अम्लपित्त (Acidity In Hindi) :
इस पोस्ट में आपको अम्लपित्त / खट्टी डकारें आना/ आमाशय की अम्लता के बारे में बताया गया है ये तीनो एक ही रोग है जिन्हें अलग-अलग नाम से दर्शाया जाता है।
हमारे शरीर में ऐसे बहुत से महत्वपूर्ण तत्व होते हैं जो हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं जिनमें से हमारा पेट भी एक है। हमारे शरीर के सभी हिस्सों का ठीक रहना बहुत जरुरी होता है और साथ-साथ हमारे पेट का भी। क्योंकि पेट से ही हमें कार्य करने के लिए शक्ति मिलती है।
अगर पेट ही ठीक नहीं होगा तो हमारे शरीर को ठीक से उर्जा नहीं मिलेगी और हमारा शरीर भी ठीक तरह से काम नहीं कर पायेगा। आज के लोग अधिकतर पेट की बिमारियों से ग्रस्त होते हैं जिनमें से एक समस्या गैस, एसिडिटी या अम्लपित्त की होती है। पुराने समय में एसिडिटी की समस्या सिर्फ बूढ़े लोगों को होती थी लेकिन आज के समय में बच्चों को भी यह समस्या हो जाती है।
हमारे पेट में जाने वाले भोजन को पचाने के लिए हमारे पेट में एसिड या अम्ल बनता है जो भोजन को पचाता है पर कई बार इस एसिड की मात्रा भोजन की मात्रा से ज्यादा हो जाती है। जिसकी वजह से एसिडिटी या अम्लपित्त जैसी समस्या हो जाती है। जो लोग मसालेदार या तेलयुक्त भोजन करते हैं उन्हें अक्सर एसिडिटी की समस्या होती है। इस तरह का खाना पचने में मुश्किल होता है और ज्यादा अम्ल उत्पन्न करने की प्रेरणा देता है और ज्यादा अम्ल की वजह से एसिडिटी की समस्या हो जाती है।
अम्लपित्त के कारण (Aidity Reason In Hindi) :
1. बाहरी भोजन से : आज के लोग घर का पौष्टिक भोजन कने की जगह पर बाहर के बेकार और अस्वस्थ भोजन को खाना ज्यादा पसंद करते हैं जिसकी वजह से उन्हें एसिडिटी की समस्या हो जाती है क्योंकि बाहर का भोजन पचने में समय लेता है और बहुत अधिक तेलयुक्त और वसायुक्त होता है।
2. भोजन न करना : कभी-कभी लोगों को अरुचि भी हो जाती है जिसकी वजह से उन्हें भूख लगनी कम हो जाती है और उनका खाना खाने का मन नहीं करता। वे ज्यादातर भूखा रहते हैं जिसकी वजह से उन्हें एसिडिटी की समस्या हो जाती है।
3. असमय भोजन करना : आज कोई भी व्यक्ति समय पर खाना नहीं खाता है वह असमी खाना खाता है और काम भी अधिक नहीं करता है जिसकी वजह से उन्हें एसिडिटी की समस्या होती है और उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
4. मसालेदार भोजन से : आज के युवा हो या वृद्ध सभी लोग तीखा, चटपटा, चाय, कॉफी, बासी खाने से, मसालेदार, वसायुक्त, फास्ट फूड खाना ज्यादा पसंद करते हैं जिसकी वजह से इन पदार्थों का पाचन ठीक तरह से नहीं हो पाता है और पाचन में बहुत अधिक समय लगता है जिससे उन्हें एसिडिटी या अम्लपित्त की समस्या का सामना करना पड़ता है।
5. मानसिक रोगों से : बहुत से लोगों को चिंता, गुस्सा, डर, नींद न आना, नफरत करते हैं जो मानसिक रोग के लक्षण होते हैं इस वजह से भी उन्हें एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
6. अधिक काम करने से : आज के समय में लोगों का अधिकतर समय बैठे हुए या काम करते हुए निकल जाता है और उन्हें बहुत कम आराम मिलता है। ज्यादा काम करने की वजह से भी वो ज्यादा थक जाता है और ठीक से काम भी नहीं कर पाता है जिससे उन्हें एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
7. समस्याओं से : अक्सर लोगों को वायरल फीवर, इंफेक्शन, सीने में जलन, मुंह का स्वाद कडवा होना, कफ, पथरी, कैंसर, अल्सर आदि समस्याएं होती हैं जिनमें भी एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
8. बैक्टीरिया से : आज के समय में कुछ बैक्टीरिया ऐसे होते हैं जिनकी वजह से दस्त, उल्टी, गैस, पेट दर्द, और अपच की समस्या हो जाती है।
अम्लपित्त के लक्षण (Acidity Symptoms In Hindi) :
1. पेट में जलन : कभी-कभी जब आपको एसिडिटी होती है तो पेट में जलन होने लगती है और पेट में सूजन आ जाती है।
2. गले में जलन : अगर आपको गले में जलन होती है तो आपके साथ ऐसा एसिडिटी की वजह से भी हो सकता है।
3. सांसों से बदबू आना : जब आपको खट्टी-खट्टी डकारें आतीं हैं तो आपकी सांसों से बदबू आनी शुरू हो जाती है और ऐसा लगता है जैसे जीभ और दांतों पर मल जमने लगा है।
4. समस्याएं होना : जब अम्लपित्त शुरू होता है तो भूख न लगना, उल्टी, बदहजमी, दस्त, कब्ज होना, बेचैनी होना आदि एसिडिटी के लक्षण हो सकते हैं।
अम्लपित्त का इलाज (Acidity Problem Solution In Hindi) :
इसके सबसे अच्छे 2 उपचार हैं 1. लौंग चबाएं या लौंग उबालकर उसका पानी पिए। ये गैस और एसिडिटी से राहत दिलाती है। और केले का सेवन करें क्यूंकि केले की अल्कलाइनप्रॉपर्टी पेट के एसिड को न्यूट्रीलाइट करती है ओर एसिडिटी और खट्टी डकार से राहत दिलाती है।
नीम्बू और बेकिंग सोडा से एसिडिटी का पक्का इलाज : एक गिलास गुनगुने पानी में एक नीम्बू निचोड़कर उसमें एक चुटकी बेकिंग सोडा मिला लें और इसे सुबह खाली पेट पीएं. ऐसा करने से पेट में गैस बनने की समस्या दूर होती है और एसिडिटी, बदहजमी, फूड पॉइजनिंग,कब्ज आदि बीमारी से भी छुटकारा मिलता है।
1. जीरे के सेवन से उपचार :
जिन लोगों को एसिडिटी की समस्या होती है उन्हें एक गिलास पानी में जीरे को डालकर उबाल लें और ठंडा होने के बाद इसका सेवन करे। इसके सेवन से अम्लपित्त की समस्या ठीक हो जाएगी क्योंकि जीरे से सलाइवा होता है जिससे पाचन तंत्र और गैस की समस्या के ठीक होने के साथ-साथ तेजाब को भी नष्ट कर देता है इसलिए अगर किसी को एसिडिटी की समस्या हो तो उन्हें जीरे का सेवन करना चाहिए।
2. इलायची के सेवन से उपचार :
अगर किसी को एसिडिटी की समस्या है तो आप इलायची का सेवन कर सकते हैं क्योंकि इलायची में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो एसिडिटी को रोकने के साथ-साथ पाचन तंत्र को ठीक करने में मदद करता है। आप इलायची के पाउडर को एक गिलास पानी में डालकर उबालें और ठंडा होने पर इसका सेवन करें।
3. नींबू के सेवन से उपचार :
अगर आपको अम्लपित्त की समस्या है तो आप एक गिलास पानी में नींबू का रस और बेकिंग सोडा मिलाकर खाली पेट पीने से अम्लपित्त की समस्या भी ठीक हो सकती है। आप चाहे तो इस मिश्रण को गर्म पानी के साथ भी पी सकते हैं।
4. काली मिर्च के सेवन से उपचार :
आप काली मिर्च को दूध में मिलाकर पी सकते हैं क्योंकि इसके सेवन से अम्लपित्त या एसिडिटी की समस्या भी ठीक हो जाती है।
5. तुलसी के सेवन से उपचार :
अगर आपको ऐसा लगता है कि आपको अम्लपित्त या एसिडिटी की समस्या है तो आप तुलसी के पत्तों को खा सकते हैं या पानी में उबालकर पी सकते हैं इससे आपको एसिडिटी या अम्लपित्त की समस्या नहीं होगी।
6. गुड के सेवन से उपचार :
अगर आपके पेट में अम्ल ज्यादा बनता है तो आप गुड का सेवन कर सकते हैं। गुड का सेवन हमारी पाचन क्रिया को बढ़ा देता है और पाचन तंत्र को ज्यादा क्षारीय बना देता है जिससे एसिडिटी की समस्या भी ठीक हो सकती है।
7. दालचीनी के सेवन से उपचार :
अगर आप पेट की समस्याओं से ग्रस्त हैं तो आप दालचीनी का सेवन कर सकते हैं। आप दालचीनी को चाय के साथ या एसिडिटी को कम करने के लिए प्रयोग कर सकते हैं।
8. नारियल पानी के सेवन से उपचार :
अगर आपको एसिडिटी की समस्या है तो आप नारियल पानी का सेवन कर सकते हैं क्योंकि नारियल पानी हमारे शरीर के पीएच एसिडिक स्तर को एकलाइन में बदल देता है और आपके पेट में म्यूक्स का निर्माण करने में मदद करता है और पेट में अधिक एसिड को बनने से रोकता है।
9. अदरक के सेवन से उपचार :
आगर आपको पेट से संबंधित कोई समस्या है तो आप अदरक का सेवन कर सकते हैं क्योंकि अदरक में दो प्रकार के केमिकल पाए जाते हैं जो पेट की सफाई करने में मदद करते हैं और पाचन तंत्र को भी ठीक रखते हैं।
10. सौंफ के सेवन से उपचार :
अक्सर देखा जाता है कि लोग खाना खाने के बाद सौंफ खाते हैं क्योंकि इसे एक तरह से माउथ फ्रेशनर की तरह प्रयोग किया जाता है लेकिन इसे एसिडिटी को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
अम्लपित्त से बचाव के उपाय (How To Save From Acidity In Hindi) :
- अम्लपित्त से बचने के लिए शरीर के वजन को बढने नहीं देना चाहिए।
- सिर्फ घर पर बने भोजन का ही प्रयोग करना चाहिए बाहर का कुछ भी खाना नहीं चाहिए।
- दोनों समयों में भोजन में समय होना चाहिए।
- खाने को थोडा-थोडा और अधिक-अधिक समय के बाद खाना चाहिए।
- ज्यादा एसिडिटी होने पर मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
- आपको जितनी भूख लगती है सिर्फ उतना ही खाना खाना चाहिए अधिक भोजन करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
- खाने खाने के कुछ घंटों बाद तक सोना नहीं चाहिए बल्कि टहलना चाहिए।
- स्वस्थ रहने के लिए हर रोज व्यायाम करना चाहिए और तनाव वाली सभी चीजों और बातों से दूर रहना चाहिए।
अम्लपित्त में क्या खाएं (What To Eat In Acidity) :
1. अम्लपित्त होने पर फल, हरी सब्जियां, हरी बीन्स, ब्रोकली, फूलगोभी, आलू, खीरा, अदरक, दलिया, खरबूजे, केले, सेब, नाशपाती, अंडे, सन के बीज, जैतून का तेल, सूरजमुखी का तेल आदि सभी चीजों का सेवन करना चाहिए।
अम्लपित्त में क्या न खाएं (Do Not Eat In Acidity) :
1. अम्लपित्त होने पर तला हुआ, भुना हुआ, वसायुक्त भोजन, चॉकलेट, जंक फूड, शराब, धुम्रपान, कोल्डड्रिंक, खट्टे फल, कैफीन, आचार, मसालेदार भोजन, चटनी, सिरका, का सेवन नहीं करना चाहिए।