1. श्रद्धा रख सब्र से काम ले ईश्वर भला करेगा।
Shraddha rakh sabr se kaam le yishvar bhala karega.
2. अगर मेरा भक्त गिरने वाला होता है तो मैं अपने हाथ बढ़ाकर उसे सहारा देता हूँ।
Agar mera bhakt girne vala hota hai to main apne hath badhakar use sahara deta hun.
3. अगर कोई अपना पूरा समय मुझमें लगाता है और मेरी शरण में आता है तो उसे अपने शरीर या आत्मा के लिए कोई भय नहीं होना चाहिए।
Agar koi apna pura samay mujhme lagata hai meri sharan me aata hai to use apne sharir ya aatma ke liye koi bhay nhin hona chahiye.
4. मैं किसी पर क्रोधित नहीं होता, क्या माँ अपने बच्चों से नाराज हो सकती है? क्या समुद्र अपना जल वापस नदियों में भेज सकता है?
Main kisi pr krodhit nhin hota, kya maa apne bacchon se naraj ho sakti hai? Kya samudr apna jal vapas nadiyon me bhej sakta hai?
5. अपने गुरु में पूर्ण रूप से विश्वास करें, यही साधना है।
Apne guru me purn rup se vishvas karen, yahi sadhna hai.
6. साईं नाम में सब देव समाए, जो जिस रूप में साईं को ध्यावे, साईं उस रूप में दर्श दिखावे, जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का।
Sayin name me sab dev samaye, jo jis rup me Sayin ko dhyave, Sayin us rup me darsh dikhave, jaisa bhav raha jis jan ka, vaisa rup huaa mere man ka.
7. जिस तरह कीड़ा कपडे को कुतरता है, उसी तरह ईर्ष्या मनुष्य को।
Jis tarah kida kapde ko kutarta hai, usi tarah yirshya manushya ko.
8. क्रोध मुर्खता से शुरू होता है पर पश्च्याताप पर खत्म होता है।
Krodh murkhta se shuru hota hai pr pshchyatap pr khatam hota hai.
9. मैं निराकार हूँ और सर्वत्र हूँ।
Main nirakar hun srvatra hun.
10. साई नहीं कहते मुझे चांदी या सोने के सिंघासन पर बिठाओ, वो तो कहते हैं मन में श्रद्धा सबुरी रखो फिर अपने साईं को बुलाओ।
Sayin nhin kahte mujhe chandi ya sone ke sinhasan pr bithao, vo to kahte hain man me shraddha sburi rakho fir apne Sayin ko bulaao.
11. मनुष्य की महत्ता उसके कपड़ों से नहीं बल्कि उसके आचरण से होती है।
Manushya ki mahatta uske kapdon se nhin balki uske aacharan se hoti hai.
12. अँधा वो नहीं जिसकी आँखें नहीं है, अँधा वह है जो अपने दोषों को छिपाता है।
Andha vo nhin jiski aankhen nhin hai, andha vah hai jo apne doshon ko chipata hai.
13. मैं अपने भक्तों का अनिष्ट नहीं होने दूंगा।
Main apne bhakton ka anisht nhin hone dunga.
14. तुम जो भी करते हो, तुम चाहे जहाँ भी हो, हमेशा इस बात को याद रखो-मुझे हमेशा इस बात का ज्ञान रहता है कि तुम क्या कर रहे हो।
Tum jo bhi karte ho, tum chahe jahan bhi ho, hamesha is baat ko yaad rakhi-mujhe hamesha is baat ka gyan rahta hai ki tum kya kar rahe ho.
15. अगर कोई सिर्फ और सिर्फ मुझको देखता है और मेरी लीलाओं को सुनता है और खुद को सिर्फ मुझमें समर्पित करता है तो वह भगवान तक पहुंच जाएगा।
Agar koi sirf sirf mujhko dekhta hai meri leelaon ko sunta hai khud ko sirf mujhme samarpit karta hai to vah bhagvan tak pahunch jayega.
16. मैं अपने भक्त का दास हूँ।
main aone bhakton ka daas hun.
17. भूखे को अन्न दो, प्यासे को जल दो, नंगे को वस्त्र दो तब भगवान प्रसन्न होंगे।
Bhukhe ko ann do, pyase ko jal do, nange ko vastr do, tab bhagvan prasann honge.
18. अगर तुम धनवान हो तो कृपालु बनो क्योंकि जब वृक्ष पर फल लगते हैं तो वह झुक जाता है।
Agar tum dhanvan ho to krapalu bano kyonki jab vraksha pr fal lagte hain to vah jhuk jata hai.
19. जो मुझसे प्यार करते हैं मेरी कृपा उन पर बनी रहती है।
Jo mujhse pyar karte hain meri krapa un pr bani rahti hai.
20. एक बार निकले बोझ वापस नहीं आतें, अतः सोच समझ के बोलें।
Ek baar nikle bojh vapas nhin aate, atah soch samajh ke bolen.
21. जहाँ मैं हूँ वहां कैसा डर।
Jahan main hun vahan kaisa dar.
22. अगर आप प्रतिस्पर्धा और विवादों से बचते हैं तब ईश्वर आपकी रक्षा करता है।
Agar aap pratisprdha vivadon se bachte hain tab yishvar aapki raksha karta hai.
23. मैं बिना भगवान की सहमति के कुछ नहीं कर सकता।
Main bina bhagvan ki sahmati ke kuch nhin kar sakta.
24. मैं भक्ति से प्रेम करता हूँ।
Main bhakti se prem karta hun.
25. मैं बिना आकर का हूँ और सभी जगह हूँ।
Main bina aakar ka hun sabhi jagah hun.
26. मैं सभी जगह व्याप्त हूँ और उससे भी परे हूँ मैं सभी खाली स्थानों में हूँ।
Main sabhi jagah vyapt hun usse bhi pare hun main sabhi khali sthanon me hun.
27. जो ऐसा सोचते हैं कि बाबा सिर्फ शिरडी में हैं वो मुझे जानने में पूरी तरह विफल हैं।
Jo aesa sochte hain ki baba sirf Shirdi me hain vo mujhe janane me puri taraf vifal hain.
28. आप जो भी देखते हैं मैं उस सब में संग्रहित हूँ।
Aap jo bhi dekhte hain main us sab me sangrahit hun.
29. मैं सभी को समान रूप में देखता हूँ।
Main sabhi ko saman rup me dekhta hun.
30. मैं न चलता या हिलता हूँ।
Main na chalta ya hilta hun.
31. अगर कोई मुझे देखते है और सिर्फ अकेला मुझे ही देखता है और मेरी लीला को सुनता है और केवल मुझमे ही समर्पित हैं तो वह अवश्य ईश्वर तक पहुंचेगा।
Agar koi mujhe dekhte hain sirf akela mujhe hi dekhta hai meri leela ko sunta hai keval mujhme hi smarpit hain to vah avshya yishvar tak pahunchega.
32. मेरा कर्म आशीष देना है।
Mera karm aashish dena hai.
33. मैं तुम्हें अंत तक ले जाऊंगा।
Main tumhen ant tak le jaunga.
34. पूरी तरह से भगवान में समर्पित हो जाएँ।
Puri tarah se bhagvan me samrpit ho jayen.
35. अगर अपने विचारों और लक्ष्य में तुम मुझे धारण करते हो तब तुम्हें सर्वोच्च की प्राप्ति होगी।
Agar apne vicharon lakshya me tum mujhe dharan karte ho tab tumhe sarvocch ki prapti hogi.
36. अपने गुरु पर पूर्णतः भरोसा करना ही साधना है।
Apne guru pr purnatah bharosa karna hi sadhna hai.
37. मेरे पास रहो शांत रहो अन्य मैं संभाल लूँगा।
Mere paas raho shant raho any main sanbhal lunga.
38. हमारा कर्तव्य क्या है अच्छा बर्ताव करना यह पर्याप्त है।
Hamara kartvya kya hai acha brtav karna yh pryapt hai.
39. जो मुझसे प्यार करते हैं मेरी कृपा उन पर बनी रहती हैं।
Jo mujhse pyar karte hain meri krapa un pr bani rahti hai.
40. तुम जो भी कर रहे हो जहाँ भी हो हमेशा ध्यान रखना कि तुम क्या कर रहे हो यह मुझे सदैव ज्ञात रहा है।
Tum jo bhi kar rahe ho jahan bhi ho hamesha dhyan rakhna ki tum kya kar rahe ho yh mujhe sadaiv gyat raha hai.
41. मैं दिन और रात अपने लोगों के बारे में विचार करता हूँ और बारंबार उन्हीं का नाम पुकारता हूँ।
Main din raat apne logon ke bare me vichar karta hun barmbar unhin ka nam pukarta hun.
42. मैं हर एक वस्तु में हूँ और उस वस्तु से परे भी। मैं सभी रिक्त स्थान को भरता हूँ।
Main har ek vastu me hun us vastu se pare bhi. Main sabhi rikt sthan ko bharta hun.
43. सबका मालिक एक है।
Sabka malik ek hai.
44. मेरे रहते डर कैसा?
Mere rahte dar kaisa?
45. मेरा काम तो आशीर्वाद देना है।
Mera kaam to aashirvad dena hai.
46. हमारा कर्तव्य क्या है? ठीक से व्यवहार करना। ये काफी है।
Hamara kartvya kya hai? Thik se vyavhar karna. Ye kafi hai.
47. जो मुझे प्रेम करते हैं मेरी दृष्टि हमेशा उनपर बनी रहती है।
Jo mujhe prem karte hain meri drashti hamesha un pr bani rahti hai.
48. जीवन एक गीत है इसे गाएं। जीवन एक खेल है इसे खेलें। जीवन एक चुनौती है, इसे पूरा करें। जीवन एक सपना है इसे साकार करें। जीवन एक बलिदान है-चेष्टा करें। जीवन प्रेम है आनंद लें।
Jivan ek geet hai ise gayen. Jivan ek khel hai ise khelen. Jivan ek chunauti hai, ise pura karen. Jivan ek sapna hai ise sakar karen. Jivan ek balidan hai-cheshta aren. Jivan prem hai aanand len.
49. मैं निर्गुण और निरपेक्ष हूँ, मेरा कोई नाम नहीं और कोई आवास नहीं है।
Main nirgun nirpeksha hun, mera koi name nhin koi aavas nhin hai.
50. सभी परिणाम इंसान की सोच का नतीजा है इसलिए हमारी सोच मायने रखती है।
Sabhi parinam insaan ki soch ka natija hai isliye hamari soch mayne rakhti hai.
51. जो आप अपने चारों तरफ देखते हैं, या आप जो देख रहे हैं उससे भ्रमित न हो। आप एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जो भ्रम के खेल का मैदान है, झूठे मार्गों, झूठे मूल्यों और झूठे आदमियों से भरा हुआ है। लेकिन आप उस दुनिया का हिस्सा नहीं हैं।
Jo aap apne charon taraf dekhte hain, ya aap jo dekh rahe hain usse bhramit na ho. Aap ek aesi duniya me rahte hain jo bhram ke khel ka maidan hai, jhuthe margon, jhuthe mulyon jhuthe aadmiyon se bhara huaa hai. Lekin aap us duniya ka hissa nhin hai.
52. एक-दूसरे से प्यार करें और दूसरों को ऊँचे स्तर तक पहुँचाने में मदद करें। प्यार संक्रामक और सबसे बड़ी चिकित्सा उर्जा है।
Ek-dusre se pyar karen dusron ko unche star tak pahunchane me madad karen. Pyar sankramak sabse badi chikitsa urja hai.
53. मनुष्य खो गया है और जंगल में भटक रहा है जहाँ वास्तविक मूल्यों का कोई अर्थ नहीं है। वास्तविक मूल्यों का अर्थ मनुष्य को सिर्फ तब ही हो सकता है जब वह आध्यात्मिक पथ पर कदम रखता है, एक ऐसा पथ जहाँ नकारात्मक भावनाओं का कोई उपयोग नहीं होता है।
Manushya kho gaya hai jangal me bhatak raha hai jahan vastvik mulyon ka koi arth nhin hai. Vastvik mulyon ka arth manushya ko sirf tab hi ho sakta hai jab vah aadhyatmik path pr kadam rakhta hai, ek aesa path jahan nakaratmak bhavnaon ka koi upyog nhin hota hai.
54. दुनिया में नया क्या है? कुछ भी तो नहीं। दुनिया में क्या पुराना है? कुछ भी तो नहीं। सब कुछ हमेशा से रहा है और हमेशा रहेगा।
Duniya me naya kya hai? Kuch bhi to nhin. Duniya me kya purana hai? kuch bhi to nhin. Sab kuch hamesha se raha hai hamesha rahega.
55. अगर आप मेरी सहायता और मार्गदर्शन चाहते हैं, तो मैं तुरंत आपको यह दूंगा।
Agar aap meri sahayta margdarshan chahte hain, to main turant aapko yh dunga.
56. एक घर को ठोस नींव पर बनाया जाना चाहिए अगर इसे लंबे समय तक टिका रहना है। वही सिद्धांत मनुष्य पर लागू होता है, अन्यथा वह भी नरम जमीन में डूब जाएगा और भ्रम की दुनिया द्वारा निगला जाएगा।
Ek ghar ko thos ninv pr banaya jana chahiye agar ise lanbe samay tak tika rahana hai. Vahi siddhant manushya pr lagu hota hai, anytha vah bhi naram jamin me dub jayega bhram ki duniya dvara nigla jayega.
57. मनुष्य अनुभव के माध्यम से सीखता है और आध्यात्मिक पथ विभिन्न प्रकार के अनुभवों से भरा है। वह कई कठिनाईयों और बाधाओं का सामना करता है और अंत में सच्चा ज्ञान प्राप्त करता है।
Manushya anubhav ke madhyam se sikhta hai aadhyatmik path vibhinn prakar ke anubhavon se bhara hai. Vah kathinayion badhaon ka saman karta hai ant me saccha gyan prapt karta hai.
58. प्रेम का प्रवाह होने दें ताकि वह दुनिया को शुद्ध करे। तभी मनुष्य शांति के साथ रह सकता है, न कि अतीत के जीवन के माध्यम से पैदा हुई अशांति के साथ जो सभी भौतिक हितों और सांसारिक महत्वकांक्षाओं के कारण पैदा हुई थी।
Prem ka pravah hone den taki vah duniya ko shuddh kare. Tabhi manushya shanti ke sath rah sakta hai, na ki atit ke jivan ke madhyam se paida huyi ashanti ke sath jo sabhi bhautik hiton sansarik mahatvkankshaon ke kaaran paida huyi thi.
59. वासना के आदी रहने वालों के लिए मुक्ति असंभव है।
Vasna ke aadi rahne valon ke liye mukti asanbhav hai.
60. विश्वास और धैर्य रखें। मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा चाहे आप जहाँ कहीं भी हो।
Vishvas dhairya rakhen. Main hamesha tumhare sath rahunga chahe aap jahan kahin bhi ho.
61. जैसा इंसान का चरित्र होता है, वैसे ही उसके दोस्त होते हैं।
Jaisa insaan ka charitr hota hai, vaise hi uske dost hote hain.
62. प्यार लोगों को करीब लाता है और नफरत दूर ले जाती है।
Pyar logon ko karib lata hai nafrat do le jati hai.
63. जिसका चरित्र अच्छा है, उसके अच्छे मित्र होंगे और जिसका चरित्र बुरा है, उसके इर्द-गिर्द अपने आपको मित्र कहने वाले उसके शत्रु ही घूमते रहते हैं।
Jiska charitr accha hai, uske ache mitr honge jiska charitr bura hai, uske ird-gird apne aapko mitr kahne vale uske shatru hi ghumte rahte hain.
64. स्वार्थी मत बनो। मेहनत करके अपनी रोजी-रोटी कमाओ। पैसे के पीछे मत भागो।
Svarthi mat bano. Mehnat karke apni roji-roti kamao. Paise ke piche mat bhago.
65. सच्चे और अच्छे मित्र इंसान का सदा अच्छी सलाह देते हैं। उसे बुरे रास्ते पर चलने से रोकते हैं लेकिन मित्र का चोला पहना हुआ शत्रु उसे बहकाता है, बहलाता है, भटकाता है, गलत रास्ते पर जाने की सलाह देकर काम करने के लिए उकसाता है और एक दिन इंसान अपने मित्र रूपी जाल में फंस जाता है।
Sache ache mitr insaan ko sada achi salah dete hain. Use bure raste pr chalne se rokte hain lekin mitr ka chola pahna huaa shatru use bahkata hai, bahlata hai, bhatkata hai, galat raste pr jane ki salah dekar kaam karne ke liye uksata hai ek din insaan apne mitr rupi jaal me fans jata hai.
66. ईश्वर को पाने की कोशिश करते रहो, भला होगा।
Yishvar ko pane ki koshish karte raho, bhala hoga.
67. जो दूसरों को धोखा देता है वही नहीं जानता की उसे धोखा देने के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। यही तो मालिक का न्याय है।
Jo dusron ko dhokha deta hai vahi nhin janta ki use dhokha dene ke liye taiyariyan shuru ho gayi hain. Yahi to malik ka nyay hai.
68. जहाँ विश्वास होता है, वहीं विश्वासघात भी।
Jahan vishvas hota hai, vahin vishvasghat bhi.
69. जो बोयेगा वही तो कटेगा इसलिए अच्छे कर्म करो, परमात्मा पर ध्यान दो, मोह माया के जाल में मत फंसो और संमार्ग पर चलते रहो, कल्याण होगा तुम्हारा।
Jo boyega vahi to ktega isliye acche karm karo, parmatma pr dhyan do, moh maya ke jaal me mat fanso sanmarg pr chalte raho, kalyan hoga tumhara.
70. मिलना, बिछड़ना ये तो जिंदगी का अटूट हिस्सा है। हाँ सब जानते हैं फिर भी इंसान जब किसी को अपने दिल में जगह देता है तो बिछड़ते समय इंसान का दिल रोता है।
Milna, bichdna ye to zindgi ka atut hissa hai. Ha sab jante hain fir bhi insaan jab kisi ko apne dil me jagah deta hai to bichdte samay insaan ka dil rota hai.
71. विश्वासघात वही करता है जिस पर इंसान विश्वास करता है और इंसान अपने विश्वास पर घात देखता है तो उसका अपना विश्वास भी डगमगा जाता है। क्यों डगमगा जाता है? क्योंकि विश्वास का अर्थ ही निश्चिंतता, निर्भयता और निर्भरता है।
Vishvasghat vahikarta hai jis pr insaan vishvas karta hai insaan apne vishvas pr ghat dekhta hai to uska apna vishvas bhi dagmaga jata hai. Kyon sagmaga jata hai? Kyonki vishvas ka arth hi nishchintta, nirbhyata nirbharta hai.
72. गुरु के वचन चाहे कितने ही कठोर क्यों न हो? इससे इंसान का उद्धार होता है।
Guru ke vachan chahe kitne hi kath kyon na ho? isse insaan ka uddhar hota hai.
73. जागता है, सिर्फ दीया। यह दीया नहीं योगी है, परम योगी। अपने अंत तक दूसरों के लिए जलता है और दूसरों की जिंदगी को रोशन करता है। अँधेरे में रास्ता दिखता है और जो रात के अँधेरे में काम करता है, उसको आगाह करता है कि ये मैं देख रहा हूँ।
Jagta hai, sirf diya. Yh diya nhin yogi hai, param yogi. Apne ant tak dusron ke liye jalta hai dusron ki zindgi ko roshan karta hai. Andhere me rasta dikhata hai jo raat ke andhere me kaam karta hai, usko aagah karta hai ki ye main dekh raha hun.
74. यह कोई किसी का नहीं है। पैसा पास होता है तो दया छोड़कर भाग जाती है। कोई नाता, कोई रिश्ता पैसे से बड़ा नहीं है। पैसा भगवान से भी बड़ा है यही तो कलयुग की माया है, महिमा है।
Yh koi kisi ka nhin hai. Paisa paas hota hai to daya chodkar bhaag jati hai. Koi nata, koi rishta paise se bada nhin hai. Paisa bhagvan se bhi bada hai yahi kalyug ki maya hai, mahima hai.
75. मालिक की कृपा प्रसाद का साक्षात्कार करना है तो अपने दिल में भक्ति और विश्वास के लिए दीपक बनाकर उसमें प्रेम और श्रद्धा की ज्योति जलानी चाहिए।
Malik ki krapa prasad ka sakshatkar karna hai to apne dil me bhakti vishvas ke liye depak banakar usmen prem shraddha ki jyoti jalani chahiye.
76. असल में पैसा इंसान का दुश्मन है लेकिन इंसान अपने दुश्मन को अपने शत्रु से बड़ा दोस्त समझता है।
Asal me paisa insaan ka dushman hai lekin insaan apne dushman ko apne shatru se bada dost samajhta hai.
77. पैसा साधन है सुख हासिल करने का, लेकिन पैसा कभी सुख नहीं है।
Paisa sadhan hai sukh hasil karne ka, lekin paisa kabhi sukh nhin hai.
78. असली सुख दूसरों को सुख देने में ही मिलता है और सच्चा सुख प्रभु की भक्ति में है इसलिए मालिक को दिन रात याद करो और जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाओ।
Asli sukh dusron ko sukh dene me hi milta hai saccha sukh prabhu ki bhakti me hai isliye malik ko din raat yaad karo janm-maran ke chakr se mukt ho jaao.
79. लेकिन इंसान की यही धारणा है कि पैसा ही सबकुछ है… गलत है।
Lekin insaan ki yahi dharana hai ki paisa hi sabkuch hai… galat hai.
80. याद रखो! दूसरों को कभी दुःख मत दो उन्हें खुशी दो… उनकी खुशियाँ छीनो मत। किसी की निंदा न करो, किसी से नफरत नहीं क्योंकि प्यार लोगों को करीब लाता है और नफरत दूर ले जाती है।
Yaad rakho! Dusron ko kabhi dukh mat do unhen khushi do… unki khushiyan chiino mat. Kisi ki ninda na karo, kisi se nafrat nhin kyonki pyar logon ko karib lata hai nafarat do le jati hai.
81. जब तक इंसान पैसों की मोह माया की भूल भुलैया में फंसा रहेगा, उसे पीड़ा से मुक्ति नहीं मिलेगी।
Jab rak insaan paison ki moh maya ki bhool bhulaiya me fansa rahega, use peeda se mukti nhin milegi.
82. दुनिया चाहे सरे दरवाजे बंद क्यों न कर दे, इंसान का मालिक पर अटूट विश्वास रहना चाहिए। उसका विश्वास उसे सब्र करने की ताकत देता है, ऐसे समय में उसकी भक्ति ही उसकी शक्ति बन जाती है। उसकी आस्था और श्रद्धा उसे हर हाल और हालात में विश्वास दिलाती रहती है कि मालिक उसके लिए कोई-न-कोई दरवाजा खोलेगा।
Duniya chahe sare darvaje band kyon na kar de, insaan ka malik pr atut vishvas rahna chahiye. Uska vishvas use sabr karne ki takat deta hai, aese samay me uski bhakti hi uski shakti ban jati hai. Uski aastha shraddha use har haal halat me vishvas dilati rahti hai ki malik uske liye koi-na-koi darvaja kholega.
83. पैसा सब कुछ नहीं है, पैसा ही सब कुछ होता तो हर पैसे वाला सुखी होता, दुरुस्त होता, आनंदमय में होता।
Paisa sab kuch nhin hai, paisa hi sab kuch hota to har paise vala sukhi hota, durust hota, aanandmay me hota.
84. इंसान क्यों यह भूल जाता है कि भक्ति जगत नारायण की करनी चाहिए, नगद नारायण की नहीं।
Insaan kyon yh bhool jata hai ki bhakti jagat narayan ki karni chahiye, nagad narayan ki nhin.
85. लेकिन इस संसार में कोई भी सुखी नहीं है, तो फिर इंसान पैसों के पीछे इतना क्यों भागता है?
Lekin is sansar m koi bhi sukhi nhin hai, to fir insaan paison ke piche kyon bhagta hai?
86. क्यों इंसान पैसो के लिए अपना मुंह मोड़ लेता है? जो दूसरों की आँखों में आंसू देख कर भी उसका दिल नहीं पसीजता।
Kyon insaan paison ke liye munh mod leta hai? Jo dusron ki aankhon me aansu dekh kar bhi uska dil nhin pasijta.
87. घर में मिलजुलकर और प्यार से रहना धरती पर स्वर्ग के समान होता है।
Ghar me miljulkar pyar se rahna dharti pr svarg ke saman hota hai.
88. चिंता करने से बल और ज्ञान का नाश होता है।
Chinta karne se bal gyan ka nash hota hai.
89. नम्रता से मनुष्य वह हासिल कर सकता है जो वह गुस्से में रहकर नहीं कर सकता।
Namrata se manushya vah hasil kar sakta hai jo vah gusse me rahkar nhin kar sakta.
90. क्रोध मनुष्य को मुर्ख बनाता है और बाद में पछतावे पर खत्म होता है।
Krodh manushya ko murakh banata hai baad me pachtave pr khatam hota hai.
91. जो दूसरों से प्रेम करते हैं वह सचमुच में महान होते हैं।
Jo dusron se prem karte hain vah sachmuch me mahan hote hain.
92. आने वाला जीवन तब ही सुखी और शानदार हो सकता है जब तुम पूरी तरह परमात्मा में लीन होना सीख लोगे।
Aane vala jivan tab hi sukhi shandar ho sakta hai jab tum puri tarah parmatma me leeb hona seekh loge.
93. इंसान के रूप में भगवान हमारे पास ही होते हैं इसलिए उनकी सेवा करनी चाहिए।
Insaan ke rup me bhagvan hamare paas hi hote hain isliye unki seva karni chahiye.
94. प्रेम मनुष्य को अपनी तरफ खींचता है।
Prem manushya ko apni taraf khinchta hai.
95. माता-पिता की सेवा ही परमात्मा की सेवा होती है।
Mata-pita ki seva hi parmatma ki seva hoti hai.
96. करता हूँ फरियाद साईं, बस इतनी रहमत कर देना, जो भी पुकारे तुझको बाबा, खुशियों से उसकी झोली भर देना।
Karta hun fariyad Sayin, bas itni rahmat kar dena, jo bhi pukare tujhko baba, khushiyo se uski jholi bhar dena.
97. शिरडी वाले साईं बाबा, तेरे दर पर आना चाहता है सवाली, लब पे दुवाएं भी है, आँखों में आंसू भी है, बुला लो बाबा इस सवाली को शिरडी।
Shirdi vale Sayin baba, tere dar pr aana chahta hai savali, lab pe duvayen bhi hai, aankhon me aansu bhi hai, bula lo baba is savali ko Shirdi.
98. मेरे साईं का दरबार सबसे न्यारा है, उसमें बाबा का दर्शन कितना प्यारा है, सब कहते हैं के बाबा सिर्फ हमारा है, पर बाबा कहते हैं के मैंने अपना, सबकुछ तुम सब पर वारा है।
Mere Sayin ka darbar sabse nyara hai, usmen baba ka darshan kitana pyara hai, sab kahte hain ke baba sirf hamara hai, pr bab kahte hain ke maine apna, sabkuch tum sab pr vara hai.
99. आँखें सूनी मन रोता है, बाबा हमारा क्यूँ सोता है, खोल के आखें देख ले बाबा, तेरे बिना यहाँ क्या होता है, लौट के आजा साईं हमारे, अपनी आँखें खोलो, साईं बाबा बोलो साईं बाबा बोलो।
Aankhen suni man rota hai, baba hamara kyun sota hai, khol ke aankhen dekh le baba, tere bina yahan kya hota hai, laut ke aaja Sayin hamare, apni aakhen kholo, Sayin baba bolo Sayin baba bolo.
100. दीवाने तेरे लाखों बाबा पर मैं भी हूँ तेरी दुनिया में, कांटे मिले मुझे भले ही लाखों, पर मैं भी हूँ एक तिनका तेरी कुटिया में।
Divane tere lakhon baba pr main bhi hun teri duniya me, kante mile mujhe bhale hi lakhon, pr main bhi hun ek tinka teri kutiya me.
101. छू जाते हो मुझे कितनी ही बार, ख्वाब बनकर मेरे साईं राम, ये दुनिया न जाने फिर क्यों कहती है, के तुम मेरे करीब नहीं मेरे साईं राम।
Chhu jate ho mujhe kitni hi baar, khvab bankar mere Sayin Ram, ye duniya na jane fir kyon kahti hai, ke tum mere karib nhin mere Sayin Ram.
102. बाबा जी मेरा भी खाता खोल दो शिरडी दरबार में, बाबा जी आता जाता रहूँ मैं शिरडी की पवित्र भूमि पर, बाबा जी जो भी सेवा हो मेरी लगा देना, बस अपने चरणों का दास बनाकर शिरडी में रख लेना, जय हो बाबा जी की।
Baba ji mera bhi khata khol do Shirdi darbar me, baba ji aata jata rahun main Shirdi ki pavitra bhumi pr, baba ji jo bhi seva ho meri laga dena, bas apne charnon a daas banakar Shirdi me rakh lena, jay ho baba ji ki.
103. जिन आँखों में साईं बस जाएंगे, उन आँखों में अश्क कहाँ से आएंगे? साईं नहीं होने देते अपने बच्चों को उदास, आ जाते हैं झट से अपने बच्चों के वो पास।
Jin aankhon me Sayin bas jayenge, un aankhon me ashak kahan se aayenge? Sayin nhin hone dete apne bacchon ko udas, aa jate hain jhat se apne bacchon ke vo paas.
104.जिसे कोई नहीं जानता उसे रब जानता है, राज को राज न रहने दो वो सब जानता है, अगर मांगना है तो उस साईं से मांगो, जो जुबान पे आने से पहले दिल की दुआ जानता है।
Jise koi nhin janta use rab janta hai, raaj ko raaj na rahne do vo bas janta hai, agar mangna hai to us Sayin se mangon, jo juban pe aane se pahle dil ki duaa janta hai.
105. दुःख हो या फिर सुख हो, साईं जी को हमेशा याद करो, सहारा है साईं जी हम सबका, बाबा से ही फरियाद किया करो, चिंता चिता समान है, चिंता में न अपना समय बर्बाद करो, कैसे भी हो हालात, साईं जी पर ही विश्वास करो, अगर साईं जी पर है विश्वास, तो हर काम है आसान, रहम नजर करो बाबा।
Dukh ho ya fir sukh ho, Sayin ji ko hamesha yaad karo, sahara hai Sayin ji ham sabka, baba se hi fariyad kiya karo, chinta chita ke saman hai, chinta me na apna samay barbad karo, kaise bhi ho halat, Sayin ji pr hi vishvas karo, agar Sayin ji pr hai vishvas, to har kaam hai aasan, rahan najar karo baba.
106. साईं वाणी, गुरु का साथ न छोड़ें, बाबा जी ये है बताए, चाहे परिस्थिति कितनी ही विकत हो, गुरु हर पल तुम्हारा साथ निभाय, सद्गुरु पर रखें जो पूर्ण विश्वास, वो कभी टूटने न पाए, सदगुरु के चरण होय पवित्र पावन, गुरु के चरणों की जो निरंतर सेवा करें, जन्म मरण के बंधन से मुक्ति पाएं, करें ये विनती हम साईं चरणों में, करो कृपा सभी भक्तों पर कोई न दुखी रहे।
Sayin vani, guru ka sath na choden, baba ji ye hai bataye, chahe paristhiti kitni hi vikt ho, gutu har pal tumhara sath nibhay, sadguru pr rakhen jo purn vishvas, vo kabhi tutne na paye, sadguru ke charan hoy pavitr pavan, guru ke charanon ki jo nirantar seva karen, janm maran ke bandhan se mukti payen, karen ye vinti ham Sayin charnon me, karo krapa sabhi bhakton pr koi na dukhi rahe.
107. न मुस्कुराने को जी चाहता है, न आंसू बहाने को जी चाहता है, लिखूं तो क्या लिखूं साईं तेरी याद में, बस तेरे पास आने को जी चाहता है।
Na muskurane ko jee chahta hai, na aansu bahane ko jee chahta hai, likhun Sayin teri yaas me, bas tere paas aane ko jee chahta hai.
108. साईं जी से मिलने का सत्संग ही बहाना है, शिरडी वाले को बुलाने का, सत्संग ही बहाना है, दुनियां वाले क्या जाने, मेरा रिश्ता पुराना है।
Sayin ji se milne ka satsang hi bahana hai, Shirdi vale ko bulane ka, satsang hi bahan hai, Duniya vale kya jane, mera rishta purana hai.
109. जो कल था उसे भूलकर तो देखो, जो आज है उसे जी कर तो देखो, आने वाला पल खुद ही सवर जाएगा, एक बार ॐ साईं राम बोलकर तो देखो।
Jo kal tha use bhoolkar to dekho, jo aaj hai use jee kar to dekho, aane vala pal khud hi savar jatega, ek baar Om Sayi Ram bolkar to dekho.
110. साईं साईं बोल तू कभी न डोल, तो फिर प्रेम से बोलो ॐ साईं राम।
Sayin Sayin bol tu kabhi na dol, to fir prem se bolo Om Sayi Ram.
111. किसी ने पूछा कि उम्र और जिंदगी में क्या फर्क है? बहुत सुंदर जवाब। जो बाबा जी के बिना बीती, वो उम्र और जो बाबा जी के साथ बीती वो जिंदगी।
Kisi ne pucha ki umra zindgi me kya fark hai? Bahut sundar javab. Jo baba ji ke bina biti, vo umra jo baba ji ke sath bitii vo zindgi.
112. जिस पे हाथ रख दे मेरा साईं फकीरा, वो पत्थर भी बन जाए पल में नायब हीरा।
Jis pe hath rakh de mera sayin, fakira, vo patthar bhi ban jaye pal me nayab heera.
113. बाबा जी बिन तेरे दिल को समझाऊं कैसे, ये दिल तो आपके पास है बाबा, बाबा जी आना चहुँ तेरे पास तो आऊं कैसे, मेरी हर साँस अमानत है तेरी, इस से ज्यादा और क्या कहूँ बाबा, हम किस कद्र तुमसे प्यार करते है, ये मैं कैसे बताऊँ बाबा।
Baba ji bin tere dil ko samjhaun kaise, ye dil to aapke paas hai baba, baba ji aana chahun tere paas to aaun kaise, meri har sans amanat hai teri, is se jyada kya kahun baba, ham kis kadr tumse pyar karte hai, ye main kaise bataun baba.