डिप्रेशन (अवसाद) क्या है-Depression In Hindi
डिप्रेशन यानि कि तनाव एक ऐसी समस्या हो सकती है जिसकी वजह से बहुत से रोग हो सकते हैं। यह कभी भी किसी एक वजह से नहीं होता है बल्कि कई वजहों से हो सकता है लेकिन यह जिस व्यक्ति को हो जाता है वह बहुत ही खतरनाक हो जाता है।
यह मानव जीवन को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचा सकता है। जो लोग डिप्रेशन से परेशान होते हैं उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक रिश्ते भी इससे प्रभावित होते हैं। तनाव की यह समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक देखी जाती है क्योंकि यह महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है।
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यह समस्या दिमाग में मौजूद कैमिकल्स की गडबडी की वजह से होती है। यह किसी भी व्यक्ति की वह मानसिक हालत होती है जिसमें उसकी पॉजिटिव सोचने और बेहतर रिजल्ट तक पहुचने की इंसान की शक्ति कम हो जाती है।
महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या उन्हीं के द्वारा हुई कुछ गलतियों की वजह से होती है। आज के समय में महिलाओं पर घर, परिवार, बच्चे और करियर के साथ-साथ बहुत सी अन्य जिम्मेदारियां भी होती हैं जिसकी वजह से वे इन्हें निभाते-निभाते तनाव महसूस करने लगती हैं जो धीरे-धीरे डिप्रेशन का ही रूप ले लेता है।
डिप्रेशन (अवसाद) के प्रकार-Depression Types In Hindi
1. मेजर डिप्रेशन : यह हर किसी को नहीं होती लेकिन यह समस्या उस व्यक्ति को जरुर हो जाती है जिसे किसी का साथ या आदत अचानक से खत्म हो जाती है। इसको इमोशनल डिसऑर्डर भी कहते हैं जहाँ पर ग्रस्त व्यक्ति खुदखुशी तक कर सकता है।
2. टिपिकल डिप्रेशन : यह एक ऐसा प्रकार का तनाव होता है जिसमें व्यक्ति न तो अपनी खुशियाँ किसी के साथ बाँट पाता है और न ही अपने गम। यह व्यक्ति किसी भी चीज का आनंद भी नहीं ले पाता है।
3. साइकॉटिक डिप्रेशन : इस तरह के तनाव में व्यक्ति को अनजान आवाजें सुनाई देने लगती हैं और वह चीजों की कल्पना करने लगता हैं और उसे लगता हैं कि वे सभी चीजें सच में हैं। ऐसा व्यक्ति शक या भ्रम का शिकार हो जाता है और कई बार तो ऐसा हो जाता है कि वह खुद अपने आप से बातें करने लगता है।
4. डिस्थायमिया : इस तरह के तनाव में व्यक्ति का जीवन सामान्य रूप से चलता रहता है लेकिन फिर भी व्यक्ति उदास रहता है। व्यक्ति को जीवन में खालीपन का एहसास होता है और वह सदैव असंतुष्ट रहता है।
5. पोस्टपॉर्टम : इस प्रकार का तनाव बहुत ही कॉमन होता है क्योंकि जब महिलाएं बच्चे को जन्म देती हैं तो डिप्रेशन उनके मन में घर कर लेता है।
6. मैनिया : इस तरह के तनाव में जब व्यक्ति की उम्मीद के हिसाब से परिणाम नहीं आते हैं तो उसे इस तरह की मायूसी घेर लेती हैं।
7. बाइपोलर डिसऑर्डर : इस तरह के तनाव को उन्मादी अवसाद से संबंधित बीमारी भी कहा जाता है। यह तव के दुसरे प्रकारों जैसा साधारण नहीं होता है। इस तनाव में रोगी का मन अचानक से तेज स्तर से निम्न स्तर तक बदल अत है।
8. सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर : इस तरह का तनाव ठंड के मौसम में होता है। इस मौसम में जब प्राकृतिक तौर पर सूर्य के प्रकाश की मात्रा कम मिलती है तब यह तनाव उत्पन्न होता है लेकिन गर्मियों के समय में यह तनाव कम हो जाता है।
डिप्रेशन (अवसाद) के लक्षण-Depression Symptoms In Hindi
1. थकान होना : इस रोग के होने पर व्यक्ति की एनर्जी में कमी हो जाती है जिसकी वजह से उसे थकान महसूस होने लगती है और वह आलसी हो जाता है। जब कोई व्यक्ति उदास होता है तो उसका कुछ भी करने का मन नहीं करता है लेकिन बिना कुछ करे ही उसे थकावट महसूस होने लगती है और उसे अपना शरीर भारी सा लगने लगता है।
2. अनिंद्रा होना : इस रोग के होने पर व्यक्ति को नींद ही नहीं आती है और व्यक्ति रात के समय उसकी नींद अचानक से खुल जाती है। जब यह समस्या दो या तीन सप्ताह तक बनी रहती है तो उस व्यक्ति को अवसाद रोग हो जाता है।
3. मानसिक विकार होना : जब कोई व्यक्ति मानसिक विकार का शिकार हो जाता है तो उस व्यक्ति को दुःख, गुस्सा, हताशा, चिंता, बैचेनी, अधिक रहती है जिसकी वजह से वह अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाता है और न ही कोई काम कर पाता है।
4. मन न लगना : इस रोग में व्यक्ति का किसी आनंद वाली चीज में भी खुशी नहीं मिल पाती है जिसकी वजह से उसका मन हमेशा रोने को करता है। इसमें व्यक्ति का मन किसी भी काम में नहीं लगता है जिसकी वजह से वह कभी खुश नहीं रह पाता है और उस व्यक्ति की खुशी और गम के बीच अंतर करने की क्षमता खत्म हो जाती है।
5. निर्णय न ले पाना : जब किसी व्यक्ति को अवसाद की समस्या हो जाती है तो उस व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता नष्ट हो जाती है जिसकी वजह से वह व्यक्ति काम के बारे में या अपने जीवन के बारे में किसी भी तरह का निर्णय नहीं ले पाता है।
6. नकारात्मक विचार आना : अगर किसी व्यक्ति को अवसाद की समस्या हो जाती है तो उस व्यक्ति का दिमाग सबसे अधिक प्रभावित होता है जिसकी वजह से उसे नकारात्मक विचार आते रहते हैं और जब यह स्थिति बढ़ जाती है तो व्यक्ति दूसरे लोगों के प्रति हीन भावना रखने लगता है।
7. उदासी छाना : इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति के आसपास चाहे कितना भी खुशनुमा माहौल हो या कोई हंसी-मजाक कर रहा हो तब भी ऐसे व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान नहीं होती है क्योंकि उसे अपने जीवन में कुछ भी मजा नहीं लगता है जिसकी वजह से वह व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।
8. चिडचिडापन आना : जब किसी व्यक्ति को मजाक में या सच में कही हुई बात या साथ अच्छा नहीं लगता है और उस व्यक्ति को हर किसी की छोटी-छोटी बात पर चिडचिडापन होता है और उस व्यक्ति का पूरा दिन खराब जाता है तो ऐसा व्यक्ति अवसाद का शिकार होता है।
9. अकेले रहना : जब किसी व्यक्ति को अवसाद की समस्या हो जाती है तो उसका स्वभाव चिडचिडा हो जाता है जिसकी वजह से उसके आसपास के लोग उससे दूर होने लगते हैं और वह अकेलेपन में खुश रहने लगता है लेकिन जब कोई उसके उससे बात करने के लिए सामने आता है तो वह उसके पास आने से खुश नहीं होता है।
10. भावनाओं में कमी आना : भावना एक ऐसी चीज होती है जो इंसान को सच्चे अर्थों में इंसान बनाती हैं लेकिन जब कोई व्यक्ति अवसाद का शिकार हो जाता है तो उस व्यक्ति में भावनाओं की कमी हो जाती है जिसकी वजह से वह सिर्फ अपने बारे में ही सोचता है।
11. वजन कम होना : जो व्यक्ति अवसाद का शिकार हो जाता है उस व्यती को यह पता नहीं चल पाता है कि उसका वजन कम हो गया है। इसमें व्यक्ति की भूख बहुत अधिक कम हो जाती है जिसकी वजह से व्यक्ति के शरीर में धीरे-धीरे कमजोरी होने लगती है और उसका वजन अपने आप घटने लगता है।
12. नशीले पदार्थों की लत लगना : आपने अक्सर देखा होगा कि जो लोग अवसाद या किसी तरह के दुःख में होते हैं वो अपने दुःख या गम को भुलाने के लिए शराब जैसी नशीली चीजों का सेवन करते हैं लेकिन इन्हीं नशीली चीजों की वजह से यह बीमारी जानलेवा भी हो जाती है।
13. साफ-सफाई न रखना : जिस व्यक्ति को यह रोग हो जाता है उस व्यक्ति का कुछ भी करने का मन नहीं करता है जिसकी वजह से उस व्यक्ति की इच्छा मरती जाती है और वह अपने कमरे तक की भी साफ-सफाई नहीं रखता है। ऐसा व्यक्ति अपना खुद का ध्यान रखना भी बंद कर देता है।
डिप्रेशन (अवसाद) के कारण-Depression Causes In Hindi
1. अनुवांशिकी से : हाल ही में किए गए एक प्रयोग के द्वारा यह पता लगाया गया है कि अगर आपके किसी परिवार के व्यक्ति को अवसाद की समस्या है तो आपको भी इस रोग के होने की संभावना हो सकती है क्योंकि आपको यह विरासत के रूप में भी मिल सकता है।
2. मन परिवर्तन से : अगर कोई व्यक्ति मानसिक स्थितियों में और समस्याओं की वजह से अपने मन को अधिक परिवर्तित करता है तो इससे भी व्यक्ति को अवसाद की समस्या हो सकती है लेकिन अगर आप एक और मानसिक समस्या का अनुभव करते हैं तो आप अवसाद के रोग से ग्रस्त हो जाते हैं।
3. होर्मोन परिवर्तन से : जब किसी व्यक्ति के शरीर में होर्मोन बदलते हैं या उनके संतुलन में परिवर्तन होता है तो इससे उनका संतुलन बिगड़ जाता है जिसकी वजह से अवसाद का रोग हो सकता है। होर्मोन परिवर्तन की समस्या अधिकतर महिलाओं में देखि जाती है जिसकी वजह से यह रोग महिलाओं में अधिक होता है।
4. मौसम में परिवर्तन से : जब बार-बार मौसम बदलता रहता है या मौसम बदलने के साथ किसी भी व्यक्ति के शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं जिसकी वजह से ये स्थितियां हमारे शरीर को और दिमाग को प्रभावित कर देती हैं जिससे भी अवसाद का रोग हो सकता है।
5. जीवन में बदलाव से : अगर आपके या आपके किसी संबंधी के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन होता है तो इसकी वजह से भी व्यक्ति अवसाद का शिकार हो सकता है क्योनी यह परिवर्तन उसके मस्तिष्क को बहुत अधिक प्रभावित करता है जिसकी वजह से इस रोग के होने की समस्या हो सकती है।
6. घटनाओं से : अगर किसी व्यक्ति के जीवन में ऐसी घटनाएँ अधिक होती हैं जो उनके मस्तिष्क को प्रभावित करें तो इससे उनके मस्तिष्क की कोशिकाएं कमजोर होने लगती हैं जिसकी वजह से भी अवसाद की समस्या के होने की संभावना बढ़ जाती है।
7. शारीरिक समस्याओं से : अगर किसी व्यक्ति के जीवन में शारीरिक समस्याएं जैसे- होर्मोन परिवर्तन, बीमारियाँ आदि हो रही हैं जिसकी वजह से उनका मस्तिष्क या तंत्रिका तंत्र प्रभावित हो रहा है तो इसकी वजह से भी व्यक्ति को अवसाद का रोग हो सकता है।
8. दवाईयों से : अगर आप किसी तरह की दवाई का सेवन करते हैं और वह दवाई आपके शरीर में पहुंचकर आपके शरीर को साइड इफ्फेक्ट पहुंचाती है तो इससे व्यक्ति के दिमाग की कोशिकाएं बुरी तरह से प्रभावित हो जाती हैं जिसकी वजह से भी अवसाद की समस्या हो सकती है।
डिप्रेशन (अवसाद) का इलाज-Depression Treatment In Hindi
1. सेब के सेवन से इलाज :
अगर आप अवसाद का शिकार हो गए हैं तो आप सेब का सेवन कर सकते हैं क्योंकि सेब शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर करने में मदद करता है। आप प्रतिदिन एक सेब का सेवन करके इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं क्योंकि इसमें ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो ग्लुटामिक एसिड का निर्माण करते हैं।
2. काजू के सेवन से इलाज :
अवसाद की समस्या होने पर आप काजू का सेवन कर सकते हैं क्योंकि काजू में विटामिन बी की मात्रा अधिक पाई जाती है जो स्वाद और तंत्रिका तंत्र को ठीक करने में मदद करता है। काजू का नियमित रूप से सेवन करके आप अपने शरीर को सक्रिय और ऊर्जा देने में मदद कर सकते हैं।
3. नींबू के सेवन से इलाज :
इस रोग से छुटकारा पाने के लिए आप सबसे पहले एक नींबू का रस लें, दो चम्मच हल्दी, एक या डेढ़ चम्मच शहद, और चाय या तीन कप पानी। अन इन्हें एक जगह में डालकर तब तक मिलाएं जब तक यह एक जैसा न दिखने लगे। अब इसे पी जाएँ इससे आपकी अवसाद की समस्या ठीक हो जाएगी।
4. टमाटर के सेवन से इलाज :
अवसाद होने पर आप टमाटर का सेवन करें क्योंकि टमाटर में फोलिक एसिड और अल्फा-लिपोइक एसिड पाए जाते हैं जो अवसाद को लड़ने में बहुत मदद करता हैं। आप प्रतिदिन टमाटर का सेवन करके इस रोग से छुटकारा पा सकते हैं।
5. केला के सेवन से इलाज :
आपने केले का नाम तो सुना ही होगा क्योंकि केला एक साल भर मिलने वाला फल है जिसमें ट्रीपटोफान प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो दिमागी हालत को सुधारने और आत्मविश्वास को बढ़ाने में बहुत मदद करता है। आप इसका सेवन करके इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
डिप्रेशन (अवसाद) से बचाव के उपाय-Prevention of Depression In Hindi
- रोगी को अवसाद से दूर रहने के लिए प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
- अगर रोगी का किसी भी जगह मन नहीं लग रहा है तो उसे संगीत सुनना चाहिए।
- अगर आप धार्मिक हैं तो आप धार्मिक ग्रन्थ जैसे- गीता या रामायण पढ़कर भी अपने मन को शांत कर सकते हैं।
- रोगी को रात के समय जल्दी सो जाना चाहिए और सुबह के समय जल्दी उठाना चाहिए।
- रोगी को शराब और सिगरेट का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये हमारे दिमाग को बहुत बुरी तरह से प्रभावित करती हैं।
- रोगी को अकेले न रहकर अपने दोस्तों के साथ बात करनी चाहिए।
- रोगी को ऐसे व्यक्ति से दूरी बनाकर रखनी चाहिए जिसकी सोच नकारात्मक हो।
- रोगी को अपने इतिहास यानि कि अपने पुराने जीवन के बारे में नहीं सोचना चाहिए।
डिप्रेशन (अवसाद) में क्या खाएं-Eat In Depression In Hindi
- रोगी को हल्दी, पुदीना, इलायची, काली मिर्च, दालचीनी, आदि मसालों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को बादाम, अखरोट, केसर, किशमिश, काजू आदि मेवों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को बींस, पालक, मटर, मेथी, टमाटर, अदरक, नींबू, ब्रोकली, अरबी, मूली, मेथी, करेला, ककड़ी, मशरूम, भिंडी, शकरकंद, पत्तागोभी, आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को जामुन, ब्लूबेरी, कीवी, संतरा, सेब, एवोकाडो, चुकंदर, अनानास, आम, केला, चेरी, आदि फलों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को दूध, दही, नारियल पानी, छाछ, केमोमाइल टी, गिलोय, ब्राह्मी तेल, इलायची का तेल, आदि तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को ओट्स, गेंहूँ, नट्स, कनोला, बाजरा, मूंग, मोठ, चना, राजमा, सोयाबीन, आदि अनाजों अक सेवन करना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त रोगी को शतावरी, अंडा, कैंडी, जटामांसी, शतावरी, मछली, मक्खन, अश्वगंधा, लाल गुलाब, टॉफी, कद्दू के बीज, आदि का सेवन करना चाहिए।
डिप्रेशन (अवसाद) में क्या न खाएं-Do Not Eat In Depression In Hindi
- अवसाद के रोगी को प्रोस्टेट मीट, चॉकलेट, कैफीन, निकोटिन, पिज्जा, बर्गर, शराब, चीनी, आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।