लिंग मुद्रा क्या है :-
यह मुद्रा पुरुषत्व का प्रतीक है इसीलिए इसे लिंग मुद्रा कहा जाता है। लिंग मुद्रा का अभ्यास शरीर में गर्मी बढाने के लिए किया जाता है। खाँसी और कफ को जड़ से मिटाने के लिए ये सबसे अधिक प्रभावशाली मुद्रा है। इस मुद्रा को करने के लिए अपने दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर अंगूठे (बायां या दायां कोई एक) को सीधा रखना होता है। इस मुद्रा का आभ्यास शर्दी में बहुत किया जाता है। गृहस्थ जीवन में लिंग मुद्रा के प्रयोग से आप अपने शरीर की अनावश्यक कैलोरी को हटाकर मोटापे को कम कर सकते हैं शरीर में अधिक सर्दी महसूस होने या शीत बाधा होने पर लिंग मुद्रा के प्रयोग से शीघ्र लाभ होता है इसे अधिक देर तक करने से सर्दियों में भी पसीना आता है। चलिए जानते हैं इसके फायदे और इसके करने की विधि :
लिंग मुद्रा करने की विधि :-
1- सबसे पहले आप जमीन पर कोई चटाई बिछाकर उस पर पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएँ , ध्यान रहे की आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी हो।
2- अब अपने दोनों हाथों की अँगुलियों को परस्पर एक-दूसरे में फसायें एक अंगूठे को सीधा रखें तथा दूसरे अंगूठे से सीधे अंगूठे के पीछे से लाकर घेरा बना दें।
3- आँखे बंद रखते हुए श्वास सामान्य बनाएँ।
4- अपने मन को अपनी श्वास की गति पर व मुद्रा पर केंद्रित रखिए।
5- और इस अवस्था में कम से कम 16 मिनट तक रहना चाहिये।
लिंग मुद्रा करने का समय व अवधि :-
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय यह मुद्रा का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।वायु मुद्रा का अभ्यास प्रातः एवं सायंकाल को 16-16 मिनट के लिए किया जा सकता है।
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लिंग मुद्रा से होने वाले लाभ :-
1- इसका नियमित अभ्यास करने से साधक में स्फूर्ति एवं उत्साह का संचार होता है।
2- यह मुद्रा व्यक्ति के ब्रह्मचर्य की रक्षा करती है।
3- व्यक्तित्व को शांत व आकर्षक बनाती है।
4- शर्दी से बचने के लिए यह मुद्रा बहुत ही लाभदायक है।
5- इसको करने से सर्दी से होने वाले बुखार से राहत मिलती है।
6- इस मुद्रा के प्रयोग से स्त्रियों के मासिक स्त्राव सम्बंधित अनियमितता ठीक होती हैं।
7- नजला,जुकाम, साइनुसाइटिस,अस्थमा व निम्न रक्तचाप के रोग नष्ट हो जाते है।
8- इसके नियमित अभ्यास से अतिरिक्त कैलोरी बर्न होती हैं।
9- शरीर से बजन कम होता है।
10- टली हुई नाभि पुनः अपने स्थान पर आ जाती हैं।
11- यह मुद्रा श्वसन तंत्र को मजबूत करती है।
12- यह मुद्रा बलगम व् खांसी की समस्या का निवारण करती है।
13- यह छाती की जलन की समस्या से निजात दिलाती है।
14- फेफड़ों को शक्ति प्रदान करती है।
लिंग मुद्रा में सावधानियाँ :-
यह लिंग मुद्रा खाली पेट करनी चाहिए। इस मुद्रा को करते समय आपका ध्यान भटकना नहीं चाहिए। जिन को पित्त किब समस्या है वो लोग इस मुद्रा को न करे। गर्मी के मौसम में इस मुद्रा को अधिक समय तक नहीं करना चाहिए।
English में यहाँ से जाने – Linga Mudra Steps, Posture and Benefits