नाडीशूल (न्यूरालजिया) क्या है-Neuralgia In Hindi
जब किसी व्यक्ति को नर्वस में दर्द होने लगता है तो इस दर्द को नाडीशूल कहते हैं। यह रोग किसी भी व्यक्ति के चेहरे पर बहुत ही विशेष प्रभाव डालती है। जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उसकी मांसपेशियों का बहुत ही गंभीर दर्द पैदा हो जाता है जो कि तंत्रिका विकार की वजह से उत्पन्न होता है। यह दर्द अधिकतर चेहरे की नर्वस में होता है।
नाडीशूल का दर्द अनिश्चित तरीके से होता है और इसमें बिजली के झटके लगने जैसा प्रतीत होता है और रोगी को ऐसा लगता है जैसे कोई तेज धार वाली या नुकीली चीज चुभ रही हो। यह दर्द कुछ ही मिनटों तक रहता है उसके बाद अपने आप ठीक हो जाता है। इसमें दर्द इतना अधिक होता है कि उसकी दैनिक गतिविधियाँ भी प्रभावित होने लगती हैं।
यह भी पढ़ें : साइटिका के घरेलू नुस्खे , मस्तिष्क में सूजन के घरेलू नुस्खे
इस रोग के विशिष्ट मांसपेशिय संकुचन और दर्द की वजह से इस स्थिति को टिक डाउलोरयुक्स के नाम से जाना जाता है। नाडीशूल नर्व डिसऑर्डर से संबंधित एक रोग है जिसमें यह दर्द मस्तिष्क की ट्राईजेमिनल नर्वस में पैदा हो जाता है। जब कोई नर्व क्षतिग्रस्त हो जाती है तो उसकी संवेदनशीलता और गतिविधि बढ़ जाती है जिसकी वजह से इस दर्द के दौरे पड़ने लगते हैं।
कई बार ऐसा भी हो जाता है कि इस बीमारी के लक्षणों को पता लगाना बहुत अधिक मुश्किल हो जाता है जिसे इडियोपैथिक के नाम से जाना जाता है। इसका इलाज संभव होता है लेकिन यह बीमारी के ऊपर निर्भर करता है कि बीमारी कितनी बढ़ गई है या अभी शुरू हुई है।
नाडीशूल (न्यूरालजिया) के प्रकार-Types of Neuralgia In Hindi
1. पोस्टहर्पेटिक न्युरेल्जिया : इस तरह का रोग शिन्गल्स नामक रोग के रूप में देखा जाता है और यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।
2. ट्राईजेमिनल न्यूरेल्जिया : इस तरह का रोग ट्राईजेमिनल तंत्रिका जो मस्तिष्क से चेहरे तक जाती है से होने वाले दर्द से जुड़ा हुआ होता है।
3. ग्लसोफ़ेरिन्जिअल न्यूरेल्जिया : ग्लसोफ़ेरिन्जिअल तंत्रिका जो गले में होती है उसमें होने वाले दर्द होता है जो आमतौर पर देखा जाए तो बहुत कम होता है।
नाडीशूल (न्यूरालजिया) के लक्षण-Neuralgia Symptoms In Hindi
1. नसों में दर्द होना : अगर बिमारियों की दुनिया के हिसाब से देखा जाए तो यह बीमारी बहुत अधिक खतरनाक होती है क्योंकि इसमें शरीर की नसों में बहुत अधिक दर्द और ऐंठन होती है। यह इस रोग के द्वारा नसों के प्रभावित होने की वजह से होता है।
2. चेहरा प्रभावित होना : अगर किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो इसमें व्यक्ति का चेहरा बहुत अधिक प्रभावित होता है क्योंकि इस रोग में व्यक्ति का सिर, जबड़ा और गाल सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
3. चेहरे पर दर्द होना : जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति को शरीर के जिस भाग में दर्द होता है वह व्यक्ति आसानी से उस भाग को बता सकता है जिसमें उसे दर्द और सूजन हो जाती है।
4. छूने पर दर्द होना : अगर आप इस रोग से ग्रस्त हैं तो आपके शरीर का जो हिस्सा इससे प्रभावित होता है उसके पास से जब हवा गुजरती है या उसे कोई छूता है तो उस हिस्से में बहुत अधिक दर्द होने लगता है।
नाडीशूल (न्यूरालजिया) के कारण-Neuralgia Causes In Hindi
1. ट्यूमर से : अगर किसी व्यक्ति को ट्यूमर या मल्टीपल स्केलेरोसिस की समस्या है तो वह व्यक्ति नाडीशूल के रोग से आसानी से ग्रस्त हो जाता है। यह रोग किसी व्यक्ति को घातक बीमारी जैसे ट्यूमर या किसी वजह से नर्व के दबने की वजह से भी यह रोग हो जाता है।
2. रक्त वाहिका बढने से : जब किसी व्यक्ति की रक्त वाहिकाएं अस्वभाविक रूप से बढ़ जाती हैं तो नर्व पर दबाव डालती हैं जिसकी वजह से नर्व में करंट पैदा हो जाता है जिसकी वजह से रोगी को दर्द महसूस होने लगता है।
3. जिह्र छेदन से : अगर आपको या किसी और व्यक्ति को टंग पियर्सिंग यानी जिहृ छेदन की समस्या हो गई है तो हो सकता है कि उस व्यक्ति को यह रोग आसानी से हो जाए।
4. ऊतकों में परिवर्तन से : आपने अक्सर देखा होगा कि उम्र बढने या बहुत से ऐसे कारण होते हैं जिनकी वजह से लोगों के ऊतकों में बायोकेमिकल परिवर्तन होते हैं जिसकी वजह से वे इस रोग से आसानी से ग्रस्त हो जाते हैं।
5. क्षति से : अगर आपको या किसी व्यक्ति को दुर्घटना या अन्य किसी वजह से नर्व में ट्राउमेटिक क्षति हो गई है तो इससे आपको यह रोग हो सकता है क्योंकि यह खोपड़ी के शुरू से होते हुए चेहरे के ऊतकों और मांसपेशियों तक पहुंचता है जिसकी वजह से नर्व में संकुचन और बहुत से अन्य लक्षण दिखाई देते हैं।
6. संक्रमण से : अगर आपको किसी तरह का संक्रमण हो गया है जो तंत्रिका के पास हुआ है तो इससे इस रोग के होने का खतरा बढ़ सकता है। जब किसी व्यक्ति को दांत में घाव हो जाता है तो इससे व्यक्ति उत्तेजित हो जाता है।
नाडीशूल (न्यूरालजिया) का इलाज-Neuralgia Treatment In Hindi
1. सोंठ का प्रयोग से नाडीशूल का इलाज :
अगर आपको नाडीशूल की समस्या हो गई है तो आप सोंठ का सेवन कर सकते हैं क्योंकि इसके प्रयोग से आप होने वाले दर्द को आसानी से ठीक कर सकते हैं इसके लिए आप सोंठ को गर्म पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। अब इस लेप को अपनी दर्द से प्रभावित क्षेत्र पर लगायें इससे आपका दर्द बिलकुल ठीक हो जाएगा।
2. अजवाइन के सेवन से नाडीशूल का इलाज :
अगर आपको किसी भी कारण से या किसी वजह से नाडीशूल की समस्या हो गई है तो आप अजवाइन का सेवन कर सकते हैं क्योंकि इससे आपकी नाडीशूल की समस्या ठीक हो जाएगी। आप थोड़ी सी अजवाइन को लेकर उसे पीस लें। अब इस चूर्ण का सेवन दिन में दो बार सुबह और शाम करने से आपकी नाडीशूल की समस्या ठीक हो जाएगी।
नाडीशूल (न्यूरालजिया) से बचाव के उपाय-Prevention of Neuralgia In Hindi
- रोगी को अपनी गर्दन को आराम देने के लिए गर्म सिंकाई या बर्फ की सिंकाई का प्रयोग करना चाहिए।
- रोगी को हाथों को पोंछने वाले तौलिये को मोड़कर तकिए की जगह पर प्रयोग करना चाहिए।
- रोगी को अपनी नींद के दौरान अपने सिर और चेहरे को ढंककर रखना चाहिए।
- आपका जो हिस्सा प्रभावित हो उसकी तरफ से न सोएं क्योंकि इससे सुबह के समय आपका दर्द बहुत अधिक बढ़ जाता है।
- अगर रोगी को दर्द हो रहा है तो उसे हल्के गुनगुने पानी से स्नान करना चाहिए।
नाडीशूल (न्यूरालजिया) में क्या खाएं-Eat In Neuralgia In Hindi
- रोगी को क्रेनबेरी, ब्रोकली, स्ट्रोबेरी, संतरा, आडू, अंगूर, रास्पबेरी, अनार, ग्रेपफ्रूट, जामुन, केला, आदि फलों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को करौंदा, टमाटर, ब्रोकली, लहसुन, गाजर, पालक, आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को ठंडे पानी की मछली, शोरबा, बछड़ा, मछली, मेमन, टर्की, आदि मांसाहारी भोजन का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को चाय, ग्रीन टी, दूध, छाछ, डार्क चौकलेट, आदि तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को सोंठ, अजवाइन, धनिया, लौंग, दालचीनी, मेथी, इलायची, आदि मसालों का सेवन करना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त रोगी को अलसी के बीज, अखरोट, सोयाबीन, केनोला तेल, कद्दू के बीज, आदि का सेवन करना चाहिए।
नाडीशूल (न्यूरालजिया) में क्या न खाएं-Do Not Eat In Neuralgia In Hindi
- जिस रोगी को यह रोग हो जाता है उस व्यक्ति को कैफीन, आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।