नेटवर्क क्या है (Networking In Hindi) :
नेटवर्क आपस में एक-दूसरे से जुड़े कंप्यूटरों का समूह है जो एक-दूसरे से संचार स्थापित करने और सूचनाओं, संसाधनों को साझा प्रयोग करने में सक्षम होते हैं। किसी भी नेटवर्क को स्थापित करने के लिए प्रेषक, प्राप्तकर्ता, माध्यम और प्रोटोकॉल की जरुरत होती है। कंप्यूटर के साधनों में भागीदारी करने के उद्देश्य से बहुत-से कंप्यूटरों का आपस में जुड़ना कंप्यूटर नेटवर्किंग कहलाता है। कंप्यूटर नेटवर्किंग की सहायता से उपभोक्ता उपकरणों, प्रोग्रामों, संदेशों और सूचनाओं को एक ही जगह पर रहकर उनके साथ भागदारी कर सकते हैं।
अच्छे नेटवर्क के मानदंड (Good Network Criteria In Hindi) :
इन कुछ Criteria से हम यह बता सकते हैं कि नेटवर्क उत्कृष्ट है या नहीं।
1. Performance : परफोर्मेंस को हम बहुत से त्रिकोण से measure कर सकते हैं उनमे से एक है ट्रांसमिट टाइम और दूसरा रेस्पोंसे टाइम। जितने समय में एक मेसेज एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस तक पहुंचने में लगाता है उसी को ट्रांसमिट टाइम कहते हैं। एक रिक्वेस्ट का जवाब देने में जितना समय लगता है उसे रेस्पोंसे टाइम बोलते हैं।
2. Reliability : इसका अर्थ है भरोसेमंद होना। जब तक एक नेटवर्क भरोसे लायक नहीं हिफा वो कभी भी अच्छा नेटवर्क नहीं हो सकता। Reliability का अर्थ है Accuracy of Delivery. डाटा जब तक जिस डिवाइस पर भेज रहे हो उसपे अगर बिना लिंक फेलियर के पहुंचा जाता है तो वह भ्रोसेम्न्स है। लिंक फेलियर होने के बाद वापस से रिकवर होने में जितना वक्त लगता है वही Reliability है।
3. Security : सिक्योरिटी होने से ही हम डाटा को प्रोटेक्ट कर सकते हैं Unauthorized Access से। डाटा को डैमेज होने से बचाना। डाटा लॉस्ट से बचाने के लिए पॉलिसीस को implement करना सिक्योरिटी का काम है। अगर डाटा नेटवर्क से चोरी हो जाए तो उसे हमारा डाटा सिक्योर नहीं है यही कहेंगे।
नेटवर्क का इतिहास : जिस नेटवर्क का हम रोज इस्तेमाल करते हैं इसकी शुरुआत कई वर्षों पहले सन् 1960 से सन् 1970 में हो गई थी। उस नेटवर्क का नाम arpanet था जिसे हम एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी नेटवर्क के नाम से जानते हैं। आरंभ में उस नेटवर्क का उद्देश्य टर्मिनल और रिमोट जॉब एंट्री स्टेशन को मेनफ़्रेम के साथ जोड़ना था लेकिन उस वक्त ARPANET ने रिसोर्स शेयरिंग की अवधारणा को स्थापिटी करने में एक बुनियादी कारक था।
ARPANET बहुत विश्वसनीय था क्योंकि यह सर्किट स्विचिंग की जगह पर पैकेट स्विचिंग तकनीक का इस्तेमाल करता था। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस में ARPANET का प्रयोग किया जाता था और साथ ही गुप्त संदेश भी भेजे जाते थे। उद्योगपतियों ने भी इसका प्रयोग करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे इसे बहुत परिवर्तन और विकास किए गए और यह सफलता की नई क्षितिज को छूने लगा। इसका परिणाम यह हुआ कि आज के समय में यह दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क बन गया है जिसे हम इंटरनेट के नाम से जानते हैं।
नेटवर्क डिवाइसेस (Network device In Hindi) :
एक नेटवर्क में सभी डिवाइस आपस में कनेक्ट होते हैं। कुछ नेटर्वक डिवाइसेस इस तरह से है-
1. HUB : ययह बेसिक नेटवर्किंग डिवाइस है। यह डिवाइस फिजिकल लेयर में काम करती है इसी वजह से आपस में नेटवर्किंग डिवाइस को फिजिकली जोड़ता है। आमतौर पर जिस नेटवर्क में ट्विस्टेड पैर केबल का प्रयोग होता है वहीं यह डिवाइस प्रयोग होती है।
2. Switch : यह डिवाइस भी HUB जैसे ही फिजिकल लेयर पर काम करती है। यह डिवाइस HUB से अधिक इंटेलीजेंट है। HUB सिर्फ डाटा पैकेट को फोरवर्ड करता है लेकिन स्विच फोरवार्डिंग के साथ-साथ फ़िल्टर भी करता है इसलिए इसको इंटेलीजेंट बोला जाता है।
3. Modem : इसको हर कोई प्रयोग करता है। आज के समय में जब भी घर में इंटरनेट का प्रयोग होता है तभी डाटा बाहर की दुनिया से हमारे कंप्यूटर तक पहुंचता है लेकिन हमारा कंप्यूटर दिगितक डाटा को ही समझता है।
4. Router : यह एक ऐसा डिवाइस है जिसका काम रॉउट और ट्रैफिक को कंट्रोल करना है। यह दो नेटवर्क को आपस में वायर और वायरलेस माध्यम से जोड़ता है। OSI मॉडल के नेटवर्क लेयर में ये डिवाइस काम करता है। आज के समय में वायरलेस राऊटर का बहुत अधिक प्रयोग होता है।
5. Bridge : जैसे राऊटर दो भिन्न-भिन्न नेटवर्क को कनेक्ट करता है वैसे ही ब्रिज दो सुब नेटवर्क को कनेक्ट करता है जो एक ही नेटवर्क के होते हैं।
6. Repeater : यह एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो सिग्नल स्ट्रेंथ को बढ़ाने में सहायता करता है। रिपीटर सिग्नल लॉस्ट होने से बचाता है। इसकी वजह से डाटा बिना लॉस्ट हुए दूर-दूर तक पहुंचता है।
नेटवर्क के प्रकार (Types of network In Hindi) :
कंप्यूटर नेटवर्क बहुत प्रकार के होते हैं। इनको साइज, जियोग्राफिक एरिया और कितने कंप्यूटर एक नेटवर्क में रह सकते हैं उस हिसाब से विभाजित किया जाता है।
1. Personal Area Network : यह एक कंप्यूटर नेटवर्क है जिसके अंदर छोटे भौगोलिक क्षेत्र जैसे घर, ऑफिस, भवनों का एक छोटा समूह या हवाई अड्डा आदि में कंप्यूटर नेटवर्किंग है। वर्तमान लैन इर्थरनेट तकनीकी पर आधारित है। इस नेटवर्क का आकार छोटा, लेकिन डेटा संचरण की गति तीव्र होती है।
2. Home Area Network : एक ही रेजिडेंस में कुछ लोग अगर एक ही नेटवर्क को प्रयोग कर रहे हैं तो उसे हम Home Area Network कह सकते हैं। इसमें आमतौर पर इंटरनेट कनेक्शन होता है को एक मॉडेम से जुदा रहता है। यह मॉडेम दोनों कनेक्शन यानि वायर और वायरलेस प्रोवाइड करता है।
3. Local Area Network : यह एक ऐसा नेटवर्क है जिसका प्रयोग दो या दो से ज्यादा कंप्यूटर को जोड़ने के लिए किया जाता है। लोकल एरिया नेटवर्क स्थानीय स्तर पर काम करने वाला नेटवर्क है इसे संक्षेप में लेन कहा जाता है। यह एक ऐसा कंप्यूटर नेटवर्क है जो स्थानीय इलाकों जैसे घर, कार्यालय, या भवन समूहों को कवर करता है।
Local Area Network की खासियत :
1. यह एक कमरे या एक बिल्डिंग तक सिमित रहता है।
2. इसकी डाटा हस्तांतरित गति ज्यादा होती है।
3. इसमें बाहरी नेटवर्क को किराए पर नहीं लेना पड़ता है।
4. इसमें डाटा सुरक्षित रहता है।
5. इसमें डाटा को व्यवस्थित करना आसान होता है।
4. Metropolitan Area Network : MAN दो या दो से ज्यादा लोकल एरिया नेटवर्क को जोड़ता है। यह शहर की सीमाओं के अंदर स्थित कंप्यूटरों का नेटवर्क है। राउटर्स, स्विच और हब्स मिलकर एक MAN का निर्माण करते हैं। यह एक ऐसा उच्च गति वाला नेटवर्क है जो आवाज, डाटा और इमेज को 200 मेगाबाईट प्रति सेकेण्ड या इससे ज्यादा गति से डाटा को 75 किलोमीटर की दुरी तक ले जा सकता है। यह लेन से बड़ा और वेन से छोटा नेटवर्क है।
Metropolitan Area Network की खासियत :
1. इसका रखरखाव मुश्किल होता है।
2. इसकी गति उच्च होती है।
3. यह 75 किलोमीटर की दूरी तक फैला रहता है।
5. Wide Area Network : यह क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़ा नेटवर्क होता है। यह नेटवर्क न सिर्फ एक बिल्डिंग, न सिर्फ एक शहर तक सीमित रहता है बल्कि यह पूरे विश्व को जोड़ने का काम करता है यानि यह सबसे बड़ा नेटवर्क होता है इसमें डाटा को सुरक्षित भेजा और प्राप्त किया जाता है। इस नेटवर्क में कंप्यूटर आपस में लीज्ड लाइन या स्विच्ड सर्किट के द्वारा जुड़े रहते हैं। यह नेटवर्क व्यापक भौगोलिक क्षेत्र देश, महादेश में फैला नेटवर्क का जाल है। इंटरनेट इसका एक बहुत अच्छा उदाहरण है।
Wide Area Network की खासियत :
1. यह तार रहित नेटवर्क होता है।
2. इसमें डाटा को संकेतों या उपग्रह के द्वारा भेजा और प्राप्त किया जा सकता है।
3. यह सबसे बड़ा नेटवर्क होता है।
4. इसके द्वारा हम पूरी दुनिया में डाटा ट्रांसफर कर सकते हैं।
नेटवर्किंग क्या है (What Is Networking In hindi) :
नेटवर्किंग के द्वारा दो या ज्यादा डिवाइसेस को कनेक्ट किया जाता है ताकि वे अपनी जानकारी और संसाधनों को शेयर कर सकें और हम नेटवर्क से जुड़ने के लिए राउटर जैसे नेटवर्क उपकरणों का उपयोग करते हैं। नेटवर्क बनाने के लिए स्विचेस, नेटवर्क की सुरक्षा के लिए फायरवाल, नेटवर्क पर कॉल करने के लिए आईपी-फोंस, नेटवर्क में सुरक्षित टनल बनाने के लिए वीपीएन।
वायर्ड और वायरलेस टेक्नोलॉजी : नेटवर्क वायर्ड और वायरलेस टेक्नोलॉजी के मिश्रण का उपयोग कर सकते हैं। नेटवर्क डिवाइसेस वायर्ड या वायरलेस ट्रांसमिशन मीडियम के माध्यम से कम्युनिकेशन करते हैं। वायर्ड नेटवर्क में ऑप्टिकल फाइबर, कोअक्सियल केबल और कॉपर वायर्स शामिल हो सकती हैं। वायरलेस नेटवर्क में सभी नोड्स के बीच देता कम्युनिकेशन वायरलेस माध्यम से होता है। यह माध्यम ब्रॉडकास्ट रेडियो, सेल्युलर रेडियो, माइक्रोवेव और सैटेलाइट हो सकता है।
कंप्यूटर नेटवर्किंग के फायदे (Benefits of computer networking)
कंप्यूटर नेटवर्किंग के बहुत से फायदे होते हैं जैसे-
1. File Sharing : कंप्यूटर नेटवर्किंग उपयोगकर्ताओं को डेटा फाइलों को शेयर करने में मदद करता है।
2. Hardware Sharing : उपयोगकर्ता प्रिंटर, स्कैनर,, सीडी-रोम ड्राइव जैसे उपकरणों को शेयर कर सकते हैं।
3. Application Sharing : एप्लीकेशन को नेटवर्क पर शेयर किया जा सकता है और यह क्लाइंट/सर्वर अनुप्रयोगों के कार्यान्वयन की अनुमति देता है।
4. User Communication : यह उपयोगकर्ताओं को नेटवर्क के अंदर ईमेल, न्यूजग्रुप, वीडियो कोंफ्रेंसिंग का उपयोग करने के लिए संवाद करने की अनुमति देता है।
Different Architectures : तीन Different Architectures होते हैं
Peer to peer Architecture : किसी भी peer to peer architecture में सभी होस्ट डाटा/सर्विसेस के लिए रिक्वेस्ट भी कर सकते है और डाटा/सर्विसेज प्रोवैस भी कर सकते हैं।
Client/Server Architecture : Client/Server Architecture में एक होस्ट सर्वर होता है और बाकि सभी होस्ट क्लाइंट होते हैं। सभी क्लाइंट डाटा/सर्विसेज के लिए सर्वर को रिक्वेस्ट करते हैं और सर्वर सभी क्लाइंट को रेस्पोंसे करता है।
Mainframe Architecture : Mainframe Architecture में डाटा/सर्विसेज एक ही होस्ट पर स्टोर होती हैं जिसे mainframe कहते हैं। सब होस्ट इस mainframe से जुड़े होते हैं जिन्हें टर्मिनल्स कहते हैं। ये टर्मिनल्स dumb होते हैं और स्वंय कुछ भी टास्क परफॉर्म नहीं करते है। टर्मिनल्स को सिर्फ इनपुट और आउटपुट के लिए प्रयोग किया जाता है।
नेटवर्किंग टर्म्स (Networking terms) :
Node : एक नेटवर्क में लगे हर डिवाइस को एक नोड कहा जाता है। यह नोड एक कंप्यूटर, लैपटॉप या प्रिंटर या कोई भी इनपुट और आउटपुट डिवाइस भी हो सकता है।
Host : नेटवर्क होस्ट नेटवर्क से जुदा एक कंप्यूटर या दूसरा कोई डिवाइस होता है। नेटवर्क होस्ट नेटवर्क पर उपयोगकर्ताओं या अन्य नोड्स के लिए सूचना संसाधन, सर्विसेस और एप्लीकेशन प्रदान करता है।
Networking Inerface Card : नेटवर्क इंटरफेस कार्ड एक सर्किट बोर्ड होता है जो कंप्यूटर में इनस्टॉल होता है और नेटवर्क को कनेक्ट करता है।
Network Operating System : यह एक ऑपरेटिंग सिस्टम है जो बहुत सारे कंप्यूटर की गतिविधियों का समंवय करती है। इसे सर्वर पर चलाने के लिए बनाया गया है और डेटा, यूजर, ग्रुप, सेक्युरिटी एप्लीकेशन और अन्य नेटवर्किंग कार्यों का प्रबंधन करने के लिए सर्वर को सक्षम बनाता है।
प्रोटोकॉल : प्रोटोकॉल नियमों और मानकों का एक सेट है जो मूल रूप से उपकरणों के संवाद करने के लिए उपयोग कर सकने वाली एक भाषा को परिभाषित करता है।
IP(Internet Protocol) : इंटरनेट प्रोटोकॉल इंटरनेट प्रोटोकॉल सुटर का प्रिंसिपल कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल है जो नेटवर्क की सीमाओं के पार डाटाग्राम को रिले करता है। इसका राउटिंग फंक्शन इंटरनेटवर्किंग को एनेबल करता है और अनिवार्य रूप से इंटरनेट को स्थापित करता है।
TCP(Transmission Control Protocol) : ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल इंटरनेट पर डाटा पैकेट भेजने के लिए बनाया गया एक नेटवर्क संचार प्रोटोकॉल है। टीसीपी ओएसआई लेअर में एक ट्रांसपोर्ट लेअर प्रोटोकॉल है।
FTB(File Transfer Protocol) : फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल एक मानक नेटवर्क प्रोटोकॉल है जिसे कंप्यूटर फाइलों को एक होस्ट से दूसरे होस्ट तक इंटरनेट जैसे टीसीपी आधारित नेटवर्क पर हस्तांतरित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
DNS(Domain Name System) : डोमेन नेम सिस्टम, कंप्यूटर, सर्विस या अन्य संसाधन के लिए एक वितरित नामकरण प्रणाली है। डीएनएस इंटरनेट डोमेन नेम और होस्ट नेम को आईपी एड्रेस में अनुवाद करता है। डीएनएस वेब ब्राउजर के एड्रेस के बारे में टाइप किए गए नाम को अपने आप वेब सर्वर जो इन साइट को होस्टिंग करते हैं उनके आईपी एड्रेस में रूपांतरित करता है।