आज के समय में हार्ट अटैक की समस्या को बहुत ही आम माना जाने लगा है। जब भी किसी व्यक्ति की छाती में दर्द उठता है तो वह व्यक्ति हार्ट अटैक के बारे में सोचकर परेशान हो जाता है जबकि छाती में दर्द बहुत सी बिमारियों के लक्षणों में से एक होता है।
जब किसी व्यक्ति की रक्त धमनियों में कोलेस्ट्रोल जम जाता है या उनमें रक्त के थक्के फंस जाते हैं या अंदरूनी हिस्सा छोटा होने की वजह से ह्रदय को पर्याप्त मात्रा में खून नहीं मिल पाता है जिसकी वजह से रोगी के ह्रदय में बहुत तेज दर्द होने लगता है।
विज्ञान की दुनिया में इसे एंजीना पेक्टोरिस के नाम से भी जाना जाता है। आसन शब्दों में कहा जाए तो जब व्यक्ति की धमनियों के सिकुड़ने की वजह से रक्त के आवागमन में बाधा उत्पन्न होती है और धमनियों में रक्त का थक्का जमने लगता है जिसकी वजह से ह्रदय तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है जिससे साँस लेने में कठिनाई होती है और सीने में दर्द भी होने लगता है।
जब किसी व्यक्ति को इस तरह की समस्या हो जाती है तो व्यक्ति को ह्रदय से संबंधित बीमारी के संकेत देते हैं। छाती में होने वाला ये दर्द उस व्यक्ति को ह्रदयघात जैसी समस्या में बदल जाता है।
इस तरह के मरीजों को ह्रदयपेशीय रक्ताल्पता हो जाती है जिसकी वजह से व्यक्ति की जान जाने का खतरा भी रहता है ऐसे में दिल की धमनियों में खून का प्रवाह नहीं ओता है और ऑक्सीजन भी नहीं मिल पाती है जिसकी वजह से रोगी की छाती में बहुत तेज दर्द और घबराहट होने लगती है।
एनजाइना के प्रकार-Types of Angina Pectoris In Hindi
1. स्थिर एनजाइना : जब किसी व्यक्ति को अपने ह्रदय के सामान्य से अधिक और कठिन मेहनत करनी पडती है जैसे कि सीढ़ियाँ चढना और उतरना या व्यायाम करते समय व्यक्ति को यह समस्या हो जाती है लेकिन यह बहुत ही सामान्य बीमारी होती है। यह बीमारी शारीरिक गतिविधि या तनाव से अधिक बढती है यह बीमारी सिर्फ पांच या छः मिनट तक रहती है लेकिन आराम करने के बाद दूर भी हो जाती है।
2. अस्थिर एनजाइना : इस स्थिति में ह्रदय में दर्द अचानक से उत्पन्न होता है और ये दर्द समय के साथ बढ़ता जाता है जो दिल का दौरा या हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। आराम करते समय या कम मेहनत करते समय भी यह दर्द महसूस हो सकता है। अस्थिर ह्रदय शूल अधिक और लंबे समय तक रहता है और ये दर्द बार-बार आता-जाता रहता है इसी को अस्थिर ह्रदय शूल कहा जाता है।
एनजाइना के कारण-Angina Pectoris Causes In Hindi
1. धुम्रपान करने से : जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक धुम्रपान करता है तो उस व्यक्ति के शरीर के सभी अंग धुम्रपान से दूषित हो जाते हैं। जब व्यक्ति अधिक धुम्रपान करता है तो इससे उसके शरीर के सभी अंग प्रभावित होते हैं जिनमें से एक ह्रदय भी होता है।
2. ठंड से : हमारा शरीर हमारी प्रकृति के वातावरण के अनुसार ढलता है जैसे- अगर वातावरण ठंडा होता है तो हमारा शरीर गर्म कपड़ों को पहनने के लिए हमें संकेत देता है। लकिन जब हम अधिक ठंड से प्रभावित होते हैं ठंड का प्रभाव हमारे ऊपर पड़ता है तो भी व्यक्ति को ह्रदय शूल की समस्या हो जाती है।
3. बढती उम्र से : जैसे-जैसे किसी व्यक्ति की उम्र बहती चली जाती है उसके अंदर बहुत से परिवर्तन होते चले जाते हैं। किसी-किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती चली जाती है जिससे वे बहुत से रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं जिनमें से एक ह्रदय शूल की समस्या होती है।
4. विरासत से : अगर किसी व्यक्ति को ह्रदय शूल की समस्या हो जाती है तो यह उनके पूर्वजों द्वारा विरासत में दी गई बीमारी भी हो सकती है क्योंकि अगर यह समस्या आपके पूर्वजों में हुई होगी तो हो सकता है यह समस्या उनके द्वारा आपमें प्रवेश कर गई हो अथार्त यह बीमारी आपको जन्म से ही मिली हो।
5. अधिक नमक के सेवन से : आपने अक्सर देखा होगा कि जब व्यक्ति के खाने में नमक की मात्रा अधिक हो जाती है तो उस व्यक्ति को बहुत सी समस्याएं हो जाती हैं जैसे- सिरदर्द। ऐसी स्थिति में रोगी को ह्रदय शूल की समस्या हो सकती है।
6. दवाईयों से : जब कोई व्यक्ति ऐसी दवाईयों का सेवन करता है जो नसों को संकुचित करती हैं, अवरोध हटाने वाली, आहार की गोलियां जैसे-निकोटीन आदि से भी व्यक्ति को ह्रदय से संबंधित ह्रदय शूल जैसी समस्या भी हो सकती है।
एनजाइना के लक्षण-Angina Pectoris Symptoms In Hindi
1. छाती में दर्द होना : जब किसी व्यक्ति को ह्रदय शूल की समस्या होती है तो उसे सबसे पहले छाती में दर्द और जलन का अनुभव होता है जो समय के साथ-साथ बढ़ता ही चला जाता है और ह्रदय घात का कारण बनता है।
2. बेचैनी होना : अगर किसी व्यक्ति को ह्रदय शूल की समस्या हो गई है तो उस व्यक्ति को अचानक से ही बेचनी होने लगती है। पसीने आने शुरू हो जाते हैं और उसे किसी तरह की बीमारी के होने का एहसास होता है।
3. भारीपन होना : जब किसी व्यक्त की छाती में जलन और दर्द होते हैं और समय के साथ वे ठीक होने की जगह पर बढ़ते जाते हैं तो व्यक्ति को ऐसा लगता है जैसे उसके सीने पर बहुत वजन रखा गया हो उसे अपने सीने पर भारीपन महसूस होने लगता है जिससे उसे साँस लेने में भी कठिनाई होती है।
4. उल्टियाँ होना : जब व्यक्ति के सीने में हल्का-हल्का दर्द शुरू होने लगता है तो उसे कुछ समझ में नहीं आता है और उसे खट्टी-खट्टी डकारे आने लगती हैं और अंत में एक पल ऐसा आता है कि व्यक्ति को उल्टियाँ भी हो जाती हैं।
5. थकावट होना : अगर किसी व्यक्ति के सीने में दर्द की समस्या रहती है तो उस व्यक्ति को चक्कर आना, पसीना आना, आदि समस्याएं होती हैं। रोगी को हल्का और भारी काम करने जैसे चलने-फिरने, व्यायाम करने, सीढ़ी चढ़ने अथवा पहाड़ पर चढ़ने से छाती में दर्द होने लगता है और उसकी सांसे भी फूलने लगती हैं। इन सभी को इस बीमारी के सामान्य लक्षण के रूप में जाना जाता है।
6. हार्ट अटैक में दर्द : जब किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक या दिल का दौरा पड़ता है तो उस व्यक्ति के सीने में बहुत तेज दर्द होता है। यह दर्द व्यक्ति की छाती के बीच के भाग के ऊपर से शुरू होता है और बाकी के हिस्सों में फैल जाता है। अंत में यह दर्द शरीर के अंगों जैसे- हाथों, उँगलियों, गर्दन, कन्धों, जबड़े और पीठ तक पहुंच जाता है।
एनजाइना का इलाज-Angina Pectoris Treatment In Hindi
1. अंगूर के सेवन से इलाज :
अगर आपको ह्रदय शूल की समस्या है तो आप अंगूर का सेवन कर सकते हैं क्योंकि अंगूर में विटामिन सी की भरपूर मात्रा पाई जाती है जिसके अतिरिक्त इसमें एंटी ऑक्सीडेंट के गुण भी पाए जाते हैं जो रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देने में भी मदद करता है और साथ-ही-साथ सूजन को भी कम करता है। यह हमारे ह्रदय को शक्ति देने में भी मदद करते हैं। यह भी पढ़ें : अंगूर के फायदे और नुकसान
2. प्याज के सेवन से इलाज :
अगर आप ह्रदय शूल की समस्या से परेशान हैं तो आप प्याज का सेवन कर सकते हैं क्योंकि प्याज में ह्रदय शूल को कम करने के गुण पाए जाते हैं और ह्रदय शूल की रोकथाम करने में भी मदद करती है।
प्याज हमारे शरीर में खराब कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करने में मदद करता है और रक्त के प्रवाह में भी सहायक होता है। ह्रदय शूल की समस्या को खत्म करने के लिए आप कच्ची प्याज का भी सेवन कर सकते हैं।
3. टमाटर के सेवन से इलाज :
अगर आपको ह्रदय शूल की समस्या है तो आप टमाटर का सेवन कर सकते हैं क्योंकि टमाटर में फोलिक एसिड, विटामिन ऐ, विटामिन सी, विटामिन ई, बीटा कैरोटीन, लाइकोपीन आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो हमारे ह्रदय के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। टमाटर ह्रदय शूल को ठीक करने में मदद करते हैं।
4. लहसुन के सेवन से इलाज :
अगर आपको ह्रदय से संबंधित या ह्रदय शूल की समस्या है तो आप लहसुन का सेवन कर सकते हैं क्योंकि लहसुन में कैल्शियम, आयरन, थियामिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन सी पाए जाते हैं जिनके नियमित रूप से सेवन करने से ह्रदय से संबंधित समस्याओं को दूर किया जा सकता है। लहसुन को ह्रदय के लिए बहुत अधिक फायदेमंद माना जाता है। : Lahsun Ke Fayde
5. अदरक के सेवन से इलाज :
अगर आपको छाती में दर्द हो रहा है या ह्रदय शूल की समस्या है जिसके दौरान आपको छाती में दर्द होता है तो आप अदरक का सेवन कर सकते हैं क्योंकि इसके सेवन से आपको बहुत आराम मिलेगा। आप अदरक की जड़ की चाय बनाकर उसका सेवन करें इससे आपकी छाती में होने वाले दर्द में बहुत फायदा होगा।
6. हल्दी के सेवन से इलाज :
हल्दी को सभी लोग जानते हैं क्योंकि इसे पूरे भारत में सब्जी में एक मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है लेकिन हल्दी में करक्यूमिन नाम का तत्व पाया जाता है जो पेट के फूलने, घावों और सीने में दर्द के लिए बहुत अधिक लाभदायक होता है।
अगर आपको एनजाइना की समस्या है तो आप हल्दी का प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि हल्दी कोलेस्ट्रोल के ऑक्सीकरण को रोकने में बहुत मदद करता है जो हमारी रक्त की वाहिकाओं को चोट पहुंचाती है इसके साथ-साथ यह धमनियों की दीवारों पर प्लॉक को मजबूत बनाती है।
7. तुलसी के सेवन से इलाज :
अगर आपको ह्रदय शूल की समस्या है तो आप तुलसी अक सेवन कर सकते हैं क्योंकि तुलसी में ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे ह्रदय के लिए बहुत ही आवश्यक होते हैं और साथ-ही-साथ ह्रदय में होने वाले या छाती में होने वे दर्द को कम करने में मदद करती है।
8. अनार के सेवन से इलाज :
विशेषज्ञों के द्वारा प्रयोग से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि अनार का सेवन ह्रदय के रोगों में बहुत लाभदायक होता है क्योंकि यह हमारे तनाव को कम करने में और धमनियों की दीवारों को होने वाले नुकसान को रोकने में मदद करता है।
आप अनार के जूस का सेवन करके ह्रदय से संबंधित समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं क्योंकि अनार में एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इफ्लेमेंट्री गुण पाए जाते हैं जो सीने में दर्द को रोकने में मदद करते हैं।
एनजाइना से बचाव के उपाय-Prevention of Angina Pectoris In Hindi
- रोगी को प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
- रोगी के लिए शराब नुकसानदायक होती है इसलिए उसे शराब का सेवन नहीं करने देना चाहिए।
- अगर रोगी का वजन बहुत अधिक है तो रोगी के वजन को जल्द-से-जल्द कम करने की कोशिश करनी चाहिए।
- रोगी को अपनी सूचि या डॉ के अनुसार ही दवाईयों का सेवन करना चाहिए। बिना डॉ की सलाह के किसी भी दवाई का सेवन नहीं करना चाहिए।
- रोगी को जितना हो सके आराम करने देना चाहिए उसे तनाव, चिंता, भय आदि मानसिक विकारों से दूर रखना चाहिए।
- अगर रोगी को मधुमेह और बीपी की समस्या है रोगी को अपनी बिमारियों को नियंत्रण में रखना चाहिए।
- रोगी के भोजन में जितना हो सके कम-से-कम नमक का प्रयोग करना चाहिए।
एनजाइना में क्या खाएं-Eat In Angina Pectoris In Hindi
- रोगी को सेम की फलियाँ, दाल, प्याज, टमाटर, गाजर, फली, शकरकंद, कद्दू, पालक, ब्रोकली, गोभी, लौकी, शतावरी, मशरूम, शिमला मिर्च, चुकंदर, लहसुन, हल्दी, अदरक, नींबू आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- रोगी को अंगूर, अनार, सेब, केला, स्ट्रोबेरी, बेरी, संतरा, खरबूजा, तरबूज, नाशपाती, पपीता, मौसमी, लीची, आम, अमरुद आदि फलों का सेवन करने के लिए देना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त रोगी को चिकन, हल्दी, बादाम, ग्रीन टी, मछली, दूध, दही का सेवन करने के लिए देना चाहिए।
ह्रदय शूल में क्या न खाएं-Do Not Eat In Angina Pectoris In Hindi
- जिन लोगों को एनजाइना की समस्या होती है तो रोगी को पनीर, क्रीम, अंडा, चाय, कॉफी, शराब, नमक, आदि का सेवन नहीं करने देना चाहिए।