पैरालिसिस (लकवा) क्या है-Paralysis In Hindi
आप अक्सर अपने परिवार वालों या दूसरे लोगों के मुंह से यह कहते हुए सुनते होंगे कि उस व्यक्ति को लकवा मार गया है लेकिन वो यह ध्यान नहीं देते हैं कि यह आखिर होता क्या है और इसके होने के पीछे क्या कारण होते हैं। यह एक न्यूरोलॉजिकल अथार्त तंत्रिका से संबंधित एक रोग होता है।
जब किसी व्यक्ति की एक या अधिक मांसपेशियों की संचालित करने की क्षमता को किसी प्रकार से क्षति हो जाती है तो उस व्यक्ति को लकवा मार जाता है जिसकी वजह से उस व्यक्ति को अपने शरीर के हिस्सों को अनुभव करने और अन्य शारीरिक कार्यों को करने में अक्षमता उत्पन्न होती है।
लकवा कई तरह का होता है लेकिन जब किसी व्यक्ति के शरीर के किसी एक हिस्से में या एक तरफ के हाथ और पैर दोनों काम करना बंद कर देते हैं तो वह व्यक्ति लकवाग्रस्त हो जाता है जिसे हेमिप्लेजिया या फालिज के नाम से जाना जाता है।
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अगर आसान शब्दों में कहा जाये तो व्यक्ति को लकवा तब मारता है जब उस व्यक्ति के मस्तिष्क के किसी हिस्से में अचानक से रक्त की आपूर्ति होना रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है तो मस्तिष्क की कुछ कोशिकाएं तुरंत ही मर जाती हैं और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आसपास की जगह पर खून भर जाता है जिससे बाकी की कोशिकाओं के मरने का भी खतरा हो जाता है।
आप जानते हैं कि जब किसी व्यक्ति के ह्रदय में रक्त की आपूर्ति होना बंद हो जाती है या रुक जाती है तो उस व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ जाता है ठीक उसी तरह जब किसी व्यक्ति के मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति रुक जाती है जा रक्त की कोई नस फट जाती है तो उस व्यक्ति को मस्तिष्क का दौरा पड़ता है। यह व्यक्ति के शरीर के एक हिस्से जैसे- चेहरे, बाजू या एक पैर में होता है जिसकी वजह से उसके पूरे शरीर में दुर्बलता आ जाती है।
पैरालिसिस (लकवा) के लक्षण-Paralysis Symptoms In Hindi
1. कमजोरी आना : इस रोग के होने पर व्यक्ति को खाने-पीने में बहुत परेशानी होती है जिसकी वजह से वह भूखा रहता है। जब किसी व्यक्ति को फालिज की समस्या हो जाती है तो उस व्यक्ति की मस्तिष्क की नस फट जाती है जिसकी वजह से उसकी दिमाग की बाकी की नसें भी फटने लगती हैं जिसकी वजह से उसे कमजोर हो जाती है।
2. सिरदर्द होना : जब किसी व्यक्ति के दिमाग की कुछ नसें दबाव की वजह से फट जाती हैं तो उनसे निकलने वाला खून बाकि की कोशिकाओं को नष्ट या खत्म करने लगता है जिसकी वजह से उसके सिर में दर्द होने लगता है जो असहनीय होता है।
3. अंग काम न करना : जिस व्यक्ति को फालिज रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति के शरीर का एक हिस्सा काम नहीं करता है। व्यक्ति अपने उस हिस्से को बहुत कोशिश करने के बाद भी हिला नहीं पाता है क्योंकि उस हिस्से की कोशिकाएं मर जाती हैं।
4. मांसपेशियां कमजोर होना : जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति के शरीर के लकवे वाले हिस्से की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं जिसका एक कारण पोषण का न मिलना होता है लेकिन मांसपेशियों के कमजोर होने के बहुत से कारण होते हैं।
पैरालिसिस (लकवा) के कारण-Paralysis Causes In Hindi
1. उच्च रक्तचाप से : आपने देखा होगा कि कई बार व्यक्ति अधिक चिंता करता है या अचानक से उसे कोई सदमा लग जाता है तो उस व्यक्ति को लकवा मार जाता है क्योंकि जब कोई घटना होती है तो उससे दिमांग पर इस घटना का सीधा असर पड़ता है जिसकी वजह से तंत्रिका तंत्र नष्ट हो जाता है और व्यक्ति लकवे का शिकार हो जाता है।
2. ह्रदय रोगों से : जब किसी व्यक्ति को ह्रदय रोग रहते हैं तो ह्रदय रोगों की वजह से उसका शरीर बहुत से रोगों से ग्रस्त हो जाता है। जब किसी व्यक्ति को ह्रदय का कोई रोग हो जाता है जिसकी वजह से उसे दिल का दौरा या अन्य कोई समस्या होती है जिसकी वजह से उसके शरीर का तंत्रिका तंत्र नष्ट हो जाता है तब भी यह रोग हो सकता है।
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3. मधुमेह से : अगर किसी व्यक्ति को मधुमेह की समस्या होती है और उस व्यक्ति का मधुमेह का स्तर बढ़ या कम हो जाता है तो उस व्यक्ति को बहुत सी परेशानियाँ होती हैं जिनमें उसके शरीर का आधा हिस्सा लकवे से ग्रस्त हो जाता है।
4. धुम्रपान करने से : अगर आप धुम्रपान या नशीली चीजों का अधिक सेवन करते हैं तब भी आपको लकवे का रोग हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति बहुत अधिक नशीली दवाईयों का सेवन करता है तब भी वह इस रोग से ग्रस्त हो सकता है।
5. गर्भावस्था में संक्रमण से : जब किसी औरत को गर्भावस्था के समय किसी तरह का संक्रमण हो जाता है तो यह संक्रमण भ्रूण के विकसित होते ही तंत्रिका तंत्र को बहुत नुकसान पहुंचाता है जिसकी वजह से बच्चे और मान दोनों को लकवा मारने का खतरा बढ़ जाता है।
6. असमय जन्म से : जब किसी बच्चे क अजन्म से पहले या असमी जन्म हो जाता है तो उस बच्चे का दिमाग या मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो सकता है अगर आंतरिक रक्तस्त्राव होता है। जब बच्चे के खून में बिलीरुबिन की मात्रा हो जाती है तो उसे पीलिया हो जाता है जिसकी वजह से भी बच्चे को फालिज मार सकती है।
7. रक्त न मिलने से : जब किसी व्यक्ति के मस्तिष्क की धमनी की किसी तरह की रुकावट की वजह से उसके जिस भाग तक खून नहीं पहुंच पाता है मस्तिष्क का वह भाग निष्क्रिय हो जाता है जिसकी वजह से फालिज मार सकती है क्योंकि मस्तिष्क की इंद्रियां हमारे शरीर को संचालित करने का काम करती हैं जो हमारे शरीर के विभिन्न भागों से जुडी होकर उन्हें कंट्रोल करती हैं।
8. चोट से : अगर चोट लगने की वजह से किसी व्यक्ति के दिमाग का कोई भाग प्रभावित हो जता है तो वह जिन अंगों से जुड़ा होता है उन्हें काम करने या हिलने का संदेश नहीं भेज पाता है जिसकी वजह से उस भाग में फालिज हो जाती है।
पैरालिसिस (लकवा) का इलाज-Paralysis Treatment In Hindi
1. लहसुन के सेवन से पैरालिसिस का इलाज :
अगर आपको शरीर के किसी भाग में फालिज मार गई है तो आप लहसुन की चार या पांच कलियाँ लें और इन्हें मक्खन के साथ मिलाकर इनका सेवन दिन में दो बार करें क्योंकि लहसुन खून को संचालित करने में मदद करता है इसके अतिरिक्त आप लहसुन की कलियों को दूध में मिलाकर भी पी सकते हैं।
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2. नींबू के सेवन से पैरालिसिस का इलाज :
अगर आप फालिज से ग्रस्त हैं तो आप नींबू के रस को पानी में मिलाकर उसका थोडा-थोडा करके सेवन करना चाहिए क्योंकि इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी लेकिन एनिमा की सहायता से रोगी को अपने पेट को साफ करते रहना चाहिए ताकि उसका पूरा शरीर साफ हो सके।
3. हींग के काढ़े के सेवन से पैरालिसिस का इलाज :
अगर आपको फालिज मार गई है तो आप हींग के काढ़े का सेवन कर सकते हैं लेकिन हींग का काढ़ा बनाने के लिए सबसे पहले आप उड़द, कौंच के बीज, एरंड की जड़, बला, हींग और सेंधा नमक को एक समान मात्रा में लें और इसे पानी में डालकर उबालें। इसे तब तक उबालें जब तक पानी आधा न रह जाए। काढ़ा बनने के बाद इससे गर्म-गर्म ही पी जाएँ इससे आपकी फालिज की समस्या ठीक हो जाएगी।
4. मुलेठी के सेवन से पैरालिसिस का इलाज :
जब किसी व्यक्ति को यह समस्या हो जाती है तो आप मुलेठी का सेवन कर सकते हैं क्योंकि यह मांसपेशियों की कमजोरी को कम करती है। यह हमारे होर्मोनस को प्रेरणा देता है जो शरीर द्वारा उत्पादित होते हैं और व्यक्ति को बहुत अधिक ऊर्जा देते हैं। आप मुलेठी का प्रतिदिन सेवन करके इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
5. काली मिर्च के सेवन से पैरालिसिस का इलाज :
अगर आपको शरीर के किसी भाग में लकवा मार गया है तो आप काली मिर्च पीसकर उसे देशी घी में मिलकर उसका पेस्ट उस भाग पर लगाकर मालिश करें इससे लकवाग्रस्त संग फिर से काम करने लगेगा और आप इस रोग से छुटकारा पा सकेंगे।
पैरालिसिस (लकवा) से बचाव के उपाय-Prevention of Paralysis In Hindi
- 1. रोगी को रात के समय सोने से पहले थोडा सा पानी या गर्मियों के समय में कुछ ग्लास पानी पीकर अपने शरीर के जलस्तर को बनाए रखना चाहिए।
- 2. रोगी को आधी नींद में या गहरी नींद से अचानक नहीं उठाना चाहिए उसे अपनी नींद को पूरा करना चाहिए।
- 3. रोगी को ऐसे व्यायाम करने चाहिए जिनमें खिंचाव हो क्योंकि इससे उनकी मांसपेशियों को बहुत आराम मिलता है।
- 4. रोगी को जितना हो सके शांत रहना चाहिए किसी भी तरह का तनाव नहीं लेना चाहिए।
- 5. रोगी को ऐसे भोजन का सेवन करना चाहिए जिससे उसके शरीर का रक्तचाप और कोलेस्ट्रोल बढ़ता हो।
- 6. रोगी को स्नान करने के लिए ठंडे पानी की जगह पर गर्म पानी का प्रयोग करना चाहिए।
- 7. नहाने के बाद रोगी को अपने शरीर को मुलायम रुएंदार तौलिये से अपने शरीर को पोंछना चाहिए।
- 8. रोगी को जितना हो सके पानी का करना चाहिए ताकि शरीर में पानी की कमी न हो सके।
पैरालिसिस (लकवा) में क्या खाएं-Eat In Paralysis In Hindi
- 1. रोगी को केला, अंजीर, सीताफल, नाशपाती, पपीता, संतरा, आम, आडू, खुबानी, आलूबुखारा, कीवी, खरबूजा, सेब, अंगूर, स्ट्रोबेरी, एवोकाडो, आदि फलों का सेवन करना चाहिए।
- 2. रोगी को परवल, लौकी, तुरई, करेला, बैंगन, अदरक, लहसुन, टिंडे, प्याज, बथुआ, मेथी, पालक, शकरकंद, मशरूम, गाजर, ब्रोकली, फूलगोभी, पत्तागोभी, कद्दू, टमाटर, सरसों, शलजम, फलियाँ, आलू, आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- 3. रोगी को ब्लैक टी, कद्दू के बीजों का तेल, दूध, दही, छाछ, मक्खन, आदि तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- 4. रोगी को अखरोट, किशमिश, मूंगफली, बादाम, काजू, पिस्ता, छुआरा, आदि मेवों का सेवन करना चाहिए।
- 5. रोगी को चोकर युक्त आटे, पुराने चावल, चना, दलिया, बाजरा, उड़द, मुंग की दाल आदि अनाजों का सेवन करना चाहिए।
- 6. रोगी को मांस, मछली, अंडा, चिकन, छीगा, आदि मांसाहारी भोजन का सेवन करना चाहिए।
- 7. इसके अतिरिक्त रोगी को टोफू, पनीर, हरी सोयाबीन, छोले की चटनी, काली बीन, अलसी के बीज, सोंठ मिला गुड, खमीर, आदि का सेवन करना चाहिए।
पैरालिसिस (लकवा) में क्या न खाएं-Do Not Eat In Paralysis In Hindi
- जिस रोगी को यह रोग हो जाए उसे नमक, आलू की चिप्स, सॉस, सोया सॉस, आचार, जैतून, नमकीन, बिस्कुट, पॉपकॉर्न, पिज्जा, सूप, हैम्बर्गर, चीनी, शहद, सिरप, जैम, जैली, आइसक्रीम, कैंडी, कुकीज, सॉफ्ट ड्रिंक, पुडिंग, केक, पेस्ट्री, नया चावल, बेसन, अमचूर, खटाई, भिंडी, रतालू, मटर, अरबी, आदि के सेवन से बचना चाहिए।