अस्थि-संधि शोध को ऑस्टियोआर्थराइटिस के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह सबसे आम प्रकार का आर्थराइटिस होता है। यह रोग बढती उम्र के साथ होता है। यह रोग सबसे अधिक उँगलियों, कूल्हों और घुटनों को प्रभावित करता है। जब यह रोग हो जाता है तो घुटनों में सूजन आ जाती है और चलते समय घुटनों में तेज दर्द का एहसास होता है।
हमारे घुटने की नर्म कार्टिलेज, हड्डी को मुलायम तकिए के समान सहारा देती है लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढती जाती है यह घिसती जाती है और कम हो जाती है जिसकी वजह से हड्डियाँ एक-दुसरे से रगड़ खाने लगती हैं और यही दर्द और सूजन का कारण बनता है। कार्टिलेज वह चकना ऊतक होता है जो किसी जोड़ में हड्डी के आखिरी सिरे को ढके हुए रहता है।
एक तरह से देखा जाए तो यह बीमारी किसी भी उम्र के पुरुष या औरत को हो सकती है लेकिन 45 या 50 की उम्र को पार करने क बाद बहुत सी महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद उनके होरमोन स्तर में बदलाव होने लगता है जिसकी वजह से महिलाएं इस रोग से आसानी से ग्रस्त हो जाती हैं। सभी जानते हैं कि महिलाओं के शरीर की बनावट अलग होती है इस वजह से भी यह रोग हो सकता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण-Osteoarthritis Causes In Hindi
1. वजन बढने से : जब किसी व्यक्ति का वजन बहुत अधिक रहता है या कोई व्यक्ति बहुत अधिक मोटा रहता है उसके वजन की वजह से उस व्यक्ति के घुटनों, टखनों और कूल्हों पर वजन पड़ता है जिसकी वजह से उसके जोड़े बहुत अधिक प्रभावित होते हैं। जानिए : Weight Loss Tips In Hindi
2. बढती उम्र से : जब किसी व्यक्ति की उम्र बढती है तो उस व्यक्ति की उम्र बढने के साथ-साथ उस व्यक्ति के शरीर में बहुत सारे परिवर्तन होते हैं। इन परिवर्तनों के साथ-साथ ऑस्टियोअर्थराइटिस भी बढ सकता है क्योंकि यह रोग बढती उम्र के साथ अधिक देखा जाता है।
3. जोड़ों में चोट लगने से : जब कोई व्यक्ति अपनी क्षमता से बहुत अधिक काम करता है या अपने जोड़ों का बहुत अधिक प्रयोग करता है तब उसे यह रोग हो सकता है इसके अतिरिक्त जब रोगी को जोड़ों में चोट लगी हो जिसका बाद में ऑपरेशन के बाद उसे जोड़ों को प्रयोग करने में बहुत परेशानी होती है।
4. पारिवारिक समस्या से : अगर आपके परिवार में से किसी एक व्यक्ति को ऑस्टियोअर्थराइटिस की समस्या हो जाती है या होती है तो उसके बच्चों को या अन्य लोगों को भी इसके होने का जोखिम या खतरा बढ़ जाता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण-Osteoarthritis Symptoms In Hindi
1. दर्द रहना : जब किसी व्यक्ति को यह समस्या हो जाती है तो व्यक्ति को अपने घुटने को हिलाने-डुलाने में बहुत अधिक परेशानी होती है क्योंकि इसमें जोड़े सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। आप दिनभर की गतिविधि के बाद शाम के समय व्यक्ति को उनके जोड़ों में बहुत अधिक दर्द का एहसास होता है जो बढ़ता ही चला जाता है।
2. अकडन होना : जब किसी व्यक्ति को जोड़ों की समस्या हो गई है तो व्यक्ति के शरीर में अकडन महसूस होने लगती है। व्यक्ति को लंबी निष्क्रियता की वजह से व्यक्ति को जोड़ों में जकड़न और दर्द होने लगता है लेकिन जब व्यक्ति गतिशील हो जाता है तो यह दर्द तुरंत चला जाता है। इससे व्यक्ति का शारीरिक संतुलन बिगड़ जाता है और उसकी चलने की स्थिति में भी गिरावट आ जाती है।
3. जोड़े बड़े होना : जब किसी व्यक्ति के जोड़ क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तो उस व्यक्ति के जोड़ों का आकार बड़ा दिखने लगता है और लंबे प्रयोग के बाद या लंबे आराम के बाद व्यक्ति के जोड़ों में प्रभावित क्षेत्र में सूजन आ जाती है जिसकी वजह से व्यक्ति के प्रभावित क्षेत्र में दर्द होने लगता है।
4. मांसपेशियां कमजोर होना : जब किसी व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है तो उस व्यक्ति की हड्डियाँ और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिसकी वजह से व्यक्ति को अपनी हड्डियाँ और जोड़ों को घुमाने या हिलाने डुलाने में बहुत अधिक परेशानी होने लगती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस का इलाज-Osteoarthritis Treatment In Hindi
1. अदरक के सेवन से इलाज :
आप सभी अदरक के बारे में तो जानते ही होंगे क्योंकि अदरक बहुत ही प्राचीन मसालों में से एक है। अगर आपको यह समस्या है तो आप अदरक का सेवन कर सकते हैं क्योंकि यह हड्डी के स्वास्थ्य के बढ़ाने, भूख बढ़ाने, कैंसर को रोकने के साथ-साथ प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में भी मदद करता है। आप इसका प्रयोग खाने करके इस रोग से छुटकारा पा सकते हैं।
2. हल्दी के सेवन से इलाज :
अगर आपको ऑस्टियोअर्थराइटिस की समस्या हो गई है तो आप हल्दी का सेवन कर सकते हैं क्योंकि हल्दी में एंटी बायोटिक गुण पाए जाते हैं जो शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं। आप रात के समय सोने से पहले एक गिलास दूध को गर्म करें और उसमें एक या आधा चम्मच हल्दी मिलाकर उसका सेवन करें इससे आपकी यह समस्या ठीक हो जाएगी।
3. आम के सेवन से इलाज :
आपने आम के बारे में तो सुना ही होगा क्योंकि यह सबका सबसे मनपसन्द फल है जिसे लोग गर्मियों के समय में बहुत अधिक खाते हैं लेकिन आप इस रोग में भी इसका सेवन कर सकते हैं। आप मंदाग्नि और आम का सेवन कर सकते हैं क्योंकि इससे जोड़ों में सूजन और दर्द को कम किया जा सकता है। आम के फायदे और नुकसान
ऑस्टियोआर्थराइटिस से बचाव के उपाय-Prevention of Osteoarthritis In Hindi
- रोगी को प्रतिदिन सुबह के समय नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
- अगर रोगी का वजन बढने लगा है तो कोशिश करके उसे कम करना चाहिए।
- रोगी को जितना हो सके चोट लगने से बचना चाहिए।
- रोगी को ऐसी गतिविधि नहीं करनी चाहिए जिससे किसी खास जोड़ पर बहुत अधिक जोर पड़ता हो।
- रोगी को खुद को बहुत अधिक थकाना नहीं चाहिए।
- रोगी को प्रतिदिन 30 से 40 मिनट तक चलना चाहिए।
- रोगी को तीखे, मसालेदार और तैलीय भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
ऑस्टियोआर्थराइटिस में क्या खाएं-Eat In Osteoarthritis In Hindi
- रोगी को स्ट्रोबेरी, किवी, केंटेलूप, अनानास, संतरा, मौसमी, सेब, नाशपाती, नारियल, तरबूज, खरबूज, केला, आदि फलों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को मिर्च, फूलगोभी, टमाटर, आलू, कद्दू, गाजर, मूली, मेथी, खीरा, ककड़ी, पालक, अदरक, आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को अखरोट, आदि मेवों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को दूध, दही, केनोला का तेल, मछली का तेल, अलसी का तेल आदि तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को हल्दी, अजवाइन, जीरा, आदि मसालों का सेवन करना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त रोगी को पनीर, दलिया, अंडा, मछली आदि का सेवन करना चाहिए।
ऑस्टियोआर्थराइटिस में क्या न खाएं-Do Not Eat In Osteoarthritis In Hindi
- अगर आपको यह रोग हो गया है तो आप रिफाइंड, नमक, केक, बिस्किट, चॉकलेट, सोडा, कुकीज, डोनट्स, चीनी, पेस्ट्री, मीट आदि का सेवन न करें।