शीतली प्राणायाम क्या है :-
शीतली प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है शीतली + प्राणायाम = शीतली प्राणायाम जहाँ पर शीतल का अर्थ होता है ठंडक कहने का अर्थ ये है की इस प्राणायाम को करने से शरीर को ठंडक मिलती है। इसलिए इसे शीतली प्राणायाम कहा जाता है। इसको अंग्रेजी में कूलिंग ब्रेथ भी कहा जाता है। ये प्राणायाम हमारे शरीर के लिए बेहद उपयोगी प्राणायाम है। यह प्राणायाम एक छायादार वृक्ष की तरह है जो भरपूर ऑक्सीजन का निर्माण करता है। ये गर्मियों के मौसम में किया जाने वाला सबसे अच्छा प्राणायाम है। चलिए जानते हैं इससे होने वाले लाभों के बारे में और इसे कैसे किया जाए :-
शीतली प्राणायाम की विधि :-
1- सबसे पहले समतल जमीन पर कोई दरी बिछा कर उस पर सिद्धासन , सुखासन की अवस्था में बैठ जाएँ।
2- अब अपनी जीभ को बहार निकालकर उसे मोड़ लें अथार्त उसे मोड़ कर पाइप जैसा बना लें।
3- अब इस जीभ के माध्यम से लम्बी व् गहरी स्वांस खींचकर अपने पेट में वायु को भर दें।
4- अब अपनी बहार निकली हुई जीभ को अन्दर कर लें और अपने मुहं को बंद कर लें।
5- अब अपनी गर्दन को आगे की ओर झुकाकर अपने जबड़े के अगले हिस्से को छाती से लगा लें।
6- अब अपने स्वांस को नासिका मतलब नाक के जरिये स्वांस को बाहर निकाल दें ध्यान रखें कि आपको सांस एक साथ बहार नहीं निकालना है बल्कि धीरे -धीरे बहार निकालना है।
7- बस आपको ये क्रिया 20-25 बार दोहरानी है।
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शीतली प्राणायाम से होने वाले लाभ :-
1-गर्मी में फायदेमंद :-जब इस प्राणायाम का अभ्यास किया जाता है तो यह हमारे शरीर से गर्म वायु को निकाल कर उसमें शीतल वायु का प्रवेश कराता है जिससे हमारे शरीर से गर्मी बहार निकल जाती है और पूरा शरीर ठंडा हो जाता है।
2-पाचन क्रिया में फायदेमंद :- इस प्राणायाम के अभ्यास से पाचन क्रिया को ठीक रखने में मदद मिलती है। अगर हमारी पाचन क्रिया ठीक है तो पेट संबंधी सभी रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है क्योंकि हमारी ज्यादातर बीमारियाँ पेट से ही उत्पन्न होती हैं। और हम बीमारियों से बाख सकते हैं।
3-ह्रदय रोगों में फायदेमंद :- इस प्राणायाम के अभ्यास से हम ह्रदय के ज्यादातर सभी रोगों को नष्ट कर सकते हैं क्यूंकि ह्रदय से भी हमारे बहुत से रोग उत्पन्न होते हैं जैसे हर्ट अटैक, ब्लोकैज इत्यादि। अगर हमारा ह्रदय सही है तो हम इन रोगों से छुटकारा पा सकते हैं।
4-ब्लड प्रेशर को कम करे :- अगर आपका B.P या blood pressure (रक्तचाप ) बढ़ा हुआ है तो आप शीतली प्राणायाम का अभ्यास करके हाई ब्लड प्रेशर(उच्च रक्तचाप) को कम कर सकते हैं। अगर आपका B.P लो है तो आप इस प्राणायाम का अभ्यास न करें क्यूंकि ये बढे हुए B.P को कम करता है।
5-अधिक प्यास को करे कम :- कभी-कभी व्यक्ति को जरूरत से अधिक प्यास लगने लगती है जो की यह हमारे लिए नुकशान दायक सिद्ध हो सकती है अगर हम शीतली प्राणायाम का अभ्यास नियमित रूप से करते हैं तो कुछ ही दिनों में शरीर में हुई पानी की कमी की समस्या को ठीक कर देता है।
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6-चेहरे पर चमक बने :- इस प्राणायाम के अभ्यास से हम अपने चेहरे पर प्राक्रतिक चमक ला सकते हैं। क्योंकि यह ब्लड को सुद्ध करता है अगर हमारा ब्लड साफ़ हो जाता है तो अपने आप ही चेहरे पर प्रक्रतिक चमक बढ़ जाती है।
7-चंचलता को करे कम :- इस प्राणायाम का अभ्यास करके हम मष्तिक और भावनात्मक उत्तेजना तथा मन की चंचलता को कम कर सकते हैं। और साथ ही शरीर में प्राणों का प्रवाह नियमित होता है।
8-भूक प्यास को नियंत्रण रखे :- शीतली प्राणायाम के अभ्यास से भूख-प्यास पर नियंत्रण प्राप्त होता है अगर आप भूख-प्यास पर नियंत्रण कर लेते हैं तो तर्प्ति की भावना उत्पन्न होने की आशंका बढ़ जाती है।
9-आंखों की समस्याओं से निजात :- अगर कोई भी व्यक्ति इस प्राणायाम का नियमित रूप से अभ्यास करता है तो वो अपनी आँखों की समस्या से जल्द ही छुटकारा पा सकता है। अगर उसके चश्मे भी चढ़े हुए हैं तो वो भी उतर सकते हैं इसके लिए आप कुछ देशी औषधि का सेवन भी कर सकते हैं।
10-नीद से निजात पायें :- अच्छी नींद आना आवश्यक होता है क्योंकि इससे थकान दूर होकर शरीर ऊर्जा , शक्ति और ताकत से भर जाता है। अगर आपकी नींद ही अच्छी तरह से पूरी नही होगी तो आपके लिए ये घातक सिद्ध हो सकता हैं | अगर आपको नींद की समस्या है तो आप इस प्राणायम के अभ्यास से नींद न आने की समस्या से निजात पा सकते हैं।
शीतली प्राणायाम करते समय सावधानी :-
ये प्राणायाम सुबह -सुबह खाली पेट करना चाहिए। इस प्रणायाम का अभ्यास सर्दियों के मौसम में नहीं करना चाहिए। दमा, कफ , खांसी की शिकायत वाले लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए। लो ब्लडप्रेशर से ग्रसित लोगों को ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए। प्रदूषित जगह में इस प्राणायाम का अभ्यास न करें। इसका अभ्यास पूरा होने के बाद कुछ देर विश्राम करें। शीतली प्राणायाम के समय साँस लयबद्ध और गहरी होनी चाहिए।
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