हेपेटाइटिस ई-(Hepatitis E In Hindi) :
हेपेटाइटिस ई वायरस की वजह से होता है। संसार के अधिकतर देशों में हेपेटाइटिस के संक्रमण का सबसे प्रमुख कारण यही है। यह वायरस पीने के पानी और खाने के दूषित हो जाने की वजह से होता है।
हेपेटाइटिस ई के कारण-(Hepatitis E Causes In Hindi) :
1. दूषित भोजन और पानी से : जब किसी स्वस्थ व्यक्ति का पानी कोई संक्रमित व्यक्ति पी लेता है तो वह पानी दूषित हो जाता है और यदि स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के झूठे किए हुए पानी को पी लेता है तो वह व्यक्ति भी संक्रमण से घिर जाता है। पानी कई तरीकों से संक्रमित हो जाता है।
2. पशुओं के संपर्क से : जब किसी पशु की प्रजाति को हेपेटाइटिस ई की समस्या होती है और अगर आप उस पशु के संपर्क में आ जाते हैं तो उस पशु के रोग से आपको खतरा हो सकता है लेकिन यह भी हो सकता है कि वह रोग आपको भी हो जाए।
3. संक्रमित व्यक्ति से : जब कोई व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति को छूता है या उसका झूठा खा लेता है तो दूसरे व्यक्ति को संक्रमित व्यक्ति का रोग हो जाता है क्योंकि संक्रमित व्यक्ति के संक्रमण के कण उसके शरीर पर प्रवेश कर जाते हैं जिससे वो धीरे-धीरे बढने लगते हैं और व्यक्ति रोगों से ग्रस्त हो जाता है।
4. यौन संबंध से : जब कोई व्यक्ति किसी स्त्री से बिना कंडोम के शारीरिक संबंध स्थापित करता है और उनमें से कोई एक संक्रमित होता है तो दूसरा भी यौन संबंध की वजह से संक्रमित हो जाता है और उसे हेपेटाइटिस डी रोग हो जाता है।
5. गंदगी की वजह से : आपने अक्सर देखा होगा कि कुछ लोगों को ऐसी जगह पर रहना पड़ता है जहाँ पर बहुत अधिक गंदगी होती है और वहां पर अनेक रोगों के विषाणु पनपते हैं इसलिए यह भी हो सकता है कि गंदगी में रहने वाले को हेपेटाइटिस डी रोग भी हो सकता है।
हेपेटाइटिस ई के लक्षण-(Hepatitis E Symptoms In Hindi) :
1. थकान होना : जो व्यक्ति हेपेटाइटिस ई से ग्रस्त होता है वह बिना किसी भी काम को करें ही थक जाता है। उसे बहुत अधिक थकान महसूस होती है।
2. वजन कम होना : रोगी का वजन बिना किसी वजह के ही कम होने लगता है और रोगी को यह समझ में नहीं आता है कि उसका वजन इतना कम कैसे हो रहा है।
3. उल्टी होना : जो व्यक्ति हेपेटाइटिस ई से ग्रस्त होता है उसका जी मिचलाता रहता है, बैचेनी होती रहती है और साथ-साथ कभी-अक्भी उल्टियाँ भी हो जाती हैं।
4. लीवर में वृद्धि होना : अगर आपको हेपेटाइटिस ई की समस्या हो गई है तो हो सकता है कि आपके लीवर में भी वृद्धि हो जाए।
5. पेट में दर्द : हेपेटाइटिस ई की समस्या होने पर लीवर में वृद्धि होती है इसलिए हो सकता है कि आपको पेट दर्द भी हो।
6. पीलिया होना : इस रोग में पीलिया का होना एक आम बात होती है क्योंकि यह रोग लीवर को प्रभावित करता है जिसकी वजह से पीलिया रोग होता है।
7. बुखार आना : रोगी को थकन होना, वजन कम होना, उल्टी होना, पेट दर्द होना, पीलिया होने की वजह से बुखार की समस्या भी बन जाती है।
8. मांसपेशियों में दर्द होना : रोगी के शरीर में पानी और कैल्शियम की कमी हो जाती है जिससे उसका शरीर कमजोर हो जाता है इसलिए उसकी मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होने लगता है।
हेपेटाइटिस ई से बचाव के उपाय-(Prevention of Hepatitis E In Hindi) :
- रोगी को साफ और स्वच्छ पानी पीने के लिए देना चाहिए। उसे दूषित पानी से जितनी हो सके दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
- रोगी को साफ के साथ-साथ पानी उबालकर देना चाहिए क्योंकि पानी को उबालने से उसमें मौजूद सभी कीटाणु मर जाते हैं।
- रोगी को कच्चे और बिन छिले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करने देना चाहिए उसे इन चीजों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
- रोगी को ज्यादा गर्म भोजन की जगह पर कम गर्म भोजन खाने के लिए देना चाहिए।
- रोगी को दी जाने वाली सब्जियों और फलों को पानी से धोकर देना चाहिए।
- रोगी को शौच करने के बाद हाथों को साफ तरीके से धोना चाहिए।
- इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
- रोगी को जितना हो सके उबला और साफ पानी पीना चाहिए।