आपने हमेशा दूसरों को कहते सुना होगा कि उन्हें हमेशा सर्दी जुकाम की शिकायत रहती है लेकिन इन लोगों में से अधिकतर मामले साइनोसाइटिस अथार्त साइनस के होते हैं जिसे साइनस के नाम से भी जाना जाता है।
बहुत से लोगों को यह पता होता है कि हमारी खोपड़ी में बहुत सारे खोखले छेद हैं जो हमारे सिर को हल्का बनाए रखने और साँस लेने में मदद करते हैं जिसकी वजह से इन्हें साइनस कहा जाता है।
जब किसी व्यक्ति के साइनस में बलगम फंस जाती है तो उसे साँस लेने में बहुत परेशानी होती है। इसी समस्या को साइनोसाइटिस कहा जाता है लेकिन आम भाषा में इसे साइनस कहा जाता है।
इस रोग में सबसे पहले जुकाम और प्रदूषण की वजह से गले में खिचखिच पैदा होती है जिसकी वजह से नाक बंद होना, नाक बहना और बुखार जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
साइनस के प्रकार-Sinusitis Types In Hindi
1. एक्यूट साइनस : इस रोग में रोगी को जुकाम और प्रदूषण की वजह से गले में खराश की समस्या होती है जिसके बाद नाक बंद रहना, नाक बहना और बुखार रहना आदि समस्याएं होने लगती हैं लेकिन जब यह समस्या कई दिनों तक बनी रहती है तो यह समस्या एक्यूट साइनस कहलाती है।
2. सब एक्यूट साइनस : जब किसी व्यक्ति को साइनस की समस्या हो जाती है और यह समस्या कम-से-कम चार से आठ सप्ताह तक रहती है जिसके दौरान सूजन और जलन की समस्या रहती है तो यह सब एक्यूट साइनस की समस्या होती है।
3. क्रॉनिक साइनस : यह रोग एक्यूट साइनस की तरह ही लक्षण दिखाता है लेकिन इसमें अचानक से नाक में सूजन और जमावट हो जाती है। जब यह रोग बार-बार होने लगे या दो से तीन महीनों तक बना रहे तो यह रोग क्रॉनिक साइनस रोग में बदल जाता है।
साइनस के कारण-Sinusitis Causes In Hindi
1. बलगम भरने से : जब हमारे शरीर को हल्का बनाने और साँस लेने में मदद करने वाले खोखले छेदों में बलगम भर जाता है तो ये छेद भर जाते हैं जिससे साँस लेने में भी परेशानी होती है। इन छेदों के भर जाने की वजह से इस रोग के होने का अधिक खतरा रहता है।
2. इंफेक्शन से : जब भी किसी व्यक्ति की साइनस क्झिल्ली में सूजन आ जाती है तो व्यक्ति को नाक से संबंधित बहुत सी एलर्जी हो जाती है। जब व्यक्ति बाहर की दूषित वायु के संपर्क में आ जाता है तो दूषित वायु उसके शरीर में प्रवेश करके उसकी नाक से संबंधित समस्याओं को बढ़ा देती है। यह समस्या सर्दियों में बहुत अधिक देखी जाती है।
3. रूकावट से : जब किसी व्यक्ति के साइनस के संकरे प्रवेश मार्ग में किसी वजह से या किसी कारण से रूकावट उत्पन्न हो जाती है तो इससे साइनस की नली में साइनस की समस्या हो जाती है जो आगे चलकर साइनस में परिवर्तित हो जाता है।
4. प्रदूषण से : जब शुद्ध वायु में रसायन और प्रदूषण मिल जाते हैं तो ऐसी वायु में साँस लेने से व्यक्ति के अंदर बलगम और अधिक बढ़ जाता है और इसकी वजह से व्यक्ति को साइनस की समस्या हो जाती है और यह आसपास के लोगों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। जब ये दूषित कण हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तो ये सीधा हमारी श्वास नली पर प्रहार करते हैं।
5. नाक की हड्डी बढने से : जब किसी व्यक्ति की नाक की हड्डी बढ़ जाती है उसे भी साइनस की समस्या हो जाती है। अक्सर ऐसा होता है कि बचपन में नाक पर चोट लगने और दबने की वख से नाक की हड्डी मुड जाती है और नाक का आकार भी टेढ़ा हो जाता है। यह हड्डी का झुकाव नाक के छिद्र को प्रभावित करने लगता है जिसकी वजह से श्वास छिद्रों में अवरोध पैदा होता है इससे ही साइनस की समस्या होती है।
साइनस के लक्षण-Sinusitis Symptoms In Hindi
1. सिरदर्द होना : जब व्यक्ति को भारीपन महसूस होने लगता है तो उस व्यक्ति को माथे, गले के ऊपर के जबड़े में और आँखों के ठीक ऊपर दर्द रहने लगता है जो साइनस की समस्या के कारण हो सकता है। व्यक्ति का जव वायु विवर बंद हो जाता है या उसमें सूजन आ जाती है तो व्यक्ति को साँस लेने में दिक्कत होती है और साँस लेने के लिए व्यक्ति को अत्यधिक बल लगाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को बहुत अधिक सिरदर्द होता है क्योंकि इस स्थिति में सिर और नसों पर दबाव पड़ता है।
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2. नाक बंद रहना : जब व्यक्ति को सर्दियों के समय में जुकाम की समस्या हो जाती है तो व्यक्ति की आवाज में बदलाव होने लगता है, व्यक्ति की सूंघने और स्वाद लेने की शक्ति कमजोर हो जाती है। व्यक्ति की नाक से हमेशा पीले रंग का तरल पदार्थ निकलता रहता है जिसकी वजह से व्यक्ति की नाक बंद रहती है।
3. दांतों में दर्द रहना : जब व्यक्ति को उपरी जबड़े और दांतों में दर्द महसूस होने लगे जिसके साथ-साथ आपको मुंह से दुर्गन्ध आने की समस्या हो जाए तो यह साइनस की वजह से हो सकता है। कई बार तो ऐसा होता है कि यह दर्द असहनीय हो जाता है क्योंकि उत्पन्न होने वाला तरल पदार्थ खोखले छिद्र के पास दांतों पर दबाव डालता है जिससे दांतों में दर्द होने लगता है।
4. बुखार आना : जब व्यक्ति को बैचनी, गले में खराश, और घबराहट रहती है तो व्यक्ति के शरीर का तापमान बढने लगता है जिसकी वजह से व्यक्ति को चिडचिडापन महसूस होने लगता है। व्यक्ति के शरीर का तापमान अचानक से तेज और कम होने लगता है। जानिए : बुखार का इलाज और परहेज
5. खांसी होना : जब साइनस की समस्या को अधिक समय हो जाता है तो इस समस्या में निकलने वाला बलगम निचे जाकर जलन पैदा करने लगता है जिसकी वजह से लगातार और दुःख देने वाली खांसी होने लगती है। यह खांसी दिन में ठीक रहती है लेकिन रात के समय बहुत बदतर हो जाती है जिसकी वजह से सोना भी मुश्किल हो जाता है।
6. थकान होना : जब किसी व्यक्ति को जुकाम की समस्या के साथ-साथ सिरदर्द, अनिंद्रा, नाक बंद होना, थकान होना आदि समस्याएं होती हैं तो ये साइनस की वजह से हो सकती हैं। इस समस्या के दौरान व्यक्ति को गर्दन में अकडन होती है और लगातार उलझन महसूस होने लगती है।
साइनस का इलाज-Sinusitis Treatment In Hindi
1. गाय के घी से इलाज :
अगर आपको साइनस की समस्या हो गई है तो आप गाय के घी का प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि इसमें बहुत से ऐसे गुण पाए जाते हैं जो हमारे शरीर की सभी समस्याओं को ठीक करने में मदद करते हैं।
आप रात के समय सोने स पहले अपनी नाक में गाय के पिघले हुए घी के एक या दो बूंद डालकर सो जाएँ। आप ऐसा दो या तीन दिन तक करें इससे ही आपकी साइनस की समस्या ठीक हो जाएगी।
2. तुलसी के सेवन से इलाज :
अगर आप अपनी साइनस की समस्या से प्रेषण हो चुके हैं तो आप तुलसी का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले आप दस या बारह तुलसी और पुदीने के पत्ते लें और एक टुकड़ा अदरक का लें।
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अब इन सभी को पीसकर एक गिलास पानी में मिला लें। अब इस पानी को उबलने के लिए रख दें और इसे तब तक उबालें जब तक यह पानी आधा न हो जाए अब इसमें शहद मिलकर इसका दिन में दो बार सेवन करें इससे आपकी साइनस की समस्या ठीक हो जाएगी।
3. अजवाइन के सेवन से इलाज :
अगर आपको साइनस या साइनाइटिस का रोग हो गया है तो आप अजवाइन का सेवन कर सकते हैं क्योंकि यह इस रोग में बहुत ही सकारात्मक भूमिका निभाती है क्योंकि यह अपने रोगाणुरोधी गुणों की वजह से साइनस के कीटाणुओं को मारने में मदद करता है। आप अजवाइन की पत्तियों का तेल अपने भोजन को बनाने में प्रयोग कर सकते हैं।
4. गाजर के रस के सेवन से इलाज :
अगर आप अपनी साइनस की समस्या से परेशान हो चुके हैं तो आप गाजर के रस का सेवन कर सकते हैं क्योंकि विशेषज्ञों के द्वारा यह माना गया है कि अगर व्यक्ति को तेज जुकाम, सिरदर्द, अनिंद्रा, नाक बंद होना और थकान महसूस होना आदि समस्याएं होती हैं तो इन्हें ठीक करने के लिए गाजर का रस बहुत फायदेमंद होता है।
5. नारियल पानी के सेवन से इलाज :
अगर आप साइनस की समस्या से ग्रस्त हैं तो आप नारियल पानी का सेवन कर सकते हैं क्योंकि नारियल पानी पोटेशियम से भरपूर होता है जिसके सेवन से शरीर से गंदगी को बाहर निकाला जा सकता है। यह इस रोग को खत्म करने में भी मदद करता है।
साइनस से बचाव के उपाय-Prevention of Sinusitis In Hindi
- रोगी को धुम्रपान न करने दें क्योंकि जिन लोगों को एलर्जिक साइनस होता है उन्हें पोलन सीजन और सर्दियों में धुम्रपान करने से यह समस्या बढने का खतरा रहता है।
- अगर रोगी को एलर्जी की समस्या है तो उसे बहुत अधिक भारी या गद्देदार फर्नीचर के प्रयोग से बचना चाहिए। रोगी को अपने तकियों, बिस्तरों और कारपेट की नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए इसके साथ-साथ गलीचों और पायदानों की सफाई का भी ध्यान रखना चाहिए। रोगी को इत्र के प्रयोग से जितना हो सके बचना चाहिए।
- रोगी के घर या कमरे में खिडकियों को खुला रखकर हवा को आर-पार जाने देना चाहिए।
- रोगी को हो सके तो जिन लोगों को जुकाम या कोई दूसरा वायरल हो जाता है उन्हें संपर्क में आने से बचना चाहिए।
- रोगी को बहुत अधिक या बहुत कम तापमान में न रहें। रोगी के तापमान में अचानक आने वाले बदलाव से बचना चाहिए।
- रोगी को हो सके तो तनाव से दूर रहना चाहिए क्योंकि तनाव की वजह से शरीर को सुरक्षा देने वाली सफेद सेल कमजोर पड़ जाते हैं।
- रोगी को स्वीमिंग से बचना चाहिए। अगर रोगी को स्वीमिंग जरुर करनी है तो उसे अपनी नाक को ढककर स्वीमिंग करनी चाहिए और स्वीमिंग पूल के पानी में क्लोरीन जरुर होना चाहिए।
- अगर रोगी की नाक में जमावट होने लगे तो उसे अपनी नाक को नमक के पानी से साफ करना चाहिए।
- रोगी के आसपास साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। रोगी को हर तरह के बैक्टीरिया और इंफेक्शन से बचना चाहिए।
- रोगी को प्रतिदिन दिन में कम-से-कम दस गिलास पानी पीना चाहिए। जानिए : पानी पीने के फायदे और नुकसान
- रोगी को सुबह के समय गर्म चाय या पानी का सेवन करना चाहिए क्योंकि गर्म चीजों के सेवन से नाक और गले से बलगम जमा नहीं रहता है।
साइनस में क्या खाएं-Eat In Sinusitis In Hindi
- रोगी को खजूर, सेब, चकोतरा, संतरा, स्ट्रोबेरी, आदि फलों का सेवन करने के लिए देना चाहिए।
- रोगी को लहसुन, लौकी, अदरक, गाजर, पालक, टमाटर, प्याज, कद्दू, हरी मिर्च, पत्ता गोभी, ब्रोकली, नींबू, मूंग आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को सोंठ, लाल मिर्च, मुलेठी, सौंफ, काली मिर्च, अजवाइन, हींग, जीरा, दालचीनी, हल्दी, मेथी, आदि मसालों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को किशमिश, अखरोट, बादाम, आदि मेवों का सेवन करना चहिये।
- रोगी को तिल का तेल, नीलगिरी का तेल, सेब का सिरका, चाय, टी त्रि आयल, नारियल पानी, जैतून का तेल, चुकंदर का जूस, नारियल का तेल, शहद, प्याज का रस, टमाटर का रस, पुदीने का तेल, आदि तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त रोगी को नींबू बाम, आदि का प्रयोग करें।
साइनस में क्या न खाएं-Do Not Eat In Sinusitis In Hindi
- रोगी को गन्ने का रस, दही, आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक, ठंडा दूध, चाय, कॉफी, तेल, कैफीन, शराब, आदि तरल पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
- रोगी को केला आदि फलों के सेवन से बचना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त रोगी को बासी खाना, चावल, चॉकलेट आदि के सेवन से बचना चाहिए।