बिमारियों का कोई भरोसा नहीं होता है कि वे कब किसको अपनी चपेट में ले लें। जब हम इनके बारे में जागरूक नहीं होते हैं तब तो बीमारी होने की संभावना भी बहुत अधिक बढ़ जाती है। टी.बी. या क्षय रोग एक बहुत ही खतरनाक संक्रामक बीमारी है।
यह एक ऐसी बीमारी मानी जाती है जिसकी पहचान आसानी से नहीं हो पाती है इसलिए इसकी तरफ ध्यान देना बहुत जरुरी होता है। यह रोग एक कीटाणु क द्वारा फैलता है जो हवा के द्वारा एक से दुसरे व्यक्ति तक पहुंचते हैं और फेफड़ों को नुक्सान पहुंचाते हैं।
जब इस रोग का इलाज ठीक समय पर नहीं होता है तो यह रोग जानलेवा हो जाता है। यह रोग सिर्फ फेफड़ों में ही नहीं होता है बल्कि शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है जैसे – हड्डियाँ, जोड़, पेट, अंत, दिमाग, किडनी, जननांग और मुंह या नाक आदि। टी.बी के ये जीवाणु दूषित पानी या मिट्टी में पाए जाते हैं।
ये कीटाणु हवा के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और रोगी को टी.बी. का शिकार बना देते हैं। टी.बी. का रोग शरीर के जिस अंग में हो जाता है तो उस अंग के टिश्यू को पूरी तरह से नष्ट या समाप्त कर देता है और इससे उस अंग का काम बहुत प्रभावित होता है।
टी.बी. के प्रकार-Types of Tuberculosis (TB) In Hindi
1. पल्मोनरी टी.बी. : जब किसी व्यक्ति को फेफड़ों में टी.बी. के रोग की समस्या हो जाती है तो उस रोग को पल्मोनरी टी.बी. के नाम से जाना जाता है।
2. एक्स्ट्रा पल्मोनरी टी.बी. : जब किसी व्यक्ति को फेफड़ों के बाहर शरीर के किसी भी अंग में टी.बी. की समस्या हो जाती है तो उसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी टी.बी. के नाम से जाना जाता है।
3. फुफ्सीय टी.बी. : यह रोग किसी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है लेकिन प्रत्येक व्यक्ति और फुफ्सीय टी.बी. के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग पाए जाते हैं। इसमें कुछ सामान्य लक्षण जैसे – साँस तेज चलना, सिरदर्द होना या नाड़ी तेज चलना आदि समस्याएं होने लगती हैं।
4. पेट का टी.बी. : एक तरह से देखा जाए तो पेट के टी.बी. के मरीज को सामान्य रूप से पेट की सामान्य समस्याएं ही होती हैं जैसे – बार-बार दस्त लगना, पेट में दर्द होना इत्यादि। जब तक किसी व्यक्ति को पेट के टी.बी. के बारे में पता चलता है तब तक पेट में गांठे पड़ चुकी होती हैं।
5. हड्डी का टी.बी. : जब किसी व्यक्ति को हड्डी के टी.बी. की समस्या हो जाती है तो उस व्यक्ति की हड्डियों में घाव पड़ जाते हैं जो इलाज के बाद भी आराम से ठीक नहीं होते हैं। शरीर में जगह-जगह पर फोड़े फुंसियाँ होना भी टी.बी. का ही एक लक्षण होता है।
टी.बी. के कारण-Tuberculosis (TB) Causes In Hindi
1. धुम्रपान से : जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक मात्रा में मदिरापान या धुम्रपान करता है तो उस व्यक्ति को टी.बी. या तपेदिक रोग होने का बहुत अधिक खतरा रहता है। अल्कोहल और नशीली दवाईयों का सेवन हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है जिसकी वजह से भी हम इस रोग से ग्रस्त हो जाते हैं।
2. प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी से : जब किसी व्यक्ति के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है तो उस व्यक्ति को टी.बी. की समस्या होने का ज्यादा खतरा रहता है क्योंकि व्यक्ति का शरीर टी.बी. रोग के कीटाणुओं से लड़ने की क्षमता नहीं होती है।
3. कुपोषित भोजन से : जब आप कुपोषित भोजन जैसे- गाय का कच्चा दूध, जंक फ़ूड आदि से आपको टी.बी. की समस्या हो सकती है। अगर आपके खान-पान का तरीका सही नहीं है तब भी आपको यह समस्या हो सकती है। व्यक्ति की इन खराब आदतों की वजह से उसके शरीर में दूषित द्रव्य पदार्थ जमा होने लगता है जिसकी वजह व्यक्ति का बहुत अधिक वजन कम होने लगता है।
4. रोगों से : जब किसी व्यक्ति को मीजल्स, निमोनिया, एचआईवी, आदि रोगों में से कोई एक रोग भी हो जाता है तो वह व्यक्ति टी.बी. जैसे क्षय रोग से आसानी से ग्रस्त हो जाता है क्योंकि इन रोगों की वजह से उस व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है।
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5. बैक्टीरिया से : यह रोग अधिकतर माइक्रोबैक्टीरियम नाम के बैक्टीरिया से होता है। यह बैक्टीरिया हमारे फेफड़ों आदि में उत्पन्न होता है और उसमें घाव कर देता है। ये कीटाणु हमारे शरीर पर हमला करके हमारे पूरे शरीर को प्रभावित कर देते हैं।
6. रोगी के संपर्क से : अब कोई स्वस्थ व्यक्ति किसी टी.बी. के रोगी के संपर्क में आ जाता है या उसके छींकने, खांसने या थूकने से कुछ बैक्टीरिया उसके ऊपर चढ़ जाते हैं तो वह व्यक्ति भी टी.बी. के रोग से ग्रस्त हो जाता है।
7. परिश्रम से : अगर आप काम करते हैं तो कोई बात नहीं है लेकिन जब कोई व्यक्ति आपकी कार्य क्षमता से बहुत अधिक काम कर लेता है तो उस व्यक्ति को टी.बी. जैसे क्षय रोग के होने का बहुत खतरा रहता है क्योंकि क्षमता से अधिक कार्य करने से उसकी नसों पर दबाव पड़ता है।
8. प्रदूषण से : जब कोई व्यक्ति धूल, रासायनिक गैसों आदि से भरे वातावरण में साँस लेता है या बहुत अधिक गीले स्थान पर रहता है तब भी उस व्यक्ति को यह रोग होने की अधिक संभावना रहती है क्योंकि इस रोग के कीटाणु साँस के द्वारा उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और उसे बीमार कर देते हैं।
टी.बी. के लक्षण-Tuberculosis (TB) Symptoms In Hindi
1. बुखार आना : जब किसी व्यक्ति को टी.बी. के रोग की समस्या हो जाती है तो उस व्यक्ति को रात के समय पसीना आने के साथ-साथ हल्के-हल्के बुखार की भी समस्या रहती है। व्यक्ति को लगातार सर्दी-जुकाम की समस्या रहती है। आप एक बार ठीक भी हो जाते हैं लेकिन यह फिर से वापस आ जाता है।
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2. खांसी होना : जब किसी व्यक्ति को टी.बी. की समस्या हो जाती है तो उस व्यक्ति को खनते समय दर्द महसूस होता है और कफ भी आने लगता है। खांसी इतनी अधिक होती है कि व्यक्ति को साँस लेने में भी बहुत परेशानी होती है। कभी-कभी तो ऐसा भी हो जाता है कि खांसते समय रोगी के मुंह से कफ और थूक के साथ-साथ खून भी आने लगता है।
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3. छाती में पानी भरना : जब किसी व्यक्ति को छाती में पानी भरने की समस्या हो जाती है तो उस व्यक्ति को छाती में सूजन बढने लगती है जिसकी वजह से उसे बहुत अधिक दर्द महसूस होता है। जब व्यक्ति थूकता है तो उसके थूक का रंग भी बदल जाता है।
4. शरीर में दर्द होना : जिस व्यक्ति को टी.बी. की समस्या होती है उस व्यक्ति को सूजन और दर्द की समस्या हो जाती है लेकिन यह दर्द और सूजन सिर्फ उस भाग में होती है जिस भाग में व्यक्ति को टी.बी. की समस्या हो जाती है। व्यक्ति को उसके कंधे और पसलियों में तेज दर्द होने की शिकायत रहती है।
5. कमजोरी होना : भूख न लगना थकान और कमजोरी होना वजन कम होना क्षय रोग की शुरुआत में आप थोड़ा सा काम करने पर थक जाते हैं आपको कमजोरी महसूस होने लगती है। कई बार लोग इस लक्षण को गंभीरता से नहीं लेते हैं और धीरे-धीरे आपके शरीर पर टी.बी के बैकटेरिया आक्रमण करना शुरु कर देते हैं।
टी.बी. का इलाज-Tuberculosis (TB) Treatment In Hindi
1. संतरे के रस के सेवन से इलाज :
अगर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है जिसकी वजह से आपको टी.बी. की समस्या हो गई है तो आप संतरे के रस का सेवन कर सकते हैं क्योंकि संतरे का रस आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है। आप ताजा-ताजा संतरे का रस लें और उसमें थोडा सा नमक और शहद मिलाकर सेवन करें इससे आपकी टी.बी. की समस्या ठीक हो जाएगी।
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2. केले के सेवन से इलाज :
अगर आपको टी.बी. का रोग हो गया है तो आप केले का सेवन करें क्योंकि केला प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने में मदद करता है। एक एक या दो पके हुए केले लें। अब इन्हें मसलकर इसमें नारियल पानी, नमक और शहद मिला लें और इसका सेवन दिन में दो बार करें इससे आपकी टी.बी. की समस्या ठीक हो जाएगी।
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3. लहसुन के सेवन से इलाज :
अगर आपको टी.बी. की समस्या हो गई है तो आप लहसुन का सेवन कर सकते हैं क्योंकि लहसुन में सल्फ्यूरिक एसिड पाया जाता है जो टी.बी. के कीटाणुओं को खत्म करने में मदद करता है। सबसे पहले आप एक या आधा चम्मच लहसुन लें और एक कप दूध लें। अब इसके साथ चार या तीन कप पानी एक साथ उबालें। इसे तब तक उबालें जब तक यह एक चौथाई न रह जाए। इस मिश्रण का सेवन दिन में दो या तीन बार करने से टी.बी. की समस्या को ठीक किया जा सकता है।
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4. पीपल के पत्तों के सेवन से इलाज :
आपने पीपल के बारे में तो सुना ही होगा क्योंकि पीपल बहुत ही औषधीय पेड़ होता है। आप पीपल के कुछ पत्ते लें और उन्हें जला लें। अब इन पत्तों की दस ग्राम राख लें और उसे दो गुने बकरी के गर्म दूध में मिला लें। अब इसमें थोडा-सा शहद मिला लें और इसका सेवन प्रतिदिन करें इससे आपकी टी.बी. की समस्या ठीक हो जाएगी।
5. आंवला के सेवन से इलाज :
अगर आप अपनी बार-बार होने वाली टी.बी. की समस्या से परेशान हो चुके हैं तो आंवला के रस का सेवन कर सकते हैं। आप आंवला का रस बाजार से भी ले सकते हैं या घर पर भी बना सकते हैं। घर पर आंवला का रस बनाने के लिए आप कुछ कच्चे आंवला लें और उन्हें पीसकर उनका जूस बना लें। अब इस जूस में एक या आधा चम्मच शहद मिलाएं। अब इस जूस का सेवन प्रतिदिन सुबह के समय करें इससे आपको टी.बी. में बहुत अधिक फायदा होगा।
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टी.बी. से बचाव के उपाय-Prevention of Tuberculosis (TB) In Hindi
- जब रोगी को खांसी या छींक आये तो उस समय अपने मुंह पर रुमाल रख लेना चाहिए ताकि दूसरे लोग संक्रमित न हो सकें।
- रोगी के लिए किसी डिब्बे में मिट्टी डालकर उसके पास रख देनी चाहिए जिसमें रोगी के थूक या कफ आदि को दबाया जा सके और डिब्बा भी गंदा न हो।
- रोगी को पौष्टिक आहार देना चाहिए।
- रोगी को धुम्रपान करने से र्पोकना चाहिए क्योंकि इससे यह और अधिक बढ़ जाता है।
- रोगी को कमरे में घुटन महसूस हो सकती है इसलिए उसे खुले और साफ वातावरण में रखना चाहिए।
- अगर रोगी को दो हफ्तों से ज्यादा समय तक खांसी रहती है तो चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
- अगर कोई व्यक्ति बीमार है और आप उससे मिलकर आ रहे हैं तो आने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए।
- अगर आपके आसपास कोई बहुत देर तक खांसता रहे तो उससे दूर ही रहना चाहिए।
- अगर आपको खांसी या जुकाम है तो सिर्फ अपने ही रुमाल का प्रयोग करना चाहिए।
- अगर आप कहीं बाहर से आ रहे हैं तो सबसे पहले अपने हाथ और पैरों को अच्छी तरह से साफ कर लें।
टी.बी. में क्या खाएं-Eat In Tuberculosis (TB) In Hindi
- रोगी को शहद, गाय का घी, दूध, प्याज का रस, नारियल पानी, ग्रीन टी, दही, सरसों का तेल, संतरे का रस, आदि तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को प्याज, करेला, खीरा, आलू, फूलगोभी, लौकी, लहसुन, गाजर, टमाटर, शकरकंद, ब्रोकली, पालक, नींबू, बींस, मटर, आदि सब्जियों का सेवन करने के लिए देना चाहिए।
- रोगी को स्ट्रोबेरी, आम, पपीता, खुबानी, खरबूज, अनानास, गूसबेरी, आडू, अंगूर, सेब, बेर, केला, खजूर, आंवला, संतरा, सीताफल, आदि फलों का सेवन भी करना चाहिए।
- रोगी को काली मिर्च, पुदीना, हींग, आदि मसालों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को अखरोट, बादाम, मुनक्का, काजू, पिस्ता, मूंगफली, आदि मेवों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को ज्वार, बाजरा, ब्राउन राइस, चावल, मुंग दाल, सूजी की रोटी, अरारोट, बाली, जौ आदि अनाजों का सेवन करना चाहिए।
- इसके स्तिरिक्त रोगी को मिश्री, पीपल के पत्ते, आदि का सेवन करने के लिए देना चाहिए।
टी.बी. में क्या न खाएं-Do Not Eat In Tuberculosis (TB) In Hindi
अगर आपको टी.बी. की समस्या हो गई है तो आप कुकीज, केक, पेस्ट्री, सॉफ्ट ड्रिंक, जैम, जैली, चीनी, पास्ता, पिज्जा, बर्गर, मैगी, आचार, खटाई, कैंडी, ब्रेड, पास्ता, कॉफी, शराब, आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।