1. अगर आप केवल भविष्य के बारे में सोचते रहेंगे तो वर्तमान भी खो देंगे।
2. जब आप अपने अंदर से अहंकार मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी।
3. मैं उन लोगों को पसंद करता हूँ जो सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं।
4. ईश्वर ने हमें जन्म दिया है ताकि हम संसार में अच्छे काम करें और बुराई को दूर करें।
5. इंसान से प्रेम ही ईश्वर की सच्ची भक्ति है।
6. अच्छे कर्मों से ही आप ईश्वर को पा सकते हैं। अच्छे कर्म करने वालों की ही ईश्वर मदद करता है।
7. जो कोई भी मुझे भगवान कहे, वो नरक में चला जाए।
8. मुझे उसका सेवक मानो। और इसमें कोई संदेह मत रखो।
9. जब बाकी सभी तरीके विफल हो जाएं, तो हाथ में तलवार उठाना सही है।
10. असहायों पर अपनी तलवार चलाने के लिए उतावले मत हो, अन्यथा विधाता तुम्हारा खून बहायेगा।
11. उसने हेमशा अपने अनुयायियों को आराम दिया है और हर समय उनकी मदद की है।
12. हे ईश्वर मुझे आशीर्वाद दें कि मैं कभी अच्छे कर्म करने में संकोच ना करूँ।
13. ये मित्र संगठित हैं, और फिर से अलग नहीं होंगे, उन्हें स्वस्वंय सृजनकर्ता भगवान् ने एक किया है।
14. सबसे महान सुख और स्थायी शांति तब प्राप्त होती है जब कोई अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देता है।
15. दिन-रात, हमेशा ईश्वर का ध्यान करो।
16. हर कोई उस सच्चे गुरु की जयजयकार और प्रशंसा करे जो हमें भगवान की भक्ति के खजाने तक ले गया है।
17. भगवान के नाम के अलावा कोई मित्र नहीं है, भगवान के विनम्र सेवक इसी का चिंतन करते और इसी को देखते हैं।
18.आपने ब्रह्माण्ड की रचना की, आप ही सुख-दुःख के दाता हैं।
19.आप स्वयं ही स्वयं हैं, अपने स्वयं ही सृष्टि का सृजन किया है।
20. सत्कर्म कर्म के द्वारा, तुम्हे सच्चा गुरु मिलेगा, और उसके बाद प्रिय भगवान मिलेंगे, उनकी मधुर इच्छा से, तुम्हे उनकी दया का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
21. सच्चे गुरु की सेवा करते हए स्थायी शांति प्राप्त होगी, जन्म और मृत्यु के कष्ट मिट जायेंगे।
22. अज्ञानी व्यक्ति पूरी तरह से अंधा है, वह मूल्यवान चीजों की कद्र नहीं करता है।
23. ईश्वर स्वयं क्षमा करता है।
24. बिना गुरु के किसी को भगवान का नाम नहीं मिला है।
25. बिना नाम के कोई शांति नहीं है।
26. मृत्यु के शहर में, उन्हें बाँध कर पीटा जाता है, और कोई उनकी प्रार्थना नहीं सुनता है।
27. जो लोग भगवान के नाम पर ध्यान करते हैं, वे सभी शांति और सुख प्राप्त करते हैं।
28. मैं उस गुरु के लिए न्योछावर हूँ, जो भगवान के उपदेशों का पाठ करता है।
29. सेवक नानक भगवान के दास हैं, अपनी कृपा से, भगवान उनका सम्मान सुरक्षित रखते हैं।
30. स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है।
31. हमे सबसे महान सुख और स्थायी शांति तभी प्राप्त हो सकती है जब हम अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देते है।
32. मेरी बात सुनो जो लोग दुसरे से प्रेम करते है वही लोग प्रभु को महसूस कर सकते है।
33. अज्ञानी व्यक्ति पूरी तरह से अँधा होता है वह गहना के मूल्य की सराहना नही करता है बल्कि उसके चकाचौंध की तारीफ करता है।
34. मैं लोगो को के पैरो में गिरता हु जो लोग सच्चाई पर विश्वास रखते है।
35. सचमुच वे गुरु धन्य है जिन्होंने भगवान के नाम को याद करना सिखाया।
36. स्वार्थ ही बुरे कर्मो के जन्म का कारण बनता है।
37. जो लोग हर हाल में ईश्वर का नाम स्मरण करते है वे ही लोग सुख और शांति प्राप्त करते है।
38. जो ईश्वर में विश्वास रखता है उनके संरक्षण में, जरूरत में, जीवन के हर पथ पर ईश्वर उनका साथ देते है।
39. वह व्यक्ति हमेसा खुद अकेला पाता है जो लोगो के लिए जुबान पर कुछ और दिल में कुछ और ही रखता है।
40. जो लोग सच्चाई के मार्ग का अनुसरण करते है और लोगो के प्रति दया का भाव रखते है ऐसे लोगो के प्रति ही लोग करुणा और प्रेम का भाव रखते है।
41. परमपिता परमेश्वर के नाम के अलावा कोई भी आपका मित्र नही है ईश्वर के सेवक इसी का चिंतन करते है और ईश्वर को ही देखते है।
42. यदि तुम असहाय और कमजोरो पर तलवार उठाते हो तो एक दिन ईश्वर भी आपके ऊपर अपना तलवार चलायेंगा।
43. जब आप अपने अन्दर बैठे अहंकार को मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति की प्राप्त होगी।
44.अपने द्वारा किये गए अच्छे कर्मों से ही आप ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं। और अच्छे कर्म करने वालों की ईश्वर सदैव सहायता करता है।
45. इंसान को सबसे वैभवशाली सुख और स्थायी शांति तब ही प्राप्त होती है, जब कोई अपने भीतर बैठे स्वार्थ को पूरी तरह से समाप्त कर देता है।
46. इन्सान का स्वार्थ ही, अनेक अशुभ विचारों को जन्म देता है।
47. जो व्यक्ति दिन और रात परमत्मा का ध्यान करता है, उसके लिए मै खुद को बलिदान करता हूँ।
48. हमें उन सभी अनुष्ठानों को और उन विचारो को ह्रदय से हटा देना चाहिए, जो हमें प्रभु की भक्ति से दूर ले जाती हो।
49. आप अपनी जीविका को चलाने के लिए ईमानदारी पूर्वक काम करे।
50. हमेशा आप अपनी कमाई का दसवां भाग दान में दे दें।
51. गुरुबानी को आप पूरी तरह से कंठस्थ कर लें।
52. अपने काम को लेकर लापरवाह ना बने में खूब मेहनत करें।
53. आप अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर कभी भी घमंडी ना बने उससे हमेशा बचे।
54. हमेशा अपने दुश्मन से लड़ने से पहले, साम, दाम, दंड और भेद का सहारा लें, और अंत में ही आमने-सामने के युद्ध में पड़ें।
55. किसी की भी इंसान की चुगली-निंदा ना करे उससे बचे, और किसी भी इंसान से ईर्ष्या करने के बजाय अपने कार्यो पर ध्यान दे।
56. विदेशी नागरिक, दुखी व्यक्ति, विकलांग व जरूरतमंद इंसान की सदैव हृदय से मदद करें।
57. शरीर को नुक्सान पहुंचने वाले किसी भी प्रकार के नशे और तंबाकू आदि का सेवन न करें।
58. सत्कर्म कर्म के द्वारा, तुम्हे सच्चा गुरु मिलेगा, और उसके बाद परमपिता परमेश्वर मिलेंगे, उनकी इच्छा से, तुम्हे उनकी दया का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
59. चिड़िया ते में बाज़ लड़ावा, गिद्रं तो में शेर बनाउन, सवा लाख से एक लड़ावा, तबे गोबिंद सिंह नाम कहउँ।
60. जब कोई व्यक्ति अपने भीतर से स्वार्थ उन्मूलन करता है तो वह अपने अंदर सबसे बड़ा आराम और स्थायी शांति कि अनुभूति करता है।
61. ये मित्र संगठित हैं, और फिर से अलग नहीं होंगे, उन्हें स्वंय सृजनकर्ता भगवान् ने एक किया है।
62. जब आप अपने अन्दर से अहंकार मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी।