1. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
2. राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्शों सत्यम, शिवम्, सुन्दरम् से प्रेरित है।
3. याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है।
4. इतिहास में कभी भी विचार-विमर्श से कोई वास्तविक परिवर्तन हासिल नहीं हुआ है।
5. एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा-सच्चाई, कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है। अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर ले।
6. एक सच्चे सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनों ही प्रशिक्षण की जरुरत होती है।
7. प्रांतीय ईर्ष्या-द्वेष दूर करने में जितनी सहायता हिंदी प्रचार से मिलेगी, दूसरी किसी चीज से नहीं।
8. आज हमारे अंदर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके। एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशस्त हो सके।
9. ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं। हमें अपने बलिदान और परिश्रान से जी आजादी मिले, हमारे अंदर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए।
10. सफलता, हमेशा असफलता के स्तंभ पर खड़ी होती है।
11. मेरा अनुभव है कि हमेशा आशा की कोई-न-कोई किरण आती है, जो हमें जीवन से दूर भटकने नहीं देती।
12. जिस व्यक्ति के अंदर सनक होती है वो कभी महान नहीं बन सकता। लेकिन उसके अंदर, इसके अलावा भी कुछ और होना चाहिए।
13. जो अपनी ताकत पर भरोसा करते हैं, वो आगे बढ़ते हैं और उधार की ताकत वाले घायल हो जाते हैं।
14. हमारा सफर कितना ही भयानक, कष्टदायी और बदतर हो, लेकिन हमें आगे बढ़ते रहना ही है। सफलता का दिन दूर हो सकता है, लेकिन उसका आना अनिवार्य है।
15. माँ का प्यार सबसे घर होता है-स्वार्थरहित। इसको किसी भी तरह से मापा नहीं जा सकता।
16. मुझे यह नहीं मालूम कि स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन-कौन जीवित बचेंगे। परन्तु मैं यह जानता हूँ, अंत में विजय हमारी ही होगी।
17. भारत में राष्ट्रवाद ने एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति का संचार किया है जो सदियों से लोगों के अंदर से सुसुप्त पड़ी थी।
18. मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि हमारे देश की प्रमुख समस्याओं जैसे गरीबी, अशिक्षा, बीमारी, कुशल उत्पादन एवं वितरण का समाधान सिर्फ समाजवादी तरीके से ही किया जा सकता है।
19. अगर आपको अस्थाई रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना।
20. समझौता परस्ती बड़ी अपवित्र वस्तु है।
21. मध्य भावे गुडं दद्यात-अथार्त जहाँ शहद का अभव हो वहां गुड से ही शहद का कार्य निकालना चाहिए।
22. संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया। मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ, जो पहले नहीं था।
23. कष्टों का निसंदेह एक आंतरिक नैतिक मूल्य होता है।
24. मुझमे जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी, परन्तु कठोर परिश्रान से बचाने की प्रवृति मुझमे कभी नहीं रही।
25. जीवन में प्रगति का आशय यह है कि शंका संदेह उठाते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे।
26. हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं।
27. हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो, हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक हो, फिर भी हमें आगे बढना ही है। सफलता का दिन दूर हो सकता है, पर उसका आना अनिवार्य है।
28. श्रद्धा की कमी ही सरे कष्टों और दुखों की जड़ है।
29. अगर संघर्ष न रहे, किसी भी भय का सामना न करना पड़े, तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है।
30. मैं संकट और विपदाओं से भयभीत नहीं होता। संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं वरन आगे बढ़कर कष्टों को सहन करूँगा।
31. इतना तो आप भी मानेंगे, एक-न-एक दिन तो मैं जेल से अवश्य मुक्त हो जाऊंगा, क्योंकि हर दुःख का अंत होना अवश्यम्भावी है।
32. सुबह से पहले अँधेरी घड़ी अवश्य आती है। बहादुर बनो और संघर्ष जारी राखी, क्योंकि स्वतंत्रता निकट है।
33. समय से पूर्व की परिपक्वता अच्छी नहीं होती, चाहे वह किसी वृक्ष की हो, या व्यक्ति की और उसकी हानि आगे चलकर भुगतनी ही होती है।
34. अपने कॉलेज जीवन की देहलीज पर खड़े होकर मुझे अनुभव हुआ, जीवन का कोई अर्थ और उद्देश्य है।
35. निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अति आवश्यक है।
36. मैं जीवन की अनिश्चितता से जरा भी नहीं घबराता।
37. मैंने अमूल्य जीवन का इतना समय व्यर्थ ही नष्ट कर दिया। यह सोचकर बहुत ही दुःख होता है। कभी-कभी यह पीड़ा असह्य हो उठती है। मनुष्य जीवन पाकर भी जीवन का अर्थ समझ मे नहीं आया। अगर मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाया, तो यह जीवन व्यर्थ है। इसकी क्या सार्थकता है?
38. परीक्षा का समय निकट देखकर हम बहुत घबराते हैं। लेकिन एक बार भी यह नहीं सोचते कि जीवन का प्रत्येक पल परीक्षा का है। यह परीक्षा ईश्वर और धर्म के प्रति है। स्कूल की परीक्षा तो दो दिन की है, परंतु जीवन की परीक्षा तो अनंत काल के लिए देनी होगी। उसका फल हमें जन्म जन्मांतर तक भोगना पड़ेगा।
39. मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है। मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है। मुझे नैतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है।
40. भविष्य अब भी मेरे हाथ में है।
41. मेरे जीवन के अनुभवों में एक यह भी है। मुझे आशा है कि कोई-न-कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती।
42. मैंने जीवन में कभी भी खुशामद नहीं की है। दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करना मुझे नहीं आता।
43. मैं चाहता हूँ चरित्र, ज्ञान और कार्य।
44. चरित्र निर्माण ही छात्रों का मुख्य कर्तव्य है।
45. हमें सिर्फ कार्य करने का अधिकार है। कर्म ही हमारा कर्तव्य है। कर्म के फल का स्वामी वह है, हम नहीं।
46. कर्म के बंधन को तोड़ना बहुत कठिन कार्य है।
47. व्यर्थ की बातों में समय खोना मुझे जरा भी अच्छी नहीं लगता।
48. मैंने अपने छोटे से जीवन का बहुत सारा समय व्यर्थ में ही खो दिया है।
49. भावना के बिना चिंतन असंभव है। अगर हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता। बहुत सरे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं। परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते।
मेरी सारी की सारी भावनाएं मृतप्राय हो चुकी हैं और एक भयानक कठोरता म्नुझे कसती जा रही है।
50. हमें अधीर नहीं होना चाहिए। न ही यह आशा करनी चाहिए कि जिस प्रश्न का उत्तर खोजने में न जाने कितने ही लोगों ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया, उसका उत्तर हमें एक-दो दिन में प्राप्त हो जाएगा।
51. स्वामी विवेकानंद का यह कथन बिलकुल सत्य है, अगर तुम्हारे पास लौह शिराएँ हैं और कुशाग्र बुद्धि है, तो तुम सारे विश्व को अपने चरणों में झुक सकते हो।
52. आजादी मिलती नहीं है, हासिल की जाती है।
53. चर्चाओं से इतिहास में कभी वास्तविक बदलाव नहीं आया।
54. भारत के भाग्य को लेकर आप कभी निराश न होना। दुनिया में ऐसी कोई ताकत नहीं है जो भारत को गुलाम बनाकर रख सके, भारत आजाद होगा और वह भी जल्द।
55. सिर्फ आदमी, पैसे और चीजों के दम पर स्वतंत्रता नहीं लायी जा सकती। हमारे पास प्रेरणा देने वाली शक्ति भी होनी चाहिए जो हमें बहादुरी के काम करने की प्रेरणा दे।
56. जो फूलों को देखकर मचलते हैं उन्हें कांटे भी जल्दी लगते है।
57. राजनीतिक सौदेबाजी का रहस्य है अपने आपको सच की तुलना में अधिक मजबूत दर्शाना।
58. भारत हमें पुकार रहा है। खून-खून को बुला रहा है। उठो, हमारे पास बर्बाद करने के लिए समय नहीं है। अपने हथियरों को उठा लो। दिल्ली की तरफ रास्ता, आजादी की तरफ रास्ता।
59. हमें अपने जीवन को ज्यादा से ज्यादा सच्चाई के सिद्धांतों से बनाना पड़ेगा। हमें बैठ कर नहीं रहना है क्योंकि हम जीवन के पूर्ण सत्य को हम नहीं जानते।
60. अगर आपको स्वदेशभिमान सीखना है तो एक मछली से सीखो जो अपने स्वदेशी पानी के लिए तड़फ-तडफ कर अपनी जान दे देती है।
61. जो पाप तुम कर रहे हो उसका कभी बटवारा नहीं होगा।
62. एक शहीद की मौत का सामना करने की इच्छा है, ताकि स्वतंत्रता के लिए पथ शहीद के खून से पक्की की जा सके – तो मरने के लिए भारत रह सकते हैं कि इच्छा – हम है, लेकिन आज की इच्छा चाहिए।
63. जब हम खड़े हैं, आजाद हिंद फौज ग्रेनाइट के एक दीवार की तरह हो गया है, जब हम मार्च, आजाद हिंद फौज एक दबाव डालने की तरह हो गया है।
64. कामरेड। आपने स्वेच्छा से एक मिशन स्वीकार कर लिया है है जो कि संभ्रांत मानव मन में प्रेरित कर सकता है। इस तरह के एक मिशन को पूरा करने के लिए कोई बलिदान भी महान नहीं है, यहाँ तक की किसी एक के जीवन का बलिदान भी। आप आज भारत के राष्ट्रीय सम्मान के संरक्षक और भारत की उम्मीदों और आकांक्षाओं के अवतार हैं। तो अपने आप को आचरण करें कि आपके देशवासी तुम्हें आशीर्वाद दे सकें और भावी पीढ़ी तुम पर गर्व कर सके।
65. हकीकत, अंत में हम सब के सोचने से परे है। फिर भी, हमें अपने जीवन को ऐसा बनाना है जिसमे अधिकतम सच्चाई हो। हम नहीं बैठ सकते। हमारे जीवन का निर्माण करने के लिए।
66. हमारे इतिहास में इस अभूतपूर्व मोड़ पर मैं तुम्हारे लिए एक शब्द बोल रहा हूँ। हमारी अस्थायी हार से निराश न हों, हंसमुख और आशावादी हो। इन सबसे ऊपर, भारत की नियति में अपना विश्वास कभी खो नहीं। पृथ्वी पर कोई शक्ति है जो बंधन में भारत को रखती। भारत जल्द ही मुक्त हो जाएगा और वह भी। जय-हिंद!
67. आप सभी को मैं कहना है कि इस युद्ध के दौरान आप अनुभव प्राप्त करेंगे और सफलता जो अकेले हमारी सेना के लिए एक राष्ट्रीय परंपरा का निर्माण कर सकते हैं और हम प्राप्त करेंगे। सेना साहस, निर्भयता और अपराजेयता की कोई परंपरा एक शक्तिशाली दुश्मन के साथ एक संघर्ष में अपने को रोक नहीं सकती है।
68. काम है कि अब आगे के लिए अपनी कमर बान्ध। मैंने आपसे पुरुष, धन और सामग्री के लिए आप से पूछा था। मुझे ये उदार मात्रा में मेलें है। अब मैं आप से और अधिक मांग करता हूँ। पुरुष, धन और सामग्री अपने आप विजय या स्वतंत्रता नहीं ला सकते हैं। हमारा मकसद शक्ति है कि हम प्रेरित करेंगे कर्म और वीर कारनामे में आगे बढ़ना आवश्यक है।
69. मैं आपको याद दिला देता हूँ की आपके पास दो गुना काम है। हथियारों की ताकत के साथ और अपने खून के साथ आपको आजादी लेनी है। तब जब भारत आजाद होगा, आपको आजाद भारत की सेना बनानी होगी जोकि इस आजादी को हमेशा के लिए बचा के रखेगी। हमें अपने देश की रक्षा प्रयोजना बनानी होगी ताकि हम दुबारा अपनी स्वतंत्रता को खो न सके।