तंत्रिका-दौब्रल्य-Neurasthenia In Hindi
दुनिया के सभी बच्चों में जन्म से ही सांसारिक वातावरण और परिस्थिति को समझने और उसके अनुकूल अपनी सहन शक्ति बनाने की शक्ति पाई जाती है। यह शक्ति उसे अपने माता-पिता के द्वारा जन्म से ही मिल जाती है।
इनमें से बहुत से ऐसे बच्चे होते हैं जिन्हें यह शक्ति कुछ अधिक मिल जाती है ऐसे बच्चे संसार के दूध, दर्द, कार्य, चिंता आदि को बहुत ही आसानी से बर्दास्त कर लेते हैं लेकिन जिन लोगों में यह शक्ति कम होती है वे शारीरिक और मानसिक किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं कर पाते हैं।
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ऐसे व्यक्ति की शारीरिक शक्ति कम होती है और उसमें बर्दास्त करने की क्षमता बिलकुल भी नहीं रहती है और वह संसार की खींचा-तानी में परेशान होकर रह जाता है। इस प्रकार जब किसी व्यक्ति में स्नायविक शक्ति कम होती है तो उसे न्यूरेस्थेनिया रोग हो जाता है।
तंत्रिका-दौब्रल्य के लक्षण-Neurasthenia Symptoms In Hindi
1. याददाश्त कमजोर होना : इस रोग के होने पर व्यक्ति की स्मरण शक्ति अधिक प्रभावित होती है जिसकी वजह से उसकी याददाश्त कमजोर होने लगती है। अगर उस व्यक्ति से कोई कुछ कह देता है तो वह छोटी-छोटी बातों को दिल से लगा लेता है।
2. चक्कर आना : अगर किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति को सिर में चक्कर आने लगते हैं जिसकी वजह से उसके सिर में दर्द होने लगता है। ऐसी स्थिति में जब वह भोजन करता है तो उसकी सिर की नसों पर दबाव पड़ता है जिसकी वजह से उसके सिर में दर्द बढ़ जाता है।
3. धुंधला दिखाई देना : इस रोग में व्यक्ति के सिर में बहुत अधिक दर्द होता है और जब वह अधिक देर तक बैठकर उठता है तो उसे चक्कर आने लगता हैं जिसकी वजह से कुछ समय के लिए उसकी आँखों के सामने अँधेरा छाने लगता है।
4. अपच होना : इस रोग के होने पर व्यक्ति के पाचन तंत्र में गडबडी हो जाती है जिसकी वजह से उस व्यक्ति को खाया गया खाना पचता नहीं है और उसे अपच की समस्या हो जाती है।
5. अनिंद्रा होना : अगर किसी व्यक्ति को यह रोग हो गया है तो उस व्यक्ति को किसी बात का ध्यान नहीं रहता है जिसकी वजह से अगर वह किसी बात को सोचने लगे तो उसे रात के समय सोने में भी परेशानी होती है क्योंकि वह उसी चीज के बारे में सोचता रहता है।
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6. एनीमिया होना : अगर किसी व्यक्ति को यह रोग हो गया है तो उस व्यक्ति को खाना ठीक से पच नहीं पाता है और उसका पाचन तंत्र भी ठीक तरह से काम नहीं करता है जिसकी वजह से उसके शरीर को काम करने के लिए उर्जा नहीं मिल पाती है जिसकी वजह से उनके शरीर में खून की कमी हो जाती है और कमजोरी भी हो जाती है।
तंत्रिका-दौब्रल्य के कारण-Neurasthenia Causes In Hindi
1. अजीर्ण से : अगर आपको किसी वजह से या किसी कारण से अजीर्ण की समस्या हो गई है तो यह आपके दिमाग या मस्तिष्क को अधिक प्रभावित करता है जिसकी वजह से व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होने लगती है और व्यक्ति को यह रोग हो जाता है।
2. शुक्र क्षय चिंतन से : अगर आपको शुक्र क्षय चिंतन समस्या की संभावना है या आपको यह समस्या हो गई है तो इससे भी व्यक्ति के दिमाग पर प्रभाव पड़ता है जिसकी वजह से भी व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो सकती है।
3. पोषण की कमी से : अगर आपके या किसी व्यक्ति के शरीर में पोषण की कमी हो जाती है तो इसकी वजह से उस व्यक्ति को बहुत सी समस्याएं होने लगती हैं। पोषण की कमी होने की वजह से दिमाग तक पोषण नहीं पहुंच पाता है जिसकी वजह से व्यक्ति को यह रोग हो सकता है।
4. शारीरिक श्रम से : जब कोई व्यक्ति दिन में बहुत अधिक काम कर लेता है जो उसकी शारीरिक क्षमता से कहीं अधिक होता है तो उसके शरीर के साथ-साथ उसके दिमाग पर भी प्रभाव पड़ता है जिसकी वजह से भी व्यक्ति को यह रोग हो सकता है।
तंत्रिका-दौब्रल्य का इलाज-Neurasthenia Treatment In Hindi
1. सौंफ के सेवन से इलाज :
अगर आपको यह रोग हो गया है तो आप सौंफ का सेवन कर सकते हैं लेकिन इसके लिए आप सबसे पहले सौंफ और मिश्री को एक समान मात्रा में लें। अब इन दोनों को पीसकर इनका चूर्ण बना लें।
अब इस चूर्ण को दो चम्मच की मात्रा में लेकर प्रतिदिन दिन में दो बार इसका सेवन करें इससे आपके दिमाग की कमजोरी या याददाश्त कमजोर होने की समस्या ठीक हो जाएगी।
2. खरबूजे के सेवन से इलाज :
अगर किसी व्यक्ति को उसकी याददाश्त कमजोर हों की समस्या हो गई है तो वह व्यक्ति खरबूजे का फल और उसके बीज दोनों का सेवन कर सकता है क्योंकि इनमें किसी भी व्यक्ति की स्मरण शक्ति बढ़ाने और शरीर को पोषण देने के गुण पाए जाते हैं।
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3. दूध के सेवन से इलाज :
अगर इस रोग से ग्रस्त होने वाला कोई आठ या नौ साल से नीचे का बच्चा है तो उस बच्चे को प्रतिदिन नियमित रूप से गाय का दूध पिलाना। अगर आप चाहें तो गाय के दूध में मक्खन या मिश्री डालकर भी उसके पिला सकते हैं इसे आपकी समस्या बिलकुल ठीक हो जाएगी।
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4. अश्वगंधा के सेवन से इलाज :
इस रोग के होने पर सबसे पहले आप अश्वगंधा, सतावर, बाहीपत्र, इसबगोल की भूसी, आदि को एक समान मात्रा में लें लेकिन तालमिश्री को इन सभी से एक चौथाई की अधिक मात्रा में लें।
अब इन सभी को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें और एक कांच की बोतल या शीशी में भर लें। अब इस चूर्ण को एक या आधा चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन दिन में दो बार पानी क साथ या दूध के साथ लें। इससे आपके दिमाग और शरीर में संचार शुरू होने लगेगा।
तंत्रिका-दौब्रल्य से बचाव के उपाय-Prevention of Neurasthenia In Hindi
- रोगी को सुबह के समय घास पर नंगे पैर चलना चाहिए।
- रोगी को अगर कोई थोड़ी दूर का काम है तो वाहन के स्थान पर पैदल चलकर जाना चाहिए।
- रोगी को जितना हो सके आराम करना चाहिए।
- रोगी को जितना हो सके तनाव से दूर रहकर मन को शांत रखना चाहिए।
तंत्रिका-दौब्रल्य में क्या खाएं-Eat In Neurasthenia In Hindi
- रोगी को खजूर, चुकंदर, खरबूज, सेब, लीची, आंवला, आदि फलों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को गुड, छोटी इलायची, काली मिर्च, सौंफ, मिश्री, आदि मसालों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को गाय का घी, शहद, दूध, मक्खन, चुकंदर का रस, आदि तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को अखरोट, बादाम, मुनक्का, आदि मेवों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को कद्दू, आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
तंत्रिका-दौब्रल्य में क्या न खाएं-Do Not Eat In Neurasthenia In Hindi
- जिन लोगों को यह रोग हो जाता है उन्हें शराब, सिगरेट, खटाई, आचार, आदि के सेवन से बचना चाहिए।