सूर्य भेदन प्राणायाम क्या है :
इसमें पूरक दायीं नासिका से करते हैं। दायीं नासिका सूर्य नाड़ी से जुड़ी मानी गई है। इसे ही सूर्य स्वर कहते हैं। इस के नाम पर इसका नाम सूर्य भेदन प्राणायाम पड़ा। सूर्यभेदन प्राणायाम के नियमित अभ्यास से शरीर के अंदर गर्मी उत्पन्न होती है। ये सर्दियों में किया जाने वाला प्राणायाम है। चलिये जानते हैं इसके लाभों के बारे में और इसे कैसे किया जाए।
सूर्य भेदन प्राणायाम करने की विधि :-
1- सबसे पहले किसी समतल व् शांत जगह पर दरी बिछाकर उस पर सुखासन की स्थिति में बैठ जाएँ।
2- अब अपनी गर्दन मेरुदंड और कमर को सीधा करें।
3- अब अपने बाए हाथ को अपने घुटने पर रखें और आखें बंद कर लें।
4- इसके बाद दाएं हाथ को कोहनी से मोड़कर नाक के दाईं ओर अंगूठा रखें, अनामिका व कनिष्ठा अंगुली को नाक के बाईं ओर रखें और तर्जनी व मध्यम अंगुली को ललाट रखें।
5- अब नाक के बाएं छिद्र को अनामिका व कनिष्ठ अंगुली से बन्द करके नाक के दाएं छिद्र से गहरी सांस ले।
6- फिर जितना हो सके स्वास को अंदर रोककर रखें।
7- सांस छोड़ने से पहले दोनों बंधों को खोलें और नाक के दाएं छिद्र को बन्द करके बाएं छिद्र से सांस को तेजी से बाहर निकालें।
8- अब इसी क्रिया को कम से कम 4-5 बार दोहरायें।
समय और अविधि :-
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस प्राणायाम का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। इस प्राणायम की समय अविधि धीरे- धीरे बढानी चाहिए। शुरुआत में यह प्राणायम 4-5 मिनट कर करना चाहिए।
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सूर्य भेदन प्राणायाम के लाभ :-
1-सकारात्मक सोच बढाने हेतु :- सूर्यभेदन प्राणायाम के नियमित अभ्यास से सकारात्मक विचारों का संचार करने में सहयोगी है। जब हमारी सोच सकारात्मक बन जाती है तो उसके परिणाम भी सकारात्मक आने लगते है। और इसके साथ-साथ ही इसके अभ्यास से मन और मस्तिष्क को शांति मिलती हैं।
2-तनाव से मुक्ति पाने के लिए :- तनाव कम करने और मानसिक तनाव से मुक्ति पाने के लिए भ्रामरी प्राणायाम बहुत ही लाभदायक होता है। चिकित्सा शास्त्र डिप्रेशन का कारण मस्तिष्क में सिरोटोनीन, नार-एड्रीनलीन तथा डोपामिन आदि न्यूरो ट्रांसमीटर की कमी मानता है। तो आप इन सब से छुटकारा पाने के लिए भ्रामरी प्राणायाम को करें। और इसके साथ-साथ इसको करने से व्यक्ति में आत्म विश्वास की भावना बढती है।
3-इन सभी बिमारियों को करे ठीक :- नजला, खांसी, दमा, साइनस, लंग्स, हृदय और पाइल्स के लिए भी यह प्राणायाम लाभदायक है।
4-कफ रोग में फायदेमंद :- कफ के रोगों से निजात दिलाता है। कफ का असर शरीर के सर से लेकर सीने तक होता है। कफ का संतुलन बिगड़ता है तो ऐसे रोग हमको लग जातें हैं जैसे सिर का दर्द, खांसी, जुकाम, आधासीसी दर्द इत्यादि।
5-शरीर के अंदर गर्मी उत्पन्न करता है :- सूर्यभेदन प्राणायाम के नियमित अभ्यास से शरीर के अंदर गर्मी उत्पन्न होती है।अतिताप, तापमान नियंत्रण की विफलता के कारण शरीर का बढ़ा हुआ तापमान होता है। अतिताप तब होता है जब शरीर ताप को अपव्यय करने की अपनी क्षमता से अधिक ताप का उत्पादन करता है या अवशोषित करता है।
6-आंतो को साफ़ करता है :- इस प्राणायम के नियमित अभ्यास से आंत सुद्ध व् साफ़ हो जाती है ।मानव शरीर रचना विज्ञान में, आंत (या अंतड़ी) आहार नली का हिस्सा होती है जो पेट से गुदा तक फैली होती है, तथा मनुष्य और अन्य स्तनधारियों में, यह दो भागों में, छोटी आंत और बड़ी आंत के रूप में होती है।
7-सेक्स ऊर्जा को बढाता है :- इससे सेक्स ऊर्जा को सही आयाम मिलता है।सूर्य पर संयम संपन्न करने से सौर ज्ञान की उपलब्धि होती है। सूर्य ऊर्जा का केंद्र है हमारी काम वासना। या यूँ कहें की कामवासना का केंद्र हमारे भीतर की सूर्य ऊर्जा होती है।
सावधानी :
यह प्राणायाम हमेशा खाली पेट करना चाहिए। इस प्राणयाम की अविधि एक साथ नहीं बढानी चाहिए। इस प्राणायाम का अभ्यास साफ-स्वच्छ हवा बहाव वाले स्थान पर करें। पूरक करते समय पेट और सीने को ज्यादा न फुलाएं। श्वास पर नियंत्रण रखकर ही पूरक क्रिया करें।