सभी लोगों के वायुमार्ग आकार बदलते रहते हैं कभी ढीले तो कभी फैले हुए होते हैं। जब किसी वजह से साँस की नली की दीवारों और इंफेक्शन और सूजन हो जाती है तो इससे साँस की नलियाँ अनावश्यक रूप से कमजोर हो जाती हैं जिसकी वजह से साँस की नली का आकार नलीनुमा न रहकर गुब्बरेनुमा और सिलेंडरनुमा हो जाता है।
इसकी वजह से ये दीवारें इकट्ठा हो जाती है और बलगम को बाहर निकालने में असमर्थ हो जाती है जिसकी वजह से साँस की नलियों में गाढे बलगम का बहुत अधिक जमाव हो जाता है जो नलियों में रूकावट उत्पन्न कर देता है।
जब नलियों में यह रूकावट उत्पन्न हो जाती है तो नलियों से जुड़ा हुआ फेफड़ों का भाग बुरी तरह से प्रभावित होता है और सिकुड़ जाता है या गुब्बरेनुमा हो जाता है।
प्रभावित भाग में स्थित फेफड़े को खून की सप्लाई करने वाली धमनी का आकर भी बड़ा हो जाता है जिसकी वजह से प्रभावित फेफड़े और साँस नली अपना काम ठीक तरह से नहीं कर पाते हैं जिससे रोगी को बहुत सारी मुसीबतें होने लगती हैं। ये धीरे-धीरे फेफड़ों में वायु के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने की क्षमता को खो देता है।
ब्रोन्किइक्टेसिस के कारण-Bronchiectasis Causes In Hindi
1. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली से : जब किसी व्यकी की प्रतिरक्षा प्रणाली असाधारण तरीके से काम करती है तो वह बहुत अधिक कमजोर हो जाता है। वह आसानी से किसी भी रोग से ग्रस्त हो जाता है। ऐसे में यह रोग आसानी से हो जाता है क्योंकि यह रोग इंफेक्शन से अधिक होता है।
2. रोगों से : जब किसी व्यक्ति को इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज, स्व प्रतिरक्षित रोग, सीओपीडी, एड्स, आदि रोग से ग्रस्त होने की संभावना होती है तो ऐसे लोग इस रोग से ग्रस्त होने की बहुत अधिक संभावना रहती है क्योंकि इन रोगों से इनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है।
3. इंफेक्शन से : किसी व्यक्ति को यह रोग होने का मुख्य कारण उनके सीने में साँस नली और उसकी शाखाओं में बार-बार होने वाला इंफेक्शन होता है। निमोनिया का इंफेक्शन इस तरह के इंफेक्शन को बढ़ा देता है। जब इस इंफेक्शन को शुरुआत के दिनों में ठीक तरह से रोका नहीं जाता है तो यह रोग बढ़ जाता है और फुफ्फुसीय शोध में बदल जाता है।
4. फेफड़ों में संक्रमण से : जब किसी व्यक्ति को यह इंफेक्शन होता है तो फेफड़ों और उसमें स्थित साँस नली पर जाते-जाते यह इंफेक्शन अपना प्रभाव छोड़ देता है। इस वजह से साँस नली और फेफड़े की संरचना में बदलाव आ जाता है जिसकी वजह से इसके जीवाणु अपना डेरा जमा लेते हैं और धीरे-धीरे साँस नली के काम में बाधा डालते हैं इसे ही इस रोग की शुरुआत मानी जाती है।
5. विरासत में : कई केसों में ऐसा होता है कि कुछ लोगों को यह बीमारी जन्म से ही होती है जैसे – सिस्टिक फाइब्रोसिस नाम का रोग बच्चों में होने वाली फुफ्फुसीय शोध की बीमारी होने का एक बहुत बड़ा कारण होता है।
ब्रोन्किइक्टेसिस के लक्षण-Bronchiectasis Symptoms In Hindi
1. खांसी होना : अगर किसी व्यक्ति को खांसी की समस्या हो जाती है तो व्यक्ति को लंबे समय तक रोग खांसी होने लगती है और खांसी के साथ-साथ खून की मात्रा आने लगती है और प्रतिदिन खांसी में गाढे बलगम की मात्रा निकलती है।
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2. साँस फूलना : जब किसी व्यक्ति को खांसी हो जाती है तो उस व्यक्ति को साँस लेने के दौरान छाती से घरघराहट के साथ-साथ कोई असामान्य आवाज आने लगती है जिसकी वजह से रोगी को बहुत तकलीफ होती है।
3. छाती में दर्द होना : अगर किसी व्यक्ति को यह समस्या हो भ जाती है तो उसे खांसी की समस्या होती है जिसके दौरान उसकी सांसे फूलने लगती है जिसके साथ-साथ उसकी छाती में असहनीय दर्द भी महसूस होता है।
4. थकान होना : रोगी जब भी कोई काम या हल्की सी शारीरिक गतिविधि करता है तो उसे बहुत अधिक थकन होने लगती है और उसका वजन भी कम होने लगता है। रोगी के पूरे शरीर में दर्द और परेशानी का अनुभव होने लगता है।
5. श्वसन संक्रमण होना : जब हम गंदी हवा या दूषित हवा में साँस लेते हैं तो वायु के द्वारा संक्रमण हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जिसकी वजह से हम बार-बार श्वसन तंत्र में संक्रमण होने लगता है और बार-बार सीने में भी इंफेक्शन होने लगता है।
6. त्वचा मोटी होना : अगर किसी व्यक्ति को यह संक्रमण होने लगता है तो उस व्यक्ति की त्वचा मोटी होने लगती है। अगर व्यक्ति के नाखून बड़े होते हैं तो नाखूनों के गंदगी के संपर्क में आने से नाखूनों के नीचे की त्वचा मोटी होने लगती है।
फुफ्फुशीय शोध से बचाव के उपाय-Prevention of Bronchiectasis In Hindi
- रोगी को धुम्रपान करने से रोकना चाहिए क्योंकि धुम्रपान करते समय तंबाकू का धुआं सीधे हमारे फेफड़ों को प्रभावित करता है।
- स्वस्थ, हल्के और पोष्टिक भोजन का सेवन करना चाहिए जिससे हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाया जा सके।
- अपने बच्चों को फ्लू, खांसी और खसरा के रोग से बचाव के लिए टीके लगवाने चाहिए।
- मूत्रत्याग या मलत्याग के लिए शौचालय का प्रयोग करें और करने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए।
- सर्दी-जुकाम से ग्रस्त लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।