1. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी भारत के ही नहीं बल्कि समस्त संसार के महान पुरुष थे जिन्हें आज के इस युग की महान विभूति माना जाता है।
2. महात्मा गाँधी जी सत्य और अहिंसा के अनन्य पुजारी थे और अहिंसा के प्रयोग से उन्होंने सालों से गुलाम भारतवर्ष को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करवाया था।
3. भारत देश जब पराधीनता में फंसा हुआ था तब जनता का पतन और शोषण होता था और प्रगति में भी विराम चिन्ह लगा हुआ था जिससे ऐसी स्थिति में देश को एक जागरूक पथ-प्रदर्शक की बहुत अधिक आवश्यकता थी इसलिए गाँधी जी ने स्वतंत्रता आन्दोलन की बागडोर को अपने हाथों में लेकर सत्य और अहिंसा से देश को स्वतंत्र करने में अपने जीवन को लगा दिया था।
4. मोहनदास करमचंद गाँधी अथार्त महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था।
5. गाँधी जी के पिता का नाम करमचन्द गाँधी था जो राजकोट रियासत के दीवान थे और उनकी माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था जो सती-साध्वी और धार्मिक प्रवृत्ति की स्त्री थीं।
6. गाँधी का प्रारम्भिक जीवन राजकोट में बीता था क्योंकि गाँधी जी के पिता राजकोट में काम करते थे लेकिन गाँधी जी पर उनकी माता के संस्कारों का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा था।
7. गाँधी जी का परिवार विशुद्ध भारतीय हिंदू परिवार था जिसमें सदाचार को ही जीवन का परम मूल्य माना जाता था।
8. गाँधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर में हुई थी लेकिन गाँधी जी अपने सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे जिसके साथ-साथ वे अपने शिक्षकों का पूरा आदर करते थे।
9. गाँधी जी ने मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी जिसमें वे एक औसत विद्यार्थी थे हालाँकि उन्होंने कभी-कभी पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती हैं लेकिन गाँधी जी पढाई और खेल में तेज नहीं थे।
10. गाँधी जी शुरू से ही बहुत सत्यवादी और मेहनती थे क्योंकि गाँधी जी कभी कोई बात नहीं छिपाते थे जिसकी शिक्षा गाँधी जी की माता ने उन्हें बचपन से ही दी थी जिससे वे विद्यालय में भी एक विनम्र विद्यार्थी थे।
11. सन् 1887 में गाँधी जी ने बंबई यूनिवर्सिटी की मैट्रिक की परीक्षा को पास किया जिसके बाद भावनगर स्थित सामलदास कॉलेज में प्रवेश लिया लेकिन अचानक गुजराती भाषा से अंग्रेजी भाषा में आ जाने से गाँधी जी को व्याख्यानों को समझने में थोड़ी परेशानी होती थी।
12. महात्मा गाँधी जी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन वैष्णव परिवार में चीरफाड़ की इजाजत नहीं थी इसलिए गाँधी जी को गुजरात के किसी राजघराने में उच्च पद को प्राप्त करने की परम्परा को निभाना था तो उन्हें बैरिस्टर बनना पड़ेगा जिसकी वजह से गाँधी जी को इंग्लैण्ड जाना पड़ा था।
13. गाँधी जी जब 13 साल की उम्र के थे और स्कूल में पढ़ते थे तब उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा देवी जी से हुआ था।
14. जब गाँधी जी कानूनी शिक्षा ग्रहण करने के लिए विदेश गये थे तब वे एक बेटे के पिता बन चुके थे और इंग्लैण्ड में गाँधी जी ने अध्ययन के साथ-साथ पहली बार स्वतंत्र विश्व का अपनी खुली आँखों से दर्शन किया था।
15. महात्मा गाँधी जी ने विदेश जाने से पहले अपनी माता जी से यह वादा किया था कि वे इंग्लेंड जाकर मांस और मंदिरा का पान नहीं करेंगे इसलिए गाँधी जी ने अपनी माता को किया हुआ वादा बखूबी निभाया लेकिन शाकाहारी भोजन के लिए गाँधी जी को अनेक कष्टों का सामना करना पड़ा था।
16. जब गाँधी जी अपनी शिक्षा प्राप्त करके इंग्लैण्ड से भारत लौटे तो इसी बीच उनकी माँ का भी स्वर्गवास हो गया जिसका गाँधी जी पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा क्योंकि गाँधी जी अपनी माँ से बहुत प्यार करते थे और गाँधी जी के जीवन में दया, प्रेम, करुणा तथा ईश्वर के प्रति नि:स्वार्थ श्रद्धा की भावना माँ से ही पैदा हुई थी।
(और पढ़ें : राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध , Mahatma Gnadhi Essay For All Classes In Hindi)
17. जब गाँधी जी मुम्बई में वकालत कर रहे थे तो वहीं से उन्हें सन् 1893 में पोरबन्दर के एक केश अब्दुल्ला एण्ड कम्पनी के मुकदमे के सिलसिले में दक्षिणी अफ्रीका जाना पड़ा था जहाँ पर जाकर उन्हें पता चला था कि वहाँ पर जितने भी भारतवासी बसे हुए थे उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है इसलिए भारत में लौटने के बाद गाँधी जी ने सबसे पहले देश के किसान भाईयों को एकता की डोर में बांधकर लुटेरे जमींदारों और साहूकारों के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।
18. भारत देश के जमींदार अंग्रेजों के आदेशों का पालन करते थे जिसकी वजह से लोगों की जिन्दगी को देखकर गाँधी जी ने सन् 1918 में गुजरात के चम्पारन और खेडा गाँव के लोगों को इकट्ठा किया और गाँव के लोगों को सही दिशा में जाने और अपने देश की मर्यादा का पालन करने के लिए कहा।
19. गाँधी जी के द्वारा की गई रैली की वजह से ही लोगों में जागरूकता आने लगी और यहीं से देशव्यापी एकता की शुरुआत होने लगी और इसी बीच लोगों ने गाँधी जी को एक नया नाम दे दिया था बापू और बाद में इसी नाम से लोग गाँधी जी को पहचानने लगे।
20. गाँधी जी ने सबसे पहले खेडा और चंपारण में ही सत्याग्रह का प्रयोग किया था जिसमें गाँधी जी को बहुत सफलता मिली थी और यहीं पर गाँधी जी ने नेशनल नेटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना भी की थी।
21. सत्याग्रह के माध्यम से गाँधी जी ने भारतियों के अंदर आत्म-सम्मान की भावना को जाग्रत किया था लेकिन सन् 1906 में ट्रांसवाल कानून जैसा अपमान जनक काला कानून पास हो गया जिसका विरोध करने के लिए ही गाँधी जी ने सत्याग्रह आन्दोलन को चलाया था जिसमें उन्हें बखूबी सफलता प्राप्त हुई थी।
22. जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे तो उस समय भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन चल रहा था इसलिए सन् 1915 में गाँधी जी भारत लौटे थे लेकिन उन दिनों में गोपाल कृष्ण गोखले जी कांग्रेस के गणमान्य सदस्य थे इसलिए गोपाल कृष्ण गोखले जी की अपील पर गाँधी जी कांग्रेस में शामिल हुए और पूरे भारत का भ्रमण भी किया।
23. गाँधी जी ने जब देश की बागडोर को अपने हाथों में लिया तो देश में एक नए इतिहास का सूत्रपात हुआ था इसलिए गाँधी जी ने सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन की शुरुआत की लेकिन जब सन् 1928 में साइमन कमिशन भारत में आया था तो गाँधी जी ने उसका बहुत डटकर सामना किया।
24. गाँधी जी द्वारा सन् 1930 में चलाये गये नमक आन्दोलन और दांडी यात्रा ने अंग्रेजों को पूरी तरह से हिला दिया और कांग्रेस के सक्रिय सदस्य होने की वजह से गाँधी जी स्वतंत्रता आन्दोलन में कूद पड़े थे लेकिन उन दिनों में आन्दोलन की बागडोर तिलक जी के हाथ में थी इसलिए गाँधी जी ने उनके साथ मिलकर ही आन्दोलन को आगे बढ़ाया था।
25. सन् 1915 में गाँधी जी भारत लौटे तो उस समय अंग्रेज बहुत तेजी से भारत का दमन कर रहे थे जिसमें रोलैक्ट एक्ट जैसे काले कानून को भी लागू किया गया था जिसके लिए पंजाब के अमृतसर में 13 अप्रैल, 1919 के समय जलियावाला बाग के अंदर एक महासभा हो रही थी।
26. जलियावाला बाग चारों ओर से बंद है और सिर्फ एक ही गेट है जिससे अंदर या बाहर आया-जाया जा सकता है जिसका अंग्रेजों ने फायदा उठाया और विचार किया कि अगर कोई भगदड़ हुई तो लोग बाहर नहीं निकल पाएंगे इसलिए बाग के मेन गेट पर सिपाहियों को तैनात कर दिया गया और उसी समय अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने बिना किसी एलान के अपने सिपाहियों को बाग में बैठे हजारों लोगों के उपर गोलियां चलाने का आदेश दे दिया गया जिससे थोड़ी-सी देर में ही पूरा बाग लाशों से भर गया।
27. जब सन् 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ था तब उसने समुचित मानव जाति को लज्जित कर दिया था जिससे धीरे-धीरे अंग्रेजों का अत्याचार बढने लगा था यह वह युग था जब कुछ शिक्षित लोग ही कांग्रेस में थे, उस समय के प्रमुख नेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी थे लेकिन उस समय कांग्रेस पार्टी की स्थिति मजबूत नहीं थी।
28. द्वितीय विश्वयुद्ध का अंत सन् 1942 में हुआ था और जब अंग्रेज अपने दिए हुए वचन से पीछे हट रहे थे तो गाँधी जी ने “अंग्रेजो! भारत छोड़ो” का नारा लगाया जिसके साथ-साथ गाँधी जी ने यह कहा था कि यह मेरी अंतिम लड़ाई है जिसके लिए असंख्य भारतियों को जेलों में बंद कर दिया गया था।
29. गाँधी जी ने भी अपने साथियों के साथ आत्म समर्पण कर दिया जिसकी वजह से सारे देश में अशांति फ़ैल गयी थी जिससे अंग्रेजी सरकार घबरा गयी थी लेकिन गाँधी जी का सत्याग्रह आन्दोलन सुचारू रूप से चलता रहा क्योंकि गाँधी जी अपने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर डटे रहे थे।
30. जब सन् 1920 में तिलक जी का निधन हो गया था उसके बाद स्वतंत्रता आन्दोलन का पूरा भार गाँधी जी पर आ गया था जिसके बाद वे आन्दोलन का पूर्ण संचालन अहिंसा की नीतियों पर चलकर करने लगे थे और इसी समय पर उन्होंने देश में असहयोग आन्दोलन को चलाया था जिसमें हजारों की संख्या में वकील, शिक्षक, विद्यार्थी, व्यापारी शामिल हुए।
31. सन् 1929 में रावी नदी के किनारे पर कांग्रेस अधिवेशन हुआ था जिसमें गाँधी जी ने पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी जिसके बाद सन् 1930 में गाँधी जी ने नमक कानून का डटकर विरोध किया जिसमें 24 दिनों की यात्रा के बाद दांडी में गाँधी जी ने खुद अपने हाथों से नमक तैयार किया था।
32. नमक कानून तोड़ने की वजह से गाँधी जी के साथ बहुत से नेताओं को जेल में डाल दिया गया था जिससे मजबूर होकर गाँधी जी को समझौते के लिए इंग्लैण्ड बुलाया गया लेकिन इसके परिणाम कुछ नहीं निकले इसलिए गाँधी जी का आन्दोलन जारी रहा जिसके परिणाम स्वरूप गाँधी जी और भारत के अनेक क्रांतिकारी लोगों की वजह से भारत को अंत में 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
33. गाँधी जी ने भारत से छुआछूत को खत्म करने के लिए अनेक प्रयास किये, जिन लोगों को अछूत कहकर पुकारा जाता था गाँधी जी ने उन्हें हरिजन की संज्ञा दी थी जिसके साथ-साथ गाँधी जी ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके स्वदेशी वस्तुओं को प्रयोग करने पर अधिक बल दिया था और गाँधी जी ने खादी वस्त्रों के प्रसार के लिए भी अनेक प्रयास किये थे।
34. बहुत से लोग गाँधी जी की हिन्दू-मुस्लिम एकता की भावना के विरुद्ध थे इसलिए गाँधी जी जब 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली में स्थित बिरला भवन की प्रार्थना सभा में आ रहे थे तो नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी जिसके लिए उन्हें फांसी की सजा भी दी थी लेकिन गाँधी जी की मृत्यु के समाचार से पूरा देश गहरे शोक सागर में डूब गया।
35. महात्मा गाँधी जी के शरीर का अंत हो जाने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमारे बीच हैं और यही समय-समय पर हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।
36. गाँधी जी के जीवन पर अनेक भाषाओँ में फ़िल्में बनाई गईं जिससे आज का मानव उनसे प्रेरणा ले सके और गाँधी जी के जन्मदिन को सारा संसार श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाता है।