सर्दियों के समय में बलगम की खांसी होना एक बहुत ही आम समस्या मानी जाती है लेकिन कुछ लोग इस समस्या से पूरे साल भर परेशान रहते हैं। बलगम वाली खांसी को इम्फीसेमा रोग के नाम से भी जाना जाता है।
धुम्रपान एक गंभीर फेफड़े की स्थिति का सबसे सामान्य कारण है जिसे ही एम्फायसेमा के नाम से जाना जाता है। एम्फायसेमा की समस्या होने पर हवा के थैले कमजोर पड़ जाते हैं और वे विस्तार करने के बाद अनुबंध करने की अपनी क्षमता को खो देते हैं।
हवा इन थैलों में भी फंस जाती है जिससे कुछ तोड़ सकते हैं। यह समस्या साँस लेने में कठिनाई देती है और आपके खून के प्रवाह में आकर ऑक्सीजन की मात्रा को भी कम कर सकती है।
एम्फायसेमा के लक्षण-Emphysema Symptoms In Hindi
1. साँस फूलना : जब किसी व्यक्ति को एम्फायसेमा का रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति को हल्की शारीरिक गतिविधि करने पर भी साँस फूलने लगता है और व्यक्ति को साँस लेने में भी कठिनाई होती है जो एम्फायसेमा का प्रथम लक्षण माना जाता है।
2. खांसी होना : जब किसी व्यक्ति को एम्फायसेमा की समस्या होती है तो उस व्यक्ति को खांसी की समस्या होना बहुत ही आम बात होती है। खांसी आने के दौरान व्यक्ति को बलगम की मात्रा के आने की समस्या भी रहती है और बलगम की मात्रा भी अधिक होती है।
3. थकान होना : जब व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उसके फेफड़ों में होने वाले हवा के थैले कमजोर पड़ जाते हैं जिसकी वजह से उसे साँस लेने में समस्या होती है और साथ-ही-साथ बहुत अधिक थकान भी होने लगती है।
4. छाती का संक्रमण : जब किसी व्यक्ति के शरीर में छाती के संक्रमण प्रवेश कर जाते हैं तो ये संक्रमण छाती तक पहुंचकर फेफड़ों के अधिक फैलाव का कारण बन जाता है और जिसकी वजह से पसलियाँ भी फैलने लगती हैं।
5. त्वचा का रंग बदलना : जब किसी व्यक्ति को बहुत अधिक खांसी होती है और खांसी के साथ-साथ बलगम की मात्रा भी बहुत अधिक आती है तो उस व्यक्ति के शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है तो उस व्यक्ति के शरीर पर नीले रंग के निशान पड़ने लगते हैं।
एम्फायसेमा के कारण-Emphysema Causes In Hindi
1. नशीले पदार्थों के सेवन से : रोगी को जितना हो सके नशीले पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि तंबाकू, शराब, सिगरेट आदि का सेवन करके एम्फायसेमा की समस्या को बहुत अधिक बढ़ा लेते हैं इससे आपको यह समस्या हो जाती है।
2. वायु प्रदूषण से : आज के समय में वायु में बहुत अधिक धुआं, धूल या रासायनिक गैसें मिल जाती है तो वायु दूषित हो जाती है और जब यह वायु हमारे शरीर में प्रवेश कर जाती है तो इससे एम्फायसेमा की समस्या होने का खतरा रहता है।
3. उम्र बढने से : जब किसी व्यक्ति की उम्र बढने लगती है तो उस व्यक्ति के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने लगती है और उसके शरीर में बहुत से बदलाव हों लगते हैं। व्यक्ति को इसके शुरू में लक्षण दिखाई नहीं देना चाहिए।
एम्फायसेमा से बचाव के उपाय-Prevention of Emphysema In Hindi
- रोगी को धुम्रपान न करने दें क्योंकि व्यक्ति रासायनिक धुएं और धूल की वजह से ही इसकी चपेट में आ जाता है।
- धूल वाली जगह पर काम करने के दौरान उन्हें मुंह और नाक पर मास्क लगाने चाहियें।
- रोगी को अपने आप को ठंडे स्थान पर जाने से बचाना चाहिए।
- रोगी को प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम करने की सलाह देनी चाहिए।
एम्फायसेमा में क्या खाएं-Eat In Emphysema In Hindi
- रोगी को लाल शिमला मिर्च, लहसुन, प्याज, ब्रोकली, मटर, फलियाँ, पालक, रतालू, टमाटर, आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए। जानिए : सभी सब्जियों के फायदे के बारे में
- रोगी को बेरीज, लाल अंगूर, तरबूज आदि फलों का सेवन करने के लिए देना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त रोगी को गेंहू की बाली, ब्रेड, दलिया, चोकर, चावल आदि का सेवन करने के लिए देना चाहिए।
एम्फायसेमा में क्या न खाएं-Do Not Eat In Emphysema In Hindi :
- अगर किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाए तो उसे रेड मीट, अंडे, दूध, दही आदि देरी उत्पादों का सेवन करने से बचना चाहिए।