लेरिन्जाइटिस को स्वरयंत्र के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसी की वजह से हम बोलने में सक्षम होते हैं। लेरिन्जाइटिस में कार्टिलेज स्केलेटोन होते हैं जो बलगम की परत से ढकी हुई स्वर तंत्रियों का घर होते हैं।
लेरिन्जाइटिस के अंदर होने वाली मांसपेशियां स्वर तंत्रियों की स्थिति, आकार और खिंचाव को समायोजित करती हैं जिसकी वजह से हम ऊँचा और धीमा बोल पाते हैं। लेरिन्जाइटिस स्वरयंत्र में होने वाली सूजन होती है जो इसके अत्यधिक प्रयोग या संक्रमण की वजह से होती है।
लैरिंक्स के अंदर स्वर तंत्रियाँ होती हैं जो मांसपेशी और उपास्थि को चारों तरफ से ढकने वाली श्लेष्मा झिल्ली की दो परतें होती हैं। हर व्यक्ति की स्वर तंत्रियाँ आसानी से खुलती और बंद होती हैं और उनकी गतिविधियों और कंपन के माध्यम से ध्वनी बनती है।
जब स्वर यंत्र में सूजन आ जाती है इसकी वजह से उनके ऊपर से गुजरने वाली हवा से उत्पन्न ध्वनियों की विकृति की वजह होती है। इसकी वजह से भी किसी व्यक्ति की आवाज कर्कश लगती है। जब व्यक्ति का गला बैठ जाता है तो व्यक्ति की आवाज को पहचानना भी बहुत मुश्किल हो जाता है।
गला बैठना कम समय और अधिक समय तक रहने वाला हो सकता है। गला बैठने की स्थिति कम समय तक रहने के साथ-साथ लंबे समय तक भी रह सकती है। गला बैठने की अधिकतर स्थितियों में एक अस्थायी वायरल संक्रमण या स्वर तंत्रियों में खिंचाव से शुरू होते हैं और गंभीर नहीं होते हैं। लगातार आवाज का फटना या बैठ जाना कभी-कभी ज्यादा गंभीर चिकित्सा स्थिति का संकेत भी हो सकता है।
लेरिन्जाइटिस के प्रकार-Laryngitis Types In Hindi
1. एक्यूट स्वरयंत्र शोथ : जब किसी व्यक्ति को गला बैठने की स्थिति दो या तीन सप्ताह से कम समय तक रहती है तो यह एक्यूट स्वरयंत्र शोथ समस्या कहलाती है।
2. क्रॉनिक स्वरयंत्र शोथ : जब किसी व्यक्ति की स्वरयंत्र शोथ की समस्या को तीन या चार सप्ताह से भी अधिक समय हो जाता है तो उस व्यक्ति को क्रॉनिक स्वरयंत्र शोथ भी समस्या कहलाती है।
लेरिन्जाइटिस के लक्षण-Laryngitis Symptoms In Hindi
1. आवाज बंद होना : जब किसी व्यक्ति को स्वरयंत्र शोथ की समस्या हो जाती है तो उस व्यक्ति की आवाज धीरे-धीरे बैठ जाती है और अंत में बंद हो जाती है। जब व्यक्ति बोलने का प्रयास करता है तो उसके गले में असहनीय दर्द महसूस होने लगता है।
2. गले में खराश होना : जब किसी व्यक्ति को गले में खुश्की और खराश हो जाती है तो उस व्यक्ति को कुछ भी निगलने में बहुत दर्द और परेशानी होती है। व्यक्ति को ऐसा लगता है जैसे उसका गला या गर्दन फूलने लगी है। व्यक्ति को गले में सूजन आने की वजह से भी बहुत अधिक दर्द होता है।
3. बुखार आना : जब किसी व्यक्ति को यह रोग किसी संक्रमण की वजह से होता है तो उस व्यक्ति का पूरा शरीर संक्रमित हो जाता है जिसकी वजह से उसके शरीर का तापमान भी बढने लगता है जिसकी वजह से व्यक्ति को बुखार आ जाता है।
4. खांसी होना : जब किसी बच्चे को या शिशु को स्वरयंत्र शोथ का रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति को बहुत अधिक खांसी होने लगती है जिसमें बच्चे को खांसी के साथ कर्कश की आवाज आने का अनुमान भी होता है। बच्चे को बहुत अधिक खांसी उठने की वजह से बच्चे के शरीर का तापमान भी बढने लगता है जिससे उसे बुखार आ जाता है।
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लेरिन्जाइटिस के कारण-Laryngitis Causes In Hindi
1. संक्रमण से : जब किसी व्यक्ति के श्वसन तंत्र में संक्रमण हो जाता है तो उस व्यक्ति को गले में खराश की समस्या हो जाती है। जब कोई व्यक्ति सर्दी-जुकाम से ग्रस्त होते हैं या अधिक बोलते, गाना गाते हैं, चीखते हैं, चिल्लाते हैं या अपनी स्वर तंत्रियों का अधिक प्रयोग करते हैं तो इससे गले में खराश हो जाती है।
2. धुम्रपान से : जब कोई व्यकी बहुत अधिक धुम्रपान करता है क्योंकि जो व्यक्ति धुम्रपान अधिक करता है तो उसके शरीर में धुआं प्रवेश कर जाता है जिसकी वजह से वह दूषित कणों से ग्रस्त हो जाता है जिसकी वजह से भी यह रोग होने की संभावना हो सकती है।
3. शराब के सेवन से : जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक शराब का सेवन कर लेता है तो उस व्यक्ति का पूरा शरीर शराब की वजह से प्रभावित हो जाता है और यह शराब उसके दिल को बहुत नुकसान पहुंचती है जिसकी वजह से बहुत से रोग हो जाते हैं।
लेरिन्जाइटिस का इलाज-Laryngitis Treatment In Hindi
1. लौंग के सेवन से इलाज :
अगर आपको स्वरयंत्र शोथ की समस्या हो गई है तो आप लौंग का सेवन कर सकते हैं क्योंकि लौंग आवाज साफ करने में बहुत मदद करते हैं। आप दो लौंग लें और इनके साथ दो लहसुन की कलियाँ लेकर इन्हें पीस लें और पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट में थोडा सा शहद मिलकर इस मिश्रण का दिन में दो बार सेवन करें।
2. काली मिर्च के सेवन से इलाज :
अगर आप बार-बार होने वाई स्वरयंत्र शोथ की समस्या से परेशान हो चुके हैं तो आप काली मिर्च का सेवन कर सकते हैं। सबसे पहले आप दो या तीन काली मिर्च लें और उन्हें दो बादामों के साथ पीस लें। अब इसका दिन में एक बार सेवन करें इससे आपकी गले की समस्या ठीक हो जाएगी।
3. नमक पानी के प्रयोग से इलाज :
जब किसी व्यक्ति को स्वरयंत्र शोथ की समस्या होती है तो उस व्यक्ति को बोलने में बहुत अधिक परिश्रम करना पड़ता है जिसकी वजह से उसे गले में दर्द भी होने लगता है। ऐसे में व्यक्ति को हल्के गुनगुने पानी में नमक डालकर हर दो घंटे के बाद गरारे करने चाहिए क्योंकि गर्म पानी और नमक व्यक्ति को गले में बहुत अधिक ठंडक पहुंचाते हैं।
4. हल्दी के सेवन से इलाज :
बहुत से लोगों का ऐसा मानना है कि हल्दी एक बहुत ही घरेलू और अच्छी दवा होती है क्योंकि यह हमारे शरीर को रोगों से बचाने में मदद करती है। आप एक गिलास दूध में हल्दी मिलाकर उसे उबाल लें। अब इस दूध का सेवन रात के समय सोने से पहले करें इससे आपकी गले की समस्या ठीक हो जाएगी।
5. अदरक के सेवन से इलाज :
अगर आप बार-बार स्वरयंत्र शोथ की समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं तो आप अदरक का सेवन कर सकते हैं क्योंकि यह गले के दर्द को दूर करने के साथ-साथ बैक्टीरिया को मारने में भी मदद करता है। आप अदरक की चाय बनाकर उसका सेवन करें इससे गले की खराश ठीक हो जाएगी।
लेरिन्जाइटिस से बचाव के उपाय-Prevention of Laryngitis In Hindi
- रोगी को धुम्रपान न करने दें क्योंकि धुम्रपान करते समय जो धुआं हमारे अंदर जाता है उसकी वजह से गला सूखता है और हमारी स्वर तंत्रियों में जलन होने लगती है।
- रोगी को शराब या कैफीन की मात्रा वाले पदार्थों का सेवन बहुत ही कम मात्रा में करना चाहिए क्योंकि इससे आपके शरीर में पानी की कमी हो जाती है इसलिए रोगी को जितना हो सके पानी का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए क्योंकि तरल पदार्थ गले में होने वाले बलगम को पतला करने के साथ-साथ आसानी से साफ करने में भी मदद करता है।
- रोगी को मसालेदार भोजन खाने से बचना चाहिए क्योंकि मसालेदार भोजन करने से पेट में एसिड पैदा होता है और गले या भोजन की नली में जाकर छाती में जलन या रोग का कारण बन जाता है।
- रोगी को जितना हो सके कम बोलना चाहिए और अपनी आवाज को आराम देना चाहिए।
- रोगी को गले में दर्द होने पर चूसने वाली गोलियों और गले के स्प्रे का प्रयोग करना चाहिए।
- रोगी को जितना हो सके व्यक्तिगत स्वच्छता रखनी चाहिए।
लेरिन्जाइटिस में क्या खाएं-Eat In Laryngitis In Hindi
- रोगी को अदरक, लहसुन, आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को सेब का सिरका, प्याज का सिरप, नींबू पानी, शहद, ओआरएस, सूप, चाय, दूध, संतरे का रस, आदि तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को मुलेठी, हल्दी, लौंग, काली मिर्च, आदि मसालों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को नीलगिरी आदि फलों का सेवन करना चाहिए।
लेरिन्जाइटिस में क्या न खाएं-Do Not Eat In Laryngitis In Hindi
- जिन लोगों को स्वरयंत्र शोथ की समस्या हो जाती है उन्हें टमाटर, प्याज, लहसुन, मिर्च, शराब, सुपारी, खटाई, उड़द, मछली, आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।