नागरिकता देश की सेवा में निहित है।
48. किसी को सुझाव देना और बाद में हमने जो कहा उसके नतीजे से बचने की कोशिश करना बेहद आसान है।
49. एक सिद्धांत को वास्तव में संतुलित किया जाना चाहिए।
50. व्यक्ति की कला उसके दिमाग का सही चित्र है।
51. दक्षता का मतलब होता है कि हम मौजूद सामग्री का उचित लाभ उठाएं।
52. योग्य और वफादार लोग हमेशा महान उद्देश्यों के लिए कार्य करते है, उन्हें भले ही तब पहचान न मिले किंतु अंत में पहचान मिल ही जाती है।
53. आंदोलनकारी रवैया पूर्ण रूप से किसी विषय के गहन विचार के लिए ठीक नहीं होता।
54. हम एक अद्भुत दुनिया में रहते है जो सौंदर्य, आकर्षण और रोमांच से भरी हुई है। अगर हम खुली आँखों से खोजे तो यहाँ रोमांच का कोई अंत नहीं है।
55. चुनाव जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का विश्वविद्यालय है।
56. जीवन विकास का सिद्धांत है, स्थिर रहने का नहीं।
57. शांति राष्ट्रों का संबंध नहीं है, यह एक मनःस्थिति है जो आत्मा की निर्मलता से आती है, शांति सिर्फ युद्ध का आभाव नहीं है। यह मन की एक अवस्था है।
58. अच्छी नैतिक स्थिति में होना कम से कम उतना ही प्रशिक्षण मांगता है जितना कि अच्छी शारीरिक स्थिति में होना।
59. बहुत अधिक सतर्क रहने की नीति सभी खतरों में सबसे बड़ा है।
60. हर एक हमलावर राष्ट्र की यह दावा करने की आदत होती है, कि वह अपनी रक्षा के लिए कार्य कर रहा है।
61. संकट के समय हर छोटी चीज मायने रखती है।
62. जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अधिक सहायक हैं।
63. आपत्तियां हमें आत्मज्ञान कराती हैं, ये हमें दिखा देती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं।
64. सह-अस्तित्व का केवल एक ही विकल्प है सह-विनाश।
65. हमारे अंदर सबसे बड़ी कमी यह है कि हम चीजों के बारे में बात ज्यादा करते हैं और काम कम।
66. क्रिया प्रभावशाली होनी चाहिए जिससे साफ तौर पर अंत का अनुमान लगाया का सके।
67. हर छोटी-छोटी बात को उसके चरम बिंदु से गिना जा सकता है।
68. सिद्धांत हमेशा वास्तविक मनोवृत्ति के होने चाहिए।
69. संकटकालीन समय में काम करने वाला इंसान अवचेतन रूप से काम करता है और फिर काम करने की वजह से ढूंढता है।
70. ज्यादा सावधानी बरतने की नीति ही सबसे बड़ा जोखिम है।
71. असफलता तभी मिलती है जब हम अपने आदर्शों और लक्ष्य और सिद्धांतो को भूल जाते हैं।
72. कार्य के प्रभावी होने के लिए उसे स्पष्ट लक्ष्य की तरफ निर्देशित किया जाना चाहिए।