अपर रेसपाईरेटरी ट्रेक्ट इंफेक्शन क्या है : ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण या अपर रेसपाईरेटरी ट्रेक्ट इंफेक्शन किसी तीव्र संक्रमण के द्वारा उत्पन्न होने वाला एक रोग है। यह रोग ऊपरी श्वसन तंत्र यानि नाक, साइनस, श्वासनली, स्वरयंत्र और कंठ को बहुत अधिक प्रभावित करता है।
आमतौर पर देखा जाए तो इसमें टॉन्सिल के, श्वासनलिका के, नाक के, कान के संक्रमण और सामान्य सर्दी जैसे रोग आते हैं। ये सभी रोग अधिकतर अपर रेसपाईरेटरी ट्रेक्ट इंफेक्शन के संक्रमण से होते हैं।
अपर रेसपाईरेटरी ट्रेक्ट इंफेक्शन के कारण-Upper Respiratory Tract Infection Causes In Hindi
1. वायु प्रदूषण से : अपर रेसपाईरेटरी ट्रेक्ट इंफेक्शन के होने का मुख्य कारण वायु प्रदुषण होता है क्योंकि वायु में बहुत अधिक धूल कण और विषाक्त पदार्थ होते हैं जो हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जो गंभीर होने के बाद इस रोग में परिवर्तित हो जाता है।
2. वायरस से : यह रोग बहुत अधिक वायरस से फैलता है क्योंकि जब यह वायरस किसी एक व्यक्ति के संपर्क में आ जाता है और उस व्यक्ति के संपर्क में कोई दूसरा व्यक्ति आ जाता है तो यह वायरस फैलने लगता है। ये अलग-अलग वायरस और बैक्टीरिया से फैलता है जिसमें सबसे अधिक राइनोवायरस पाया जाता है।
अपर रेसपाईरेटरी ट्रेक्ट इंफेक्शन के लक्षण-Upper Respiratory Tract Infection Symptoms In Hindi
1. नाक बंद होना : जब किसी व्यक्ति को यह रोग होता है तो इसमें सबसे पहले रोगी की नाक बंद हो जाती है। व्यक्ति को उच्चारण करते समय नाक से उच्चारण होने का अनुभव होता है और नाक के ऊपर की त्वचा लाल होने लग जाती है जिसकी वजह से उसकी नाक बंद हो जाती है। व्यक्ति को गंध का अनुमान बहुत ही कम होता है।
2. खांसी होना : जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति को खांसी होती है जिसकी वजह से उसके गले में खराश होने लगती है। व्यक्ति को गले में खराश की वजह से इतनी परेशानी होती है कि व्यक्ति को हल्का-हल्का बुखार रहता है।
3. निगलने में दर्द : जब किसी व्यक्ति को यह समस्या हो जाती है तो उस व्यक्ति को खांसी होती है और उसके गले में खराश होती रहती है और उसका गला उखड़ता रहता है। जब व्यक्ति खाना खाता है या खाना निगलता है तो उसे ये सब करने में बहुत अधिक परेशानी होती है।
4. बुखार आना : इस रोग के होने पर व्यक्ति को खांसी, नक् बंद रहना आदि समस्याएं होती हैं और कभी-कभी बहुत अधिक ठंड लगने की वजह से व्यक्ति को बुखार भी हो जाता है क्योंकि इसमें हल्का-हल्का बुखार हमेशा रहता है।
5. थकान होना : जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति के शरीर में बहुत अधिक कमजोरी हो जाती है जिसकी वजह से उसे पूरे शरीर में बहुत परेशानी होती है। जब रोगी कोई काम करता है या आराम करता है तब भी उसे बहुत अधिक थकावट होती है।
अपर रेसपाईरेटरी ट्रेक्ट इंफेक्शन से बचाव के उपाय-Prevention of Upper Respiratory Tract Infection In Hindi
- रोगी को धुम्रपान करने से रोकने चाहिए और उसे नशीले पदार्थों से दूर रखना चाहिए।
- रोगी को जितना हो सके आराम करने देना चाहिए। उसे जितना हो सके मानसिक विकारों जैसे-तनाव, भय आदि से दूर रखना चाहिए।
- रोगी को प्रतिदिन सुबह के समय नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
- रोगी के आसपास जितनी हो सके साफ-सफाई रखनी चाहिए।
- रोगी को अपने हाथों को अच्छी और साफ तरह से धोना चाहिए।
अपर रेसपाईरेटरी ट्रेक्ट इंफेक्शन में क्या खाएं-Eat In Upper Respiratory Tract Infection In Hindi
- रोगी को हरी मिर्च, ब्रोकली, फूलगोभी, अदरक, नींबू, आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को अमरुद, स्ट्रोबेरी, पपीता आदि फलों का सेवन करना चाहिए।
अपर रेसपाईरेटरी ट्रेक्ट इंफेक्शन में क्या न खाएं-Do Not Eat In Upper Respiratory Tract Infection In Hindi
- जिन लोगों को यह रोग हो जाता है उन्हें शराब, कैफीन, तंबाकू, संतरा, ग्रेपफ्रूट, मंडारिन, पनीर, दूध, दही, मैदा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।