अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या है:-
अनुलोम विलोम एक प्राणायाम है। इसे अंग्रेजी मैं Alternate Nostril Breathing कहते हैं। और इसे नाड़ी शोधक प्राणायाम’ भी कहते है। यहाँ पर अनुलोम और विलोम दोनों अलग अलग शब्द है जिनका अलग अलग अर्थ है जैसे अनुलोम का अर्थ होता है सीधा और विलोम का अर्थ है उल्टा। सीधा का अर्थ है नासिका या नाक का दाहिना छिद्र और उल्टा का अर्थ है-नाक का बायां छिद्र। अनुलोम विलोम प्रणायाम में सांस लेने और छोड़ने की विधि को बार-बार दोहराया जाता है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर की समस्त नाड़ियों का शोधन होता है यानी वे स्वच्छ व निरोग बनी रहती है। तो जानते है इस प्राणायाम को कैसे करें और क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए और इसके क्या क्या फायदे हैं :-
अनुलोम विलोम करने की विधि :-
सबसे पहले एक आरामदायक मुद्रा मैं बेठ जाएँ। यहाँ पर एक ध्यान देने की बात है की जब आप इस प्राणायाम की शुरुआत करते हैं तो पहले बाएं नाक छिद्र से ही करें और अंत भी इससे ही करें। अब नाक का दाया नथुना बंद करें व बाये से लंबी सांस लें, फिर बाये को बंद करके, दाया वाले से लंबी सांस छोडें…अब दाया से लंबी सांस लें व बाये वाले से छोडें…याने यह दाया-दाया बाया-बाया यह क्रम रखना, यह प्रक्रिया 10-15 मिनट तक दुहराएं। सास लेते समय अपना ध्यान दोनो आँखो के बीच मे स्थित आज्ञा चक्र पर ध्यान एकत्रित करना चाहिए। और मन ही मन मे सांस लेते समय ओउम-ओउम का जाप करते रहना चाहिए।हमारे शरीर की सुक्ष्मादी सुक्ष्म नाडी शुद्ध हो जाती है। बायी नाडी को चन्द्र (इडा, गन्गा) नाडी, और बायी नाडी को सूर्य (पीन्गला, यमुना) नाडी कहते है। चन्द्र नाडी से थण्डी हवा अन्दर जती है और सूर्य नाडी से गरम हवा अन्दर जती है।थण्डी और गरम हवा के उपयोग से हमारे शरीर का तापमान संतुलित रहता है।
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अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे :-
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1-हार्ट ब्लाँकेज में फायदेमंद :- इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से हार्ट की ब्लाँकेज से राहत मिलती है। हार्ट ब्लॉकेज दिल की धड़कन से संबंधित समस्या है। कई बार बच्चों में यह समस्या जन्मजात होती है, जबकि कुछ लोगों में यह समस्या बड़े होने के बाद शुरू होती है। जन्मजात होने वाली समस्या को कोनगेनिटल हार्ट ब्लॉक जबकि बड़े होने पर हार्ट ब्लॉकेज की होने वाली समस्या को एक्वीरेड हार्ट ब्लॉक कहते हैं।
2-सकारात्मक सोच बढाने हेतु :- इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से हम अपनी स्मरणशक्ति व् सकारात्मक सोच बढ़ा सकते हैं। जब हमारी सोच सकारात्मक बन जाती है तो उसके परिणाम भी सकारात्मक आने लगते है। और इसके साथ-साथ ही इसके अभ्यास से मन और मस्तिष्क को शांति मिलती हैं।
3-मन व् दिमाग को करे शांत :- इसके नियमित अभ्यास से मानसिक तनाव दूर होकर मन शांत होता है। चिकित्सा शास्त्र डिप्रेशन का कारण मस्तिष्क में सिरोटोनीन, नार-एड्रीनलीन तथा डोपामिन आदि न्यूरो ट्रांसमीटर की कमी मानता है। तो आप इन सब से छुटकारा पाने के लिए भ्रामरी प्राणायाम को करें।
4-इन बिमारियों को ठीक करता है :- आर्थराटीस, रोमेटोर आर्थराटीस, कार्टीलेज घीसना, हाई ब्लड प्रेशर और लो ब्लड प्रेशर दोनों ही ठीक हो जाते हैं।
5-किडनी को ठीक रखता है :- किडनी स्वछ होती है, डायलेसीस करने की जरुरत नही पडती।वृक्क या गुर्दे का जोड़ा एक मानव अंग हैं, जिनका प्रधान कार्य मूत्र उत्पादन (रक्त शोधन कर) करना है। गुर्दे बहुत से वर्टिब्रेट पशुओं में मिलते हैं। ये मूत्र-प्रणाली के अंग हैं। इनके द्वारा इलेक्त्रोलाइट, क्षार-अम्ल संतुलन और रक्तचाप का नियामन होता है। इनका मल स्वरुप मूत्र कहलाता है। इसमें मुख्यतः यूरिया और अमोनिया होते हैं।
6-कैंसर रोग में फायदेमंद :- इस प्राणायाम से कैंसर रोग में भी लाभ मिलता है। कर्कट रोगों का एक वर्ग है जिसमें कोशिकाओं का एक समूह अनियंत्रित वृद्धि, रोग आक्रमण (आस-पास के उतकों का विनाश और उन पर आक्रमण) और कभी कभी अपररूपांतरण अथवा मेटास्टैसिस (लसिका या रक्त के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फ़ैल जाता है) प्रदर्शित करता है।
7-स्मरण शक्ति बढती है :- इसके नियमित अभ्यास से स्मरण शक्ति बढती है। स्मरण शक्ति हमेशा ध्यान और मन की एकाग्रता पर ही निर्भर होती हैं। हम जिस तरफ जितना अधिक ध्यान केन्द्रित करेंगे उस तरफ हमारी विचार शक्ति उतनी ही अधिक तीव्र हो जायेगी।
8-शर्दी जुकाम को ठीक करता है :- इस प्राणायाम से शर्दी जुकाम से राहत मिलती है।सामान्य ज़ुकाम को नैसोफेरिंजाइटिस, राइनोफेरिंजाइटिस, अत्यधिक नज़ला या ज़ुकाम के नाम से भी जाना जाता है। यह ऊपरी श्वसन तंत्र का आसानी से फैलने वाला संक्रामक रोग है जो अधिकांशतः नासिका को प्रभावित करता है।
9-ब्रेन ट्युमर में फायदेमंद :- इस प्राणायाम को करने से ब्रेन ट्यूमर में काफी लाभ मिलता है। मस्तिष्क अर्बुद (ब्रेन ट्यूमर) मस्तिष्क में कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि है जो कैंसरयुक्त या कैंसरविहीन हो सकती है। इसकी परिभाषा असामान्य और अनियंत्रित कोशिका विभाजन से उत्पन्न किसी भी अन्तः कपालिकय अर्बुद के रूप में की जाती है, जो साधारणतः या तो मस्तिष्क के भीतर कपाल नाड़ियों में, मस्तिष्क के आवरणों में, कपाल, पीयूष और पीनियल ग्रंथियों, या प्राथमिक तौर पर अन्य अवयवों में स्थित कैंसरों से फैल कर उत्पन्न होता है।
10-रोग-प्रतिकारक शक्ती बढती है :- इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से रोग-प्रतिकारक शक्ति बढ जाती है। अगर हमारी रोग-प्रतिकारक शक्ति सही है तो हम बहुत सी बीमारियों से बच सकते हैं।
11-शरीर के तापमान को रखे संतुलित :- इसके नियमित अभ्यास से शरीर का तापमान संतुलित रहता है।जब शरीर का ताप सामान्य से अधिक हो जाये तो उस दशा को ज्वर या बुख़ार (फीवर) कहते है। यह रोग नहीं बल्कि एक लक्षण (सिम्टम्) है जो बताता है कि शरीर का ताप नियंत्रित करने वाली प्रणाली ने शरीर का वांछित ताप (सेट-प्वाइंट) १-२ डिग्री सल्सियस बढा दिया है।
12-सुगर की बीमारी में फायदेमंद :- सुगर के रोगियों के लिए यह प्राणयाम बहुत ही लाभदायक है। डायबिटीज या मधुमेह उस चयापचय बीमारी को कहा जाता है, जहाँ व्यक्ति जिसमे व्यक्ति के खून में शुगर (रक्त शर्करा) की मात्रा जरुरत से ज्यादा हो जाती है।
13-फेफड़ों को मजबूत बनता है :- इसका सबसे अच्छा फायदा ये है की ये हमारे फेफड़ों को मजबूत बनाता है। फेफड़े हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग हैं। इंसान हर रोज करीब 20 हजार बार सांस लेता है और हर सांस के साथ जितनी ज्यादा ऑक्सीजन शरीर के अंदर पहुंचती है, शरीर उतना ही सेहतमंद बना रहता है। इसके लिए जरूरी है कि फेफड़ेे स्वस्थ रहें।
14-ह्रदय रोगों में फायदेमंद :- इस प्राणायाम के अभ्यास से हम ह्रदय के ज्यादातर सभी रोगों को नष्ट कर सकते हैं क्यूंकि ह्रदय से भी हमारे बहुत से रोग उत्पन्न होते हैं जैसे हर्ट अटैक, ब्लोकैज इत्यादि। अगर हमारा हर्दय सही है तो हम इन रोगों से छुटकारा पा सकते हैं।
15-एकाग्रता को बढाता है :- मन और मस्तिषक की एकाग्रता बढती है। हालांकि एकाग्रता को बढ़ाना एक मुश्किल काम है, पर यह नामुमकिन नहीं है। एकाग्रता को बढ़ाने के लिए ढृढ़ता बेहद जरूरी है।
16-Oxygen की मात्रा को रखे संतुलित :- भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करने से से व्यक्ति के शरीर में oxygen की मात्रा हमेशा संतुलित रहती है। और इसके साथ-साथ ही शरीर को प्राणवायु अधिक मात्रा में मिलती है। शरीर मे ऑक्सीजन का स्तर 99% होना चाहिए, यह 96% से कम हो जाए तो व्यक्ति हाइपोऑक्सिया का शिकार हो जाता है। फेफड़ों के रोग होने पर सबसे पहले ऑक्सीजन का स्तर घटता है।
17-पेट की चर्बी को करता है कम :- यह प्राणायाम पेट की चर्बी को कम करने में हमारी मदद करता है। पेट की चर्बी या शरीर के अन्य भागों की चर्बी, वसा की एक विशेष रूप से हानिकारक प्रकार है जो आपके अंगों के आसपास जमा होती है।
सावाधानी बरतें :-
- यह प्राणायम हमेशा खाली पेट करें।
- भोजन करने के तुरंत बाद इस प्राणायाम को कभी न करें बल्कि 4-5 घंटे का अन्तराल करें सुबह साम खाली पेट आप इस प्राणायाम को कर सकते हैं।
- साँस लेते समय मन ही मन मे ओउम-ओउम का जाप करते रहना चाहिए। क्यूंकि इस उच्चरण से हमरे मन पर सकारात्मक प्रभाव प्रभाव पड़ता है।
ध्यान देने योग्य बात :-
सुगर, ब्लड प्रेशर और गर्भवती महिलायों को इस प्राणायाम को करते समय सांस ज्यादा देर तक नहीं रोकनी चाहिए।
Engliah में यहाँ से जाने – Anulom Vilom Pranayama or Alternate Nostril Breathing