हमारे शरीर में फेफड़ों में बड़ी श्वासनलियों के भीतरी भाग को ब्रॉन्काइ के नाम से जाना जाता है। जब इस भाग में सूजन आ जाती है तो इसे ब्रॉन्काइटिस या ब्रोंकाइटिस के नाम से भी जाना जाता है।
इस भाग पर सूजन आने की वजह से बलगम का उत्पादन सामान्य से अधिक हो जाता है। यह सूजन फेफड़ों में बहती हुई हवा और ऑक्सीजन के प्रवाह को कम कर देती है जिसकी वजह से वायु के मार्ग में बहुत अधिक मात्रा में कफ और बलगम का निर्माण होता है।
इसकी वजह से फेफड़ों में होने वाला वायु प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है जिसकी वजह से फेफड़े क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। ब्रोंकाइटिस होने पर रोगी को बलगम वाली खांसी होती है।
ब्रोंकाइटिस के प्रकार-Bronchitis Types In Hindi
1. तीव्र ब्रोंकाइटिस : तीव्र ब्रोंकाइटिस की समस्या अल्पकालीन होती है क्योंकि यह समस्या विषाणु जनित रोग फ्लू और सर्दी-जुकाम के होने के बाद विकसित होती है। इस बीमारी में बलगम के साथ सीने में बेचैनी, बुखार और कभी-कभी श्वास में कठिनाई होती है। यह बीमारी विषाणु से शुरू होती है और कुछ दिनों या कुछ हफ्तों तक ही रहती है और उसके बाद ठीक हो जाती है।
2. दीर्घकालीन ब्रोंकाइटिस : यह बीमारी अधिक लंबे समय तक चलती है जैसे – महीने में ज्यादा दिनों तक, साल में तीन या चार महीनों तक रहना। इस बीमारी में बलगम वाली खांसी जारी रहती है। इस बीमारी के रोगी साँस से संबंधित बहुत सी समस्याओं का सामना करते हैं और यह स्तिथि साल के अलग-अलग भागों में कभी बेहतर तो कभी बदतर हो जाती है।
ब्रोंकाइटिस के कारण-Bronchitis Causes In Hindi
1. उत्तेजल पदार्थों से : जब हवा में उत्तेजक पदार्थों जैसे धुआं, धुंध, रासायनिक धुएं की मात्रा अधिक हो जाती है तो साँस लेने से ये हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जिससे वायु नली में सुजन पैदा हो सकती है। इसकी वजह से रोगी को एक्यूट ब्रोंकाइटिस होने की संभावना होती है।
2. धुम्रपान से : जो लोग बहुत अधिक धुम्रपान करते हैं या धुम्रपान करने वाले लोगों के निकट या साथ रहते हैं तो उन लोगों को इस रोग के दोनों प्रकारों के होने का खतरा रहता है क्योंकि यह रोग धुम्रपान करने से होता है। धुम्रपान करने से इस रोग का जोखिम बढ़ जाता है।
3. वायु प्रदुषण से : आज की वायु धुएं, रासायनिक पदार्थों, धूल कणों से दूषित हो जाती है और जब यह वायु हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तो ये हमारे शरीर को बहुत प्रभावित करते हैं जिसकी वजह से यह रोग होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।
ब्रोंकाइटिस के लक्षण-Bronchitis Symptoms In Hindi
1. नाक बहना : जब किसी व्यक्ति को ब्रोंकाइटिस हो जाता है तो उस व्यक्ति की नाक बहने लगती है जिसकी वजह से उसकी नाक में जमावट हो जाती है। उस व्यक्ति की नाक से हमेशा तरल पदार्थ निकलते रहते हैं जिसकी वजह से उसकी नाक बंद रहती है।
2. थकान होना : इस रोग में व्यक्ति को उल्टियाँ होती रहती है और शरीर में बहुत अधिक दर्द होता है। रोगी के पैरों और टखनों में सूजन हो जाती है जिसकी वजह से उसे दर्द भी होता है। जब व्यक्ति परिश्रान या हल्की गतिविधि करने से व्यक्ति की सांसे फूलने लगती हैं।
3. दस्त होना : इस रोग के होने पर व्यक्ति को पेट से संबंधित समस्याएं भी हो जाती है क्योंकि यह संक्रमण गंभीर होने पर किसी भी व्यक्ति के पेट पर भी प्रभाव डालती है जिसकी वजह से उसके पाचन तंत्र में गडबडी हो जाती है जिससे उसे दस्त होने लगते हैं। जानिए : दस्त का रामबाण इलाज
4. बुखार आना : जब किसी व्यक्ति को श्वसन संक्रमण होता है तो उसको ठंड लगती रहती है जिसकी वजह से उसे शरीर में बहुत कंपकंपी होती रहती है। अधिक ठंड लगने और कंपकंपी होने से व्यक्ति को सिरदर्द की समस्या होती है जिसकी वजह से उसे बुखार आ जाता है।
5. खांसी होना : इस रोग में व्यक्ति को बहुत बुरी खांसी उठती है जिसमें बलगम उत्पन्न होता है जो सफेद, पीले, भूरे और हरे रंग का होता है। कभी-कभी ऐसा होता है कि व्यक्ति को बलगम में खून भी आ जाता है जिससे गले में खरखराहट की आवाज आती रहती है और जब व्यक्ति गहरी साँस लेता है उसे छाती में दर्द होता है।
यह भी पढ़ें : खांसी होने के घरेलू नुस्खे
6. छाती में दर्द : जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति को हमेशा छाती में जकडन रहती है जिसकी वजह से जब भी व्यक्ति गहरी साँस लेता है तो उसे छाती में दर्द होता है और साँस लेने में कठिनाई होती है।
ब्रोंकाइटिस का इलाज-Bronchitis Treatment In Hindi
1. हल्दी के सेवन से इलाज :
जिन लोगों को ब्रोंकाइटिस की समस्या हो जाती है उन्हें हल्दी का सेवन करना चाहिए क्योंकि हल्दी को एंटी बायोटिक दवाई के रूप में जाना जाता है। सबसे पहले आप एक गिलास दूध लें और उसे गर्म कर लें।
गर्म करने के बाद उसमें एक चुटकी भर हल्दी मिलाकर उबाल लें। अब इसमें एक या आधा चम्मच देशी घी मिलाकर दिन में दो या तीन बार सेवन करें इससे आपकी ब्रोंकाइटिस की समस्या धीरे-धीरे ठीक हो जाएगी।
2. लहसुन के सेवन से इलाज :
अगर आप ब्रोंकाइटिस की समस्या से परेशान हैं तो लहसुन का सेवन आपके लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। सबसे पहले आप लहसुन की दो या तीन कलियाँ लें और उन्हें काटकर दूध में डालें और दूध को उबाल लें। जानकर हैरान रह जायेंगे लहसुन के फायदे
अब इस दूध को रात के समय सोने से पहले पिएं इससे आपकी समस्या ठीक हो जाएगी क्योंकि यह एक एंटी बायोटिक के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसमें एंटी वायरल गुण पाए जाते हैं।
3. अदरक के सेवन से इलाज :
अगर आप ब्रोंकाइटिस से ग्रस्त हैं तो अदरक का सेवन अवश्य करें क्योंकि इससे आपकी ब्रोंकाइटिस की समस्या ठीक हो जाएगी। सबसे पहले आप अदरक और शहद को समान मात्रा में लें और मिलाकर सेवन करें इससे आप ब्रोंकाइटिस की समस्या से निजात पा सकते हैं।
4. शहद के सेवन से इलाज :
अगर आपको ब्रोंकाइटिस की समस्या है जिसके दौरान आपको बहुत अधिक बलगम होने की समस्या है तो आप शहद का सेवन कर सकते हैं क्योंकि शहद में बलगम को खत्म करने की प्राकृतिक शक्ति होती है।
शहद का सेवन करके आप गले में होने वाली सूजन और खराश के साथ-साथ बलगम को भी ठीक कर सकते हैं। शहद के सेवन से आप अपनी इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बना सकते हैं क्योंकि इसमें एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं।
5. प्याज के सेवन से इलाज :
अगर आप ब्रोंकाइटिस के दौरान बलगम जाने की समस्या से परेशान हो चुके हैं तो आप प्याज का सेवन कर सकते हैं क्योंकि प्याज बलगम को खत्म करने में मदद करती है। आप प्रतिदिन सुबह के समय खाली पेट एक प्याज का सेवन करें इससे आपकी ब्रोंकाइटिस की समस्या ठीक हो जाएगी। अगर आप चाहें तो प्याज को कच्चा या सब्जी में डालकर भी सेवन कर सकते हैं।
6. नींबू के सेवन से इलाज :
अगर आपको ब्रोंकाइटिस हो गया है और उसके दौरान बहुत अधिक बलगम की मात्रा का उत्पादन हो रहा है तो आप नींबू का सेवन कर सकते हैं क्योंकि नींबू के रस का सेवन बलगम से छुटकारा दिलाने में बहुत अधिक मदद करता है और इससे गले की खराश भी ठीक हो जाती है।
7. तिल के सेवन से इलाज :
अगर आपको ब्रोंकाइटिस की समस्या गर्मियों की जगह पर सर्दियों में होती है तो आप तिल का सेवन कर सकते हैं क्योंकि यह एंटी ऑक्सीदंत से भरपूर होते हैं जो सर्दियों में खांसी जैसी ब्रोंकाइटिस की समस्याओं से बचाने में बहुत मदद करता है। आप तिल के लड्डू बनाकर उनका सेवन कर सकते हैं क्योंकि ये शरीर को गर्म रखने में मदद करते हैं।
8. बादाम के सेवन से इलाज :
अगर आपको बलगम और कफ की मात्रा की अधिकता का अनुमान होता है और ब्रोंकाइटिस के होने की आशंका है तो आप बादाम का सेवन कर सकते हैं क्योंकि बादाम में मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो साँस से जुडी सभी समस्याओं को ठीक करने में मदद करते हैं।
ब्रोंकाइटिस से बचाव के उपाय-Prevention of Bronchitis In Hindi
- रोगी को धुम्रपान करने से रोकना चाहिए और तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने से भी बचाना चाहिए।
- वायरल संक्रमण होने पर दुसरे लोगों को उसके अधिक निकट जाने से रोकना चाहिए।
- अगर रोगी को बलगम बहुत अधिक मात्रा में आता है तो उसे सुबह के समय सैर करना चाहिए क्योंकि सुबह क हवा नम होती है और नम हवा में बलगम पतला होता है जो फेफड़ों से बाहर आसानी से निकल पाता है।
- रोगी को दिन में जितना हो सके उतने पानी का सेवन करना चाहिए। यह भी पढ़ें : गर्म पानी के फायदे और नुकसान
- रोगी को बार-बार अपने हाथों को साफ तरह से धोना चाहिए।
ब्रोंकाइटिस में क्या खाएं-Eat In Bronchitis In Hindi
- रोगी को गाजर, लहसुन, प्याज, अदरक, ब्रोकली, पालक, आदि सब्जियों का सेवन करने के लिए देना चाहिए।
- रोगी को हर्बल चाय, सूप, मुलेन की चाय, शहद, नींबू पानी, आदि तरल पदार्थों का सेवन करने के लिए देना चाहिए।
- रोगी को काली मिर्च, लौंग, तुलसी, हल्दी, आदि मसालों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को बेरीज, अंगूर, संतरे, सेब, स्ट्रोबेरी, आदि फलों का सेवन करने के लिए देना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त रोगी को लीन मीट, कद्दू के बीज, मछली, का सेवन करने के लिए देना चाहिए।
ब्रोंकाइटिस में क्या न खाएं-Do Not Eat In Bronchitis In Hindi
- जिन लोगों को ब्रोंकाइटिस की समस्या होती है उन्हें केला, मांस, चीनी, चाय, कॉफी, आचार, रिफाइंड, आइसक्रीम, मैदा आदि का सेवन करने से बचना चाहिए।