हेपेटाइटिस सी-(Hepatitis C In Hindi) :
हेपेटाइटिस सी को काले पीलिया के नाम से भी जाना जाता है। हेपेटाइटिस सी यकृत से जुडी एक बीमारी है जिसमें हेपेटाइटिस सी नाम का विषाणु आपके संपर्क में आया है और आपको इस रोग से ग्रस्त कर देता है। यह वायरस आपके यकृत को क्षतिग्रस्त कर सकता है। इस हेपेटाइटिस के शुरुआती संक्रमण के बाद इसके लक्षणों को पहचानना बहुत अधिक कठिन है।
हेपेटाइटिस सी वायरस रक्त से रक्त के संपर्क द्वारा फैलता है। शुरुआती संक्रमण के बाद अधिकांश लोगों में, यदि कोई हों, तो बहुत कम लक्षण होते हैं, हालांकि पीड़ितों में से 85% के यकृत में वायरस रह जाता है। इलाज के मानक देखभाल जैसे कि दवाइयों, पेजिन्टरफेरॉन और रिबावायरिन से स्थायी संक्रमण ठीक हो सकता है।
हेपेटाइटिस सी के कारण-(Hepatitis C Causes In Hindi) :
1. मसालेदार भोजन से : जब व्यक्ति बहुत अधिक तेलयुक्त मसाले वाला भोजन करता है तो उसे हेपेटाइटिस सी हो जाता है। जब व्यक्ति अधिक मात्रा में व्यंजन, बेसन और मैदा से बने भोजन का सेवन करता है तो उसे हेपेटाइटिस सी होने का खतरा रहता है।
2. अधिक गरिष्ठ भोजन से : जब व्यक्ति अधिक गरिष्ठ भोजन करता है तो उस भोजन को पचाने के लिए पाचन तंत्र को बहुत अधिक मुश्किल होती है जिसकी वजह से लीवर पर दबाव पड़ता है जिससे भी हेपेटाइटिस स होने का बहुत अधिक खतरा रहता है।
3. धुम्रपान करने से : जब व्यक्ति बहुत अधिक धुम्रपान जैसे – तंबाकू, सिगरेट, शराब आदि का सेवन करता है तो इससे व्यक्ति का लीवर और किडनी खराब हो जाते हैं ऐसी स्थिति में व्यक्ति को हेपेटाइटिस होने का बहुत अधिक खतरा रहता है।
4. दवाईयों के सेवन से : जब कोई व्यक्ति अधिक दवाईयों का सेवन करता है या ऐसी दवाईयों का सेवन करता है जिससे उसे साइड इफ्फेक्ट हो जाता है तो उस व्यक्ति को हेपेटाइटिस सी की समस्या हो सकती है।
5. रक्त संपर्क से : जब किसी वजह से संक्रमित व्यक्ति का रक्त निकल आता है और उस रक्त का स्पर्श किसी दुसरे स्वस्थ व्यक्ति से हो जाता है तो दुसरे व्यक्ति को भी हेपेटाइटिस सी की समस्या हो जाती है।
6. निजी वस्तुएं साझा करने से : जब कोई संक्रमित व्यक्ति अपनी निजी वस्तुओं को जैसे – रेजर, टूथब्रश, कपड़े आदि को साझा करने से भी स्वस्थ व्यक्ति संक्रमण का शिकार हो जाता है और वह हेपेटाइटिस सी का रोगी हो जाता है।
7. यौन संपर्क के द्वारा : जब दो व्यक्ति के बीच शारीरिक संबंध बनते हैं और वे कंडोम का प्रयोग नहीं करते हैं लेकिन जब उनमें से कोई एक संक्रमित होता है तो दुसरे व्यक्ति को भी संक्रमित होने का खतरा रहता है।
8. गर्भावस्था से : जब कोई औरत संक्रमित होती है और वह माँ बनने वाली होती है तो उसके बच्चे के संक्रमित होने का अधिक खतरा रहता है क्योंकि प्रजनन के समय संक्रमण के कण बच्चे में पास हो जाते हैं ऐसे में बच्चे को जन्म से ही यह रोग हो सकता है।
9. मसालेदार भोजन से : जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक तेल युक्त, मसालेदार या वसा वाले भोजन का सेवन करता है तो हो सकता है कि उसे हेपेटाइटिस सी की समस्या का सामना करना पड़े।
हेपेटाइटिस सी के लक्षण-(Hepatitis C Symptoms In Hindi) :
1. भूख न लगना : जो भी व्यक्ति सी वायरस से ग्रस्त हो जाता है उस व्यक्ति को कुछ भी खाने का मन नहीं करता है और न ही उसे भूख लगती है।
2. थकान महसूस होना : हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त व्यक्ति को बिना किसी काम के भी थकान महसूस होती है उसे ऐसा लगता है कि उसने सरे दिन का काम कर लिया हो।
3. यकृत की तरफ दर्द होना : इस रोग से ग्रस्त रोगी को पेट में बहुत तेज दर्द होने का एहसास होता है लेकिन उसे दर्द सिर्फ यकृत वाली जगह पर ही होता है।
4. पीलिया होना : जिस व्यक्ति को यह रोग हो जाता है उसकी आँखें, नाखून और त्वचा सफेद भाग की जगह पीले रंग के होने लगते हैं और अंत में उसे पीलिया रोग हो जाता है।
5. बुखार आना : रोगी को पेट में दर्द रहने की वजह से उसके शरीर का तापमान भी कुछ अधिक रहता है जिसकी वजह से उसे बुखार की समस्या भी हो जाती है।
6. गहरे रंग का मल आना : यह रोग होने पर रोगी के मूत्र का रंग और मल का रंग गहरा हो जाता है।
7. जोड़ों में दर्द : रोगी को पेट में दर्द होने के साथ मांसपेशियों और जोड़ों में भी दर्द होने लगता है जिसकी वजह से उसे उठने-बैठने में बहुत अधिक परेशानी होती है।
8. उल्टियाँ होना : रोगी को कुछ भी खाने का मन नहीं करता लेकिन जब वह जबरदस्ती कुछ खा भी लेता है तो उसे उल्टियाँ हो जाती है और खाया हुआ भोजन मुंह के द्वारा बाहर आ जाता है।
9. आसानी से रक्तस्त्राव : जब किसी को हेपेटाइटिस सी का रोग हो जाता है तो उसे आसानी से रक्तस्त्राव होने की समस्या हो जाती है।
10. रंग नीला होना : जब रोगी का सही समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो उसकी पीली हुई त्वचा का रंग बदलने लगता है और नीला हो जाता है।
11. पैरों में सूजन आना : रोगी को जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होने के साथ-साथ पैरों में सूजन भी आ जाती है।
12. त्वचा पर खुजली होना : हेपेटाइटिस सी की समस्या होने पर रोगी के पूरे शरीर पर खुजली होने लगती है और बड़े-बड़े धब्बे भी हो जाते हैं।
13. वजन घटना : रोगी जब कुछ खाता नहीं है और अगर खा भी लेता है तो उल्टियाँ हो जाती हैं जिसकी वजह से वह कमजोर हो जाता है और उसका वजन भी घट जाता है।
हेपेटाइटिस सी का इलाज-(Hepatitis C Treatment In Hindi) :
1. तुलसी के सेवन से हेपेटाइटिस सी का इलाज :
अगर आप हेपेटाइटिस सी की समस्या से परेशान हैं तो आप तुलसी के पत्तों का सेवन कर सकते हैं क्योंकि तुलसी के पत्तों के सेवन से हेपेटाइटिस की समस्या को कम किया जा सकता है।
आप तुलसी के कुछ पत्ते लेकर उनका पेस्ट बना लें और उस में थोडा सा गन्ने का रस मिलाकर रोगी को पिलाएं। इसके सेवन से रोगी को बहुत आराम होगा और हेपेटाइटिस सी की समस्या भी कम हो जाएगी।
2. शहद के सेवन से हेपेटाइटिस सी का इलाज :
अगर आपके किसी रिश्तेदार को या परिवार वालों में से किसी को हेपेटाइटिस सी की समस्या है तो आप उन्हें शहद का सेवन करने के लिए दे सकते हैं क्योंकि शहद के सेवन से इस समस्या को ठीक किया जा सकता है।
आप थोडा सा शहद लें और इसमें कपूर को गेंहूँ के दाने की बहुत ही कम मात्रा में मिला लें और रोगी को खिला दें इससे आपकी समस्या भी ठीक हो जाएगी और रोगी को भी बहुत फायदा होगा।
3. धनिया के सेवन से हेपेटाइटिस सी का इलाज :
इस रोग से ग्रस्त होने पर आप हरे धनिया का सेवन करें क्योंकि यह आपके लिए बहुत लाभकारी हो सकता है। आप हरे धनिया को बहुत ही बारीक़ काट लें और उसमें थोड़े से तुलसी के पत्तों को डाल लें।
अब इन्हें तीन या चार लीटर पानी में तब तक उबालें जब तब ये एक चौथाई न हो जाए। अब इस काढ़े को ठंडा कर लें और दिन में दो या तीन बार रोगी को पिलायें इससे हेपेटाइटिस सी की समस्या को कम किया जा सकता है।
4. मुलेठी के सेवन से हेपेटाइटिस सी का इलाज :
बहुत से लोगों को यह पता है कि मुलेठी के पाउडर का बहुत समय पहले से ही लीवर की समस्याओं के लिए प्रयोग हो रहा है। क्योंकि यह लीवर की समस्या के लिए अच्छा माना जाता है इसलिए यह हेपेटाइटिस सी की समस्या को भी ठीक करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आप मुलेठी के पाउडर को एक बड़ी चम्मच की मात्रा में लें और उसमें दो चम्मच शहद की मात्रा मिला लें। अब आप इस मिश्रण का सेवन प्रतिदिन करें इससे आपकी हेपेटाइटिस की समस्या ठीक हो जाएगी और आपके लीवर को भी बहुत फायदा होगा।
5. हल्दी के सेवन से हेपेटाइटिस सी का इलाज :
अगर आप हेपेटाइटिस सी की समस्या से परेशान हैं तो आप हल्दी का सेवन कर सकते हैं क्योंकि हल्दी में एंटी वायरल गुण पाए जाते हैं जो हेपेटाइटिस की समस्या को ठीक करने में मदद करते हैं। हल्दी का सेवन हेपेटाइटिस सी को बढने से रोकता है।
आप प्रतिदिन खाना बनाते समय उस खाने में हल्दी का प्रयोग करें। इस खाने को खाने से हेपेटाइटिस सी की समस्या को ठीक किया जा सकता है इसके अतिरिक्त आप चाहें तो एक गिलास दूध में चुटकी भर हल्दी मिलाकर भी पी सकते हैं क्योंकि इससे आपकी लीवर की समस्याएं ठीक हो जाएंगी।
6. आंवला के सेवन से हेपेटाइटिस सी का इलाज :
आंवला आपके लीवर के लिए बहुत लाभकारी होता है क्योंकि आंवला में विटामिन सी की भरपूर मात्रा पाई जाती है जो लीवर को हर प्रकार से लाभ देती है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण हमारे शरीर से टोक्सिन को निकालने में मदद करते हैं और लीवर में सबसे अधिक टोक्सिन की मात्रा पाई जाती है।
आप कुछ कच्चे आंवला लें और उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें और इसे सलाद में मिलाकर खाएं। आप चाहें तो आंवला को पीसकर दही में मिलाकर भी पी सकते हैं। इसके अलावा आप आंवला का जूस और चटनी भी प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि इससे आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ेगी और पाचन शक्ति भी मजबूत होगी।
7. लहसुन के सेवन से हेपेटाइटिस सी का इलाज :
लहसुन का हमारे शरीर के लिए सबसे महत्वपूर्ण महत्व यह होता है कि यह हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। लहसुन में भारी मात्रा में सेलेनियम पाया जाता है ओ लीवर को मजबूत करने और स्वस्थ रखने में मदद करता है इसके अलावा यह खून को साफ करने में भी मदद करता है।
आप प्रतिदिन सुबह के समय खाली पेट लहसुन की एक या दो कलियों के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। आप चाहें तो खाना पकाते समय लहसुन को मसाले की तरह प्रयोग कर सकते हैं।
हेपेटाइटिस सी से बचाव के उपाय-(Prevention of Hepatitis C In Hindi) :
- रोगी को ड्रग्स न लेने दें बल्कि जितना हो सके उसकी इस आदत को छुड़ाने की कोशिश करें।
- रोगी को टैटू नहीं बनवाना चाहिए लेकिन अगर बनवाते हैं तो उस समय समय सावधानी बरतनी चाहिए। टैटू बनवाने के लिए किसी अच्छी दुकान का चुनाव करना चाहिए उसके बाद टैटू बनवाना चाहिए।
- अगर आप किसी स्त्री/पुरुष के साथ संबंध स्थापित करते हैं तो स्नब्न्ध्त स्थापित करते समय कंडोम का प्रयोग जरुर करना चाहिए क्योंकि इससे रोगों के फैलने का खतरा कम हो जाता है।
- रोगी को जितना हो सके शराब से दूर रहना चाहिए।
- अगर रोगी को यह रोग है तो जितना हो सके उससे दूरी रखनी चाहिए लेकिन अगर आप चिकित्सक हैं तो उसके रक्त के संपर्क में न आएं और उसके आप-पास जाते समय दस्ताने और मास्क का प्रयोग करें।
- रोगी को ऐसी दवाईयों का सेवन करने के लिए नहीं देनी चाहियें जिससे उसके लीवर को नुकसान पहुंचे।