इन्सेफेलाइटिस क्या है-Encephalitis In Hindi
यह एक बहुत ही खतनाक बीमारी है क्योंकि इसमें व्यक्ति की तबियत बहुत अधिक बिगड़ जाती है जिससे मरीज को दौरा पड़ सकता है जिसकी वजह से व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है। जापानी बुखार एक तरह का दिमागी बुखार होता है जो वायरल संक्रमण की वजह से होता है। यह रोग एक विशेष प्रकार के वायरस की वजह से होता है जो खासकर मच्छर या सूअर की वजह से फैलता है।
एक तरह से देखा जाए तो यह गंदगी की वजह से भी फैल सकता है। जब यह वायरस एक बार हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है तो उसके बाद यह सीधा हमारे दिमाग की ओर जाकर उस पर आक्रमण करता है।
Also Read : Headace Treatment In Hindi , Migraine Treatment In Hindi
यह दिमाग में जाते ही हमारे सोचने, समझने, देखने और सुनने की शक्ति या क्षमता को प्रभावित कर देता है क्योंकि यह वायरस किसी भी तरह से फैल सकता है इसलिए हमें बहुत ही सावधान रहना चाहिए।
यह रोग बच्चों के साथ-साथ बुजुर्गों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। यह रोग अगस्त से लेकर अक्टूबर तक अपने गंभीर रूप को धारण कर लेता है। इस रोग को लोग आम भाषा में जापानी बुखार के नाम से जानते हैं लेकिन विज्ञान की दुनिया में इसे इन्सेफेलाइटिस के नाम से जाना जाता है।
इन्सेफेलाइटिस के लक्षण-Encephalitis Symptoms In Hindi
1. बुखार आना : जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति को तेज बुखार आने लगता है जिसकी वजह से वह चिडचिडा हो जाता है और अगर कोई उसे कुछ बात कह देता है तो वह बात-बार पर रोने लगता है। उस व्यक्ति को सिरदर्द रहने लगता है पोर उसका सिरदर्द बढना भी शुरू हो जाता है।
- जानिए : बुखार आने पर घरेलू उपाय
2. कमजोरी आना : जब किसी व्यक्ति को साइटिक रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति को संक्रमण की वजह से भूख नहीं लगती और भोजन से अरुचि हो जाती है जिसकी वजह से उसका कुछ भी खाने का मन नहीं करता है और वह धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है और उसे हमेशा सुस्ती सी छाई रहती है।
3. गर्दन में दर्द होना : जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति के शरीर की मांसपेशियों में खिंचाव होने लगता है जिसकी वजह से उसकी गर्दन में भी जकड़न होने लगती है और इससे उस व्यक्ति को अपनी गर्दन हिलाने में दर्द होता है।
4. उल्टियाँ होना : इसमें कोई भी व्यक्ति होता है उसके सिर में बहुत तेज दर्द होने लगता है जिसकी वजह से व्यक्ति का कहीं मन नहीं लगता है और वह चिडचिडा हो जाता है जिसकी वजह से उसका जी मिचलाने लगता है और एक स्थिति तो ऐसी भी आती है कि व्यक्ति को उल्टियाँ हो जाती हैं।
5. अतिसंवेदनशील होना : जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक तनाव की स्थिति में रहता है या उसके सिर में दर्द बना रहता है तो उस व्यक्ति को बहुत अधिक सुस्ती रहती है और वह अतिसंवेदनशीलता का अनुभव हो जाता है।
6. दौरे पड़ना : जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति को पागलपन के दौरे पड़ने लगते हैं जिसकी वजह से उसे लकवा मार जाता है और कभी-कभी तो व्यक्ति की स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है तो वह व्यक्ति कोमा में चला जाता है। जब वह व्यक्ति इस स्थिति से बाहर आता है तो उस व्यक्ति को किसी भी तरह के भ्रम का शिकार हो जाता है।
यह भी पढ़ें : मिर्गी या दौरे पड़ना का सफल इलाज
इन्सेफेलाइटिस के कारण-Encephalitis Causes In Hindi
1. वायरस से : जब कोई व्यक्ति रेबिज वायरस, हरपीज सिंप्लेक्स, पोलियो वायरस, खसरे के विषाणु, छोटी चेचक विषाणु, जापानी इन्सेफेलाइटिस विषाणु, सेंट लुइस विषाणु, पश्चिमी नील विषाणु, शीतला मानइर विषाणु, शीतला मेजर विषाणु आदि वायरस से संक्रमित हो जाता है तो वह व्यक्ति इस रोग से आसानी से ग्रस्त हो जाता है।
2. गंदगी से : जब कोई व्यक्ति अपने आसपास या किसी ऐसी जगह पर रहता है जहाँ पर बहुत अधिक गंदगी रहती है या पानी इकट्ठा रहता है तो उस जगह पर मच्छर बहुत अधिक होते हैं और जब वे व्यक्ति को काटते हैं जिससे वे साइटिक रोग से ग्रस्त हो जाते हैं।
इन्सेफेलाइटिस से बचाव के उपाय-Prevention of Encephalitis In Hindi
- रोगी को जितना हो सके मिटटी के या गंदी मिटटी के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
- रोगी को मच्छरों से बचना चाहिए जिसके लिए घर के आसपास पानी को जमा न होने दें और मछरदानी का प्रयोग करें।
- बरसात के मौसम में बच्चों को स्वस्थ और पोष्टिक आहार का सेवन करने के लिए देना चाहिए।
- अगर रोगी बच्चा है तो उसे पूरी तरह से शरीर को ढंकने वाले कपड़ों को पहनाना चाहिए ताकि उनकी त्वचा ढकी रह सके।
- रोगी को समय पर टीकाकरण करवाना चाहिए।
- रोगी को अपने आसपास की जगह पर सफाई रखनी चाहिए और सूअरों को ऐसी जगह पर रखना चाहिए जहाँ पर मच्छर न पनपें।
- जापानी या दिमागी बुखार से पीड़ित व्यक्ति के आसपास नहीं रहना चाहिए।
- रोगी को बदलते मौसम में अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखना चाहिए।
- शहर में दिमागी बुखार की समस्या फैलने पर मास्क का प्रयोग करना चाहिए।
- रोगी को धुम्रपान या अल्कोहल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए।
इन्सेफेलाइटिस में क्या खाएं-Eat In Encephalitis In Hindi
- रोगी को ब्लूबेरी, चेरी, आदि फलों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को टमाटर, कद्दू, खीरा, लौकी, आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को जैतून का तेल, वनस्पति तेल, सोयाबीन तेल, सूरजमुखी का तेल, आदि तेलों का प्रयोग करना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त रोगी को अनाज, दलिया, मांस, आदि का सेवन करना चाहिए।
इन्सेफेलाइटिस में क्या न खाएं-Do Not Eat In Encephalitis In Hindi
- इस रोग के होने पर रोगी को चाय, कॉफी, लाल मांस, नमकीन, ब्रेड, पास्ता, चीनी आदि के सेवन से बचाव करना चाहिए।