1. व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित प्राणी है, वह जो सोचता है वही बन जाता है।
Vyakti apne vicharon se nirmit prani hai, vah jo sochta hai vahi ban jata hai.
2. अपने प्रयोजन में दृढ विश्वास रखने वाला एक सूक्ष्म शरीर इतिहास के रुख को बदल सकता है।
Apne prayojan me dradh vishvas rakhne vala ek suksham sharir itihas ke rukh ko badal sakta hai.
3. हमेशा अपने विचारों, शब्दों और कर्म कर पूर्ण सामंजस्य का लक्ष्य रखें। हमेशा अपने विचारों को शुद्ध करने का लक्ष्य रखें और सब कुछ ठीक हो जाएगा।
Hamesha apne vicharon, shabdon karm kar purn samanjsya ka lakshya rakhen. Hamesha apne vicharon ko shuddh karne ka lakshya rakhen sab kuch thhik ho jayega.
4. आँख के बदले में आँख पुरे विश्व को अँधा बना देगी।
Aankh ke badle me aankh pure vishvas ko andha bana degi.
5. थोडा सा अभ्यास बहुत सारे उपदेशों से बेहतर है।
Thoda sa abhyas bahut sare updeshon se behtar hai.
6. विश्वास को हमेशा तर्क से तुलना चाहिए। जब विश्वास अँधा हो जाता है तो मारा जाता है।
Vishvas ko hamesha tark se tulna chahiye. Jab vishvas andha ho jata hai to mara jata hai.
7. खुद वो बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।
Khud vo badlav baniye jo aap duniya me dekhna chahte hain.
8. पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हंसेंगे, फिर वो आपसे लड़ेंगे, और तब आप जीत जाएंगे।
Pahle vo aap pr dhyan nhin denge, fir vo aap pr hansenge, fir vo aapse ladenge, tab aap jeet jayenge.
9. जब तक गलती करने की स्वतंत्रता न हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।
Jab tak galti karne ki svatantrata na ho tab tak svtantra ka koi arth nhin hai.
10. खुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हो।
Khushi tab milegi jab aap jo sochte hain, jo kahte hain jo karte hain, samnjsya me ho.
11. मौन सबसे सशक्त भाषण है। धीरे-धीरे दुनिया आपको सुनेगी।
Maun sabse sashakt bhashan hai. Dhire-dhire duniya aapko sungi.
12. पूर्ण धारणा के साथ बोला गया नहीं सिर्फ दूसरों को खुश करने या समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गए हा से बेहतर है।
Purn dharana ke sath bola gaya nhin sirf dusron ko khush karne ya samasya se chutkara pane ke liye bole gaye ha se behtar hai.
13. संसार के सभी धर्म, भले ही और चीजों में अंतर रखते हों, लेकिन सभी इस बात पर एकमत हैं कि दुनिया में कुछ नहीं बस सत्य जीवित रहता है।
Sansar ke sabhi dharm, bhale hi chijon me antar rakhte hon, lekin sabhi is baat pr ekmat hain ki duniya me kuch nhin bas satya jivit rahta hai.
14. कोई त्रुटी तर्क-वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकती और न ही कोई सत्य इसलिए त्रुटी बन सकता है क्योंकि कोई उसे देख नहीं रहा।
Koi truti tark-vitark karne se satya nhin ban sakti na hi koi sataya isliye truti ban sakta hai kyonki koi use dekh nhin raha hai.
15. क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के दुश्मन हैं।
Krodh asahishnuta sahi samajh ke dushman hain.
16. पूंजी अपने आप में बुरी नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है। किसी-न-किसी रूप में पूंजी की आवश्यकता हमेशा रहेगी।
Punji apne aap me buri nhin hai, uske galat upyog me hi burayi hai. Kisi-na-kisi rup me punji ki aavshyakta hamesha rahegi.
17. अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के समान है जो सतह को चमकदार और साफ कर देती है।
Apni galti ko svikarna jhadu lagane ke saman hai jo satah ko chamakdar saaf kar deti hai.
18. लगातार विकास जीवन का नियम है, और जो व्यक्ति खुद को सही दिखाने के लिए हमेशा अपनी रूढ़िवादिता को बरकरार रखने की कोशिश करता है वह खुद को गलत स्थिति में पहुंचा देता है।
Lagatar vikas jivan ka niyam hai, jo vyakti khud ko sahi dikhane ke liye hamesha apni rudhivadita ko barkarar rakhne ki koshish karta hai vah khud ko galat sthiti me pahuncha deta hai.
19. अगर आप अल्पमत में हो, पर सच तो सच है।
Agar aap alpmat me ho, pr sach to sach hai.
20. जो भी चाहे अपनी अंतरात्मा की आवाज सुन सकता है। वह सबके भीतर है।
Jo bhi chahe apni antratam ki aavaj sun sakta hai. Vah sabke bhitar hai.
21. गर्व लक्ष्य को पाने के लिए किए गए प्रयत्न में निहित है, न कि उसे पाने में।
Garv lakshya ko pane ke liye kiye gaye prayatn me nihit hai, na ki use pane me.
22. मैं मरने के लिए तैयार हूँ, पर ऐसी कोई वजह नहीं है जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूँ।
Main marne ke liye taiyar hun, pr aesi koi vajah nhin hai jiske liye main marne ko taiyar hun.
23. मैं सभी की समानता में विश्वास रखता हूँ, सिवाए पत्रकारों और फोटोग्राफरों की।
Main sabhi ki samanta me vishvas rakhta hun, sivaye patrkaron photografaron ki.
24. सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है। वह आत्मनिर्भर है।
Satya bina jan samarthan ke bhi khada rahta hai. Vah aatmnirbhar hai.
25. सत्य कभी भी ऐसे कारण को क्षति नहीं पहुंचता जो उचित हो।
Satya kabhi bhi aese kaaran ko kshati nhin pahunchata jo uchit ho.
26. मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है और अहिंसा उसे पाने का साधन।
Mera dharm satya ahinsa pr aadharit hai. Satya mera bhagvan hai ahinsa use pane ka sadhan.
27. मेरा जीवन मेरा संदेश है।
Mera jivan mera sandesh hai.
28. जहाँ प्रेम है वहां जीवन है।
Jahan prem hai vahan jivan hai.
29. ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो। ऐसे सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो।
Aese jiyo jaise ki tum kal marne vale ho. Aese sikho ki tum hamesha ke liye jine vale ho.
30. जब मैं निराश होता हूँ, मैं याद कर लेता हूँ कि समस्त इतिहास के दौरान सत्य और प्रेम के मार्ग की ही हमेशा विजय होती है। कितने ही तानाशाह और हत्यारे हुए हैं, और कुछ समय के लिए वो अजय लग सकते हैं, लेकिन अंत में उनका पतन होता है। इसके बारे में सोचो हमेशा।
Jab main nirash hota hun, main yaad kar leta hun ki samast itihas ke dauran sataya prem ke marg ki hi hamesha vijay hoti hai. Kitne hi tanashah hatyare huye hain, kuch samay ke liye vo ajay lag sakte hain, lekin ant me unka patan hota hai. Iske bare me socho hamesha.
31. सात घनघोर पाप: काम के बिना धन, अंतरात्मा के बिना सुख, मानवता के बिना विज्ञान, चरित्र के बिना ज्ञान, सिद्धांत के बिना राजनीती, नैतिकता के बिना व्यापार, त्याग के बिना पूजा।
Saat ghangh pap: kaam ke bina dhan, antratman ke bina sukh, manavta ke bina vigyan, charitra ke bina gyan, siddhant ke bina rajniti, naitikta ke bina vyapar, tyag ke bina pooja.
32. भगवान का कोई धर्म नहीं है।
Bhagvan ka koi dharm nhin hai.
33. मैं किसी को भी अपने गंदे पांव के साथ मेरे मन से नहीं गुजरने दूंगा।
Main kisi ko bhi apne gande panv ke sath mere man se nhin gujrne dunga.
34. पाप से नफरत करो, पापी से प्रेम करो।
Pap se nafrat karo, papi se prem karo.
35. दुनिया हर किसी की नीड़ के लिए पर्याप्त है, लेकिन हर किसी की ग्रीड के लिए नहीं।
Duniya har kisi ki need ke liye pryapt hai, lekin har kisi ki greed ke liye nhin.
36. प्रार्थना मांगना नहीं है। यह आत्मा की लालसा है। यह हर रोज अपनी कमजोरियों की स्वीकारोक्ति है। प्रार्थना में बिना वचन के मन लगाना, वचन होते हुए मन न लगाने से बेहतर है।
Prarthna mangna nhin hai. Yh aatma ki lalsa hai. Yh har roj apni kamjiyon ki svikarokti hai. Prarthna me bina vachan ke man lgana, vachan hote huye man na lagane se behtar hai.
37. एक कृत्य द्वारा किसी एक दिल को खुशी देना, प्रार्थना में झुके हजार सिरों से बेहतर है।
Ek kratya dvara kisi ek dil ko khushi dena, prarthna me jhuke hjar siron se behtar hai.
38. स्वंय को जानने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है खुद को औरों की सेवा में डुबो देना।
Svm ko janane ka sarvshreshth tarika hai khud ko auron ki seva me dubo dena.
39. आपकी मान्यताएं आपके विचार बन जाते हैं, आपके शब्द बन जाते हैं, आपके शब्द आपके कार्य बन जाते हैं, आपके कार्य आपकी आदत बन जाते हैं, आपकी आदतें आपके मूल्य बन जाते हैं, आपके मूल्य आपकी नियति बन जाती है।
Aapki manytayen aapke vichar ban jate hain, aapke shabd ban jate hain, aapke shabd aapke karya ban jate hain, aapke karya aapki aadat ban jate hain, aapki aadaten aapke mulya ban jate hain, aapke mulya aapki niyati ban jati hai.
40. आप आज जो करते हैं उसपर भविष्य निर्भर करता है।
Aap aaj jo karte hain uspar bhavishya nirbhar karta hai.
41. आदमी अक्सर वो बन जाता है जो वो होने में यकीन करता है। अगर मैं खुद से यह कहता रहूँ कि मैं फलां चीज नहीं कर सकता, तो यह संभव है कि मैं शायद सचमुच वो करने में असमर्थ हो जाऊं। इसके विपरीत, अगर मैं यह यकीन करूँ कि मैं ये कर सकता हूँ, तो मैं निश्चित रूप से उसे करने की क्षमता पा लूँगा, भले ही शुरू में मेरे पास वो क्षमता न रही हो।
Aadmi aksar vo ban jata hai jo vo hone me yakin karta hai. Agar main khud se yh kahta rahun ki main falan chij nhin kar sakta, to yh sanbhav hai ki main shayad sachmuch vo karne me asmarth ho jaun. iske viprit, agar main yh yakin karun ki main ye kar sakta hun, to main nishchit rup se use karne ki kshamta paa lunga, bhale hi shuru me mere paas vo kshamta na rahi ho.
42. चलिए सुबह का पहला काम ये करें कि इस दिन के लिए संकल्प करें कि-मैं दुनिया में किसी से डरूंगा नहीं। मैं केवल भगवान से डरूं। मैं किसी के प्रति बुरा भाव न रखूं। मैं किसी के अन्याय के समक्ष झुकूं नहीं। मैं असत्य को सत्य से जीतूँ और असत्य का विरोध करते हुए, मैं सभी कष्टों को सह सकूँ।
Chaliye subah ka pahla kaam ye karen ki is din ke liye sankalp karen ki-main duniya me kisi se darunga nhin. Main keval bhagvan se darun. Main kisi ke prati bura bhav na rakhun. Main kisi ke anyay ke samaksh jhukun nhin. Main asatya ko satay se jitun astya ka virodh karte huye, main sabhi kashtin ko sah sakun.
43. आप मानवता में विश्वास मत खोइए। मानवता सागर की तरह है, अगर सागर की कुछ बूंदें गंदी हैं, तो सागर गंदा नहीं हो जाता।
Aap manvta me vishvas mat khoyiye. Manavta sagar ki tarah hai, agar sagar ki kuch bunden gandi hain, to sagar ganda nhin ho jata.
44. एक देश की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से आँका जा सकता है कि वहां जानवरों से कैसे व्यवहार किया जाता है।
Ek desh ki mahanta naitik pragati ko is baat se aanka ja sakta hai ki vahan janvaron ke kaisa vyavhar kiya jata hai.
45. हर रात, जब मैं सोने जाता हूँ, मैं मर जाता हूँ, और अगली सुबह, जब मैं उठता हूँ, मेरा पुनर्जन्म होता है।
Har raat, jab main sone jata hun, main mar jata hun, agli subah, jab main uthta hun, mera punrjanm hota hai.
46. तुम जो भी करोगे वो नगण्य होगा, लेकिन यह जरुरी है कि तुम वो करो।
Tum jo bhi karoge vo nagnya hoga, lekin yh jaruri hai ki tum vo karo.
47. मृत, अनाथ और बेघर को इससे क्या फर्क पड़ता है कि यह तबाही सर्वाधिकार या फिर स्वतंत्रता या लोकतंत्र के पवित्र नाम पर लाई जाती है?
Mrat, anath beghar ko isse kya fark padta hai ki yh tabahi srvadhikar ya svtantrata ya loktantr ke pavitr name pr layi jati hai?
48. किसी चीज में यकीन करना और उसे न जीना बेईमानी है।
Kisi chij me yakin karna use na jina beyimani hai.
49. दुनिया में ऐसे लोग हैं जो इतने भूखे हैं कि भगवान उन्हें किसी और रूप में नहीं दिखा सकता सिवाए रोटी के रूप में।
Duniya me aese log hain jo itne bhukhe hain ki bhagvan unhen kisi rup me nhin dikha sakta sivaye roti ke rup me.
50. मेरी अनुमति के बिना कोई भी मुझे ठेस नहीं पहुंचा सकता।
Meri anumati ke bina koi bhi mujhe thes nhin pahuncha sakta.
51. अपने ज्ञान पर जरुरत से ज्यादा यकीन करना मुर्खता है। यह याद दिलाना ठीक होगा कि सबसे मजबूत कमजोर हो सकता है और सबसे बुद्धिमान गलती कर सकता है।
Apne gyan pr jarurat se jyada yakin karna murkhata hai. Yh yaad dilana thik hoga ki sabse majbut kamj ho sakta hai sabse buddhiman galti kar sakta hai.
52. जब भी आपका सामना किसी विरोधी से हो। उसे प्रेम से जीतें।
Jab bhi aapka samana kisi virodhi se ho. use prem se jiten.
53. मैं हिंसा का विरोध करता हूँ क्योंकि जब ऐसा लगता है कि वो अच्छा कर रही है तब वो अच्छाई अस्थायी होती है और वो जो बुराई करती है वो स्थाई होती है।
Main hinsa ka virodh karta hun kyonki jab aesa lagta hai ki vo accha kar rahi hai tab vo achhayi asthayi hoti hai vo jo burayi karti hai vo sthayi hoti hai.
54. आप मुझे जंजीरों में जकड़ सकते हैं, यातना दे सकते हैं, यहाँ तक कि आप इस शरीर को नष्ट कर सकते हैं, लेकिन आप कभी मेरे विचारों को कैद नहीं कर सकते।
Aap mujhe janjiron me jakad sakte hain, yatna de sakte hain, yhan tak ki aap is sharir ko nasht kar sakte hain, lekin aap kabhi mere vicharon ko kaid nhin kar sakte.
55. हो सकता है आप कभी न जान सकें कि आपके काम का क्या परिणाम हुआ है, लेकिन अगर आप कुछ करेंगे नहीं तो कोई परिणाम नहीं होगा।
Ho sakta hai aap kabhi na jaan saken ki aapke kaam ka kya parinam hua hai, lekin agar aap kuch karenge nhin to koi parinam nhin hoga.
56. प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी भी कल्पना कर सकते हैं उसमें ये सबसे नम्र है।
Prem duniya ki sabse badi shakti hai fir bhi ham jiski bhi kalpna kar sakte hain usmen ye sabse namr hai.
57. जीवन की गति बढ़ाने के अलावा भी इसमें बहुत कुछ है।
Jivan ki gati badhane ke alava bhi ismen bahut kuch hai.
58. आप तब तक यह नहीं समझ पाते कि आपके लिए कौन महत्वपूर्ण है जब तक आप उन्हें वास्तव में खो नहीं देते।
Aap tab tak yh nhin samajh pate ki aapke liye kaun mahatvpurn hai jab tak aap unhen vastav me kho nhin dete.
59. चिंता से अधिक कुछ और शरीर को इतना बर्बाद नहीं करता, और वह जिसे ईश्वर में थोडा भी यकीन है उसे किसी भी चीज के बारे में चिंता करने पर शर्मिंदा होना चाहिए।
Chinta se adhik kkuch sharir ko itna barbad nhin karta, vah jise yishvar me thosa bhi yakin hai use kisi bhi chij ke bare me chinta karne pr sharminda hona chahiye.
60. मैं तुम्हें शांति का प्रस्ताव देता हूँ। मैं तुम्हें प्रेम का प्रस्ताव देता हूँ। मैं तुम्हारी सुंदरता देखता हूँ। मैं तुम्हारी आवश्यकता सुनता हूँ। मैं तुम्हारी भावना महसूस करता हूँ।
Main tumhen shanti ka prastav deta hun. Main tumhen prem ka prastav deta hun. Main tumhari sundarta dekhta hun. Main tumhari aavshyakta sunta hun. Main tumhari bhavna mahsus karta hun.
61. हम जो दुनिया के जंगलों के साथ कर रहें हैं वो कुछ और नहीं बस उस चीज का प्रतिबिंब है जो हम अपने साथ और एक दूसरे के साथ कर रहे हैं।
Ham jo duniya ke jangalon ke sath kar rahen hain vo kuch nhin bas us chij ka pratibinb hai jo ham apne sath ek-dusre ke sath kar rahe hain.
62. सत्य एक है, मार्ग कई।
Satya ek hai, marg kayi.
63. कुछ करने में, या तो उसे प्रेम से करें या उसे कभी करें ही नहीं।
Kuch karne me, ya to use prem se karen ya use kabhi karen hi nhin.
64. शांति का कोई रास्ता नहीं है, केवल शांति है।
Shanti ka koi rasta nhin hai, keval shanti hai.
65. जिस दिन प्रेम की शक्ति, शक्ति के प्रति प्रेम पर हावी हो जाएगी, दुनिया में अमन आ जाएगा।
Jis din prem ki shakti, shakti ke prati prem pr havi ho jayegi, duniya me aman aa jayega.
66. शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं आती है। ये आदमी इच्छा शक्ति से पैदा होती है।
Shakti sharirik kshamta se nhin aati hai. Ye aadmi ichha shakti se paida hoti hai.
67. किसी मित्र के साथ मित्रतापूर्ण होना आसान है। लेकिन जो आपको शत्रु समझता है उसके साथ मित्रतापूर्ण होना सच्चे धर्म का सार है।
Kisi mitra ke sath mitratapurn hona aasan hai. Lekin jo aapko shatru samajhta hai uske sath mitratapurn hona sacche dharm ka saar hai.
68. प्रक्रिया प्राथमिकता व्यक्त करती हैं।
Prikriya prathmilkta vyakt karti hain.
69. महिला को विकार सेक्स कहना अपमान है, ये आदमी का औरत के प्रति किया गया अन्याय है।
Mahila ko vikar sex kahna apman hai, ye aadmi ka aurat ke prati kiya gaya anyay hai.
70. ये कर्म है, न कि कर्म का फल जो महत्वपूर्ण है। आपको सही चीज करनी है। हो सकता है ये आपके बस में न हो कि कोई फल मिलेगा। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आप सही चीज करना छोड़ दें।
Ye karm hai, na ki karm ka fal jo mahatvpurn hai. Aapko sahi chij karni hai. Ho sakta hai ye aapke bas me na ho ki koi fal milega. Lekin iska ye matlab nhin ki aap sahi chij karna chod den.
71. अगर मेरे अंदर कोई सेंस ऑफ ह्यूमर नहीं होता तो मैं बहुत पहले आत्महत्या कर चुका होता।
Agar mere andar koi sens of hyumer nhin hota to main bahut pahle aatmhtya kar chuka hota.
72. दयालुता का छोटा सा काम प्रार्थना में झुके हजारों सरों से अधिक शक्तिशाली है।
Dayaluta ka chota sa kaam prarthna me jhuke hajaron siron se adhik shaktishali hai.
73. वे हमारा आत्मसम्मान नहीं ले सकते अगर हम उन्हें इसे दे न।
Ve hamara aatmsamman nhin le sakte agr ham unhen ise de na.
74. एक कायर प्रेम प्रदर्शित करने में असमर्थ है, ये तो बहदुरिन का विशेषाधिकार है।
Ek kayar prem pradarshit karne me asmarth hai, ye to bahdurin ka visheshadhikar hai.
75. मौन तब कायरता बन जाता है जब परिस्थिति की मांग पूरा सच बता देने और उसी अनुसार कार्य करने की होती है।
Maun tab kayrta ban jata hai jab paristhiti ki mang pura sach bata dene usi anusar karya karne ki hoti hai.
76. एक विनम्र तरीके से, आप पूरी दुनिया को हिला सकते हैं।
Ek vinamr tarike se, aap puri duniya ko hila sakte hain.
77. मेरे विचार से, एक मेमने का जीवन मनुष्य के जीवन से कम मूल्यवान नहीं है।
Mere vichar se, ek memne ka jivan manushya ke jivan se kam mulyavan nhin hai.
78. एक सभी घर के बराबर कोई विद्यालय नहीं है और एक भले अभिभावक जैसा कोई शिक्षक नहीं है।
Ek sabhi ghar ke barabar koi vidyalya nhin hai ek bhale abhibhavak jaisa koi shikshak nhin hai.
79. मैं उसे धार्मिक कहता हूँ जो दूसरों का दर्द समझता है।
Main use dharmin kahta hun jo dusron ka dard samajhta hai.
80. अधिक संपत्ति नहीं बल्कि सरल आनंद को खोजें, बड़े भाग्य नहीं बल्कि परम सुख को खोजें।
Adhik sanpatti nhin balki saral aanand ko khojen, bade bhagy nhin balki param sukh ko khojen.
81. मैं दुनिया के सभी महान धर्मों की मूलभूत सच्चाई पर विश्वास करता हूँ।
Main duniya ke sabhi mhan dharmon ki mulbhut sachhayi pr vishvas karta hun.
82. तभी बोलो जब वो मौन से बेहतर हो।
Tabhi bolo jab vo maun se behtar ho.
83. गरीबी हिंसा का सबसे बुरा रूप है।
Garibi hinsa ka sabse bura rup hai.
84. मेरे दोष और मेरी असफलताएं भगवान के उतने बड़े ही आशीर्वाद हैं जितनी कि मेरे सफलताएँ और मेरी प्रतिभा और मैं इन दोनों को उनके चरणों में रखता हूँ।
Mere dosh meri asafaltayen bhagvan ke utne bade hi aashirvad hain jitni ki mere safaltayen meri pratiba main in donon ko unke charnon me rakhta hun.
85. हाँ, मैं एक मुस्लिम, एक ईसाई, एक बौद्ध और एक यहूदी भी हूँ।
Ha, main ek muslim, ek yisayi, ek bauddh ek yahudi bhi hun.
86. हर इंसान को अपनी शांति अपने अंदर खोजनी होगी और शांति वास्तविक होने के लिए बाहरी परिस्थितियों से अप्रभावित होनी चाहिए।
Har insaan ko apni shanti apne andr khojni hogi shanti vastvik hone ke liye bahari paristhitiyon se aprabhavit honi chahiye.
87. ऐसे बहुत से कारण हैं जिनके लिए मैं मर जाऊंगा। लेकिन ऐसा एक भी कारण नहीं है जिसके लिए मैं मारूंगा।
Aese bahut se kaaran hain jinke liye main mar jaunga. Lekin aesa ek bhi kaaran nhin hai jiske liye main marunga.
88. विविधता में एकता प्राप्त करने की हमारी क्षमता हमारी सभ्यता की सुंदरता और परीक्षा होगी।
Vivdhta me ekta prapt karne ki hamari kshamta hamari sabhyta ki sundarta pariksha hogi.
89. अगर हम दुनिया में वास्तविक शांति चाहते हैं, तो हमें इसकी शुरुआत बच्चों से करनी होगी।
Agar ham duniya me vastvik shanti chahte hain, to hamen iski shuruaat bacchon se karni hogi.
90. अपने कर्म के फलों से बचने की कोशिश करना गलत और अनैतिक है।
Apne karm ke falon se bachne ki koshish karna galat anaitik hai.
91. जब पूछा गया कि वे पश्चिमी सभ्यता के बारे में क्या सोचते हैं-मुझे लगता है कि यह एक अच्छा विचार होगा।
Jab pucha gaya ki ve pshchimi sabhyta ke bare me kya sochte hain-mujhe lagta hai ki yh ek acha vichar hoga.
92. प्रार्थना किसी बूढी औरत का बेकार का मनोरंजन नहीं है। सही से समझा और लागू किया जाए, तो ये कर्म का सबसे सशक्त साधन है।
Prarthna kisi budhi aurat ka bekar ka mananjan nhin hai. Sahi se samajh lagu kiya jaye, to ye karm ka sabse sashakt sadhan hai.
93. कमजोर क्षमा नहीं कर सकता। क्षमाशीलता बलवानों का गुण है।
Kamj kshama nhin kar sakta. Kshamashilata balvanon ka gun hai.
94. एक आदमी को सुधारने की तुलना में एक लडके को बनाना आसान है।
Ek aadmi ko sudharne ki tulna me ek ladke ko banana aasan hai.
95. सरलता के साथ जिएं ताकि बाकी लोग बस जी सकें।
Saralta ke sath jiyen taki baki log bas ji saken.
96. मानवता की महानता मानव होने में नहीं है, बल्कि मानवीय होने में है।
Manavta ki mahanta manav hone me nhin hai, balki manviy hone me hai.
97. हालाँकि हम उसे हजारों नामों से जानते हैं, वो हम सब के लिए एक समान है।
Halanki ham use hajaron namon se jante hain, vo ham sab ke liye ek saman hai.
98. एकमात्र तानाशाह जिसे मैं स्वीकार करता हूँ वो है मेरे अंदर की स्थिर छोटी सी आवाज।
Ekmatra tanashah jise main svikar karta hun vo hai mere andar ki sthir choti si aavaj.
99. आप बंद मुट्ठी से हाथ नहीं मिला सकते।
Aap band mutthi se hath nhin mila sakte.
100. संतोष प्रयास में निहित है, प्राप्ति में नहीं। पूर्ण प्रयास पूर्ण विजय है।
Santosh prayash me nihit hai, prapti me nhin. Purn prayas vijay hai.
101. जहाँ प्रेम है, वहां ईश्वर है।
Jahan prem hai, vahan yishvar hai.
102. अपने आपको पाने का सबसे सही तरीका यह है कि अपने आप को दूसरों की सेवा में खो दिया जाए।
Apne aapko pane ka sabse sahi tarika yh hai ki apne aap ko dusron ki seva me kho diya jaye.
103. खुशियाँ वही हैं जो आप सोचते हैं, आप कहते हो, और जो आप स्वाध्याय के लिए करते हो।
Khushiyan vahi hain jo aap sochte hain, aap kahte ho, jo aap svadhyaya ke liye karte ho.
104. जब मैं सूर्यास्त या चाँद की सुंदरता से खुश होता हूँ तो मेरी आत्मा मुझे निर्माता की पूजा में और अधिक तल्लीन कर देती हैं।
Jab main suryast ya chand ki sundarta se khush hota hun to meri aatma mujhe nirmata ki puja me adhik tallin kar deti hain.
105. ताकत दो प्रकार की होती हैं। एक जो किसी को सजा के डर के रूप में मिलती हैं और दूसरी जो प्यार देकर मिलती हैं। प्यार से मिली ताकत हजार गुना होती है डराकर मिली ताकत की तुलना में।
Takat do prakar ki hoti hai. Ek jo kisi ko saja ke dar ke rup me milti hai dusri jo pyar dekar milti hai. Pyar se mili takat hjar guna hoti hai drakar mili takat ki tulna me.
106. संतोष पूर्ण प्रयास से मिलता है न कि फल प्राप्ति से। पूरा प्रयास ही पूर्ण विजय है।
Santosh purn prayas se milta hai na i fal prapti se. Pura prayas hi purn vijay hai.
107. किसी देश की महानता उस देश द्वारा उसके जानवरों से किये जाने वाले व्यवहार से परखी जा सकती है।
Kisi desh ki mahanta us desh dvara uske janvaron se kiye jane vale vyavhar se parkhi ja sakti hai.
108. हम जिसकी पूजा करते हैं उसी के समान हो जाते हैं।
Ham jiski puja karte hain usi ke saman ho jate hain.
109. एक देश की संस्कृति दिलों में और लोगों की आत्मा में रहती है।
Ek desh ki sanskrati dilon me logon ki aatma me rahti hai.
110. कुछ करना है तो प्यार से करो वरना मत करो।
Kuch karna hai to pyar se karo varna mat karo.
111. प्रार्थना सुबह की कुंजी है और शाम का सौंदर्य।
Prarthna subah ki kunji hai sham ka saundrya.
112. वहां न्याय के न्यायालयों की तुलना में एक उच्च न्यायालय है और जो अंतरात्मा की अदालत है। यह अन्य सभी अदालतों को प्रतिस्थापित करता है।
Vahan nyay ke nyayalyon ki tulna me ek ucch nyayaly hai jo antratma ki adalat hai. Yh anya sabhi adalaton ko pratisthapit karta hai.
113. मनुष्य की प्रकृति हमेशा बुरी नहीं होती। बुरा स्वभाव होता है प्यार की कमी से। अपने मानव स्वभाव को कभी निराश नहीं करना चाहिए।
Manushya ki prakrati hamesha buri nhin hoti. Bura svbhav hota hai pyar ki kami se. Apne manav svbhav ko kabhi nirash nhin karna chahiye.
114. निजी जीवन की पवित्रता एक ध्वनि शिक्षा के निर्माण के लिए एक अनिवार्य शर्त है।
Niji jivan ki pavitrata ek dhvani shiksha ke nirman ke liye ek anivarya shart hai.
115. महिला का वास्तविक आभूषण उसका चरित्र उसकी पवित्रता है।
Mahila ka vastvik aabhushan uska charitra uski pavitrata hai.
116. हमारी निजी राय हो सकती हैं लेकिन वह दो दिलों के बीच आने का विषय क्यों बने।
Hamari niji raay ho sakti hain lekin vah do dilon ke bich aane ka vishya kyon bane.
117. आप जो भी करते है आपको तुच्छ लग सकता है, लेकिन यह जरुरी है कि आप कर सकते हैं।
Aap jo bhi karte hain aapko tucch lag sakta hai, lekin yh jaruri hai ki aap kar sakte hain.
118. मैं पश्चिमी सभ्यता के बारे में क्या सोचता हूँ? मैं सोचता हूँ यह बहुत ही अच्छा विचार है।
Main pashchimi sabhyta ke bare me kya sochta hun? Main sochta hun yh bahut hi acha vichar hai.
119. नैतिकता युद्ध में वर्जित है।
Naitikta yuddh me varjit hai.
120. व्यक्ति उस पल महान बन जाता है जब वह दूसरों की सेवा करने लगता है।
Vyakti us pal mahan ban jata hai jab vah dusron ki seva karne lagta hai.
121. जो जानते हैं कैसे सोचना चाहिए उन्हें किसी टीचर की जरुरत नहीं होती।
Jo jante hain kaise sochna chahiye unhen kisi teacher ki jarurat nhin hoti.
122. भूल करना पाप है पर उसे छुपाना उससे भी बड़ा पाप है।
Bhool karna paap hai pr use chupana usse bhi bada paap hai.
123. कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं वहीं कुछ लोग जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं।
Kuch log safalta ke sapne delkhte hain vahin kuch log jagte hain kadi mehnat karte hain.
124. चरित्र की शुद्धि ही ज्ञान पाने का उद्देश्य होना चाहिए।
Charitr ki shuddhi hi gyan pane ka uddeshya hona chahiye.
125. जो लोग अपनी तारीफ के भूखे होते हैं वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है।
Jo log apni tarif ke bhukhe hote hain ve sabit karte hain ki unmen yogyta nhin hai.
126. अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है।
Ahinsa hi dharm hai, vahi zindgi ka ek rasta hai.
127. गुस्से को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है।
Guss ko jitne me maun sabse adhik sahayak hai.
128. हंसी मन की गांठों को बड़ी आसानी से खोल देती है।
Hansi man ki ganthon ko badi aasani se khol deti hai.
129. मैं हिंदी के जरिए क्षेत्रीय भाषाओँ को दबाना नहीं चाहता बल्कि उनके साथ हिंदी को भी मिला देना चाहता हूँ।
Main hindi ke jariye kshetriy bhashaon ko dbana nhin chahta balki unke sath hindi ko bhi mila dena chahta hun.
130. शारीरिक उपवास के साथ-साथ मन का उपवास न हो तो वह हानिकारक हो सकता है।
Sharirik upvas ke sath-sath man ka upvas na ho to vah hanikarak ho sakta hai.
131. प्रार्थना या भजन जीभ से नहीं बल्कि दिल से होता है इससे गूंगे और तोतले भी प्रार्थना कर सकते हैं।
Prarthna ya bhajan jeebh se nhin balki dil se hota hai isse gunge totle bhi prarthna kar sakte hain.
132. भविष्य में क्या होगा, मैं इस बारे में नहीं सोचना चाहता। मुझे तो वर्तमान की चिंता है। भगवान ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।
Bhavishya me kya hoga, main is bare me nhin sochna chahta. Mujhe to vartman ki chinta hai. Bhagvan ne mujhe aane vale kshanon pr koi niyantran nhin diya hai.
133. पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है क्योंकि पुस्तकें आत्मा को उज्जवल करती हैं।
Pustakon ka mulya ratnon se bhi adhik hai kyonki pustaken aatma ko ujjval karti hain.
134. तुम जो भी करोगे वह जीरो होगा लेकिन यह जरुरी है कि तुम वो करो।
Tum jo bhi karoge vah zero hoga lekin yh jaruri hai ki tum vo karo.
135. एक निर्धारित लक्ष्य और कभी न बुझने वाले जोश के साथ अपने लक्ष्य पे काम करने वाला शरीर ही इतिहास के पाठ्यक्रम को बदलता है।
Ek nirdharit lakshya kabhi na bujhne vale josh ke sath apne lakshya pe kaam karne vala sharir hi itihas ke pathykram ko badlta hai.
136. विश्व इतिहास में आजादी के लिए लोकतांत्रिक संघर्ष हमसे ज्यादा वास्तविक किसी का नहीं रहा है। मैंने जिस लोकतंत्र की कल्पना की है, उसकी स्थापना अहिंसा से होगी। उसमे सभी को समान स्वतंत्रता मिलेगी। हर व्यक्ति खुद का मालिक होगा।
Vishv itihas me aajadi ke liye loktantrik sangharsh hamse jyada vastvik kisi ka nhin raha hai. Maine jis loktantra ki kalpna ki hai, uski sthapna ahinsa se hogi. Usmen sabhi ko saman svtantrata milegi. Har vyakti khud ka malik hoga.
137. अहिंसात्मक युद्ध में अगर थोड़े भी मर मिटने वाले लड़ाके मिलेंगे तो वे करोड़ों की लाज रखेंगे और उनमे प्राण फूकेंगे। अगर मेरा यह सपना है, तो भी यह मेरे लिए मधुर है।
Ahinsatamk yuddh me agar thode bhi mar mitne vale ldake milenge to ve karodon ki laaj rakhenge unmen pran fukenge. agar mera yh sapna hai, to bhi yh mere liye madhur hai.