वायुगोला (Gaseous Tumour In Hindi)
हमारे शरीर में नाभि के ऊपर एक गोल जगह होती है जहाँ पर वायु का गोला रुक जाता है या पेट में गांठ की तरह उभार आता है इसी को गुल्म या वायुगोला के नाम से जाना जाता है क्योंकि जब हवा एक जगह पर एकत्रित हो जाती है तो वायु गोले में बदल जाती है जो वायुगोला कहलाती है।
वायुगोला के कारण (Gaseous Tumour Reason in Hindi) :
1. वात, पित्त कफ से : जब किसी व्यक्ति को शराब या मसालेदार भोजन की वजह से व्यक्ति को वात, पित्त कफ की समस्या हो जाती है इसलिए अगर आपको भी यह समस्या है तो आपको वायुगोला रोग हो सकता है।
2. त्रिदोष से : जब किसी व्यक्ति को त्रिदोष हो जाता है तो भी उसे वायुगोला रोग हो सकता है।
3. खून दोष से : अगर किसी व्यक्ति को खून से संबंधित कोई दोष होता है तो आप वायुगोला रोग से भी ग्रस्त हो सकते हैं क्योंकि खून के दोष होने से भी यह समस्या हो जाती है।
4. मल में परेशानी से : किसी व्यक्ति के द्वारा मल या मूत्र रोकने, चोट लगने, भारी खाना खाने, रुखा-सूखा भोजन करने, दुखी रहने, दूषित खाना और पानी पीने से वायु दूषित हो जाती है और दिल से मूत्राशय तक के भाग में गांठ की तरह बन जाता है जिससे वायुगोला की समस्या हो सकती है।
वायुगोला के लक्षण (Gaseous Tumour Symptoms In Hindi) :
1. गैस और कब्ज होना : जिस व्यक्ति को वायुगोला की समस्या होती है उसे दस्त लगने बंद हो जाते हैं जिसकी वजह से कब्ज की समस्या हो जाती है। जब व्यक्ति के द्वारा खाया गया खाना ठीक से नहीं पचता तो उसे गैस की समस्या भी हो जाती है।
2. भूख न लगना : रोगी का कुछ भी खाने का मन नहीं करता है। रोगी का मुंह सूख जाता है और भूख भी नहीं लगती। ऐसे व्यक्ति को वायुगोला की समस्या हो सकती है।
3. पेट दर्द होना : पेट में बनी गैस के बाहर न निकलने की वजह से उसे पेट दर्द होने लगता है। रोगी को खट्टी-खट्टी डकारें आने लगती हैं और दस्त भी साफ नहीं आते हैं। उसके पेट में वायु घूमने लगती है जिसकी वजह से पेट में और अधिक दर्द होने लगता है।
4. शरीर का रंग बदलना : रोगी को दस्त भी साफ नहीं आते हैं जिसकी वजह से उसका पेट भी फूल जाता है। रोगी की आँतों में गुडगुडाहट होने लगती है और उसके शरीर का रंग भी काला पड़ जाता है।
5. गर्भ गिरने से : कभी-कभी देखा जाता है कि गर्भवती स्त्रियों का गर्भ गिर जाता है जिसकी वजह से भी उसे वायुगोला की समस्या हो सकती है।
6. खान-पान से : जब भी कोई खान-पान सही तरह से नहीं करता है या गलत खान-पान करता है तब भी वायुगोला की समस्या हो जाती है।
7. गोले में जलन : जब किसी स्त्री को वायुगोला की समस्या होती है तो उसकी शुरुआत में खूनी वायु ठहर जाती है। उसके वयुगोले में जलन होने लगती है जो बहुत अधिक पीड़ादायक होती है।
वायुगोला का इलाज (Gaseous Tumour Treatment In Hindi) :
1. हरड के सेवन से इलाज :
जिस व्यक्ति को वायुगोला की समस्या होती है उसे हरड का सेवन करना चाहिए क्योंकि हरड का सेवन करने से पित्त की वजह से जो वायुगोला की समस्या होती है वह ठीक हो जाती है। आप हरड को गुड में मिलाकर दूध के साथ खा सकते हैं इससे आपको बहुत आराम होगा।
2. साठी के सेवन से इलाज :
अगर आपको वायुगोला का रोग है तो आप साठी की जड़ को काली मिर्च के साथ पीसकर घी में मिलाकर पी सकते हैं क्योंकि इससे वायुगोला की समस्या ठीक हो जाएगी।
3. मुलहठी के सेवन से इलाज :
वायुगोला की समस्या होने पर मुलहठी, चंदन और दाख को पीसकर उसका दूध के साथ सेवन करने से वायुगोला की समस्या दूर हो जाती है। इससे पित्त की वजह से होने वाली समस्या भी ठीक हो जाएगी।
4. अजवाइन के सेवन से इलाज :
वायुगोला की समस्या होने पर आप अजवाइन का चूर्ण बनाना चाहिए। अब एक गिलास छाछ में इस चूर्ण के साथ-साथ थोडा सा नमक मिलाकर पीना चाहिए। इसे पीने से वायुगोला की समस्या बिलकुल ठीक हो जाएगी।
5. नींबू के सेवन से इलाज :
जब किसी को वायुगोला की समस्या होती है तो उसे पेट दर्द होता है और उसके शरीर का रंग भी बदल जाता है अगर आपको इस समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो नींबू के रस को एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर पी सकते हैं इससे आपकी वायुगोला की समस्या ठीक हो जाएगी।
6. अरबी के सेवन से इलाज :
अगर आपको वायुगोला की समस्या है तो आप अरबी का सेवन कर सकते हैं। जब आप अरबी के पत्तों को पानी निकालकर घी में मिलाकर सेवन करना चाहिए इससे वायुगोला की समस्या ठीक हो जाएगी।
वायुगोला में क्या खाएं (How To Eat In Gaseous Tumour) :
जिन लोगों को वायुगोला की समस्या हो उन्हें बकरी और गाय का दूध, मूली, बथुआ, सहजना, लहसुन, जमीकंद, परवल, बैंगन, करेला, केला का फूल, सफेद कद्दू, कसेरू, दाख, नारियल पानी, बिजौरा नींबू, फालसे, खजूर, अनार, आंवला, पपीता, लाल चावल, हलवा, रोटी, पूरी आदि का सेवन करना चाहिए।
वायुगोला में क्या न खाएं (Do Not Eat In Gaseous Tumour) :
वायुगोला की समस्या होने वाले लोगों को बादी वाले अनाज, ठंडे पदार्थों, सूखा हुआ मांस, साग, मछली, धूप, आलू, मूली, मीठे फल आदि का सेवन करना चाहिए।