शून्य मुद्रा क्या है :-
शून्य का अर्थ होता है आकाश। हमारी मध्यमा उंगली आकाश से जुडी हुई होती है। ये मुद्रा हमारे शरीर के अन्दर के तत्वों में संतुलन बनाये रखती है। शून्य मुद्रा मुख्यत: हमारी श्रवण क्षमता को बढ़ाती है। यह मुद्रा शरीर के अन्दर के अग्नि तत्वों को संचालित करती है। इस मुद्रा का ज्यादा तर अभ्यास शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाले दर्द के लिए किया जाता है। चलिए जानते हैं इसके लाभ और इसे कैसे किया जाए।
आकाश का अर्थ है खुलापन , विस्तार एवं ध्वनि। शुन्य मुद्रा इसका उल्टा है। आकाश तत्व की वृद्धि से जो असन्तुलन उत्पन्न होता है , उसे कम करने के लिए शून्य मुद्रा लगाते हैं।
शून्य मुद्रा करने के विधि :-
1- सबसे पहले आप जमीन पर कोई चटाई बिछाकर उस पर पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएँ , ध्यान रहे की आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी हो।
2- अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख लें और हथेलियाँ आकाश की तरफ होनी चाहिये।
3- मध्यमा अँगुली(बीच की अंगुली)को हथेलियों की ओर मोड़ते हुए अँगूठे से उसके प्रथम पोर को दबाते हुए बाकी की अँगुलियों को सीधा रखें।
4- अपना ध्यान साँसों पर लगाकर अभ्यास करना चाहिए। अभ्यास के दौरान सांसों को सामान्य रखना है।
5- इस अवस्था में कम से कम 45 मिनट तक रहना चाहिये।
शून्य मुद्रा करने का समय व अवधि :-
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय यह मुद्रा का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। मुद्रा का अभ्यास प्रातः एवं सायंकाल को 22-22 मिनट के लिए किया जा सकता है।
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शून्य मुद्रा से होने वाले लाभ :-
1. शरीर में किसी भी अंग में सुन्नपन आ जाए , तो इस मुद्रा को लगाने से सुन्नपन दूर होता है। सुन्नपन वहीं होता है , जहाँ रक्त संचार ठीक से न हो। शून्य मुद्रा रक्त संचार बढाती है।
2. कानों में सांय-सांय की आवाज हो , तो इस मुद्रा से लाभ होगा।
3. कानों में दर्द के लिए यह मुद्रा बहुत ही लाभदायक है – तत्काल दो-तीन मिनट में ही कान दर्द समाप्त हो जाता है।
4. बच्चों को कभी गाल पर थप्पड़ मारने से या टक्कर से कान में दर्द एवं कानों की सूजन भी इससे ठीक होती है ।
5. कानों में बहरापन हो जाए , कान बहता हो , तो लगभग 45 मिनट रोज इस मुद्रा के निरन्तर अभ्यास से बहरापन दूर होता है , कानों का बहना बंद हो जाएगा। कानों में जमी हुई मैल भी इस मुद्रा से दूर होगी। कानों के सभी रोगों में शून्य मुद्रा व आकाश मुद्रा दोनों ही लाभकारी हैं। कानों के बहरेपन में यह मुद्रा रामबाण का काम करता है।
6. इस मुद्रा से गले के रोग दूर होते हैं , आवाज साफ होती है और थायरायड के रोग भी दूर होते हैं।
7. मसूड़े मजबूत होते हैं , मसूड़ों का रोग पायरिया भी ठीक होता है।
8. ह्रदय रोग व गले के रोग भी दूर होते हैं।
9. जब कान बहते हों तो , कानों में दर्द हो तो डॉक्टर कानों में रुई डालकर कान बंद कर देते हैं – शून्य मुद्रा ठीक यही काम करती है।
10. जिस प्रकार आकाश मुद्रा विकलांग बच्चों के लिए लाभकारी है , उसी प्रकार से जो बच्चे Hyperactive होते हैं , अत्यधिक जिद्दी होते हैं , एक जगह टिक कर नहीं बैठ सकते उनमें एकाग्रता नहीं होती , उनका आकाश तत्व बढ़ा होता है , उन्हें शून्य मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए , और साथ ही पृथ्वी मुद्रा का भी क्योंकि उनका पृथ्वी तत्व कम होता है। Hyperactive बच्चों की एकाग्रता की कमी को Attention Deficit Disorder कहते हैं।
11. अगर कान की कोई बीमारी शून्य मुद्रा से नहीं ठीक होती है तो आकाश मुद्रा से अवश्य ठीक हो जाती है।
12. हवाई यात्रा करते समय कानों में दवाब बढ़ जाता है Ear Plug लगाने पड़ते हैं। ऐसे में शून्य मुद्रा लगा लें।
13. इसके नियमित अभ्यास से इच्छा शक्ति मजबूत होती है।
14. इसको करने से एकाग्रता बढती है।
15. इसको करने से शरीर में किसी भी प्रकार के होने वाले दर्द में लाभ मिलता है।
16. शून्य मुद्रा थायराइड ग्रंथि के रोग भी दूर करती है।
17. शरीर से आलस्य को कम करती है।
18. यह मुद्रा मानसिक तनाव को कम करती है।
शून्य मुद्रा में सावधानियाँ :-
यह अपान मुद्रा खाली पेट करनी चाहिए। इस मुद्रा को करते समय आपका ध्यान भटकना नहीं चाहिए। भोजन करने के तुरंत पहले या बाद में शून्य मुद्रा न करें किसी आसन में बैठकर एकाग्रचित्त होकर शून्य मुद्रा करने से अधिक लाभ होता है।
English में यहाँ से जाने – Shunya Mudra or Shoonya Mudra Steps, Posture and Benefits