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शेर और चूहे की कहानी
एक बार एक जंगल में एक शेर था और वह सोया हुआ था । पास ही एक चूहा रहता था । वह अपने बिल में से बहार आया । वह शेर के ऊपर उछल कूद करने लगा । शेर जाग गया । उसने चूहे को पकड़ लिया । चूहे ने दया की भीख मांगी । शेर को उस पर दया आ गयी । उसने उसे छोड़ दिया।
एक दिन जंगल में एक शिकारी आया । उसने आपना जाल बिछाया । वही शेर इसमें फस गया । वह दहाड़ने लगा । चूहे ने उसकी दहाड़ें सुनी । वह बहार आया । उसने जाल को काट दिया । शेर स्वतंत्र हो गया । उसने चूहे का धन्यबाद किया।
शिक्षा : कर भला, हो भला ।
खरगोश और कछुआ की कहानी
एक बार एक खरगोश था । वह एक जंगल में रहता था । वहां एक कछुआ भी था । वे मित्र बन गए । एक दिन खरगोश कछुए पर हंसा । उसने कहा की कछुआ बहुत धीमा चलता है । कछुआ इस अपमान को सहन न कर सका । उसने खरगोश से कहा की वे एक दौड़ दौड़ें ।
एक लक्ष्य निश्चित कर लिया गया । दौड़ आरम्भ हुई । खरगोश बहुत तेज भागा । वह बहुत आगे गया । उसने आराम करने कि सोची । वह सो गया कछुआ धीरे-धीरे चला । मगर वह आगे बढ़ता गया । वह रुका नहीं । वह खरगोश के पास से गुजरा । खरगोश सो रहा था । कछुआ लक्ष्य पर पंहुचा गया । कुछ देर बाद खरगोश जागा और वह तेज भागा । मगर कछुआ दौड़ जीत चुका था ।
शिक्षा : सहज पके सो मीठा होए ।
भेड़िया और मैमना की कहानी :
एक बार एक भेड़िया था । उसे प्यास लगी । वह एक नदी पर गया । उसने पानी पीना आरम्भ कर दिया । उसने एक मेमना देखा । वह भी पानी पी रहा था । वह नीचे की तरफ था । भेडिये के मुहं में पानी आ गया । वह मेमने को खाना चाहता था । उसने मेमने से कहा कि तुम पानी को गंदा क्यों कर रहे हो ? मेमने ने उत्तर दिया , ” श्रीमान पानी आपकी तरफ से मेरी तरफ आ रहा है मैं इसे गंदा कैसे कर सकता हूँ ।
अब भेडिये ने कहा की तुमने मुझे पिछले साल गाली क्यूँ की दी थी ? ” भेडिये ने कहा, ” पिछले साल तो मैं पैदा भी नहीं हुआ था । इस पर भेडिये ने फिर कहा कि तो वह तुम्हारी माँ होगी ।’ यह कहकर उसने मेमने को मार दिया । तब वह उसे खा गया ।
शिक्षा : जिसकी लाठी उसकी भैंस ।
दो मित्र और भालू की कहानी
मोहन और सोहन दो मित्र थे । मोहन एक अच्छा मित्र था । परन्तु सोहन स्वार्थी था । एक दिन वे जंगल मैं से गुजरे । उन्होंने एक रीछ देखा । वे डर गये । सोहन तुरंत एक व्रक्ष पर चढ़ गया । उसने मोहन की परवाह नही की । मोहन भूमि पर लेट गया । उसने अपना सांस रोक लिया रीछ ने आकर उसे सूंघा। उसने सोचा की मोहन मरा हुआ है । वह वहां से चला गया । सोहन नीचे उतरा । उसने मोहन के पास जाकर पूछा , ” रीछ ने तुम्हारे कान मैं क्या कहा ? ” मोहन ने उत्तर दिया, ” रीछ ने मुझे उदेश दिया कि झूठे मित्रों से सावधान रहो । ”
शिक्षा : स्वार्थी मित्रों से सावधान रहो ।
छिपे खजाने की कहानी
एक बार एक बूढा किशान था । उसके चार पुत्र थे ।वे बहुत सुस्त थे । वे कुछ भी नहीं करते थे । वे सदा लड़ते रहते थे । एक दिन किसान बीमार पड़ गया । वह जनता था कि उसका अंत निकट है । उसने अपने पुत्रों को बुलाया । उसने
कहा,” हमारे खेत में एक खजाना है । इसे मेरी मोत के बाद निकाल लेना ।” तब किसान मर गया ।
पुत्र खेत में गए । उन्होंने सारा खेत खोद दिया । मगर वहां खजाना नहीं था । एक अक्लमंद व्यक्ति ने उन्हें गेहूं बोने की सलाह दी । उन्होंने गेहूं बो दिया । उनकी फसल बहुत अच्छी हुई । उन्होंने परिश्रम की कीमत जान ली । उन्होंने
मेहनत करनी आरंभ कर दी ।
शिक्षा : सेवा बिना , मेवा नहीं ।
भगवान मक़सद और लकड़ी का कवच
एक बार एक गरीब लकडहारा था । एक दिन वह एक नदी के किनारे एक वृक्ष को कट रहा था । उसका कुल्हाड़ा नदी में गिर गया । वह उदास हो गया ।
मरकरी देवता प्रकट हुए । उसने लकडहारे से पूछा की वह उदास क्यों हैं । लकडहारे ने कहा की उसका कुल्हाडा नदी में गिर गया है । मरकरी देवता ने डुबकी लगाई । वह एक सोने का कुल्हाडा निकाल लाया । मगर लकडहारे ने कहा
,”यह मेरा नहीं है ।” देवता ने फिर डुबकी लगाई । वह चांदी का कुल्हाडा निकालकर लाया । मगर लकडहारे ने कहा ,” यह मेरा नहीं है ।”
अंत में देवता लोहे का कुल्हाडा निकालकर लाया । लकडहारा प्रसन्न हो गया । उसने कहा ,” यह कुल्हाडा मेरा है ।” देवता उसकी ईमानदारी पर प्रसन्न हो गया । उसने उसे तीनों कुल्हाड़े दे दिए ।
शिक्षा : ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है ।
एक अच्छा कार्य करने के बाद एक और करना चाहिए
एक बार एक मधुमक्खी थी । उसे प्यास लगी । वह नदी पर गई । वह पानी में गिर गई । वह मरने वाली थी ।एक फाख्ता ने उसे देखा । उसने एक पत्ता तोडा । उसने पत्ते को पानी में डाल दिया ।मधुमक्खी इस पर चढ़ गई ।उसकी जान बच गई ।वह उड़ गई । कुछ दिन बीत गए । एक शिकारी आया । उसने फाख्ता को देखा । उसने फाख्ता पर निशाना साधा । मधुमक्खी ने यह सब देखा । उसने शिकारी को कट लिया । उसकी बंदूक गिर गई । फाख्ता उड़ गई । उसने मधुमक्खी का धन्यवाद किया ।
शिक्षा : कर भला , हो भला ।
एकता में अटूट शक्ति
एक बार एक किसान था । उसके चार पुत्र थे । वे सदा एक -दुसरे के साथ झगड़ते रहते थे । किसान बड़ा दुखी था । उसने उन्हें झगड़ा न करने की शिक्षा दी , परंतु व्यर्थ । एक दिन किसान बीमार हो गया ।वह जनता था कि उसका अंत निकट है । उसने अपने पुत्रों को बुलाया । उसने उन्हें लकड़ियों का एक गठ्ठा दिया । उसने उन्हें इसको तोड़ने के लिए कहा । परन्तु वे इसे तोड़ न सके । तब गठ्ठे को खोल
दिया गया ।किसान ने अपने पुत्रों को कहा कि वे एक -एक लकड़ी को तोड़ें । प्रत्येक पुत्र ने लडकियों को तोड़ दिया । पिता ने कहा ,” लकड़ी के गठ्ठे की भांति मिलकर रहो ।यदि मिलकर रहोगे तो तुम्हे कोई हानि नहीं पंहुचा पायेगा ।”
पुत्रों ने शिक्षा प्राप्त की । वे फिर कभी नहीं झगडे ।
शिक्षा : एकता में बल है ।
लोमड़ी और कौए की कहानी
एक बार एक लोमड़ी थी । वह बहुत भूखी थी । वह भोजन की खोज में इधर – उधर घुमती रही । परंतु उसे कहीं भी भोजन न मिल पाया । अंत में वह एक बाग में पहुंची । वहां उसने एक कोआ देखा जो पेड़ पर बेठा था । कोए की चोंच में पनीर का एक टुकड़ा था ।
लोमड़ी बहुत चालाक थी । वह कोए की प्रशंसा करने लगी । उसने कहा ,’कोए मिया ! आप बहुत सुंदर हैं ।आपकी आवाज बहुत मीठी है । कृप्या, मुझे गीत सुनाइए ।” कोआ उसकी बातों में आ गया । उसने गीत गाने के लिए चोंच खोली।पनीर का टुकड़ा नीचे गिर पड़ा । लोमड़ी ने उसे खा लिया और चली गई ।
शिक्षा : चापलूसों से सावधान रहो ।
भेड़ चराने वाला झूठा लड़का और भेड़िया
एक बार एक गडरिया लड़का था । वह गाँव के बाहर अपनी भेड़ें चराता था । पास ही एक जंगल था ।
एक दिन गडरिया लड़का अपनी भेड़ें चारा रहा था । उसने गाँव वालो का मजाक उड़ाने की सोची । उसने चिल्लाना आरम्भ कर दिया ,”भेड़िया , भेड़िया ! आओ और मुझे बचाओ ।” गाँव के लोग भागे आए । पर वहां कोई भेड़िया नही था उसने कहा की यह तो मजाक था । गाँव वाले बहुत नाराज हुए । वे चले गए । एक दिन एक भेड़िया सच में आ गया । गडरिया लड़का सहायता के लिए चिल्लाया । मगर गाँव वालों ने सोचा कि वह मजाक कर रहा है । वे नहीं आए ।भेडिये ने बहुत सी भेड़ें मार दी । उसने लड़के को घायल कर दिया । लड़के ने सबक सीख लिया ।उसने उसके बाद झूठ नहीं बोला ।
शिक्षा : कभी झूठ मत बोलो ।
लालची कुत्ते की कहानी
एक कुत्ता बहुत भूखा था । वह इधर – उधर घूमता रहा । परंतु उसे भोजन कहीं भी न मिला । उसने मास की दुकान से मास का एक टुकड़ा चुराया ।वह उसे अकेले में खाना चाहता था । इसलिए वह जंगल की ओर गया ।
रस्ते में एक नदी थी । वह पुल पर गया । उसे पानी में अपनी परछाई दिखाई दी । उसने सोचा की यह कोई और कुत्ता है । उस कुत्ते के मुहं में भी मास का टुकड़ा था । कुत्ता लालची था । वह उस टुकड़े को भी प्राप्त करना चाहता था
। इसलिए वह उस पर भोंकने लगा । उसका अपना मांस का टुकड़ा पानी में जा गिरा । वह बहुत उदास हो गया । अब बहुत देर हो गई थी ।
शिक्षा : लालच बुरी बला है ।
एक लोमड़ी और एक बकरी की कहानी
एक बार एक लोमड़ी था । वह बहुत प्यासी था । वह एक कुए पर गयी। उसने पानी पीने का प्रयत्न किया । दुर्भाग्यवश वह कुए में गिर गयी । वह उदास हो गयी । एक बकरी वहां आई । उसने कुए में देखा । लोमड़ी ने उससे कहा ,”पानी ठंडा और मीठा है ।कृपया अन्दर आ जाओ ।” बेवकूफ बकरी ने उस पर विश्वास किया । उसने कुए में छलांग लगा दी । लोमड़ी बकरी के ऊपर चढ़ गयी । वह कुएं
से बहार आ गयी ।बकरी मर गई ।
शिक्षा : देखभाल कर काम करो ।
टोपी-विक्रेता और बंदर की कहानी
एक बार एक टोपी बेचने वाला था । उसके पास टोपियों का एक बंडल था । वह एक गाँव को जा रहा था । रास्ते में एक जंगल था । गर्मी का मोसम था । वह आराम करना चाहता था ।वह एक वृक्ष के नीचे लेट गया । वह सो गया ।
वृक्ष पर कुछ बन्दर थे ।वे नीचे आ गए । टोपी बेचने वाला जागा । उसने अपनी टोपीयों को गायब पाया । उसने ऊपर देखा । उसने बन्दर देखे । टोपियाँ उनके सिरों पर थीं । टोपी बेचने वालो को एक तरकीब सूझी । उसने अपनी टोपी
फेंक दी । टोपी बेचने वाले को अपनी टोपियाँ मिल गई । वह चला गया ।
शिक्षा : कठिनाई में आशा मत त्यागो ।
मुर्गी और सोने के अंडे की कहानी
एक बार एक किसान था । उसके पास एक अद्दभुत मुर्गी थी । यह रोज सोने का एक अंडा देती थी । शीघ्र ही किसान अमीर हो गया । किसान बहुत लालची था । उसने सोचा की मुर्गी के अंदर बहुत – से अंडे हैं । वह सारे अंडे एक बार
में ही लेना चाहता था । उसे एक तरकीब सूझी । उसने मुर्गी को मार दिया । मगर मुर्गी के अंदर कोई अंडा नहीं था । किसान उदास हो गया । मगर अब तो बहुत देर हो चुकी थी । उसकी मुर्गी मर चुकी थी ।
शिक्षा : लालच बुरी बाला है ।
एक हाथी और एक दर्जी
एक बार एक हाथी था । वह प्रतिदिन नदी पर जाता था । वह नदी में नहाता था । रस्ते में एक दर्जी की दुकान थी । दर्जी रोज हाथी को केले देता था । वे मित्र बन गए ।
एक दिन दर्जी गुस्से में था । हाथी आया । दर्जी ने उसका स्वागत नहीं किया । हठी ने अपनी सूंड दुकान में डाली । दर्जी ने उसकी सुन्द में सुई चुभो दी । हाथी को गुस्सा आया । मगर वह चला गया ।
हाथी नदी पर गया । उसने अपनी सूंड गंदे पानी से भर ली ।वह वापिस आया । उसने गन्दा पानी दुकान में फेंक दिया । दर्जी के नए कपडे ख़राब हो गए । दर्जी उदास हो गया ।
शिक्षा : जेसे को तेसा ।
जहां चाह, वहां राह
गर्मी का मौसम था । बहुत गर्मी थी । एक कोआ बहुत प्यासा था । वह पानी की तलास में इधर – उधर उड़ता रहा । मगर उसे पानी कहीं नहीं मिला । वह एक बाग में पंहुचा ।
कोए ने पानी का एक मटका देखा । मगर पानी बहुत नीचे था । उसकी चोंच वहां तक नहीं पहुँच सकती थी । उसने मटके के पास कुछ कंकड़ देखे । कोए को एक योजना सूझी । उसने एक -एक करके कंकड़ उठाए । उसने उन्हें मटके में
डाला । पानी ऊपर आ गया । उसने पानी पिया और उड़ गया ।
शिक्षा : जहाँ चाह , वहां राह ।
अंगूर और लोमड़ी की कहानी
एक बार एक लोमड़ी थी । वह बहुत भूखी थी । वह भोजन की खोज में इधर-उधर घुमती रही । परन्तु उसे कहीं भी भोजन न मिला । अंत में वह एक बाग में पहुची । वहां उसने पके हुए अंगूर देखे । उसके मुंह में पानी आ गया । वह
उन्हें खाना चाहती थी ।
अंगूर बहुत ऊँचे थे । लोमड़ी बार – बार उछली । परन्तु वह उन तक न पहुंच सकी । सीघ्र ही वह थक गई । “ये अंगूर खट्टे हैं । मैं इन्हें नहीं खाऊँगी। ” ये शब्द कहते हुए वह वहां से चली गई ।
शिक्षा : हाथ न पहुंचे , थू कोडी अथवा अंगूर खट्टे हैं ।
निरर्थक बारहसिंगा की कहानी
एक बारहसिंगा था । उसे प्यास लगी । वह एक तालाब पर गया। उसने पानी में अपनी परछाई देखी । उसने अपने सिंग देखे । वे सुंदर थे । वह प्रसन्न हो गया ।तब उसने अपनी टांगे देखी । ये भद्दी थी । उसे अपनी टैंगो से नफरत हुई ।
उसी समय उसने कुछ शिकारी कुत्ते देखे । वह तेज भगा । शिकारी कुत्ते उसके पीछे भागे । अचानक उसके सींग झड़ी में फंस गए । वह उन्हें छुड़ा न सका । शिकारी कुत्ते आ गए । उन्होंने उसे पकड़ लिया । उन्होंने उसे मर डाला ।
उसकी भद्दी टांगों ने उसे बचाने का प्रयत्न किया । मगर उसके सुंदर सींगों ने उसे मरवा दिया ।
शिक्षा :अभिमान का सिर नीचा ।
ऊंट और सियार की कहानी
एक बार एक ऊंट और एक गीदड़ थे । वे मित्र थे । एक दिन वे खरबूजों के खेत में गए । यह नदी के पर था ।
उन्होंने खरबूजे खाने आरंभ कर दिए । गीदड़ सीघ्र ही संतुष्ट हो गया । उसने चीखना आरंभ कर दिया । ऊंट ने उससे कहा की ऐसा न करे । मगर गीदड़ ने कहा,” यह मेरी आदत है । मैं भोजन के बाद चीखता हूँ । ”
किसान ने चीखने की आवाज सुनी । वह भाग आया। उसने ऊंट को पीटा । वे वापस नदी पर आए । ऊंट ने गीदड़ को अपनी पीठ पर उठा रखा था । जब वी नदी के मध्य में पहुंचे तो ऊंट ने लुढ़कना आरंम्भ कर दिया । गीदड़ ने उससे
प्रार्थना की कि वह न लुढ़के । मगर ऊंट ने कहा ,”यह मेरी आदत है । मैं भोजन के बाद लुढ़कता हूँ । ”
ऊंट पानी में लुढ़का । गीदड़ पानी में गिरा और मर गया ।
शिक्षा : जेसा करोगे , वैसा भरोगे ।
दो मुर्ख बकरियों की कहानी
एक नदी थी । उस पर एक पुल था । पुल बहुत तंग था । एक बार में उस पर से केवल एक ही जानवर गुजर सकता था ।
एक बार एक बकरी पुल पर आई । दूसरी ओर से एक अन्य बकरी आई । दोनों ही नदी पार करना चाहती थी । वे पुल के मध्य में मिलीं । एक बकरी ने कहा ,” पहले मैं जाउंगी ।” दूसरी बकरी ने कहा ,”नहीं ,पहले मैं जाउंगी ।” वे
आपस में लड़ने लगीं । वे नदी में गिर गई । दोनों बकरिया मर गईं ।
शिक्षा : मुर्खता से विनाश होता है ।