किस प्रकार एक साधारण व्यक्ति अपने सपनों के बल पर महान बन जाता है? जब वह साधारण व्यक्ति महानता को ग्रहण करने लगता है तो वह उस समाज, राज्य और देश का न होकर वह पूरे संसार का हो जाता है। वह अपने अथक तपिश और लगन की वजह से आम जन और धर्म से ऊपर उठ जाता है जहाँ आमजन उन्हें पूजते हैं।
भारतमाता के लाल ए०पी०जे० अब्दुल कलाम ने इसे सच कर दिखाया था। इनकी एक खुबसुरत आदत थी कि अगर कहीं कोई गलती हो जाए तो वह उसे झट से मान लेते थे लेकिन अगर कोई बड़ी सफलता मिलती थी तो कलाम उसका उत्तरदायित्व नहीं लेते थे।
कलाम जी ने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे। कलाम सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए।
अब्दुल कलाम का जन्म और शैक्षिक जीवन :
अब्दुल कलाम जी का जन्म रामेश्वरम के मध्यम वर्ग के मुस्लिम परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम जैनुलाब्द्दीन था और माता का नाम आशियम्मा था। इनकी एक बहन और चार भाई थे। इनके पिता का नाम जैनुलाब्द्दीन मछुआरों को नाव बेचा करते थे और स्थानीय मस्जिद के इमाम थे।
इनकी माता आशियम्मा हाउसवाइफ थी। कलाम अपने एक बहन और चार भाईयों में सबसे छोटे थे। इनका पूरा नाम डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम है। बालक कलम को भी अपनी शिक्षा के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा था। वे घर-घर अखबार बांटते थे और उन पैसों से अपने स्कूल की फीस भरते थे।
अब्दुल कलम जी ने अपने पिता जी से अनुशासन, ईमानदार और उदार स्वभाव में रहना सीखा था। इनकी माता जी ईश्वर में असीम श्रद्धा रखने वाली थी। कलाम जी अपने भाई और बहनों के बहुत अधिक करीब थे। अब्दुल कलाम जी की शुरूआती शिक्षा रामेश्वरम एलेमेंट्री स्कूल से हुई थी।
सन् 1950 में कलाम जी ने बीएससी की परीक्षा st. joseph’s college से पूरी की थी। इसके बाद सन् 1954 से 1957 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एरोनिटिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। बचपन से ही उनका सपना फाइटर पायलेट बनने का था लेकिन समय के साथ यह सपना बदल गया था।
उपलब्धियां :
एक वैज्ञानिक और इंजिनियर के रूप में उन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन तथा भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन के कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम किया था। डॉ ए०पी०जे० अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11 वें राष्ट्रपति थे।
उन्होंने देश के कुछ सबसे अधिक महत्वपूर्ण संगठनों में काम किया था। उन्होंने सन् 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परीक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कलाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम के साथ भी जुड़े थे इसी वजह से उन्हें मिसाइल मेन भी कहा जाता है।
साल 2002 में कलाम भारत के राष्ट्रपति चुने गए और पांच साल की अवधि की सेवा के बाद वे शिक्षण, लेखन और सार्वजनिक सेवा में वापस लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न के साथ-साथ बहुत से प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
अब्दुल कलाम जी का बचपन :
अब्दुल कलाम जी का बचपन हिन्दू और मुस्लिम धार्मिक माहौल में बीता था। उनके पिता बड़े-से-बड़े मसलों को आम तमिल जुबान में सुलझा लिया करते थे। उनके पिता कलाम ससे कहते थे की जब आफत आए तो आफत को समझने की कोशिश करो मुश्किलें हमेशा खुद को परखने का मौका देती है।
जब कलाम छ: साल के थे तब उनके पिता ने एक नाव बनाया जिसमें वे यात्रियों को रामेश्वरम से धनुषकोडी ले जाया करते थे और वापिस ले आया करते थे। उनके पिता के साथ ही अहमद जल्लालुद्दीन नाम का एक व्यक्ति काम करता था जिनका बाद में कलाम की बहन जौहरा के साथ निकाह हुआ।
कलाम की दोस्ती अहमद जल्लालुद्दीन के साथ जम गया जबकि दोनों की उम्र में 15 साल का अंतर था। वे दोनों हर शाम लंबी सैर पर निकल जाया करते थे। वे मस्जिद वाली गली से अपनी यात्रा शुरू करते थे और उनका पहला पड़ाव शिव मंदिर पड़ता था। वे उसी श्रद्धा से उस मंदिर की परिक्रमा करते थे जिस श्रद्धा से बाहर से आए यात्री करते थे।
रामेश्वरम में जल्लालुद्दीन अकेले व्यक्ति थे जो अंग्रेजी जानते थे। वे हमेशा कलाम के साथ साहित्य, साइंस और पढ़े-लिखे लोगों के बारे में ही बात करते थे। कलाम जी का बचपन में एक और साथी शमशुद्दीन था जो उनके चचेरे भाई भी थे। रामेश्वरम में शमशुद्दीन के पास अखबारों का ठेका था।
वे अकेले ही सारा काम किया करते थे। हर सुबह रामेश्वरम में अखबार ट्रेन से पहुंचता था। सन् 1939 में जब कलाम जी आठ साल के थे तब सेकेण्ड वर्ल्ड वार शुरू हुई थी। गंभीरता जैसे हालात हो गए और रामेश्वरम में ट्रेनों का रुकना केंसिल कर दिया गया था।
जब अखबारों के बंडल को रामेश्वरम से धनुषकोडी के मध्य चलती ट्रेन से फेंक दिया जाता था। शमशुद्दीन को विवशतापूर्ण एक लडके की जरूरत पड़ी जो फेंके हुए अखबारों को इकट्ठा कर सके। यह मौका छोटे कलाम को मिला था। कलाम जी की पहली कमाई भी यहीं से हुई थी।
कलाम जी कहते थे कि प्रत्येक बच्चा जिस आर्थिक, सामाजिक और गंभीर हालत से प्रभावित होता है, उसी प्रकार का उसका व्यक्तित्व बनता है। कलाम जी को अपने पिता से आत्मसुरक्षा और माता से अच्छाई पर विश्वास करना और रहम-दिली मिली थी। वहीं पर जल्लालुद्दीन और शमशुद्दीन भी उनके जीवन के वो दो खंभे थे जो उनके पूरे जीवन को प्रभावित करता है।
अब्दुल कलाम जी की शिक्षा :
कलाम जी अपनी हाई स्कूल की शिक्षा के लिए रामनाथपुरम चले गए जहाँ Schwartz Higher Secondary School रामनाथपुरम में अपनी पढाई पूरी की थी। इस दौरान उन्हें रामेश्वरम की शांति भी खलती थी इसलिए घर जाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते थे।
अय्यादुरई सोलोमन उस स्कूल के एक अध्यापक थे और कलाम उनके सबसे पसंदीदा विद्यार्थी थे। वे हमेशा कहा करते थे कि जीवन में कामयाब होने और नतीजे हासिल करने के लिए तीन शक्तियों पर काबू पाना बहुत आवश्यक है जो ख्वाहिश, यकीन और उम्मीद हैं।
सोलोमन सर ने आगे कहा था की इससे पहले मैं चाहूँ कुछ और हो कुछ और जाए, यह आवश्यक है कि मेरे भीतर उसके लिए पूरी शिद्दत से ख्वाहिश हो और यकीन हो कि वह होगा। कलाम जब भी समुद्र में बगुलों और कुंजों को आसमान में परवाज भरते देखते थे तो उन्हें भी उड़ने का बड़ा मन करता था।
वे हमेशा इस उम्मीद में रहते हैं कि एक दिन वे भी खुले आसमान में उड़ेंगे। सन् 1950 में कलाम आगे की शिक्षा के लिए संत जोसेफ कॉलेज, तिरुचिपल्ली चले गए जहाँ उन्होंने अपनी बीएससी की डिग्री पूरी की थी। लेकिन तब तक कलाम नहीं जानते थे कि आगे की शिक्षा से बहुत कुछ किया जा सकता है।
ग्रेजुएशन करने के बाद उन्हें पता चला कि फिजिक्स और केमिस्ट्री उनका सबजेक्ट नहीं है। उन्होंने अपने सपने को टटोला और मन में एक ही बात उभरी जो थी इंजीनियरिंग। इसके बाद कलाम जी एमआईटी में कैसे भी करके एंट्रेंस एग्जाम तो पास कर लिए लेकिन एडमिशन के लिए एक हजार रूपए की आवश्यकता थी जो उस समय एक बड़ी रकम थी।
ऐसे में उनकी बहन जौहरा खान आगे आई, उन्होंने बिना झिझक अपने भाई कलाम की एडमिशन के लिए अपने सोने के कड़े और गहनों को गिरवी रखकर पैसों का इंतजाम किया। कलाम जी अपनी बहन का विश्वास देखकर भीतर-ही-भीतर पिघल गए और उस दिन प्रण किया कि वे अपनी मेहनत से अपनी बहन के गहनों को छुड़ाएंगे।
यहीं से भारतीय मिसाइल मेन का जन्म हुआ। वे अगले तीन सालों के लिए एमआईटी में एयरोनोटिकल इंजीनियरिंग करने लगे। पढाई के दौरान जब वे एक सीनियर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे तो उस प्रोजेक्ट पर उनका धीमे प्रोग्रेस से प्रोजेक्ट के अध्यक्ष नाखुश थे।
उसने नाराजगी में कलाम जी को तीन दिन के भीतर रॉकेट की रुपरेखा तैयार करने के लिए कहा नहीं तो उनकी स्कोलरशिप को रद्द कर दिया जाएगा। कलाम जी उस प्रोजेक्ट को पूरा करने में इस तरह से लग गए कि तीन दिन की डेडलाइन से पहले ही केवल 24 घंटों के भीतर पूरा कर उस अध्यक्ष को आश्चर्यचकित कर दिया।
एमआईटी के केंपस में दो रिटायर्ड जंगी वायुयान रखे हुए थे। क्लास खत्म होने के बाद कलाम घंटों उसे पास बैठकर अपने सपनों में जीते थे। फर्स्ट ईयर के बाद कलाम को अपना स्पेशलाइजेशन चुनना था। कलाम जी ने अपने ख्वाहिश, हौसला, समर्पण, विश्वास को देखा तो उन्होंने पाया कि उन्हें तो उड़ना है इसलिए वे एयरोनोटिकल इंजीनियरिंग को चुना।
कलाम जी इस बारे में इंजीनियरिंग स्टूडेंट को सुझाव भी देते हैं कि स्पेशलाइजेशन चुनते समय आप देखे कि उस क्षेत्र में जाने के लिए आपके पास कितना उत्साह, लगन और शोक है। एमआईटी में पढाई के दौरान कलाम जी तीन प्रोफेसरों से बहुत अधिक प्रभावित थे।
प्रोफेसर KAV Pandalai बड़े ही खुश दिली इंसान थे। हर वर्ष नायाब तरीके से कोर्स को पेश करते थे जो Aero-structure Design सिखाते थे। प्रोफेसर नरसिंह राव, जो एक मेथमेटिशियन थे, उनके प्रभाव की वजह से कलाम जी को मैथमेटिकल फिजिक्स सबसे अच्छा लगने लगा थाप्रोफेसर राव कहते थे कि हर इंजीनियरिंग विद्यार्थी के टूल्स किट में मैथ चाकू की तरह होता है।
प्रोफेसर स्पांडर जो ऑस्ट्रेलिया के थे, वे जंगी जहाज के निर्माता थे। वे Aero-Dynamic पढ़ाते थे। एमआईटी में पढाई पूरी करने के बाद कलाम जी एचएएल में एरोनोटिकल इंजीनियरिंग के रूप में ट्रेनिंग के लिए आ गए। अपनी ट्रेनिंग को पूरा करने के बाद अपनी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए इन्हें दो अवसर मिले थे।
प्रारंभिक जीवन :
अबुल कलाम का जन्म एक गरीब मुसलमान परिवार में हुआ था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी इसलिए उन्हें बहुत कम उम्र से ही काम करना पड़ा था। अपने पिता की आर्थिक सहायता के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार वितरण का काम करते थे। अपने स्कूल के दिनों में कलाम पढ़ाई-लिखाई में सामान्य थे लेकिन नई-नई चीज सीखने के लिए हमेशा तैयार रहते थे।
उनके भीतर सीखने की एक भूख थी और वो पढ़ाई पर घंटों ध्यान दिया करते थे। उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई रामनाथपुरम स्च्वातर्ज मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरी की और उसके बाद तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिया जहाँ से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की थी। सन् 1960 में कलाम जी ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी।
अब्दुल कलाम जी का स्वभाव :
ए०पी०जे० अब्दुल कलाम को बच्चों से बहुत अधिक प्यार था। वे हमेशा अपने देश के युवाओं को अच्छी सीख देते रहे हैं। उनका कहना है कि युवा चाहे तो पूरा देश बदल सकता है। देश के सभी लोग उन्हें मिसाइल मेन के नाम से संबोधित करते हैं। डॉ ए०पी०जे० अब्दुल कलाम को भारतीय प्रक्षेपास्त्र में पितामाह के रूप में जाना जाता है।
कलाम जी भारत के पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं जो अविवाहित होने के साथ-साथ वैज्ञानिक पृष्ठभूमि से राजनीति में आए हैं। राष्ट्रपति बनते ही ए०पी०जे० अब्दुल कलाम ने देश के एक नए युग की शुरुआत की जो आज तक आयाम है।
कलम जी के करियर की शुरुआत :
कलाम जी को ट्रेनिंग के बाद अपनी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए दो मौके मिले थे जिनमें से एक एयरफोर्स में और दूसरा मिनिस्ट्री और डिफेंस में थे। कलाम जी ने दोनों में अप्लाई कर दिया और दोनों से ही कलाम जी को इंटरव्यू के लिए बुलावा आया।
कलाम जी सबसे पहले डिफेंस मिनिस्ट्री के लिए दिल्ली गए वहां पर इनका इंटरव्यू अच्छा गया था उसके बाद एयरफोर्स के इंटरव्यू के लिए देहरादून गए। देहरादून में इंटरव्यू के लिए आए 25 कैंडिडेट्स में ये 9 वें स्थान पर आए जबकि सिर्फ 8 कैंडिडेट्स की ही आवश्यकता थी।
इस बात को सुनकर कलाम जी निराश हो गए। दिल पर बोझ लेकर कलाम जी ऋषिकेश चले गैया जहाँ उन्होंने पहले पवित्र गंगा में स्नान किया उसके बाद ऋषिकेश में ही उनकी मुलाकात सफेद धोती में लिपटे गौतम बुद्ध जैसे दिखने वाले स्वामी शिवानंद से हुई।
स्वामी शिवानंद जी ने मुस्कुराते हुए उनसे कहा कि ख्वाहिश अगर दिलों-जान से निकली हो, पवित्र हो, उसमें शिद्दत हो, तो उसमें कलाम जी की इलेक्ट्रॉनिक मैग्नेटिक एनर्जी होती है, दिमाग जब सोता है तो यह एनर्जी रात की खामोशी में बाहर निकल जाती है और सुबह कायनात, ब्रह्माण्ड, सितारों की गति-रफ्तार को अपने साथ समेट कर दिमाग में वापस आ जाती है इसलिए जो सोचा है उसकी सृष्टि अवश्य है। वह आकार लेगा ।
तुम मेरा विश्वास करो, इस सृष्टि पर सूरज फिर से लौटेगा, बहार फिर से आएगी। इसके बाद कलाम जी दिल्ली आ गए और इंटरव्यू के प्रतिउत्तर में उन्हें अपॉइंटमेंट का लैटर दे दिया गया। कलाम जी को 250 रूपए की प्रति महीने सेलेरी पर सीनियर साईंटिफिक असिस्टेंट के पद पर नियुक्त कर दिया गया।
मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद कलाम जी ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन में वैज्ञानिक के तौर पर कार्य किया। कलाम जी ने अपने कैरियर का आरंभ एक छोटे हेलिकॉप्टर का डिजाइन बनाकर किया था।
डीआरडीओ में कलाम जी को उनके काम से संतुष्टि नहीं मिल रही थी। कलाम जी पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा गठित इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च के सदस्य भी थे। इस दौरान उन्हें प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ काम करने का अवसर मिला था।
साल 1969 में उनका स्थानांतरण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में हुआ था। यहाँ पर वो भारत के सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना के निदेशक के तौर पर नियुक्त किए गए थे। इसी परियोजना की सफलता के परिणामस्वरूप भारत का पहला उपग्रह रोहिणी को पृथ्वी की कक्षा में सन् 1980 में स्थापित किया गया था।
इसरों में सम्मिलित होना कलाम जी के करियर का सबसे अहम मोड़ था और जब उन्होंने सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना पर काम करना शुरू किया तब उन्हें लगा था जैसे वो वही काम कर रहे हैं जिसमें उनका मन लगता है। सन् 1963 से 1964 के दौरान उन्होंने अमेरिका के अंतरिक्ष संगठन नासा की भी यात्रा की।
परमाणु वैज्ञानिक राजा रमन्ना, जिनकी देखरेख भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया, ने कलाम को सन् 1974 में पोखरण में परमाणु परीक्षण देखने के लिए भी बुलाया था। 70 और 80 के दशक में अपने कामों और सफलताओं से अब्दुल कलाम भारत में बहुत प्रसिद्ध हो गए थे और देश के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में उनका नाम गिना जाने लगा था।
उनकी ख्याति इतनी बढ़ गई थी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपने कैबिनेट की मंजूरी के बिना ही उन्हें कुछ गुप्त परियोजनाओं पर काम करने की अनुमति दे दी थी। भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी इंटिग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम की शुरुआत अब्दुल कलाम जी की देख-रेख में हुई थी।
वह इस परियोजना के मुख्य कार्यकारी थे। जुलाई, 1992 से लेकर दिसंबर, 1999 तक डॉ कलम प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के सचिव थे। भारत ने अपना दूसरा परमाणु परीक्षण इसी दौरान किया गया था जिसमें इन्होने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
आर० चिंदबरम के साथ डॉ अब्दुल कलाम इस परियोजना के समन्वयक थे। इस दौरान मिले मिडिया कवरेज ने उन्हें देश का सबसे बड़ा परमाणु वैज्ञानिक बना दिया। सन् 1998 में डॉ अब्दुल कलाम ने ह्रदय चिकित्सक सोमा राजू के साथ मिलकर एक कम कीमत का कोरोनरी स्टेंट का विकास किया। इसे कलाम-राजू स्टेंट का नाम दिया गया था।
वैज्ञानिक जीवन :
कलाम जी ने सन् 1962 में ISRO से जुडकर प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में पहला स्वदेशी उपग्रह SLV iii को लाँच किया था जो संसार में उभरते भारत के लिए एक बहुत बड़ी सफलता थी। सन् 1980 में कलाम जी की टीम ने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करके भारत को इंटरनेशनल स्पेस क्लब का सदस्य बना दिया था। इसी प्रकार कलाम जी ने स्वदेशी ताकतों का प्रयोग करते हुए आग, त्रिशूल और पृथ्वी जैसे मिसाइल बनाकर दुनिया में मिसाइलमेन कहलाए थे।
सन् 1998 पोखरण में परमाणु शक्ति का सफल प्रयोग करके कलाम जी ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाया था। अब्दुल कलाम राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं थे लेकिन राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की कल्याण संबंधी नीतियों की वजह से इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से संपन्न माना जा सकता है।
अब्दुल कलाम जी का व्यवसाय और योगदान :
15 अक्टूबर, 1931 को जैनुल्लाब्दीन और आशियम्मा के घर डॉ अब्दुल कलाम का जन्म हुआ था। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी इसलिए इन्होने बहुत ही कम उम्र से आर्थिक सहायता देने के लिए काम करना शुरू कर दिया था। हालाँकि अपने काम करने के दौरान इन्होने कभी-भी अपनी पढाई नहीं छोड़ी थी।
सन् 1954 में तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन और मद्रास इंस्टिट्यूट से वैमानिकी इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की थी। ग्रेजुएशन के बाद कलाम जी एक मुख्य वैज्ञानिक के रूप में डीआरडीओ से जुड़ गए हालाँकि बहुत जल्दी ये भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपास्त्र के प्रोजेक्ट निर्देशक के रूप में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में विस्थापित हो गए।
डॉ अब्दुल कलाम जी ने गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम के मुख्य कार्यकारी के रूप में कार्य किया जिसमें मिसाइलों क एक कंपन के एक साथ होने वाले विकास शामिल थे। डॉ अब्दुल कलाम जी ने साल 1992 से साल 1999 तक प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और डीआरडीओ के सेक्रेटरी के रूप में कार्य किया था।
पोखरन द्वितीय परमाणु परीक्षण के लिए मुख्य प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर के रूप में उनके सफल योगदान के बाद उन्हें भारत का मिसाइल मैन कहा जाने लगा। वे पहले ऐसे वैज्ञानिक थे जो बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि के साल 2002 से साल 2007 तक भारत के राष्ट्रपति थे।
उन्होंने बहुत सारी प्रेरणादायक किताबें लिखीं। डॉ अब्दुल कलाम जी ने देश में भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए वॉट कैन आई गिव मूवमेंट नाम से युवाओं के लिए एक मिशन की शुरुआत की। देश के विभिन्न इंस्टीट्यूट और विश्वविद्यालयों में उन्होंने अतिथि प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवा दी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरुअनन्तपुरम में चांसलर के रूप में, जेएसएस यूनिवर्सिटी, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग ऐट अन्ना यूनिवर्सिटी आदि।
अब्दुल कलाम जी का राष्ट्रपति बनना :
एक रक्षा वैज्ञानिक के तौर पर उनकी उपलब्धियों और प्रसिद्धि का एक बहुत बड़ा इनाम मिला। BJP ने कलाम जी को अपने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया जिन्हें 90% मतों से सफलता प्राप्त हुई थी और 25 जुलाई 2002 में उन्होंने 11 वें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई थी। कलाम जी देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले ही भारत रत्न से नवाजा जा चुका था।
इससे पहले डॉ राधाकृष्णन और डॉ जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनने से पहले भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका था। उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें जनता का राष्ट्रपति कहा गया। अपने कार्यकाल की समाप्ति पर उन्होंने दूसरे कार्यकाल की भी इच्छा जताई लेकिन राजनैतिक पार्टियों में एक राय की कमी होने की वजह से उन्होंने यह विचार त्याग दिया।
12 वें राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल की समाप्ति के वक्त एक बार फिर से उनका नाम अगले संभावित राष्ट्रपति के रूप में चर्चा में था लेकिन आम सहमति न होने की वजह से उन्होंने अपनी उम्मीदवारी का विचार त्याग दिया। कलाम जी ने अपने कार्यकाल को बड़े ही अनुशानप्रिय और बहुत ही सहज तरीके से 25 जुलाई,2007 को पूरा किया था।
राष्ट्रपति दायित्व से मुक्ति के बाद :
राष्ट्रपति दायित्व से मुक्ति के बाद कलाम जी ने अपना बाकी बचा हुआ सारा जीवन देश के विद्यार्थियों के नाम कर दिया अब कन्याकुमारी से लेकर जम्मू कश्मीर और जैसलमेर से शिलोंग तक घूम-घूम कर देश निर्माण के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित करते थे। कलाम जी देश के महत्वपूर्ण विषयों पर विद्यार्थियों के विचार भी जानते थे पोर अपना विचार भी साझा करते थे।
सेवा मुक्त होने के बाद डॉ कलाम शिक्षण, लेखन, मार्गदर्शन और शोध जैसे कामों में व्यस्त रहे और भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान, इंदौर जैसे संस्थानों से विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर जुड़े रहे थे।
इसके अतिरिक्त वह भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के फेलो, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, थिरुवनंतपुरम के चांसलर, अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्न्यिमे एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी रहे थे। उन्होंने आई. आई. आई.टी. हैदराबाद, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी और अन्ना यूनिवर्सिटी में सूचना प्रौद्योगिकी भी पढ़ाया गया था।
कलाम सदैव देश के युवाओं और उनके भविष्य को बेहतर बनाने के बारे में बातें करते थे। इसी संबंध में उन्होंने देश के युवाओं के लिए व्हाट कैन आई गिव पहल की शुरुआत भी की जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार का सफाया है। देश के युवाओं में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें दो बार एम.टी.वी.यूथ आइकॉन ऑफ द ईयर अवार्ड के लिए मनोनीत भी किया गया था।
साल 2011 में प्रदर्शित हुई हिंदी फिल्म आई एम कलाम उनके जीवन से प्रभावित है। शिक्षण के अतिरिक्त डॉ कलाम ने बहुत सी पुस्तकें भी लिखीं जिनमें से प्रमुख हैं – इंडिया 2020 अ विजन फॉर द न्यू मिलेनियम, विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी, इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया, मिशन इंडिया, इंडोमिटेबल स्पिरिट आदि।
निधन :
27 जुलाई, 2015 की शाम को ए०पी०जे० अब्दुल भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में रहने योग्य ग्रह पर एक व्याख्यान दे रहे थे जब उन्हें जोरदार दिल का दौरा पड़ा और ये बेहोश होकर गिर पड़े। साढ़े छ: बजे गंभीर हालत में इन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटों के बाद इनकी मौत हो गई।
अस्पताल के सीईओ जॉन साइलो ने उन्हें बताया कि जब उन्हें अस्पताल में लाया गया था तब उनकी नब्ज और ब्लड प्रेशर उनका साथ छोड़ चुके थे। अपनी मौत से लगभग नो घंटे पहले उन्होंने ट्वीट करके सभी को बताया था कि वे शिलोंग आईआईएम में लेक्चर देने के लिए जा रहे हैं। कलाम जी अक्टूबर 2015 में 84 साल के होने वाले थे।
व्यक्तिगत जीवन :
ए०पी०जे० अब्दुल कलाम अपने व्यक्तिगत जीवन में पूरी तरह अनुशासन का पालन करने वालों में से थे। ऐसा कहा जाता है कि वे कुरान और भगवद गीता दोनों का अध्धयन करते थे। कलाम जी ने कई जगहों पर उल्लेख किया है कि वे तिरुक्कुरल का भी अनुसरण करते हैं। उनके भाषणों में कम-से-कम एक कुरल का उल्लेख जरुर रहता था।
राजनीतिक स्तर पर कलाम जी की इच्छा थी कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका का विस्तार हो और भारत अधिक-से-अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। भारत को महाशक्ति बनने की दिशा में कदम बढ़ाते देखना उनकी दिली इच्छा थी उन्होंने कई प्रेरणादायक पुस्तकों की भी रचना की थी और वे तकनीक को भारत के जनसाधारण तक पहुँचाने की हमेशा वकालत करते रहते थे।
किताबें :
ए०पी०जे० अब्दुल कलाम ने बहुत सी पुस्तकें लिखीं थीं जैसे – इंडिया 2020-ए विशन फॉर दी न्यू मिलेनियम, विंग्स ऑफ फायर-ऑटोबायोग्राफी, इग्नाइटेड माइंड, ए मेनिफेस्टो फॉर चेंज, मिशन इंडिया, इंस्पायरिंग थोट, माय जर्नी, एडवांटेज इंडिया, यू आर बोर्न टू ब्लॉसम, दी लूमिनस स्पार्क, रेइगनिटेड आदि।
चिंतनपरक रचनाएँ :
इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग द पॉवर विदीन इंडिया: ISBN 0-14-302982-7
इण्डिया-माय-ड्रीम: ISBN 81-7441-350-X
एनविजनिंग अन एमपावर्ड नेशन: टेक्नोलॉजी फॉर सोसायटल ट्रांसफारमेशन: ISBN 0-07-053154-4
आत्मकथात्मक रचनाएँ :
विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए०पी०जे० अब्दुल कलाम: सह लेखक – अरुण तिवारी, ISBN 81-7371-146-1
साइंटिस्ट टू प्रेसिडेंट: ISBN 81-212-0807-6
जीवनी :
अन्य लेखकों द्वारा कलाम की जीवनी अथवा जीवन के विविध पहलुओं पर पुस्तकें लिखी गईं जिनमें कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं –
इटरनल क्वेस्ट: लाइफ ऐंड टाइम्स ऑफ डाक्टर अवुल पकिर जैनुलाआबदीन अब्दुल कलाम एस चंद्रा कृत – ISBN 81-86830-55-3
प्रेसिडेंट एपीजे अब्दुल कलाम आर०के० पूर्ति – ISBN 81-261-1344-8
ए०पी०जे० अब्दुल कलाम: द विजनरी ऑफ इंडिया’ के० भूषण एवं जी० कात्याल – ISBN 81-7648-380-X
पुरस्कार और सम्मान :
देश और समाज के लिए किए गए उनके कामों के लिए डॉ कलाम को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। लगभग 40 विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी और भारत सरकार ने उन्हें सन् 1981 में पद्म भूषण और सन् 1990 में पद्म विभूषण और भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया गया था।
कलाम जी ने सन् 1994 में इंस्टीट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा विशिष्ट फेलो, सन् 1997 में भारत सरकार द्वारा भारत रत्न, सन् 1997 में भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस द्वारा राष्ट्रिय एकता के लिए इंदिरा गाँधी पुरस्कार, सन् 1998 में भारत सरकार द्वारा वीर सावरकर पुरस्कार, सन् 2000 में अल्वर्स रिसर्च सेंटर ऑफ चेन्नई द्वारा रामानुजन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
सन् 2007 में वॉल्वर हैम्प्टन विश्वविद्यालय ब्रिटेन द्वारा साइंस की मानद डाक्टरेट, सन् 2007 में रॉयल सोसाइटी ऑफ़ ब्रिटेन के द्वारा चार्ल्स द्वितीय पदक, सन् 2008 में नानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय सिंगापुर द्वारा डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग, सन् 2009 में कैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान अमेरिका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय करमन वॉन विंग्स पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
सन् 2009 में ASME फाउंडेशन अमेरिका द्वारा हूवर मेडल, सन् 2009 में ऑकलैंड विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टरेट, सन् 2010 में वाटरलू विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग, सन् 2011 में आईईईई द्वारा आईईईई मानद सदस्यता, सन् 2012 में साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ मानद, सन् 2014 में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय ब्रिटेन द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस आदि पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
अब्दुल कलाम जी के अनमोल विचार :
ए०पी०जे० अब्दुल कलाम जी के विचार युवाओं के लिए बहुत ही प्रेरणादायक हैं। अब्दुल कलाम जी आजाद भारत के 11 वें राष्ट्रपति थे इसके साथ-साथ वे एक महान वैज्ञानिक भी थे जिन्हें मिसाइल मेन के नाम से भी जाना जाता है। कलाम जी के कुछ अनमोल विचार इस प्रकार हैं-
1. जिस दिन हमारे सिग्नेचर, ऑटोग्राफ में बदल जाएं, मान लीजिए आप कामयाब हो गए।
2. आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते, लेकिन अपनी आदतें बदल सकते हैं और निश्चित रूप से आपकी आदतें आपका फ्यूचर बदल देंगी।
3. बारिश के दौरान सभी पक्षी आश्रय की तलाश करते हैं लेकिन बाज बादलों के उपर उड़कर बारिश को ही अवॉयड कर देते हैं। समस्याएं कॉमन हैं लेकिन आपका एटीट्यूड इसमें डिफरेंस पैदा करता है।
4. इंसान को कठिनाईयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये जरूरी है।
5. सपने वो नहीं जो आप सोते समय देखते हैं, बल्कि सपने वो हैं जो आपको सोने नहीं देते।
6. आपके सपने सच होने से पहले आपको सपने देखने होंगे।
7. आसमान की ओर देखो हम अकेले नहीं हैं, जो लोग सपने देखते हैं और कठिन मेहनत करते हैं, पूरा ब्रह्मांड उनके साथ है।
8. अगर कोई देश भ्रष्टाचार से मुक्त हो और सारे लोग अच्छी शुद्ध मानसिकता वाले हों, मैं दावे से कह सकता हूँ केवल तीन लोग ही ऐसे देश का निर्माण कर सकते हैं – माता, पिता और गुरु।
9. महान सपने देखने वाले महान लोगों के सपने हमेशा पूरे होते हैं।
10. भगवान, जिन्होंने हमें बनाया है, वो हमारे मन और व्यक्तित्व में वास करते हैं और हमें शक्ति प्रदान करते हैं और प्रार्थना इस शक्ति को बढ़ाती है।
11. युवाओं को मेरा संदेश है कि अलग तरीके से सोचें, कुछ न्य करने का प्रयत्न करें, अपना रास्ता खुद बनाएं, असंभव को हासिल करें।
12. अपने कार्य में सफल होने के लिए आपको एकाग्रचित होकर अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाना होगा।
13. हमें त्याग करना होगा ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी समृद्ध हो।
14. रचनात्मकता भविष्य में सफलता की कुंजी है, प्राथमिक शिक्षा ही वह साधन है जो बच्चों में सकारात्मकता लती है।
15. जब तक पूरा भारत उठकर खड़ा नहीं होगा, संसार में कोई हमारा आदर नहीं करेगा। इस दुनिया में डर की कोई जगह नहीं है केवल शक्ति की पूजा होती है।
16. एक नेता की परिभाषा है कि उसके पास एक सफल दृष्टिकोण हों, एक जूनून हो, जो किसी परेशानी से न डरें बल्कि परेशानियों को हराना जनता हो और सबसे महत्वपूर्ण बात कि वो ईमानदार हो।
17. निपुणता एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है यह एक घटना मात्र नहीं है।
18. मनुष्य के लिए कठिनाईयां बहुत जरूरी हैं क्योंकि उनके बिना सफलता का आनन्द नहीं लिया जा सकता।
19. जीवन एक कठिन खेल के समान है आप ये खेल तभी जीत सकते हैं जब आप अपने इंसान होने के जन्मसिद्ध अधिकार होने का पालन करें।
20. हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए, और कभी परेशानियों को हमें खुद को हराने नहीं देना चाहिए।
21. जब हम परेशानियों में फंसे होते हैं तो हमें अहसास होता है कि एक छुपा हुआ साहस हमारे अंदर है जो हमें तभी दिखाई देता है जब हम असफलता का सामना कर रहे होते हैं। हमें उसी छुपे हुए साहस और शक्ति को पहचानना है।
22. एक छात्र की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता होती है – प्रश्न पूछना, उन्हें प्रश्न पूछने दें।
23. दुनिया की लगभग आधी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और ज्यादातर गरीबी की हालत में रहती है। मानव विकास की इन्हीं असमानताओं की वजह से कुछ भागों में अशांति और हिंसा जन्म लेती है।
24. आप देखिए, भगवन उनकी मदद करते हैं जो कठिन मेहनत करते हैं यह एक स्पष्ट सिद्धांत है।
अब्दुल कलाम जी के विषय में रोचक तथ्य :
अब्दुल कलाम जी का जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था। इनके पिता के पास परिवार चलाने के नाम र बस एक नाम थी। डॉ कलाम शुरुआत से ही बहुत अधिक मेहनती थे। केवल पांच साल की आयु से ही इन्होने अपने परिवार को आर्थिक सहायता देने के लिए अख़बार बेचना शुरू कर दिया था।
अब्दुल कलाम को गणित और फिजिक्स दोनों ही विषय बहुत अधिक पसंद थे। उन्हें गणित विषय इतना पसंद था कि इस विषय को पढ़ने के लिए सुबह चार बजे ही उठ जाते थे। अब्दुल कलाम जी आरंभ से ही एक पायलेट बनना चाहते थे और एक बार वे इसके बहुत अधिक नजदीक पहुंच गए थे।
एयरफोर्स के इंटरव्यू में उन्हें 9 वां स्थान प्राप्त हुआ जबकि केवल आठ लोगों को ही चुना जाता था। सन् 1969 में कलाम जी ISRO चले गए और उन्हें Satellite Launch Vehicles का प्रोजेक्ट डायरेक्टर बना दिया गया था। कलाम जी का प्रोजेक्ट सफल रहा और भारत ने पृथ्वी की कक्षा में रोहिणी उपग्रह भेजने में सफलता प्राप्त की।
कलाम जी को मिसाइल मेन के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने भारत के लिए आग और पृथ्वी जैसी शक्तिशाली मिसाइल को बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पोखरण द्वितीय न्यूक्लीयर की सफलता के पीछे भी डॉ अब्दुल कलाम का ही हाथ था।
डॉ कलाम जी को भारत रत्न से तो सम्मानित किया गया ही बल्कि उन्हें 40 विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की उपाधि भी मिली। उनके जीवन से प्रभावित होकर ही I AM KALAM नामक बॉलीवुड फिल्म भी बनाई गई थी। डॉ कलाम बच्चों से बहुत अधिक प्यार करते थे और हमेशा उनकी जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश करते थे।
अपनी मृत्यु से पहले भी वो यही काम कर रहे थे, वे IIM Shillong में विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। एक बार जब डॉ कलाम अमेरिका गए थे तो उस समय सुरक्षा अधिकारीयों ने उन्हें रोककर उनकी तलाशी ली थी। भारत देश ने इसका कड़ा विरोध किया था।
जब एक बार किसी पत्रकार ने उनसे पूछा कि वे किस रूप में याद किया जाना अधिक पसंद करेंगे – एक वैज्ञानिक के रूप में, एक राष्ट्रपति के रूप में या एक शिक्षक के रूप में तब उनका जवाब था शिक्षा के रूप में। 26 मई को जब कलाम जी स्विट्जरलैंड विजिट पर गए थे तो उनके सम्मान में उस दिन को साइंस दे के रूप में मानाने की घोषणा कर दी गई थी।
कलाम जी को तमिल में कविताएँ लिखने और वीणा बजाने का बहुत शौक था। कलाम जी शुरुआत में मांसाहारी थे लेकिन बाद में शाकाहारी बन गए थे। डॉ अब्दुल कलाम ऐसे पहले राष्ट्रपति थे जो अविवाहित के साथ-साथ एक वैज्ञानिक भी थे। डॉ अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनने से पहले ही देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया जा चुका था।
कलाम जी अपने ट्विटर अकाउंट पर केवल 38 लोगों को ही फॉलो करते थे जिनमे से सिर्फ एक ही क्रिकेटर था जिसका नाम VVS Laxman था। दो अब्दुल कलाम जी महान वैज्ञानिक डॉ विक्रम साराभाई को अपना मेंटर मानते थे। डॉ अब्दुल कलाम जी का सबसे पहला प्रोजेक्ट SLV-3 फेल हो गया था।
जिसकी वजह से उन्हें बहुत दुःख हुआ लेकिन अपनी गलतियों से सीखते उए उन्होंने आगे चलकर बड़ी-बड़ी सफलताएँ प्राप्त कीं। डॉ कलाम जी को दो बार साल 2003 और 2006 में MTV Youth Lcon चुना गया था। डॉ अब्दुल कलाम राष्ट्रपति के रूप में मिलने वाली अपनी महीने की कमाई दान में दे दिया करते थे।
कलाम जी ने एक ट्रस्ट बनाया था और इसी ट्रस्ट में वे अपनी सेलरी दान कर देते थे। डॉ अब्दुल कलाम विशेष तौर पर उनके लिए मंगाई गई कुर्सी पर नहीं बैठते थे बल्कि सभी के साथ बराबर की कुर्सी पर बैठते थे। एक बार डॉ कलाम ने याहू पर एक प्रश्न पूछा की हमें दुनिया को आतंकवाद से मुक्त करने के लिए क्या करना चाहिए? तो इसके उत्तर में उन्हें तीस हजार से भी अधिक रेस्पोंसेस मिले थे।
डॉ अब्दुल कलाम चाहते थे कि राष्ट्रपति भवन पूर्ण रूप से सौर्य उर्जा से संचालित हो लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान यह काम पूरा नहीं हो पाया था। डॉ कलाम जी की inspiring autobiography, “Wings or Fire”, फ्रेंच और चायनीज के साथ 13 भाषाओं में ट्रांसलेट की गई है। डॉ कलाम जी ने अलग-अलग विषयों पर कम-से-कम 15 किताबें लिखी हैं। डॉ अब्दुल कलाम को समुद्र से बेहद लगाव था।
कलाम जी के जीवन का सबसे बड़ा अफसोस अपने माता-पिता की आँखों के लिए कुछ न कर पाना था। राष्ट्रपति के तौर पर उन्हें अदालतों के द्वारा दिए गए मृत्यु दंड की पुष्टि करना बहुत मुश्किल काम लगता था। डॉ कलाम एक कुशल लीडर थे। वे किसी भी परियोजना के विफल होने पर खुद को उत्तरदाई ठहराते थे लेकिन सफलता मिलने पर पूरी टीम को उसका श्रेय देते थे।