किसी भी व्यक्ति के शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उसका सिर होता है जो गर्दन के सहारे खड़ा होता है। हमारी गर्दन हमारे सिर को सहारा देने के साथ-साथ इसमें लचीलापन होता है जिसकी वजह से आपको इधर-उधर गर्दन को घुमाने में बहुत मदद मिलती है।
हर व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी में 32 कोशिकाएं होती हैं जिन्हें वर्टिब्रा के नाम से जाना जाता है इनमें से जो पहली सात कोशिकाएं होती हैं उन्हें ही सर्वाइकल वर्टिब्रा कहा जाता है। इन कोशिकाओं से एक तरह की नसों का गुच्छा या समूह गुजरता है और इसके द्वारा ही दिमाग के संदेश को पूरे शरीर के अंगों तक पहुंचाया जाता है जिसे स्पाइनल कोर्ड के नाम से भी जाना जाता है।
इसी की वजह से हमारे पूरे शरीर की गतियाँ संचालित होती हैं। हमारे सिर का भार उठाने की वजह से प्रथम मनके को एटलस के नाम से प्रदर्शित किया गया है। एटलस और एक्सिज पहले दो ऐसे मनके होते हैं जो सिर के वजन को झेलने के साथ-साथ गर्दन की बहुत सी गतिविधियों के संचालन में बहुत योगदान देते हैं।
किसी वजह से शरीर के अंगों की तरह जब ये वर्टिब्रा वियर और टियर की वजह से घिस जाते हैं तो सर्वाइकल क्षेत्र में जब ये वर्टिब्रा प्रभावित हो जाते हैं तो उससे जो अवस्था पैदा होती है उसे ही गर्दन का दर्द या सर्वाइकल स्पोंडोलाइसिस के नाम से जाना जाता है। वर्टिब्रा घिसने पर उनके बीच में जो कुशन होते हैं वो भी घिस जाते हैं जिसकी वजह से हड्डियाँ कमजोर होकर नुकीली हो जाती हैं।
गर्दन दर्द के कारण-Cervical Spondylosis Causes In Hindi
1. व्यायाम न करने से : जब कोई व्यक्ति एक ही मुद्रा में बहुत अधिक देर तक बैठा रहता है या व्यायाम नहीं करता है तो उस व्यक्ति की दो कोशिकाओं के बीच की जो जगह होती है वह और भी घटने लगती हिया जिसे स्पांडिलाइटिक चेंज के नाम से भी जाना जाता है। इसमें गर्दन और उसके इर्द-गिर्द दर्द होने लगता है और समय के बाद स्नायु पर दबाव बढने लगता है जिससे हाथों में भी दर्द शुरू हो जाता है।
2. मांसपेशियों में खिंचाव से : जब किसी व्यक्ति की गर्दन की हड्डियों को मांसपेशियों से जोड़ने वाला जो लिंगावेट होता है जब उसमें खिचाव उत्पन्न होने लगता है या अचानक से खिंचाव आ जाता हिया तो उस व्यक्ति को यह समस्या हो जाती है।
3. गलत तरीके से बैठने से : जब कोई व्यक्ति सही तरह से बैठने की जगह पर गलत तरीके से बैठता है तो उस व्यक्ति को गर्दन में दर्द हो सकता है। इसके अलावा जब कोई व्यक्ति अपने सिर को झुकाकर या कंप्यूटर पर काम करता है तो उस व्यक्ति को इस रोग के होने की बहुत अधिक संभावना रहती है।
4. चोट की वजह से : जब किसी को खेलते समय, दुर्घटना की वजह से या अन्य किसी कारण की वजह से रीढ़ की हड्डी में चोट आ जाती है तो उन लोगों को भी इस रोग के होने का बहुत अधिक खतरा रहता है। जब व्यक्ति को भारी वजन उठाने से और ज्यादा ऊँचे तकिए पर सोने की वजह से भी उन्हें गर्दन में दर्द हो सकता है।
5. ऑस्टियोआर्थराइटिस से : अगर आपको हड्डियों को सहारा देने वाली सुरक्षात्मक कार्टिलेज और कोमल ऊतक किसी वजह से टूटने लगे हैं तो इससे ऑस्टियोअर्थराइटिस की समस्या हो जाती हिया जिसकी वजह से भी व्यक्ति को गर्दन में दर्द हो सकता है। – ऑस्टियोआर्थराइटिस का इलाज
6. क्रोनिक चोट से : जब किसी व्यक्ति को क्रोनिक चोट लग जाती है तो इससे भी आपको अपनी गर्दन में दर्द का एहसास हो सकता है। क्रोनिक चोट व्यक्ति को प्रायः बैक चलाते समय भारी हेलमेट पहनने से या रीढ़ की हड्डी के फ्रेक्चर से भी व्यक्ति को गर्दन में दर्द हो जाता है।
गर्दन दर्द के लक्षण-Cervical Spondylosis Symptoms In Hindi
1. गर्दन में दर्द होना : जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक एक ही मुद्रा में खड़ा रहता है या बैठा रहता है तो उस व्यक्ति को गर्दन में दर्द होने लगता है। यह दर्द कई लोगों में लगातार बना रहता है जबकि कुछ लोगों में यह दर्द अचानक से तेज दर्द होने लगता है। व्यक्ति को गर्दन में दर्द के साथ चक्कर आने लगते हैं जिसकी वजह से व्यक्ति को बाजू में भी दर्द होने लगता है जिसकी वजह से उसका हाथ भी सुन्न पड़ जाता है।
2. नसों में सूजन आना : जब किसी व्यक्ति को उसके गले में दर्द होता है तो उस व्यक्ति की गर्दन की नसों पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है जिसकी वजह से उसकी नसों पर सूजन आ जाती है और यह सूजन गर्दन के आसपास फैलने लगती है। गर्दन में सूजन की वजह से भी व्यक्ति को गर्दन में दर्द होने लगता है।
3. गर्दन में जकड़न होना : आपने अक्सर देखा होगा कि जब आप रात को सोकर सुबह के समय उठते हैं तो आपकी गर्दन में जकड़न हो जाती है जो बहुत अधिक दुःख देने वाली भी हो जाती है। व्यक्ति को अपनी गर्दन घुमाने या हिलाने में बहुत समस्या होती है और साथ ही घिसने की सी आवाज भी आ सकती है। इसमें शुरू में गर्दन में जकड़न होती है लेकिन बाद में यह दर्द में बदल जाती है।
4. सिरदर्द होना : जब किसी व्यक्ति को गर्दन में दर्द होने लगता है तो उस व्यक्ति को इस प्रकार दर्द होता है कि उसका गर्दन के पिछले हिस्से में होने वाला दर्द इससे शुरू होकर धीरे-धीरे सिर के अगले भाग में पहुंच जाता है जिसकी वजह से उसे सिर में दर्द होने लगता है। जानिए : सिर दर्द के अचूक उपाय
गर्दन दर्द का इलाज-Cervical Spondylosis Treatment In Hindi
1. लहसुन के सेवन से इलाज :
अगर आप बार-बार होने वाले गर्दन के दर्द से परेशान हो चुके हैं तो आप लहसुन का सेवन कर सकते हैं। आप सुबह के समय खाली पेट लहसुन के कच्ची दो या तीन कलियाँ पानी के साथ ग्रहण करें। इसके अतिरिक्त आप तेल में लहसुन को पकाकर अपनी गर्दन की मालिश करें इससे भी आपकी गर्दन में दर्द की समस्या ठीक हो जाएगी।
2. सेंधा नमक के प्रयोग से इलाज :
अगर आपको अपनी गर्दन में बहुत अधिक दर्द होता है तो आप सेंधा नमक का प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि इसमें मैग्नीशियम की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है जिससे आपको गर्दन के दर्द में बहुत अधिक लाभ होगा। आप सबसे पहले एक कप पानी के साथ सेंधा नमक मिलाकर उसका पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को उस जगह पर लगायें जिस पर आपको दर्द होता हो क्योंकि इससे आपको बहुत अधिक फायदा होगा।
3. हल्दी के सेवन से इलाज :
सभी लोग हल्दी के औषधीय गुणों के बारे में तो जानते ही हैं लेकिन हल्दी सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के दर्द को भी प्रभावित करता है। हल्दी किसी भी व्यक्ति के रक्त संचार को तेज कर देता है और व्यक्ति के गर्दन के दर्द में बहुत आराम दिलाता है और गर्दन की अकडन को भी कम कर देता है। आप एल गिलास दूध को उबालें और उसमें आधी चम्मच हल्दी मिलाएं और उसमें शहद मिलकर उसका दिन में दो बार सेवन करें इससे आपकी गर्दन दर्द की समस्या ठीक हो जाएगी।
4. अदरक के सेवन से इलाज :
गर्दन में दर्द की समस्या होने पर आप अदरक का सेवन कर सकते हैं। आप तीन कप या एक पाँव अदरक की चाय का सेवन एक दिन में करें इससे आपकी गर्दन में दर्द की समस्या ठीक हो जाएगी। सबसे पहले आप पानी में अदरक को उबालें और उसे ठंडा करके उसमें शहद मिलाकर उसका सेवन करें इससे आपकी गर्दन की समस्या ठीक हो जाएगी।
गर्दन दर्द से बचाव के उपाय-Prevention of Cervical Spondylosis In Hindi
- रोगी को प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
- रोगी को अपनी गर्दन या पैरों के नीचे तकिया रखने की आदत से बचना चाहिए।
- रोगी को आरामदायक बिस्तर पर सोना चाहिए क्योंकि इससे नींद में परेशानी नहीं होती है और इस रोग को भी कम किया जा सकता है।
- रोगी को जितनी हो सके पैदल चलने की कोशिश करनी चाहिए और वजन को बढने से रोकना चाहिए।
- रोगी को पोष्टिक और कैल्शियम, विटामिन से भरपूर भोजन का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को लंबे सफर से बचना चाहिए। अगर लंबा सफर हो तो पीठ को सहारा देने के लिए पीठ के पीछे तकिया लगाना चाहिए।
- रोगी को शराब का अत्यधिक सेवन करने से बचना चाहिए।
- रोगी को पढ़ते समय गर्दन को ज्यादा झुकाकर पढाई नहीं करनी चाहिए।
- कुर्सी या सोफे पर बैठते समय पीठ, गर्दन और कमर को हो सके तो सीधा रखना चाहिए।
गर्दन दर्द में क्या खाएं-Eat In Cervical Spondylosis In Hindi
- रोगी को लहसुन, अदरक, नींबू, पालक, आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को हल्दी, सेंधा नमक, आदि मसालों का सेवन करना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त रोगी को तिल के बीज, तैलीय बीज, मेवा, मछली, आदि का सेवन करना चाहिए।
गर्दन दर्द में क्या न खाएं-Do Not Eat In Cervical Spondylosis In Hindi
- गर्दन दर्द होने पर रोगी को बादाम, पिस्ता, अखरोट, दूध, गाजर, आलू, स्ट्रोबेरी, केला, पत्तागोभी, प्याज, आदि के सेवन से बचना चाहिए।