1. अगर मनुष्य के पास आत्मबल है, तो वो समस्त संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।
2. इस जीवन मे सिर्फ अच्छे दिन की आशा नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि दिन और रात की तरह अच्छे दिनो को भी बदलना पड़ता है।
3. अंगूर को जब तक न पेरो वो मीठी मदिरा नहीं बनती, वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट मे पिसता नहीं, तब तक उसके अंदर की सर्वौत्तम प्रतिभा बाहर नही आती।
4. जो मनुष्य समय के कुचक्र मे भी पूरी शिद्दत से, अपने कार्यो मे लगा रहता है। उसके लिए समय खुद बदल जाता है।
5. प्रतिशोध मनुष्य को जलाती रहती है, संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का उपाय होता है।
6. कोई भी कार्य करने से पहले उसका परिणाम सोच लेना हितकर होता है, क्योकी हमारी आने वाली पीढी उसी का अनुसरण करती है।
7. अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला, और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला, पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है।
8. स्वतंत्रता एक वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर कोई है।
9. एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य पर, बाद मे विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।
10. जरुरी नही कि विपत्ति का सामना, दुश्मन के सम्मुख से ही करने मे, वीरता हो वीरता तो विजय मे है।
11. जब हौसले बुलंद हो, तो पहाड़ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है।
12. शत्रु को कमजोर न समझो, तो अत्यधिक बलिष्ठ समझ कर डरना भी नही चाहिए।
13. जब लक्ष्य जीत की हो, तो हासिल करने के लिए कितना भी परिश्रम, कोई भी मूल्य, क्यो न हो उसे चुकाना ही पड़ता है।
14. सर्वप्रथम राष्ट्र, फिर गुरु, फिर माता-पिता, फिर परमेश्वर अतः पहले खुद को नही राष्ट्र को देखना चाहिए।
15. यदि एक पेड़ जो कि इतनी उच्च जीवित सत्ता नहीं है, इतना सहिष्णु और दयालु हो सकता है कि किसी के द्वारा मरे जाने पर भी उसे मीठे आम दे, तो एक राजा होकर, क्या मुझे एक पेड़ से अधिक सहिष्णु और दयालु नहीं होना चाहिए?
16. शत्रु चाहे कितना ही बलवान क्यों न हो, उसे अपने इरादों और उत्साह मात्र से भी परास्त किया जा सकता है।
17. कभी अपना सिर मत झुकाव, हमेशा ऊँचा रखो।
18. जरुरी नहीं कि विपत्ति का सामना, दुश्मन के सम्मुख से ही करने में वीरता हो। वीरता तो विजय में है।
19. वास्तव में, इस्लाम और हिन्दू धर्म अलग-अलग मामले हैं। वे उस सच्चे दिव्य चित्रकार द्वारा रंगों को मिलाने और खाका तैयार करने के लिए प्रयोग किये जाते हैं। अगर यह एक मस्जिद है, तो उसकी याद में ईबादत के लिए आवाज दी जाती है। यही एक मंदिर है तो सिर्फ उसी के लिए घंटियाँ बजाई जाती हैं।
20. भले हर किसी के हाथ में तलवार हो, यह इच्छाशक्ति है जो एक सत्ता स्थापित करती है।
21. आत्मबल, सामर्थ्य देता है, और सामर्थ्य, विद्या प्रदान करती है। विद्या, स्थिरता प्रदान करती है, और स्थिरता, विजय की तरफ ले जाती है।
22. नारी के सभी अधिकारों में, सबसे महान अधिकार माँ बनने का है।
23. एक सफल मनुष्य अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए, समुचित मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर लेता है।
24. एक पुरुषार्थी भी, एक तेजस्वी विद्वान् के सामने झुकता है। क्योंकि पुरुषार्थ भी विद्या से ही आती है।
25. जो धर्म, सत्य, श्रेष्ठता और परमेश्वर के सामने झुकता है। उसका आदर समस्त संसार करता है।
26. बदला लेने की भावना मनुष्य को जलाती रहती है, संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का एक मात्र उपाय है।
27. यद्यपि सबके हाथ में एक तलवार होती है लेकिन वो ही साम्राज्य स्थापित करता है जिसमें इच्छाशक्ति होती है।
28. जब आप अपने लक्ष्य को तन मन से चाहोगे तो माँ भवानी की कृपा से जीत आपकी ही होगी।
29. अपना लक्ष्य पाने के लिए हर उस व्यक्ति को वचन दो जिनकी आपको जरुरत है। परंतु सिर्फ संत, माहत्मा लोगों को ही दिए हुए वचन पुरे करो, चोरों को दिए हुए नहीं।
30. इस दुनिया में हर व्यक्ति को स्वतंत्र रहने का अधिकार है। और उस अधिकार को पान के लिए वो लड़ भी सकता हैं।
31. हम जिस जगह रहते है उस जगह का और पूर्वजों का इतिहास हमें मालूम होना चाहिए।
32. उत्साह मनुष्य की ताकत, संयम और अडिगता होती है। सब का कल्याण मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिए। तो कीर्ति उसका फल होगा।
33. जरुरी नहीं की खुद की गलती से सीखा जाए। हम दूसरों की गलती से भी बहुत कुछ सिख सकते हैं।
34. हर व्यक्ति को विद्या ग्रहण करनी चाहिए। क्योंकि लड़ाई में जो काम शक्ति नहीं करती वो काम युक्ति से होता हैं और युक्ति विधा से आती हैं।
35. जो मनुष्य बुरे समय मे भी पूरी शिद्दत से, अपने कार्यो मे लगा रहता है। उसके लिए समय खुद बदल जाता है।
36. जो व्यक्ति स्वराज्य और परिवार के बीच स्वराज्य को चुनता है वही एक सच्चा नागरिक होता हैं।
37. किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए नियोजन महत्वपूर्ण होता हैं। केवल नियोजन से ही आप लक्ष्य पा सकते हैं।