महात्मा गाँधी पर निबंध 1 (100 शब्द) :
महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जिनके पिता का नाम करमचंद गाँधी था और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। महात्मा गाँधी जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने एक राष्ट्रवादी नेता की तरह ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतवासियों का भरपूर नेतृत्व किया था।
महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था लेकिन इनकी मृत्यु 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली में स्थित बिरला मंदिर की प्रार्थना सभा में हुई थी। मोहनदास करमचंद गाँधी जी की हत्या हिन्दू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर की थी जिसके लिए उसे भारत सरकार के द्वारा फांसी की सजा दी गई थी। सन् 1948 में रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें एक और “राष्ट्र का शहीद” नाम दिया था।
महात्मा गाँधी पर निबंध 2 (200 शब्द) :
महात्मा गाँधी जी एक सच्चे भारतवासी होने के साथ-साथ एक महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे जिन्हें आज के समय में भी देश और विदेशों के लोगों को अपनी महानता, आदर्शवाद और महान जीवन की वजह से प्रेरित करते हैं।
महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक स्थान पर एक हिंदू परिवार में हुआ था जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। भारत देश के लिए 2 अक्तूबर एक बहुत ही पुन्य तिथि थी क्योंकि आज के दिन महात्मा गाँधी जी का जन्म हुआ था।
गाँधी जी ने ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराने के लिए अविस्मरणीय भूमिका निभाई थी। गाँधी जी ने अपनी विश्वविद्यालय की शिक्षा इंग्लैड से की थी जहाँ से वे एक वकील बनकर लौटे थे जिसके बाद उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा समस्याओं का सामना करने वाले भारतियों की मदद करने लगे थे।
गाँधी जी ने भारतीय लोगों की मदद करने के लिए सत्याग्रह नामक आंदोलन का शुभारंभ किया। भारत को स्वतंत्र कराने के लिए गाँधी जी ने बहुत से अन्य आंदोलन भी चलाए थे जिनके बाद भारत को अंत में 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली थी लेकिन इसके एक साल बाद 30 अक्तूबर, 1948 को दिल्ली में गाँधी जी की मृत्यु हो गई थी।
महात्मा गाँधी पर निबंध 3 (300 शब्द) :
भूमिका : महात्मा गाँधी जी को बापू या राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि सभी लोग उन्हें इन्हीं नामों से पुकारा करते थे। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जो एक बहुत ही महान स्वतंत्रता सेनानी थे और एक राष्ट्रवाद नेता की तरह ही उन्होंने भी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारत देश का नेतृत्व किया था।
गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी ने ऐसे बहुत से आंदोलन चलाए हैं जिनके द्वारा किसी भी देश या राष्ट्र की उन्नति हो सकती है। गाँधी जी द्वारा ही भारत देश को आजादी मिल पाई थी।
महात्मा गाँधी का जीवन : महात्मा गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक से आगे की पढाई इंग्लैण्ड में की थी जहाँ से गाँधी जी वकील बनकर ही भारत वापस लौटे थे। भारत आकर उन्होंने भारतवासियों का मार्गदर्शन करना शुरू कर दिया जिससे कुछ लोगों ने उन्हें राजनीति में प्रवेश करने के लिए कहा।
महात्मा गाँधी जी ने अहिंसा के धर्म को अपनाते हुए बहुत सारे आंदोलन चलाए जिसके सामने अंग्रेजों को अपने घुटने टेकने पड़े और अंत में अंग्रेजो ने भारत को आजाद कर दिया और भारत छोड़कर चले गए। भारत के आजाद होने के कुछ समय बाद महात्मा गाँधी जी की हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे के द्वारा दिल्ली के बिरला मंदिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
उपसंहार : महात्मा गाँधी जी को भारतीय इतिहास में युग पुरुष के रूप में सदैव याद रखा जाएगा। आज महात्मा गाँधी जी को सारी दुनिया श्रद्धा के साथ नमन करती हैं। महात्मा गाँधी जी के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए उनके ऊपर बहुत-सी भाषाओं में फिल्में बनाई गई हैं जिससे आज के बच्चे, युवा अपने जीवन को प्रेरणादायक बना सकें।
जब महात्मा गाँधी जी का जन्मदिन होता है तो उस दिन पूरा विश्व श्रद्धा और सम्मान के साथ गाँधी जी के जन्मदिन को मनाता है। गाँधी जी के सम्मान के रूप में अमेरिका देश ने भी 2 अक्तूबर को गाँधी जयंती के रूप में मनाना शुरू कर दिया है।
महात्मा गाँधी पर निबंध 4 (400 शब्द) :
भूमिका : महात्मा गाँधी जी को महात्मा उनके महान कार्यों और महानता के लिए कहा जाता है जिन्हें उन्होंने अपने जीवन भर किया था। महात्मा गाँधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक अहिंसक कार्यकर्ता भी थे जिन्होंने अपने पूरे जीवन में अहिंसा का पालन किया था जिसका उदाहरण ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराना है।
गाँधी जी ने अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए लेकिन उन्होंने किसी भी आंदोलन को हिंसात्मक नहीं होने दिया। गाँधी जी ने बहुत सी जगहों पर शिक्षा प्राप्त की थी जिससे ही उन्होंने राजनीति सीखी थी।
महात्मा गाँधी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था जिनके पिता जी का नाम करमचंद गाँधी और माँ का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी पर उनकी माँ के संस्कारों का बहुत अधिक गहरा प्रभाव पड़ा था।
महात्मा गाँधी जी ने बहुत सारे आंदोलन चलाए ताकि वे अपने भारत के लोगों को ब्रिटिश शासन से छुटकारा दिला सकें। उन्होंने सत्याग्रह किया जिसके सामने अंग्रेजों ने अपने घुटने टेक दिए जिसके बाद भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।
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महात्मा गाँधी की मृत्यु : महात्मा गाँधी जी ने अपने पूरे जीवन को देश के लिए बलिदान कर दिया था इसलिए वे जब तक जिंदा रहे तब तक देश के उन्नति के लिए काम करते रहे। गाँधी जी ने देश को एक करने के लिए हिंदू मुस्लिम एकता की भावना का शुभारंभ किया लेकिन कुछ लोग इस भावना के विरुद्ध थे।
महात्मा गाँधी जी 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला मंदिर में प्रार्थना सभा के लिए गए थे तभी एक हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। महात्मा गाँधी जी की मृत्यु से पूरा भारत बहुत गहरे सदमे में चला गया। गाँधी जी की मृत्यु के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमारे बीच रहेंगे।
उपसंहार : एक समय ऐसा भी आया था जब गाँधी जी को काली त्वचा और गोरी त्वचा वाले व्यक्ति के भेदभाव का शिकार होना पड़ा था जिसके बाद ही उन्होंने राजनीति में प्रवेश करने का निश्चय किया। गाँधी जी राजनीतिक कार्यकर्ता बनकर पास किए गए गलत कानूनों में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते थे।
गाँधी जी ने भारत देश को स्वतंत्र और शक्तिशाली बनाने के लिए एक अहिंसक आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने ही नमक सत्याग्रह में होने वाले दांडी मार्च का नेतृत्व किया था। गाँधी जी ने अपनी स्वतंत्रता के लिए बहुत सारे भारतियों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए प्रेरित किया।
महात्मा गाँधी पर निबंध 5 (500 शब्द) :
भूमिका : महात्मा गाँधी जी भारत के एक महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे जिन्हें आज भी देश और विदेश के लोगों को अपनी महानता, आदर्शवाद जीवन की वजह से प्रेरित करते हैं। महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के काठियावाड़ में स्थित पोरबंदर स्थान पर हुआ था।
महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जो उनके पिता जी के नाम पर रखा गया था क्योंकि गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी था और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी अपने पिता की चौथी और आखिरी संतान थे।
महात्मा गाँधी जी की प्रारंभिक शिक्षा : महात्मा गाँधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही हुई थी जिसमें वे एक बहुत ही साधारण विद्यार्थी थे। प्रारंभिक शिक्षा के दौरान गाँधी जी अपने सहपाठियों से बहुत ही कम बोलते थे लेकिन अपने अध्यापकों का पूरा आदर करते थे। गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी।
प्रारंभ में तो गाँधी जी बहुत ही मेहनती और सत्यवादी थे क्योंकि वे कभी भी कोई बात नहीं छिपाते थे। गाँधी जी झगड़ा, शरारत और उछल-कूद से कोशों दूर रहते थे। गाँधी जी ने बंबई युनिवर्सिटी की मैट्रिक की परीक्षा को पास किया और भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया।
गाँधी जी के गुजरती भाषा से अचानक अंग्रेजी भाषा में आने से उन्हें व्याख्यानों को समझने में बहुत अधिक परेशानी होती थी। गाँधी जी की इच्छा थी कि वे एक डॉक्टर बने लेकिन वे एक वैष्णव परिवार के व्यक्ति थे जिन्हें चीरफाड़ करने की अनुमति नहीं थी। अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद गाँधी जी को अगली उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड जाना पड़ा था।
विवाह : जब गाँधी जी 13 साल के थे तो वे अपने स्कूल की पढाई पूरी कर रहे थे। 13 साल की उम्र में उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी से हो गया था जिसका नाम कस्तूरबा देवी था।
राजनीति में प्रवेश : जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे तब भारत में स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था। सन् 1915 में गाँधी जी फिर से भारत लौटे थे। इन दिनों कांग्रेस पार्टी के गणमान्य सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले जी थे। गोपाल कृष्ण गोखले जी ने गाँधी जी से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की अपील की जिसकी वजह से गाँधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता हासिल की और पूरे भारत का भ्रमण किया। जब गाँधी जी ने देश की बागडोर को अपने हाथों में ले लिया तो पूरे देश में एक नए इतिहास का सूत्रपात हुआ।
जब साल 1928 में साइमन कमिशन भारत आया तो गाँधी जी ने उसका डटकर सामना किया। गाँधी जी की एकता से लोगों को बहुत प्रोत्साहन मिला। जब गाँधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा की तो अंग्रेज पूरी तरह हिल गए। महात्मा गाँधी जी कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे जिसकी वजह से वे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने लगे। गाँधी जी ने तिलक जी के साथ इस आंदोलन को आगे बढ़ाया था।
उपसंहार : बापू जी ने बहुत से देशों की यात्रा भी की थी जिसके बाद उन्होंने भारत लौटकर ब्रिटिश शासन के द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को रोकने के लिए और उनका सामना करने के लिए भारत के लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। महात्मा गाँधी जी एक भारतीय थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन को हराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन का शुभारंभ किया था।
महात्मा गाँधी जी की वजह से ही भारत देश को आजादी मिल पाई थी जिसके लिए उन्होंने बहुत से लोगों को प्रेरित किया था। महात्मा गाँधी जी को 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला मंदिर में हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी थी जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी।
महात्मा गाँधी पर निबंध 6 (600 शब्द) :
भूमिका : महात्मा गाँधी जी एक अहिंसा प्रिय व्यक्ति थे क्योंकि उनका मानना था कि जो चीज हिंसा से प्राप्त नहीं की जा सकती है उसे अहिंसा और प्रेम से आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। महात्मा गाँधी वो महान हस्ती थे जिन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलनों का नेतृत्व किया था।
महात्मा गाँधी जी एक वकील थे जिन्होंने राजनीति में प्रवेश करके बहुत से लोगों को सही और अहिंसापूर्ण मार्ग दिखाया था। महात्मा गाँधी जी ने ब्रिटिश शासन द्वारा तिरस्कृत और अपमानित किए जाने वाले भारतवासियों को स्वतंत्रता दिलाई थी।
गाँधी जी का परिवार : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। महात्मा गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी अपने पिता की चौथी और आखिरी संतान थे जिनके पिता राजकोट के दीवान थे।
गाँधी जी पर उनकी माता पुतलीबाई गाँधी का बहुत अधिक गहरा प्रभाव पड़ा था। गाँधी जी का विवाह 13 साल की उम्र में पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी कस्तूरबा देवी स हुआ था। गाँधी जी का पूरा परिवार विशुद्ध भारतीय परिवार था जो सदाचार को ही अपने जीवन का परम मूल्य समझता था।
महात्मा गाँधी जी का विदेश गमन : जब महात्मा गाँधी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण कर ली तो उन्हें आगे की शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैण्ड जाना पड़ा। गाँधी जी की पढाई अभी चल रही थी कि उनके पिता जी का देहांत हो गया। इंग्लैण्ड में गाँधी जी ने अध्ययन के साथ-साथ पहली बार स्वतंत्र विश्व का दर्शन किया था।
इंग्लैण्ड जाने के बाद भी गाँधी जी ने मांसाहारी भोजन को हाथ भी नहीं लगाया क्योंकि उन्होंने अपनी माता से ऐसा न करने का वादा किया था। गाँधी जी ने इंग्लैण्ड में बहुत सी बाधाओं का सामना किया क्योंकि उन्हें शाकाहारी भोजन के लिए बहुत कष्टों का सामना करना पड़ता था। गाँधी जी अपनी वकालत की पढाई पूरी करके भारत लौट आए जिस बीच उनकी माँ का स्वर्गवास हो गया।
गाँधी जी का दक्षिण अफ्रीका प्रस्थान : जब गाँधी जी बंबई में वकालत कर रहे थे तब उन्हें बंबई से ही साल 1893 में पोरबंदर के अब्दुल्ला एंड कंपनी केश के मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा था। जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका पहुंचे तो वहां पर पहुंचकर उन्हें पता चला कि वहां पर जितने भी भारतवासी बसे हुए थे उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है।
उस समय वहां पर रंग-भेद का भेदभाव अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका था। गाँधी जी इस बात को सहन नहीं कर पाए जिसकी वजह से उनके मन में राष्ट्रिय-भावना जागृत हुई। गाँधी जी ने रंग-भेद को समाप्त करने के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया जिसमें उन्हें सफलता प्राप्त हुई और अंग्रेजों को अपने कानून को वापस लेना पड़ा जिसके फलस्वरूप दक्षिण अफ्रीका पर किए जाने वाले अत्याचार बंद हो गए।
स्वदेश आगमन : महात्मा गाँधी जी अपने देश भारत सन् 1915 में लौटे थे जब अंग्रेज बहुत अधिक तेजी से भारतियों का दमन कर रहे थे। इसी समय पर रोलैक्ट एक्ट जैसे कानून को भी चलाया गया था। पंजाब के अमृतसर में बैसाखी के दिन 13 अप्रैल, 1919 के समय जलियावाला में एक महासभा हुई तब बाग के गेट को बंद कर दिया गया और उस पर सिपाही तैनात कर दिए गए। अंग्रेजों की योजना यह थी कि अगर भीड़ में भगदड़ हुई तो कोई भी बचकर बाहर नहीं जा पाएगा।
बाग में बैठे हजारों लोगों के ऊपर अंग्रेजों के द्वारा सिपाहियों को गोलीबारी करने का आदेश दे दिया था। अंग्रेजों ने आम सभा को शोक सभा में बदल दिया जिससे पूरा बाग कुछ ही देर में लाशों से भर गया। जलियावाला बाग हत्याकांड ने पूरी मानव जाति को लज्जित कर दिया था। उस समय कांग्रेस पार्टी की स्थिति कुछ खास मजबूत नहीं थी।
उपसंहार : महात्मा गाँधी जी ने स्वतंत्रता दिलाने का दृढ निश्चय किया जिसके बाद ब्रिटिश शासन ने बहुत से प्रयत्न किए लेकिन गाँधी जी अपने फैसले पर अडिग रहे। कई बार तो गाँधी जी को स्वतंत्रता सेनानी होने की वजह से जेल भी जाना पड़ा था लेकिन उन्होंने भारतवासियों के न्याय के लिए ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लड़ाई को जारी रखा।
गाँधी जी देश और सभी धर्मों की एकता में बहुत विश्वास रखते थे जिसका होना आजादी के लिए बहुत अधिक जरुरी था। गाँधी जी के साथ-साथ कई अन्य भारतीयों ने भी बहुत अधिक संघर्ष किया जिसके बाद अंत में भारत को 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।
महात्मा गाँधी पर निबंध 7 (700 शब्द) :
भूमिका : महात्मा गाँधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत को आजादी दिलाने के संघर्ष में बिता दिया। महात्मा गाँधी जी एक वकील थे लेकिन वकील होने के बाद भी उन्होंने अपना पूरा जीवन भारतवासियों के लिए नेता के रूप में बिता दिया था।
महात्मा गाँधी जी के जीवन से सभी लोगों खासकर युवा व्यक्तियों को प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। महात्मा गाँधी जी को सभी लोग बापू या राष्ट्रपिता कहते थे क्योंकि उन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन व्यतीत कर दिया।
गाँधी जी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी अपने पिता की चौथी और सबसे छोटी संतान थे।
गाँधी जी के पिता राजकोट के दीवान और माता सती-साध्वी और धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं जिसका उनका बेटे पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था। गाँधी जी अपने माता के संस्कारों से बहुत अधिक प्रभावित थे। गाँधी जी का पूरा परिवार विशुद्ध भारतीय परिवार था जिसमें सदाचार को जीवन का बहुमूल्य धन माना जाता था।
गाँधी जी का प्रारंभिक जीवन : गाँधी जी के पिता राजकोट के दीवान थे इसलिए उनका प्रारंभिक जीवन राजकोट में ही व्यतीत हुआ था। गाँधी जी एक बहुत ही साधारण से व्यक्ति थे जो अपने मित्रों और सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे लेकिन अपने से बडो और शिक्षकों का पूरा आदर करते थे।
गाँधी जी ने अपने स्कूली जीवन में बहुत से पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती हैं लेकिन वे पढाई और खेल में अधिक तेज नहीं थे। गाँधी जी को उनके बचपन में धर्म-कर्म की पूरी शिक्षा उनकी माता ने उन्हें दी थी। गाँधी जी बहुत ही विनम्र व्यवहार के थे लेकिन किसी बच्चे का इतना विनम्र होना ठीक नहीं था लेकिन गाँधी जी में ये सभी संस्कार जन्म से ही थे।
अहिंसा नीति में भूमिका : भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में महात्मा गाँधी जी के आने के बाद अहिंसा का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया था लेकिन इसके साथ-साथ देश में बहुत से हिंसक स्वतंत्रता संघर्ष चल रहे थे जिनके महत्व को नकारा नहीं जा सकता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए बहुत से भारतीय वीर अंग्रेजी हुकूमत से लड़ते हुए शहीद हो गए थे।
लेकिन महात्मा गाँधी जी के अहिंसा आंदोलन वो आंदोलन थे जिसमें देश की पूरी स्वतंत्रता के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन किए जाते थे। महात्मा गाँधी जी ने अपने हर आंदोलन के लिए अहिंसा के मार्ग को अपनाया था।
भारत छोड़ो आंदोलन : द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद अंग्रेजों ने अपने दिए हुए वचन से पीछे हटना शुरू कर दिया जिससे भारतियों ने “अंग्रेजो! भारत छोड़ो” का नारा लगाया। इस आंदोलन की वजह से पूरे देश में बहुत से नागरिक अवज्ञा आंदोलन चल गए और भारतियों ने खुद को द्वितीय विश्व युद्ध से अलग करने की भी मांग करनी शुरू कर दी।
गाँधी जी ने इस लड़ाई में भाग लेते समय यह कहा था कि यह मेरी आखिरी लड़ाई है। गाँधी जी ने अपने सभी साथियों के साथ आत्म समर्पण किया था जिसकी वजह से पूरे देश में अशांति फैल गई थी। भारत छोड़ो आंदोलन भारत में ब्रिटिश राज की आखिरी कील साबित हुई है।
महान बलिदान : जब तक गाँधी जी जिंदा रहे तब तक अपने देश के उद्धार के लिए कार्य करते रहे। गाँधी जी ने जो हिन्दू-मुस्लिम एकता का शुभारंभ किया उससे कुछ लोग खुश नहीं थे जिसका विरोध करने के लिए हिंदू कार्यकर्ता ने 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला भवन में सभा के समय मौका पाकर गाँधी जी की गोली मरकर हत्या कर दी जिसके लिए नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा दी गई थी। गाँधी जी की मृत्यु की वजह से पूरा भारत देश शोक सागर में डूब गया लेकिन उनके मरने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमेशा याद रखे जाएंगे।
उपसंहार : महात्मा गाँधी जी एक महान समाज सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य पूरा तो कर लिया लेकिन उसके कुछ समय के बाद ही उनका देहांत हो गया था। गाँधी जी ने शारीरिक श्रम के लिए भारतवासियों को प्रेरित किया और एक साधारण जीवन जीने और आत्म निर्भर बनाने के लिए सभी संसाधनों की व्यवस्था भी करने के लिए कहा।
महात्मा गाँधी जी ने पूर्ण रूप से स्वतंत्र बनने के लिए और स्वदेशी सामान को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जिससे भारत उन्नति कर सके इसलिए गाँधी जी को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है।
महात्मा गाँधी पर निबंध 8 (1000 शब्द) :
भूमिका : हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी केवल भारत के ही नहीं बल्कि पूरे संसार के महान पुरुष थे जिन्हें आज के युग की महान विभूति माना जाता है। अहिंसा एक ऐसी नीति है जिसमें कभी भी किसी को भी जाने या अनजाने में ठेस नहीं पहुंचाई जाती है। विश्व में गाँधी जी का एक उदाहरण उनके द्वारा किया गया सत्याग्रह है जिसके समक्ष अंग्रेजों को झुकना ही पड़ा था।
यह वह नीति है जिसे गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी जैसे महान व्यक्तियों द्वारा प्रसारित किया गया और महात्मा गाँधी उन प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक ही थे जो अहिंसा नीति का पालन करते थे। भारत की स्वतंत्रता के लिए उनके द्वारा बहुत से प्रयत्न किए गए जिसके बाद ही हमें स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई थी।
महात्मा गाँधी जी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था।
गाँधी जी एक विशुद्ध भारतीय हिंदू परिवार से थे जिनके लिए केवल सदाचार ही बहुमूल्य होता था। गाँधी जी के पिता राजकोट के दीवान थे इसलिए अपने परिवार की वकालत की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए गाँधी जी ने इंग्लैण्ड से अपनी वकालत की शिक्षा प्राप्त की।
महात्मा गाँधी जी की शिक्षा : गाँधी जी का जन्म पोरबंदर में हुआ था जिसकी वजह से उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी पोरबंदर में ही हुई थी। गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी। गाँधी जी ने बंबई यूनिवर्सिटी की मैट्रिक की परीक्षा को सन् 1887 में उत्तीर्ण किया था जिसके बाद उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया था।
गाँधी जी के अचानक गुजरती भाषा से अंग्रेजी भाषा में आने से उन्हें थोड़ी-सी परेशानी हुई थी। गाँधी जी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन उनके परिवार को चीरफाड़ करने की इजाजत नहीं थी इसलिए वे इंग्लैण्ड गए और वकालत की शिक्षा ग्रहण की।
महात्मा गाँधी का विवाह : गाँधी जी जब अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब उनकी उम्र केवल 13 साल थी। 13 साल की उम्र में गाँधी जी का विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी कस्तूरबा देवी से कर दिया गया था। जब गाँधी जी वकालत की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब वे एक बेटे के पिता बन चुके थे।
महात्मा गाँधी जी की विदेश यात्रा : गाँधी जी अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब उनके पिता जी का स्वर्गवास हो गया। गाँधी जी को वकालत की शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैण्ड जाना पड़ा जहाँ पर उन्होंने अध्ययन के साथ-साथ पहली बार स्वतंत्र विश्व के अपनी खुली आँखों से दर्शन किए थे। गाँधी जी ने विदेश जाने से पहले अपनी माँ से मांस-मछली न खाने का वादा किया था जिसे उन्होंने मरते दम तक निभाया था।
गाँधी जी को शाकाहारी भोजन प्राप्त करने के लिए बहुत सारे कष्टों का सामना करना पड़ता था। गाँधी जी अपनी वकालत की पढाई पूरी करके भारत लौटे ही थे कि इसी बीच उनकी माता का देहांत हो गया। गाँधी जी के जीवन में उनकी माँ ने ही दया, प्रेम, करुणा और ईश्वर के प्रति निःस्वार्थ भाव से श्रद्धा पैदा की थी।
चंपारण और खेडा आंदोलन : सन् 1917 में चंपारण के किसानो पर अंग्रेजों के द्वारा बहुत अत्याचार किए जा रहे थे। अंग्रेज उन्हें नील की खेती करने पर विवश करते थे और एक तय कीमत पर उस नील को खरीद लेते थे जिसका विरोध करने के लिए गाँधी जी ने एक आंदोलन की शुरुआत की जिसमें अंग्रेजों को उनकी मांगों को मानना ही पड़ा।
गाँधी जी के इस आंदोलन को लोगों के द्वारा चंपारण आंदोलन के नाम से जाना जाता है इसके साथ-साथ सन् 1918 में गुजरात में खेडा गाँव को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा था जिसकी वजह से उस क्षेत्र में आकाल की भयंकर स्थिति उत्पन्न हो गई लेकिन इसके बाद भी अंग्रेज कर में किसी भी तरह की छूट नहीं करना चाहते थे। इसका विरोध करने के लिए गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की जिसकी वजह से अंग्रेजों ने करों में छूट की।
असहयोग आंदोलन : जब अंग्रेजों ने क्रूर नीति अपनाकर जलियावाला बाग हत्याकांड किया तो उसका जबाव देने के लिए गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। असहयोग आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ शुरू किया गया एक अहिंसक आंदोलन था क्योंकि गाँधी जी का मानना था कि अंग्रेज भारत में अपना शासन स्थापित करने में इसलिए समर्थ हो पाए थे क्योंकि उन लोगों को भारतियों का भरपूर सहयोग मिला था।
गाँधी जी की बात मानते हुए लोगों ने अंग्रेजी सरकार के अधीन पदों से इस्तीफा देना शुरू कर दिया इसके साथ-साथ लोगों ने अंग्रेजी वस्त्रों और वस्तुओं को खरीदना बंद कर दिया और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरू कर दिया। असहयोग आंदोलन में किसी भी तरह की हिंसा का प्रयोग नहीं हुआ लेकिन फिर भी इसने अंग्रेजों को हिला कर रख दिया।
नमक सत्याग्रह : महात्मा गाँधी जी ने दांडी यात्रा की जिसे नमक सत्याग्रह भी कहते हैं जिसमें गाँधी जी ने नमक पर लगने वाले कानूनों का विरोध किया और खुद अपने हाथों से नमक तैयार किया। गाँधी जी ने नमक पर अंग्रेजों के एकाधिकार के विरोध में दांडी यात्रा की शुरुआत की जो पूरे 24 दिनों में पूरी हुई थी।
24 दिनों में गाँधी जी साबरमती आश्रम से गुजरात के दांडी नामक तटीय गाँव पहुंचे थे जिसकी वजह से नमक कानून की अवहेलना की गई और लोगो ने खुद नमक बनाना और बेचना शुरू कर दिया। नमक सत्याग्रह ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा और स्वतंत्र भारत के सपने को मजबूती देने का काम किया।
स्वतंत्रता प्राप्त होना : जब सन् 1920 में तिलक जी की मृत्यु हो गई तो उसके बाद स्वतंत्रता आंदोलन का पूरा भार गाँधी जी पर आ गया। गाँधी जी आंदोलन का पूर्ण संचालन अहिंसा की नीतियों पर चलकर कर रहे थे। इसी समय गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन को चलाया था जिसमें हजारों की संख्या में वकील, शिक्षक, विद्यार्थी, व्यापारी, आदि शामिल हुए थे।
गाँधी जी का यह आंदोलन अहिंसक था। बाद में सन् 1929 में रावी नदी के किनारे पर कांग्रेस अधिवेशन हुआ जिसमें गाँधी जी ने पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा की थी। इसके बाद गाँधी जी ने नमक कानून का विरोध किया जिसमें गाँधी जी ने 24 दिनों की यात्रा की जिसके बाद वे दांडी पहुंचे थे और अपने हाथों से नमक बनाया था। इस यात्रा और नमक बनाने की वजह से गाँधी जी को जेल भी जाना पड़ा था। अंत में गाँधी जी और अन्य कई भारतियों की वजह से 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।
उपसंहार : महात्मा गाँधी जी का कहना था कि हथियार और हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकते हैं। ये किसी भी समस्या को कम करने की जगह पर और अधिक बढ़ा देता है। हिंसा किसी भी व्यक्ति में नफरत, डर और गुस्सा को बढ़ा देता है।
स्वतंत्रता संघर्ष के साथ-साथ आधुनिक भारत में ऐसी बहुत सी घटनाएँ हुईं थीं जो हमें अहिंसा का महत्व बहुत अच्छी तरह से समझा सकती है कि कैसे हम बिना खून बहाए समाज में बहुत सारे बदलाव ला सकते हैं। इससे एक समय ऐसा भी आएगा जब लोग सभी समस्याओं का हल बिना किसी नुकसान के निकाल सकेंगे।