ईओसिनोफिलिया एक ऐसा रोग है जो बहुत कम लोगों में होता है लेकिन बहुत अधिक खतरनाक बीमारी से कम नहीं है। कभी-कभी ऐसा होता है कि इस रोग को लोग एलर्जी समझकर इसे नजर अंदाज कर देते हैं जबकि यह एलर्जी से बहुत ही अलग होता है। यह समस्या किसी भी व्यक्ति को और कभी भी हो सकती है।
यह हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया प्रदर्शित करती है। इस रोग से बचने के लिए हमारे इम्यून सिस्टम का मजबूत होना बहुत अधिक आवश्यक होता है। ओसिनोफिलिया सफेद रक्त कणिकाओं का एक प्रकार होता है जो अस्थिमज्जा में निर्मित होता है।
यह रक्तप्रवाह और आँतों की परतों में पाया जाता है। ईओसिनोफिलिया शरीर के प्रतिरक्षक तंत्र यानि परजीवी, बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा व्यवस्था का ही एक हिस्सा होता है। जब किसी व्यक्ति के खून में ईओसिनोफिलिया की संख्या बढ़ जाती है तो व्यक्ति को ईओसिनोफिलिया रोग हो जाता है।
ईओसिनोफिलिया ल्यूकोसाईट का ही एक हिस्सा होता है जो सामान्य रूप से एक से छः प्रतिशत तक ही रहना चाहिए। ईओसिनोफिलिया एक चिकित्सीय या चिकित्सा की भाषा में एक शब्द होता है जो खून में या शरीर के उतकों में इओसिनोफीलिल्स की मात्रा के बढने या इकट्ठा होने की स्थिति को समझाता है।
जब हमारे शरीर में किसी विशेष तरह के बाहरी पदार्थ का संपर्क होता है तो उसकी प्रतिक्रिया के रूप में हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली का व्यवहार ईओसिनोफिलिया के रूप में प्रदर्शित होता है। ईओसिनोफिलिया करने वाले पदार्थों को एर्लजंस कहा जाता है।
ईओसिनोफिलिया के प्रकार-Types of Tropical Eosinophilia In Hindi
1. फेमिलियल ईओसिनोफिलिया : जब किसी व्यक्ति के शरीर में ईओसिनोफिलिया की मात्रा को नियंत्रित करने वाले जीन में समस्या होने की वजह से होता है।
2. प्राथमिक ईओसिनोफिलिया : जब किसी व्यक्ति के शरीर में कुछ विशेष प्रकार के ल्यूकीमिया जैसे मायोलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम से संबंधित इओसिनोफिल की उत्पत्ति में परिवर्तन की वजह से होता है।
3. द्वितीयक ईओसिनोफिलिया : यह रोग परजीवी संक्रमण, स्वप्रतिरक्षा प्रतिक्रिया , एलर्जी, और सूजन पैदा करने वाले रोगों से संबंधित होता है।
ईओसिनोफिलिया के कारण-Tropical Eosinophilia Causes In Hindi
1. रोगों से : जब किसी व्यक्ति को दमा, त्वचा रोग, फाईलेरिएसिस, एलर्जीजन्य बुखार, घातक एनीमिया या ट्रौपिकल इस्नोफीलिया आदि रोग हो जाते हैं तो उस व्यक्ति को यह रोग होने का बहुत अधिक खतरा रहता है क्योंकि इन रोगों की वजह से व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है।
2. परजीवी संक्रमण से : जब कोई व्यक्ति परजीवी संक्रमण की चपेट में आ जाता है या किसी वजह से परजीवी संक्रमण उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं तो ये उसके शरीर में पहुंचकर बहुत ही तीव्र रूप से प्रतिक्रिया करते हैं और व्यक्ति को बहुत अधिक बीमार की स्थिति में पहुंचा देते हैं।
3. विषाक्त पदार्थों के जमने से : जब किसी व्यक्ति के शरीर में विषाक्त पदार्थों की अधिकता हो जाती है तो उसके शरीर में विषाक्त पदार्थ धीरे-धीरे जमने लगते हैं जिसकी वजह से ये इकट्ठे होकर इस रोग के होने का मुख्य कारण बन जाते हैं।
4. एलर्जी से : जब किसी व्यक्ति को किसी खान-पान की वस्तु से या किसी विशेष प्रकार की दवाई से एलर्जी होती है तो उस व्यक्ति को यह रोग हो जाता है क्योंकि शुरू में यह रोग सामान्य दिखाई देता है लेकिन समय के साथ बढ़कर यह घातक हो जाता है।
ईओसिनोफिलिया के लक्षण-Tropical Eosinophilia Symptoms In Hindi
1. बलगम आना : जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक गुस्सा करता है तो उस व्यक्ति को थाइराइड नाम का विकार हो जाता है जिसमें उसे बलगम आने लगता है। जिस व्यक्ति को ईओसिनोफिलिया नाम का रोग हो जाता है उस व्यक्ति को बलगम निकालने में बहुत परेशानी होती है लेकिन बलगम आता ही है।
2. दम घुटना : जब किस व्यक्ति को बरसात के मौसम में ठंड लग जाती है तो उस व्यक्ति को यह रोग हो जाता है। इस रोग के होने पर व्यक्ति को दम घुटने का एहसास होता है जिसकी वजह से उसे साँस लेने में बहुत समस्या होती है। व्यक्ति को अपने गले के आसपास जरा सा भी दबाव सहन नहीं होता है।
3. खांसी होना : जब व्यक्ति को खांसी आने लगती है तो उससे पहले ही व्यक्ति को साँस लेने में कठिनाई महसूस होने लगती है। व्यक्ति को गले में सुरसुराहट होने लगती है और छाती के निचले सिरे पर ऐसा लगता है जैसे किसी ने सुई चुभा दी हो।
4. पेट दर्द होना : जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति की नसों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचता है जिसकी वजह से झुनझुनी और सनसनी होने लगती है और उस व्यक्ति की त्वचा पर निशान भी पड़ने लगते हैं।
5. बुखार आना : जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति को साँस लेने में बहुत अधिक परेशानी होती है जिसकी वजह से उसकी नसों पर दबाव पड़ता है जिससे उसके शरीर का तापमान बढ़ जाता है और व्यक्ति को रात के समय पसीना भी आने लगता है।
6. वजन कम होना : आपने अक्सर देखा होगा की जब किसी अंग में सूजन आ जाती है तो वह अंग बड़ा हो जाता है उसी तरह से जब यह रोग हो जाता है व्यक्ति की लसिका ग्रंथियों का आकार भी बड़ा हो जाता है। इसमें रोगी को भोजन करने का मन नहीं करता है जिसकी वजह से उसके वजन में भारी गिरावट हो जाती है।
ईओसिनोफिलिया का इलाज-Tropical Eosinophilia Treatment In Hindi In Hindi
1. नीलगिरी के सेवन से इलाज :
अगर आपको उष्णकटिबंधीय ईओसिनोफिलिया रोग के दौरान बलगम बहुत कदा हो जाता है या मुश्किल से निकलता है तो आप नीलगिरी का प्रयोग कर सकते हैं। आप नीलगिरी को अपने भाप लेने के पानी में डालकर उससे भाप लेने से आपका बलगम पतला हो जाएगा और आसानी से साफ भी हो जाएगा।
2. काली मिर्च के सेवन से इलाज :
अगर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है जिसकी वजह से आप किसी भी रोग से आसानी से ग्रस्त हो जाते हैं जिसमें से एक यह रोग है तो आप काली मिर्च का सेवन कर सकते हैं क्योंकि यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने में मदद करता हैआप काली मिर्च का पाउडर लेकर उसे शहद में मिलाकर उसका सेवन करें इससे आपकी समस्या ठीक हो जाएगी।
3. अदरक के सेवन से इलाज :
अगर आप अपनी ईओसिनोफिलिया नाम के रोग स मुक्ति चाहते हैं तो आप अदरक का सेवन कर सकते हैं इसके लिए आप सबसे पहले अदरक का एक टुकड़ा लें और उसे छील लें। अब इस टुकड़े को मसलें और एक मग में डाल दें।
अब इस मग में उबलते हुए पानी को डालें और कुछ देर के लिए इसे ऐसे ही छोड़ दें। थोड़ी देर के बाद इस पानी को एक साँस में पी जाएँ इससे आपकी एलर्जी की समस्या ठीक हो जाएगी।
4. हल्दी के सेवन से इलाज :
आपने हल्दी को दूध में मिलाकर पीते हुए बहुत से लोगों को देखा होगा क्योंकि हल्दी एक एंटी बायोटिक मानी जाती है जिसे दूध में मिलाकर पीने से बहुत से रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
आप प्रतिदिन रात के समय सोने से पहले एक गिलास दूध में हलसी मिलाकर उसका सेवन करें इससे आपको रोग से मुक्ति के साथ-साथ आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत होगी।
5. प्याज के सेवन से इलाज :
अगर आपको ईओसिनोफिलिया की समस्या हो गई है तो आप प्याज का सेवन कर सकते हैं क्योंकि प्याज को एक अच्छे एंटी बायोटिक के रूप में जाना जाता है। आप प्रतिदिन प्याज के रस को एक चम्मच की मात्रा में लें और उसे एक गिलास पानी में मिलाकर उसका सेवन करें इससे आपकी समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी।
ईओसिनोफिलिया से बचाव के उपाय-Prevention of Tropical Eosinophilia In Hindi
- रोगी को प्रतिदिन सुबह के समय उठकर नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
- रोगी को उस चीज का सेवन नहीं करना चाहिए जिस चीज से उसे एलर्जी होती है।
- रोगी को धूल या प्रदूषण भरे वातावरण से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए।
- रोगी को धुम्रपान करने से बचना चाहिए।
- रोगी से मिलने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए।
- अगर आप शारीरिक संबंध स्थापित करते समय सुरक्षा बरतनी चाहिए।
ईओसिनोफिलिया में क्या खाएं-Eat In Tropical Eosinophilia In Hindi
- रोगी को लहसुन, अदरक, आदि सब्जियों का सेवन करने के लिए देना चाहिए।
- रोगी को हल्दी, मेथी दाना, काली मिर्च आदि मसालों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को शहद, ग्रीन टी, दूध, नीलगिरी का तेल, प्याज का रस, चाय, आदि तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को एवोकाडो, आदि फलों का सेवन करने के लिए देना चाहिए।
ईओसिनोफिलिया में क्या न खाएं-Do Not Eat In Tropical Eosinophilia In Hindi
- जिन लोगों को यह समस्या हो जाती है उन्हें दही, केला, सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन नहीं करना चाहिए।