नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम क्या है-Nephrotic Syndrome Kya Hai
नेफ्रोटिक सिंड्रोम को आम किडनी रोगों में से एक माना जाता है। इस रोग में किसी भी उम्र के व्यक्ति के शरीर पर सूजन हो सकती है और साथ-साथ इसमें पेशाब में प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक निकलने लगती है और खून में प्रोटीन की कमी हो जाती है जबकि कोलेस्ट्रोल की मात्रा ज्यादा हो जाती है जिसकी वजह से शरीर में सूजन आ जाती है। यह बीमारी अधिकतर बच्चों को अपनी पकड़ में लेती है।
इस रोग को प्राथमिक नेफ्रोटिक सिंड्रोम भी कहा जाता है। इस रोग में रोगी की किडनी के छन्नी जैसे छेद बड़े हो जाते हैं जिसकी वजह से अतिरिक्त पानी और उत्सर्जी पदार्थों के साथ-साथ शरीर के लिए अनावश्यक प्रोटीन भी पेशाब के साथ निकल जाता हाई जिससे शरीर में प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है और शरीर में सूजन आने लगती है। ठीक तरह का इलाज होने के बाद भी दुबारा सूजन दिखाई देता है यह सिलसिला सालों तक चलते रहना नेफ्रोटिक सिंड्रोम कहलाता है।
नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के कारण-Nephrotic Syndrome Causes In Hindi
1. संक्रमण से : जब किसी व्यक्ति को संक्रमण हो जाता है या किसी वजह से उसे इंफेक्शन हो जाता है और यह इंफेक्शन या संक्रमण उसकी किडनी या गुर्दे को संक्रमित करते हैं तो हो सकता है कि उसे नेफ्रोटिक सिंड्रोम की समस्या हो सकती है।
2. कैंसर की दवाई से : जब किसी व्यक्ति को पहले से ही कैंसर हो और वह कैंसर को खत्म करने की दवाईयों का सेवन कर रहा हो और उसकी दवाईयां उसे नुकसान कर जाती है तो उसे नेफ्रोटिक सिंड्रोम की समस्या हो जाती है।
3. मधुमेह से : जब किसी व्यक्ति को मधुमेह की समस्या होती है और वह कुछ ऐसी चीजों का सेवन करता है जिसकी वजह से उनके शरीर में कोलेस्ट्रोल का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है तो उसे नेफ्रोटिक सिंड्रोम हो सकता है।
4. श्वेत कणों से : जब किसी व्यक्ति के शरीर में श्वेत कणों में होने वाली लिम्फोसाइट्स की कार्य क्षमता में कमी हो जाती है तो इसकी वजह से भी व्यक्ति को नेफ्रोटिक सिंड्रोम की समस्या हो सकती है।
नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के लक्षण-Nephrotic Syndrome Symptoms In Hindi
1. मूत्र में झाग आना : रोगी को अपने मूत्र में झाग आने की समस्या रहती है और जिस स्थान पर वह मूत्रत्याग करता है वहां पर सफेद दाग के दिखने की शिकायत रहती है। रोगी के मूत्र का रंग भी सफेद की जगह पर लाल रंग का हो जाता है।
2. पेट फूलना : जब रोगी के रोग का इलाज ठीक समय पर नहीं होता है तो रोग बढने लगता है जिसकी वजह से रोगी का पेट फूलने लगता है और शरीर पर सूजन आ जाती है। रोगी का वजन भी कम हो जाता है। रोगी को दिन बढने के साथ-साथ सूजन कम होने लगती है और शाम होते-होते शरीर की सूजन बिलकुल कम हो जाती है।
3. उठते समय ज्यादा सूजन होना : जब रोगी रात को सोकर सुबह के माय उठता है तो उसे अपने चेहरे और आँखों पर सूजन बहुत अधिक दिखाई देती है।
4. बुखार आना : रोगी को बहुत अधिक खांसी होती है जिसकी वजह से उसके शरीर में संक्रमण बढने लगता है जिसकी वजह से उसके शरीर का तापमान बढ़ता रहता है जिसकी वजह से उसे बुखार की समस्या हो जाती है।
5. उल्टियाँ होना : रोगी को बहुत घबराहट रहती है और उसका जी भी मिचलाता रहता है। रोगी को बैचेनी होती रहती है जिसकी वजह से उसे उल्टियाँ भी हो सकती है।
6. उच्च रक्तचाप होना : रोगी के शरीर में सूजन होती रहती है और साथ-साथ उसके सिर में भी दर्द रहता है जिसकी वजह से उसे उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाती है।
नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम से बचाव के उपाय-Prevention of Nephrotic Syndrome In Hindi
- रोगी को इलाज के समय सामान्य और स्वस्थ आहार का सेवन करने के लिए देना चाहिए।
- रोगी को प्रचुर मात्रा में प्रोटीन देनी चाहिए ताकि उसके शरीर में प्रोटीन की मात्रा की कमी न हो सके।
- जिन लोगों को किडनी की समस्या हो उन्हें प्रोटीन की सिमित मात्रा का सेवन करने के लिए दें। खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए फाइट की मात्रा को कम करना चाहिए।
- रोगी का इलाज करने से पहले यह देख लेना चाहिए कि उसे पहले से कोई इंफेक्शन तो नहीं है क्योंकि ऐसे में संक्रमण को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल हो जाता है।