आपने अक्सर देखा होगा कि लोग बड़ी बिमारियों के डर से छोटी बिमारियों को नजर अंदाज कर देते हैं। बड़ी बिमारियों से बचने के लिए सभी लोग अपने खानपान का विशेष ध्यान रखते हैं लेकिन छोटी दिखने वाली बीमारी को बड़ा बना लेते हैं क्योंकि जो समस्या आम दिखाई देती है वो समय के साथ बढने लग जाती है और बढ़कर बड़ी बीमारी के रूप में सामने आती है।
टॉन्सिल लसीका प्रणाली का ही एक हिस्सा होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में हमारी मदद करते हैं। टॉन्सिल एक रक्षा तंत्र के रूप में काम करते हैं जो नर्म ग्रंथियों के ऊतक से बना होता है। हर व्यक्ति के शरीर में दो टॉन्सिल होते हैं जो चेहरे क नीचे गले में दोनों ओर पाए जाते हैं।
ये संक्रमण से हमारे शरीर की रक्षा करने में मदद करते हैं। जब टॉन्सिल संक्रमित हो जाते हैं तो इस स्थिति को सूजे हुए टॉन्सिल के नाम से जाना जाता है। यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकता है और बचपन में होने वाला एक सामान्य संक्रमण है।
संक्रमण से प्रतिक्रिया के आधार पर इन दोनों के आकार और सूजन में अलगाव होता है लेकिन टॉन्सिल को हटाने से संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि नहीं देखी जाती है।
टॉन्सिल अपने यौवनारंभ के पास पहुंचते ही अपने सबसे बड़े आकार तक फहुंच जाते हैं और धीरे-धीरे करके उनका क्षय होने लगता है लेकिन जब गले की चौडाई से टॉन्सिल के आकार की तुलना की जाती है तो यह माप छोटे बच्चों में सबसे बड़ा पाया जाता है।
टॉन्सिल के प्रकार-Types of Tonsillitis In Hindi
1. एक्यूट टॉन्सिलाइटिस : जब किसी व्यक्ति के शरीर में एक जीवाणु या वायरस टॉन्सिल को संक्रमित करता है तो उसकी वजह से गले में सूजन आ जाती है जिसकी वजह से गले में खराश होने लगती है। इसके दौरान टॉन्सिल एक भूरे या सफेद रंग की कोटिंग विकसित करता है इसी को एक्यूट टॉन्सिलाइटिस के नाम से जाना जाता है।
2. क्रॉनिक टॉन्सिलाइटिस : जब एक्यूट टॉन्सिलाइटिस की समस्या बार-बार होती है या टॉन्सिल बार-बार संक्रमित होते रहते हैं तो क्रॉनिक टॉन्सिलाइटिस रोग हो जाता है।
3. पेरिटॉन्सिलर फोड़ा : जब टॉन्सिल संक्रमित हो जाते हैं तो संक्रमण की वजह से टॉन्सिल के पास मवाद एकत्रित हो जाता है जजो इसको विपरीत दिशा की तरफ धकेलता है। इस रोग में होने वाले फोड़ों को तत्काल सुखा देना चाहिए।
4. एक्यूट मोनोन्यूक्लिओसिस : यह रोग मुख्य रूप से एप्सटीन बरर वायरस की वजह से होता है। मोनो की वजह से टॉन्सिल में गंभीर रूप से सूजन, बुखार, गले में खराश, लाल चकते और थकान हो सकती है।
5. स्ट्रेप थ्रोट : जब किसी व्यक्ति के टॉन्सिल को स्ट्रेप्टोकोकस नाम के जीवाणु संक्रमित कर देते हैं जिसकी वजह से गला भी संक्रमित हो जाता है। व्यक्ति को गले की खराश के साथ आमतौर पर बुखार और गर्दन में दर्द भी होता है।
6. टॉन्सिल स्टोंस : यह रोग तब होता है जब यह फंसा हुआ अपशिष्ट सख्त हो जाता है।
टॉन्सिल के लक्षण-Tonsillitis Symptoms In Hindi
1. गले में दर्द होना : जब आपको टॉन्सिल के सूजने की समस्या हो जाती है तो आपके गले में खराश और अकडन हो जाती है जिसकी वजह से खाने-पीने में भी बहुत अधिक परेशानी होने लगती है। आप सूजे हुए लाल टॉन्सिल पर सफेद या पीले रंग का धब्बा हो जाता है जो बढ़े हुए टॉन्सिल का संकेत देता है।
2. बुखार आना : इस रोग के होने पर व्यकी की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने लगती है जिसकी वजह से रोगी को ठंड लगने गति है और उसके शरीर का तापमान भी बढने लगता है। व्यक्ति को कंपकंपी महसूस होने लगती है और उसके गले में उपस्थित मुलायम ग्रंथियां बढ़ जाती हैं।
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3. आवाज बंद होना : जब किसी व्यक्ति को टॉन्सिल की समस्या हो जाती है तो उस व्यक्ति को गले में सूजन आ जाती है जिसकी वजह से उस व्यक्ति की आवाज धीमी या भारी होने लगती है। व्यक्ति की आवाज से खरखरी की आवाज आने लगती है जिसके साथ-साथ उसके मुंह से बदबू भी आने लगती है।
4. पेट में दर्द होना : अगर आपके टॉन्सिल सूज गए हैं तो आपको किसी भी चीज को निगलने में बहुत परेशानी होती है जिसकी वजह से व्यक्ति कुछ भी खा नहीं पाता ई और उसे कमजोर आने लगती है लेकिन जब इस समस्या को अधिक दिन हो जाते हैं तो व्यक्ति के पेट में दर्द होने लगता है।
5. सिरदर्द होना : जब किसी व्यक्ति के टॉन्सिल सूज जाते हैं तो उस व्यक्ति को बोलने और खाना निगलने में बहुत परिश्रम करना पड़ता है जिसकी वजह से उसकी नसों पर दबाव पड़ता है जिसकी वजह से व्यक्ति को सिरदर्द की समस्या हो जाती है।
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6. खांसी होना : अगर आपके टॉन्सिल सूज गए हैं तो आपको गले में संक्रमण की वजह से खांसी भी होने लगती है जिसकी वजह से आपको गले में दर्द होने लगता है। व्यक्ति को खांसी आने के साथ-साथ सुखा बलगम भी आने लगता है।
टॉन्सिल के कारण-Tonsillitis Causes In Hindi
1. झूठे भोजन से : आज के समय में लोग एक-दुसरे का झूठा बिना किसी समस्या के खा लेते हैं क्योंकि वे समझते हैं कि एक-दुसरे का झूठा खाना खाने से प्यार बढ़ता है लेकिन लोग यह भूल जाते हैं कि हर व्यक्ति में सलाइवा के बैक्टीरिया अलग-अलग होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि दूसरे व्यक्ति के मुंह के बैक्टीरिया आपके मुंह में आ जाते हैं जिसकी वजह से आपको इंफेक्शन हो जाता है जिससे आपके टॉन्सिल सूज जाते हैं।
2. बैक्टीरिया से : जब कोई व्यक्ति खाना खाने से पहले अपने हाथों को नहीं धोता है तो उस व्यक्ति को इस रोग के होने की संभावना बहुत अधिक होती है क्योंकि यह रोग इंफेक्शन की वजह से अधिक होता है। जब व्यती अपने हाथों को बिना धोए ही खाना खा लेता है तो हानिकारक बैक्टीरिया खाने के साथ उनके गले से गुजरते समय उनके टॉन्सिल पर चिपक जाट हैं जिसकी वजह से ही इंफेक्शन हो जाता है।
3. गर्म भोजन से : अगर आप बहुत अधिक मिर्च-मसले वाली चीजें खाते हैं तब भी आपको यह रोग हो सकता है। अगर आप बहुत अधिक ठंडी या गर्म चीजें खाते हैं तो इससे भी यह रोग हो जाता है। इस रोग का मुख्य कारण खट्टी और ऑयली चीजें होती हैं।
4. टूथब्रश से : आपने अक्सर देखा होगा कि बहुत से लोग अपना टूथब्रश जल्दी नहीं बदलते हैं और जब उनका टूथब्रश खराब हो जाता है तब भी एक ही टूथब्रश का इस्तेमाल करते रहते हैं। इस गन्दी आदत की वजह से भी व्यक्ति को इस रोग की समस्या हो सकती है। आप प्रतिदिन ब्रश करने के बाद अपने टूथब्रश को अच्छी तरह से धो देते हैं लेकिन फिर भी उस पर माइक्रोव्स चिपके रह जाते हैं जो समय के साथ हमें बीमार करने लगते हैं इसलिए समय-समय पर अपना टूथब्रश बदलते रहना चाहिए।
टॉन्सिल का इलाज-Tonsillitis Treatment In Hindi
1. हल्दी के सेवन से इलाज :
अगर आपके गले में टॉन्सिल सूज गए हैं तो आप हल्दी का सेवन कर सकते हैं क्योंकि यह बैक्टीरिया को हटाने को सूजन को कम करने में मदद करती है। आप एक गिलास दूध में आधा या एक चम्मच हल्दी डालकर उसे उबाल लें। अप इस दूध का सेवन करें इससे आपके शरीर से इंफेक्शन चला जाएगा और आप इस रोग से छुटकारा पा सकेंगे।
2. काली मिर्च के सेवन से इलाज :
अगर आपके टॉन्सिल सूज गए हैं तो आप काली मिर्च का सेवन कर सकते हैं इससे आपकी टॉन्सिल की समस्या खत्म हो जाएगी। सबसे पहले आप काली मिर्च और तुलसी के कुछ पत्ते लें और इन्हें उबालकर काढ़ा बना लें। अब इस काढ़े का सेवन रात के समय सोने से पहले दूध में डालकर करें इससे आपकी टॉन्सिल के सूजने की समस्या ठीक हो जाएगी।
3. चुकंदर के सेवन से इलाज :
अगर आप बार-बार टॉन्सिल के रोग से परेशान हो चुके हैं तो आप चुकंदर के रस का सेवन कर सकते हैं क्योंकि यह खून बढ़ाने के साथ-साथ हमारे बहुत से रोगों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। आप प्रतिदिन चुकंदर का जूस पीकर इस रोग से छुटकारा पा सकते हैं।
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4. शहद के सेवन से इलाज :
अगर आपके गले में सूजन या खुजलाहट होती है तो आप शहद का सेवन कर सकते हैं। आप शहद को ऐसे ही खा सकते हैं या शहद को काली मिर्च के पाउडर के साथ मिलाकर चाट सकते हैं इससे आपके गले की समस्या ठीक हो जाएगी।
5. गाजर के सेवन से इलाज :
अगर आपको टॉन्सिल सूजने की समस्या हो गई है तो आप गाजर का सेवन कर सकते हैं क्योंकि गाजर कारोंते पाया जाता है जो गाजर के रंग को लाल रखने में मदद करता है। आप गाजर का सेवन करके गले में होने वाले संक्रमण से बच सकते हैं। गाजर टॉन्सिल होने से भी बचाती है।
टॉन्सिल से बचाव के उपाय-Prevention of Tonsillitis In Hindi
- रोगी को प्रतिदिन नमक वाले पानी से गरारे करने चाहिएं।
- रोगी को खाना खाने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए ताकि सभी कीटाणु साफ किए जा सके।
- रोगी को मलत्याग या मलमूत्र करते समय शौचालय का प्रयोग करना चाहिए।
- अगर आपके बच्चे को टॉन्सिल की समस्या हो जाए तो उसे घर के अंदर ही रखना चाहिए ताकि किसी और को इंफेक्शन होने से बचाया जा सके।
- अगर बच्चे को खांसी या छींक आती है तो उस वक्त उसे टिश्यू पेपर का प्रयोग करना सिखाना चाहिए।
- रोगी को धुम्रपान करने से रोकना चाहिए।
- रोगी को अधिक बात नहीं करनी चाहिए क्योंकि अधिक गला हिलने की वजह से गले में दर्द होने लगता है।
- रोगी को ठंडा पानी पीने की जगह पर पानी को हल्का गुनगुना करके पीना चाहिए।
- रोगी को तरल पदार्थों का सेवन करने के लिए देना चाहिए क्योंकि इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती है।
टॉन्सिल में क्या खाएं-Eat In Tonsillitis In Hindi
- रोगी को लहसुन, पालक, आलू, आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को देसी घी, दही, चाय, गाजर का जूस, हर्बल टी, दूध, गन्ने का जूस, शहद, आदि तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को सिंघाड़े, अंजीर, चुकंदर, आदि फलों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को हल्दी, सौंठ, नमक, फिटकरी, मेथी दाना, काली मिर्च, दालचीनी, इलायची, आदि मसालों का सेवन करना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त रोगी को पास्ता, चावल, पुडिंग, इडली, अंडे, आदि का सेवन करना चाहिए।
टॉन्सिल में क्या न खाएं-Do Not Eat In Tonsillitis In Hindi
- रोगी को संतरा, खट्टे अंगूर, अनानास, खुबानी, केला, खरबूज, पपीता, सेब आदि फलों के सेवन से बचना चाहिए।
- रोगी को शीतल पेय, आइसक्रीम, दही, सिरका, तेल, मक्खन, घी, आदि तरल पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त रोगी को आचार, केचप, नींबू, आदि चीजों के सेवन से बचना चाहिए।