1. हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है। अगर कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है, तो उसे कष्ट ही मिलता है। अगर कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता है, तो उसकी परछाई की तरह खुशी उसका साथ कभी नहीं छोडती।
Ham jo kuch bhi hain vo hamne aaj tak kya socha is baat ka parinam hai. Agar koi vyakti buri spch ke sath bolta ya kaam karta hai, to use kasht hi milta hai. Agar koi vyakti shuddh vicharon ke sath bolta ya kaam karta hai, to uski parchayi ki tarah khushi uska sath kabhi nhin chodti.
2. हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाए।
Hajaron khokhle shabdon se acha vah ek shabd hai jo shanti laye.
3. एक जग बूंद-बूंद करके भरता है।
Ek jag bund-bund karke bharta hai.
4. अतीत पे ध्यान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पर केंद्रित करो।
Atit pe dhyan mat do, bhavishya ke bare me mat socho, apne man ko vartman kshan pr kendrit karo.
5. स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफादारी सबसे बड़ा संबंध है।
Svasthya sabse bada uphar hai, santosh sabse bada dhan hai, vafadari sabse bada sanbnadh hai.
6. जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।
Jaise mombatti bina aag ke nhin jal sakti, manushya bhi aadhyatmik jivan ke bina nhin ji sakta.
7. तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकती, सूर्य, चन्द्रमा और सत्य।
Ten chijen jyada der tak nhin chup sakti, surya, chamdrama satya.
8. अपने मोक्ष के लिए खुद प्रयत्न करें। दूसरों पर निर्भर न रहे।
Apne moksha ke liye khud prayatn karen. Dusron pr nirbhar na rahen.
9. किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं।
Kisi vivad me ham jaise hi krodhit hote hain ham sach ka marg chod dete hain apne liye prayas karne lagte hain.
10. किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से अधिक डरना चाहिए, जानवर तो बस आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुकसान पहुंचा सकता है।
Kisi jangli janvar ki apeksha ek kapti dusht mitra se adhik darna chahiye, jaanvar to bas aapke sharir ko nuksan pahuncha sakta hai, lekin ek bura mitra aapki buddhi ko nuksan pahuncha sakta hai.
11. आपके पास जो कुछ भी हैं उसे बढ़ाचढ़ाकर मत बताइए और न ही दूसरों से ईर्ष्या कीजिए। जो दूसरों से ईर्ष्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती।
Aapke paas jo kuch bhi hain use badhachadhakar mat batayiye na hi dusron e yirshya kijiye. Jo dusron se yirshya karta hai use man ki shanti nhin milti.
12. घृणा घृणा से नहीं प्रेम से खत्म होती है, यह शाश्वत सत्य है।
Ghrana ghrana se nhin prem se khatam hoti hai, yh shashvat satya hai.
13. क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकड़े रहने के समान है, इसमें आप ही जलते हैं।
Krodh ko pale rakhna garm koyle ko kisi pr fenkne i niyat se pakde rahne ke saman hai, ismen aap hi jalte hain.
14. मैं कभी नहीं देखता कि क्या किया जा चुका है, मैं हमेशा देखता हूँ कि क्या किया जाना बाकी है।
Main kabhi nhin dekhta ki kya kiya ja chuka hai, main hamesha dekhta hun ki kya kiya jana baki hai.
15. बिना सेहत के जीवन जीवन नहीं है, बस पीड़ा की एक स्थिति है-मौत की छवि है।
Bina sehat ke jivan jivan nhin hai, bas pida ki ek sthiti hai-maut ki chavi hai.
16. हर चीज पर संदेह करो। खुद अपना प्रकाश ढूँढो।
Har chij pr sandeh karo. Khud apna prakash dhundho.
17. शक की आदत से भयावह कुछ भी नहीं है। शक लोगों को अलग करता है। यह एक ऐसा जहर है जो मित्रता खत्म करता है और अच्छे रिश्तों को तोड़ता है। यह एक काँटा है जो चोटिल करता है, एक तलवार है जो वध करती है।
Shak ki aadat se bhayavah kuch bhi nhin hai. Shak logon ko alag karta hai. Yh ek aesa jahar hai jo mitrata khatam karta hai acche rishton ko todta hai. Yh ek kanta hai jo chotil karta hai, ek talvar hai jo vadh karti hai.
18. सत्य के मार्ग पर चलते हुए कोई दो ही गलतियाँ कर सकता है, पूरा रास्ता न तय करना, और इसकी शुरुआत ही न करना।
Satya ke marg pr chalte huye koi do hi galtiyan kar sakta hai, pura rasta na tay karna, iski shuruat hi na karna.
19. बुराई होनी चाहिए ताकि अच्छाई उसके ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सके।
BUrayi honi chahiye taki achhayi uske upar apni pavitrata sabit kar sake.
20. खुशी अपने पास बहुत अधिक होने के बारे में नहीं है। खुशी बहुत अधिक देने के बारे में है।
Khushi apne paas bahut adhik hone ke bare me nhin hai. Khushi bahut adhik dene ke bare me hai.
21. मन और शरीर दोनों के लिए स्वास्थ्य का रहस्य है-अतीत पर शोक मत करो, न ही भविष्य की चिंता करो, बल्कि बुद्धिमानी और ईमानदारी से वर्तमान में जियो।
Man sharir donon ke liye svasthya ka rahsya hai-atit pr shok mat karo, na hi bhavishya ki chinta karo, balki buddhimani yimandari se vartman me jiyo.
23. अंत में ये चीजें सबसे अधिक मायने रखती हैं। आपने कितने अच्छे से प्रेम किया? आपने कितनी पूर्णता के साथ जीवन जिया? आपने कितनी गहराई से अपनी कुंठाओं को जाने दिया।
Ant me ye chijen sabse adhik mayne rakhti hain. Aapne kitne acche se prem kiya? Aapne kitni purnta ke sath jivan jiya? Aapne kitni gahrayi se apni kunthaon ko jane diya.
24. सबसे अँधेरी रात अज्ञानता है।
Sabse andheri raat agyanta hai.
25. अगर आप वास्तव में खुद से प्रेम करते हैं, तो आप कभी भी किसी को ठेस नहीं पहुंचा सकते।
Agar aap vastav me khud se prem karte hain, to aap kabhi bhi kisi ko thes nhin pahuncha sakte.
26. शांति अंदर से आती है। इसे बाहर मत ढूँढो।
Shanti andar se aati hai. Ise bahar mat dhundho.
27. हमें हमारे सिवा कोई और नहीं बचाता। न कोई बचा सकता है और न ही कोई ऐसा करना का प्रयास करे। हमें खुद ही इस मार्ग पर चलना होगा।
Hamen hamare siva koi nhin bachata. Na koi bacha sakta hai na hi koi aesa karna ka prayas kare. Hamen khud hi is marg pr chalna hoga.
28. चलिए ऊपर उठे और आभारी रहे, क्योंकि अगर हमने बहुत नहीं तो कुछ तो सीखा, और अगर हमने कुछ भी नहीं सीखा, तो कम से कम बीमार तो नहीं पड़े, और अगर हम बीमार पड़े तो कम से कम हम मरे नहीं इसलिए चलिए हम सभी आभारी रहे।
Chaliye upar uthe aabhari rahe, kyonki agar hamne bahut nhin to kuch to sikha, agar hamne kuch bhi nhin sikha, to kam-se-kam bimar to nhin pade, agar ham bimar pde to kam-se-kam ham mare nhin isliye chaliye ham sabho aabhari rahe.
29. शरीर को अच्छी सेहत में रखना हमारा कर्तव्य है… नहीं तो हम अपना मन मजबूत और स्पष्ट नहीं रख पाएंगे।
Sharir ko acchi sehat me rakhana hamara kartvya hai… nhin to ham apna man majbut spasht nhin rakh payenge.
30. जो आप सोचते हैं वो आप बन जाते हैं।
Jo aap sochte hain vo aap ban jate hain.
31. जीवन में आपका उद्देश्य अपना उद्देश्य पता करना है और उसमे जी जान से जुट जाना है।
Jivan me aapka uddeshya apna uddeshya pata karna hai usmen ji jaan se jut jana hai.
32. आप पुरे ब्रह्मांड में किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश कर सकते हैं जो आपसे अधिक आपके प्रेम और स्नेह के लायक है और वह व्यक्ति आपको कहीं नहीं मिलेगा। जितना इस ब्रह्माण्ड में कोई और आपके प्रेम और स्नेह के अधिकारी है, उतना ही आप खुद हैं।
Aap pure brahmand me kisi aese vyakti ki talash kar sakte hain jo aapse adhik aapke prem sneh ke layak hai vah vyakti aapko kahin nhin milega. Jitna is brahmand me koi aapke prem sneh ke adhikari hai, utna hi aap khud hain.
33. आप सिर्फ वही खोते हैं जिससे आप चिपक जाते हैं।
aap sirf vahi khote hain jisse aap chipak jate hain.
34. पहुँचने से अधिक जरुरी ठीक से यात्रा करना है।
Pahunchne se adhik jaruri thik se yatra karna hai.
35. हर सुबह हम पुनः जन्म लेते हैं। हम आज क्या करते हैं यही सबसे अधिक मायने रखता है।
Har sunah ham punah janm lete hain. Ham aaj kya karte hain yahi sabse adhik mayne rakhta hai.
36. कोई व्यक्ति इसलिए ज्ञानी नहीं कहलाता क्योंकि वह सिर्फ बोलता रहता है, लेकिन अगर वह शांतिपूर्ण, प्रेमपूर्ण और निर्भय है तो वह वास्तव में ज्ञानी कहलाता है।
Koi vyakti isliye gyani nhin kahlata kyonki vah sirf bolta rahta hai, lekin agar vah shantipurn, prempurn nirbhay hai to vastav me gyani kahlata hai.
37. जो बुद्धिमानी से जिए हैं उन्हें मृत्यु का भी भय नहीं होना चाहिए।
Jo buddhimani se jiye hain unhen mratyu ka bhi bhay nhin hona chahiye.
38. जूनून जैसी कोई आग नहीं है, नफरत जैसा कोई दरिंदा नहीं है, मुर्खता जैसी कोई जाल नहीं है, लालच जैसी कोई धार नहीं है।
Junun jaisi koi aag nhin hai, nafarat jaisa koi darinda nhin hai, murkhta jaisi koi jaal nhin hai, lalach jais koi dhaar nhin hai.
39. पवित्रता या अपवित्रता अपने आप पर निर्भर करती है, कोई भी दुसरे को पवित्र नहीं कर सकता।
Pavitrata ya apvitrata apne aap pr nirbhar karti hai, koi bhi dusre ko pavitr nhin kar sakta.
40. सच्चा प्रेम समझ से उत्पन्न होता है।
Saccha prem samajh se utpann hota hai.
41. खुद पर विजय प्राप्त करना दूसरों पर विजय प्राप्त करने से बड़ा काम है।
Khud pr vijay prapt karna dusron pr vijay prapt karne se bada kaam hai.
42. प्रसन्नता का कोई मार्ग नहीं है, प्रसन्नता ही मार्ग है।
Prasannta ka koi marg nhin hai, prasannta hi marg hai.
43. अगर आपकी दया आपको सम्मिलित नहीं करती, तो वो अधूरी है।
Agar aapki daya aapko sammilit nhin karti, to vo adhuri hai.
44. दर्द निश्चित है, दुःख वैकल्पिक है।
Dard nishchit hai, dukh vaiklpik hai.
45. जो जगा है उसके लिए रात लंबी है, जो थका है उसके लिए दूरी लंबी है, जो मुर्ख सच्चा धर्म नहीं जनता उसके लिए जीवन लंबा है।
Jo jaga hai uske liye raat lambi hai, jo thaka hai uske liye duri lambi hai, jo murakh saccha dharm nhin janta uske liye jivan lamba hai.
46. सबकुछ समझने का अर्थ है सबकुछ माफ कर देना।
Sabkuch samajhne ka arth hai sabkuch maaf kar dena.
47. एक योजना जिसे विकसित कर क्रियांवित किया जाता है वो उस योजना से अच्छी है जो बस एक योजना के रूप में ही मौजूद है।
Ek yojna jise viksit karkriyanvit kiya jata hai vo us yojna se acchi hai jo bas ek yojna ke rup me hi maujud hai.
48. जब आपको पता चलेगा कि सबकुछ कितना सही है तो तब आप अपना सर पीछे झुकाएंगे और आकाश की ओर देखकर मुस्कुराएगे।
Jab aapko pata chalega ki sabkuch kitna sahi hai to tab aap apna sir piche jhukayenge aakash ki taraf dekhkar muskurayenge.
49. धैर्य महत्वपूर्ण है। याद रखिए। एक जग बूंद-बूंद करके भरता है।
Dhairya mahatvpurn hai. Yaad rakhiye. Ek jag bund-bund karke bharta hai.
50. इस तिहरे सत्य को सभी को सिखाओ-एक उदार दिल, दयालु भाषण, और सेवा और करुणा का जीवन, ये वही चीजें हैं जो मानवता को नवीनीकृत करती हैं।
Is tihre sataya ko sabhi ko sikhao-ek udar dil, dayalu bhashan, seva karuna ka jivan, ye vahi chijen hain jo manvta ko navinikrat karti hain.
51. किसी चीज पर यकीन मत करो, ये मायने नहीं रखता कि आपने उसे कहाँ पढ़ा है, या किसने उसे कहा है, कोई बात नहीं अगर मैंने ये कहा है, जब तक कि वो आपके अपने तर्क और समझ से मेल नहीं खाती।
Kisi chij pr yakin mat karo, ye mayne nhin rakhta ki aapne use kahan padha hai, ys kisne use kaha hai, koi baat nhin agar maine ye kaha hai, jab tak ki vo aapke ane tark samajh se mel nhin khati.
52. एक कुत्ता इसलिए अच्छा नहीं समझा जाता क्योंकि वो अच्छा भौंकता है। एक व्यक्ति इसलिए अच्छा नहीं समझा जाता क्योंकि वो अच्छा बोलता है।
Ek kutta isliyeacha nhin samajha jata kyonki vo acha bhaunkta hai. Ek vyakti isliye acha nhin samajha jata kyonki vo accha bolta hai.
53. सभी प्राणियों के लिए दया-भय रखें, चाहे वो अमीर हो या गरीब, सबकी अपनी-अपनी पीड़ा है। कुछ बहुत अधिक भुगतते हैं कुछ बहुत कम।
Sabhi praniyon ke liye daya-bhav rakhen, chahe vo amir ho ya garib, sabki apni-apni pida hai. Kuch bahut adhik bhugatte hain kuch bahut kam.
54. हर मनुष्य अपनी सेहत या बीमारी का रचियता है।
Har manushya apni sehat ya bimari ka rachyita hai.
55. आकाश में, पूर्व और पश्चिम का कोई भेद नहीं है, लोग अपने विचारों से भेद पैदा करते हैं और फिर उनके सही होने पर यकीन कर लेते हैं।
Aakash me, purv pashchim ka koi bhed nhin hai, log apne vicharon se bhed paida karte hain fir unke sahi hone pr yakin kar lete hain.
56. अगर हम स्पष्ट रूप से एक फूल के चमत्कार को देख सकें, तो हमारा पूरा जीवन बदल जाएगा।
Agar ham spasht rup se ek fool ke chamatkar ko dekh saken, to hamara pura jivan badal jayega.
57. एक मोमबत्ती से हजारों मोमबत्तियां जलाई जा सकती हैं और उस मोमबत्ती का जीवन घटेगा नहीं। खुशी कभी भी बाँटने से घटती नहीं है।
Ek mombatti se hajaron mombattiyan jalayi ja sakti hain us mombatti ka jivan ghateganhin. Khushi kabhi bhi bantne se ghatti nhin hai.
58. खुशी उन तक कभी नहीं आएगी जो उसकी सराहना नहीं करते जो उनके पास पहले से मौजूद है।
Khushi un tak kabhi nhin aayegi jo uski sarahna nhin karte jo unke paas pahle se maujud hai.
59. एक भिखारी जिस किसी भी चीज के पीछे अपने सोच-विचार से लगा रहता है, वही उसकी जागरूकता का झुकाव बन जाता है।
Ek bhikhari jis kisi bhi chij ke piche apne soch-vichar se laga rahta hai, vahi uski jagrukta ka jhukav ban jata hai.
60. क्रोध को बिना क्रोधित हुए जीतो, बुराई को अच्छाई से जीतो, कंजूसी को दरियादिली से जीतो, और असत्य बोलने वाले को सत्य बोलकर जीतो।
Krodh ko bina krodhit huye jito, burayi ko achayi se jito, kanjusi ko dariyadili se jito, asty bolne vale ko satya bolkar jito.
61. अगर आप दिशा नहीं बदलते हैं तो संभवतः आप वही पहुँच जाएंगे जहाँ आप जा रहे हैं।
Agar aap disha nhin badalte hain to sanbhavtah aap vahi pahunch jayenge jahan aap ja rahe hain.
62. शब्द बहुत अच्छी तरह से विचार व्यक्त नहीं करते हैं, हर चीज तुरंत थोडा अलग हो जाती है, थोडा विकृत हो जाती है, थोडा मूर्खतापूर्ण हो जाती है।
Shabd bahut achi tarah se vichar vyakt nhin karte hain, har chij turant thoda alag ho jati hai, thoda vikrat ho jati hai, thoda murkhtapurn ho jati hai.
63. चंद्रमा की तरह, बादलों के पीछे से निकलो! चमको।
Chandrma ki tarah, badalon ke piche se niklo! Chamko.
64. एक तेज धार चाकू की तरह जीभ… बिना खून बहाए मार देती है।
Ek tej dhaar chaku ki tarah jeebh… bina khun bahay maar deti hai.
65. झूठ बोलने से बचना अनिवार्य रूप से पथ्य है।
Jhuth bolne se bachna anivarya rup se pathay hai.
66. अगर देने की ताकत के बारे में आप भी वो जानते जो मैं जनता हूँ तो आप एक बार का भी भोजन किसी तरह से साझा किए बिना नहीं जाने देते।
Agar dene ki takat ke bare me aap bhi vo jante jo main janta hun to aap ek baar ka bhi bhojan kisi tarah se sajha kiye bina nhin jane dete.
67. पानी से सीखो, नदी शोर मचाती है लेकिन महासागरों की गहराई शांत रहती है।
Pani se sikho, nadi sh machati hai lekin mahasagaron ko gahrayi shant rahti hai.
68. भूत पहले ही बीत चुका है, भविष्य अभी तक आया नहीं है। तुम्हारे लिए जीने के लिए बस एक ही क्षण है।
Bhoot pahle hi biit chuka hai, bhavishya abhi tak aaya nhin hai. Tumhare liye jine ke liye bas ek hi kshan hai.
69. क्रोध को पाले रखना खुद जहर पीकर दूसरे के मरने की अपेक्षा करने के समान है।
Krodh ko pale rakhna khud jahar pikar dusre ke marne ki apeksha karne ke saman hai.
70. ध्यान से ज्ञान प्राप्त होता है, ध्यान की कमी अज्ञानता लाती है। अच्छी तरह जानो क्या तुम्हें आगे ले जाता है और क्या तुम्हें रोके रखता है, और उस मार्ग को चुनो जो बुद्धिमत्ता की ओर ले जाता हो।
Dhyan se gyan prapt hota hai, dhyan ki kami agyanta lati hai. Achi tarah jano kya tumhen aage le jata hai kya tumhen roke rakhta hai, us marg ko chuno jo buddhimata ki le jata ho.
71. अगर किसी के विचार गंदे हैं, अगर वह लापरवाह है और धोखे से भरा हुआ है, तो वह पीले वस्त्र कैसे धारण कर सकता है? जो कोई भी अपनी प्रकृति का स्वामी है, उज्जवल, स्पष्ट और सत्य है, वह वास्तव में पीले वस्त्र धारण कर सकता है।
Agar kisi ke vichar gande hain, agar vah laprvah hai dhokhe se bhara hyaa hai, to vah pile vastr kaise dharan kar sakta hai? Jo koi bhi apni prakrati ka svami hai, ujjval, spasht saty hai, vah vastav me pile vastr dharan kar sakta hai.
72. क्रोध कभी नहीं जाएगा जब तक कि क्रोध के विचारों को मन में रखा जाएगा। जैसे ही क्रोध के विचारों को भुला दिया जाएगा वैसे ही क्रोध गायब हो जाएगा।
Krodh kabhi nhin jayega jab tak ki krodh ke vicharon ko man me rakha jayega. Jaise hi krodh ke vicharon ko bhula diya jayega vaise hi krodh gayab ho jayega.
73. तुम्हारा शरीर कीमती है। यह हमारे जागृति का साधन है। इसका ध्यान रखो।
Tumhara sharir kimti hai. Yh hamare jagrati ka sadhan hai. Iska dhyan rakho.
74. तुम्हारा सबसे बड़ा शत्रु तुम्हें उतना नुकसान नहीं पहुंचा सकता जितना कि तुम्हारे खुद के बेपरवाह विचार। लेकिन एक बार काबू कर लिया जाए तो कोई तुम्हारी इतनी मदद भी नहीं कर सकता, तुम्हारे माता-पिता भी नहीं।
Tumhara sabse bada shatru tumhen utna nuksan nhin pahuncha sakta jitna ki tumhare khud ke beparvah vichar. Lekin ek baar kabuu kar liye jaye to koi tumhari itni madad bhi nhin kar sakta, tumhare mata-pita bhi nhin.
75. अगर आप पर्याप्त शांत हैं, तो आपको ब्रह्माण्ड का प्रवाह सुनाई देगा।
Agar aap prayapt shant hain, to aapko brahmand ka pravah sunayi dega.
76. जो क्रोधित विचारों से मुक्त है उन्हें निश्चय ही शांति प्राप्त होगी।
Jo krodhit vicharon se mukt hai unhen nishchy hi shanti prapt hogi.
77. तुम अपने क्रोध के लिए दंड नहीं पाओगे, तुम अपने क्रोध के द्वारा दंड पाओगे।
Tum apne krodh ke liye dand nhin paaoge, tum apne krodh ke dvara dand paaoge.
78. जिस पल आप सारी मदद अस्वीकार कर देते हैं आप मुक्त हो जाते हैं।
Jis pal aap sari madad asvikar kar dete hain aap mukt ho jate hain.
79. अपना दिल अच्छी चीजें करने में लगाओ। इसे बार-बार करो और तुम प्रसन्नता से भर जाओगे।
Apna dil achi chijen karne me lagao. Ise baar-baar karo tum prasannta se bhar jaaoge.
80. कष्ट की जड़ आसक्ति है।
Kasht ki jad aashakti hai.
81. आप तब तक उस रास्ते पर नहीं चल सकते जब तक आप खुद वो रास्ता नहीं बन जाते।
Aap tab tak us raste pr nhin chal sakte jab tak aap khud vo rasta nhin ban jate.
82. जीवन में एकमात्र वास्तविक असफलता आप जो सर्वश्रेष्ठ जानते हैं उसके प्रति सच्चे न होना है।
Jivan me ekmatra vastvik asafalta aap jo sarvshreshth jante hain uske prati sacche na hona hai.
83. आप चाहें जितने पवित्र शब्द पढ़ लें, चाहे जितने बोल लें, वे आपका क्या भला करेंगे अगर आप उन पर कार्य नहीं करते।
Aap chahen jitne pavitr shabd padh len, chahe jitne bol len, ve aapka kya bhala karenge agar aap un pr karya nhin karte.
84. अगर आप किसी और के लिए दीपक जलाएंगे, तो वो आपका भी रास्ता प्रकाशित करेगा।
Agar aap kisi ke liye dipak jlayenge, to vo aapka bhi rasta prakashit karega.
85. सारे गलत काम मन की वजह से होते हैं। अगर मन को बदल दिया जाए तो क्या गलत काम रह सकते हैं?
Sare galat kaam man ki vajah se hote hain. Agar man ko badal diya jaye to kya galat kaam rah sakte hain?
86. अनुशासनहीन मन से अधिक उद्दंड और कुछ नहीं है, और अनुशासित मन से अधिक आज्ञाकारी और कुछ नहीं है।
Anushasnhin man se adhik uddand kuch nhin hai, anushasit man se adhik aagyakari kuch nhin hai.
87. अपने अहंकार को एक ढीले-ढीले कपडे की तरह पहनें।
Apne ahnkar ko ek dhile-dhile kapde ki tarah pahnen.
88. मन और शरीर दोनों के लिए सेहत का रहस्य है कि जो बीत गया उस पर दुःख न करें, भविष्य की चिंता न करें, और न ही किसी खतरे की आशा करें, बल्कि मौजूदा क्षण में बुद्धिमानी और ईमानदारी से जिएं।
Man sharir donon ke liye sehat ka rahsya hai ki jo biit gya us pr dukh na karen, bhavishya ki chinta na karen, na hi kisi khatre ki aasha karen, balki maujuda kshan me buddhimani yimandari se jiyen.
89. अगर समस्या किया जा सकता है तो चिंता क्यों करें? अगर समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता तो चिंता करना आपको कोई फायदा नहीं पहुंचाएगा।
Agar samasya kiya ja sakta hai to chinta kyon karen? Agar samsya ka samadhan nhin kiya ja sakta to chinta karna aapko koi fayda nhin pahunchayega.
90. जैसे ठोस चट्टान हवा से नहीं हिलती, उसी तरह बुद्धिमान व्यक्ति प्रशंसा या आरोपों से विचलित नहीं होता।
Jaise thos chattan hava se nhin hilti, usi tarah buddhiman vyakti prashansa ya aaropo se vichlit nhin hota.
91. कुछ भी स्थाई नहीं है।
Kuch bhi sthayi nhin hai.
92. एक क्षण एक दिन बदल सकता है, एक दिन एक जीवन को बदल सकता है और एक जीवन पूरे विश्व को बदल सकता है।
Ek kshan ek din badal sakta hai, ek din ek jivan ko badal sakta hai ek jivan pure vishva ko badal sakta hai.
93. इस पूरी दुनिया में इतना अंधकार नहीं है कि वो एक छोटी सी मोमबत्ती का प्रकाश बुझा सके।
Is puri duniya me itna andhkar nhin hai ki vo ek choti si mombatti ka prakash bujh sake.
94. अगर आपका मुख सही दिशा की तरफ है, तो आपको बस कदम बढ़ाते रहना है।
Agar aapka mukh sahi disha ki taraf hai, to aapko bas kadam badhate rahna hai.
95. ये सोचना हास्यास्पद है कि कोई आपको प्रसन्न या अप्रसन्न कर सकता है।
Ye sochna hasyaspad hai ki koi aapko prasann ya aprasann kar sakta hai.
96. खुशी इस पर निर्भर नहीं करती कि आपके पास क्या है या आप क्या हैं। ये पूरी तरह से इस पर निर्भर करती है कि आप क्या सोचते हैं।
Khushi is pr nirbhar nhin karti ki aapke paas kya hai ya aap kya hain. Ye puri tarah se is pr nirbhar karti hai ki aap kya sochte hain.
97. मैं दुनिया के साथ मतभेद नहीं करता, बल्कि ये दुनिया है जो मेरे साथ मतभेद करती है।
Main duniya ke sath matbhed nhin karta, balki ye duniya hai jo mere sath matbhed karti hai.
98. जो करना है आज ही कर लो क्या पता कल जिंदगी रहे न रहे।
Jo karna hai aaj hi kar lo kya pata kal zindgi rahe na rahe.
99. देते चलो चाहे तुम्हारे पास बहुत कम ही क्यों न हो।
Dete chalo chahe tumhare paas bahut kam hi kyon na ho.
100. अपनी बुराई करने वाले को अपने पास रखो और उससे सीखो तुम एक अद्वितीय खजाना बन जाओगे।
Apni burayi karne vale ko apne paas rakho usse sikho tum ek advitiy khajana ban jaaoge.
101. हर इंसान अपने भविष्य का खुद रचियता है।
Har insaan apne bhavishya ka khud rachyita hai.
102. जैसे लापरवाही की वजह से नरम घास भी आपके हाथ को घायल कर सकती है उसी तरह, धर्म के प्रति की गई लापरवाही आपको नर्क के द्वार पर पहुंचा सकती है।
Jaise laparvahi ki vajah se naram ghasas ko ghayal kar sakti hai usi tarah, dharm ke prati ki gayi laparvahi aapko nark ke dvar pr pahuncha sakti hai.
103. उसने मेरा अपमान किया उसने मेरे साथ गलत किया, व्यक्ति इन्हीं बातों को करते रहते हैं वह कभी जीवन में चैन से नहीं रह सकता। जिन लोगों ने अपने को इन बातों से ऊपर उठा लिया है वही आराम से जीवन जी सकते हैं।
Usne mera apman kiya usne mere sath galat kiya, vyakti inhin baton ko karte rahte hain vah kabhi jivan me chain se nhin rah sakta. Jin logon ne apne ko in baton se upar utha liya hai vahi aaram se jivan ji sakte hain.
104. बुराईयों से दूर रहने का एक ही तरीका है अच्छे विचारों को अपने जीवन में आने दीजिए।
Burayiyon se do rahne ka ek hi tarika hai ache vicharon ko apne jivan me aane dijiye.
105. मुर्ख ज्ञानियों से नहीं सीख पाते लेकिन ज्ञानी मुर्ख से भी सीख लेते हैं।
Murakh gyaniyon se nhin sikh pate lekin gyani murakh se bhi sikh lete hain.
106. अपने बराबर या अपने से समझदार लोगों के साथ सफर कीजिए, अपने से कम समझदार लोगों के साथ सफर करने से अच्छा है अकेले सफर कीजिए।
Apne barabar ya apne se samajhdar logon ke sath safar kijiye, apne se kam samajhdar logon ke sath safar karne se acha hai akele safar kijiye.
107. जीवन वह नहीं है जो हमें मिला है जीवन वह है जो हम बनाते हैं।
Jivan vah nhin hai jo hamen mila hai jivan vah hai jo ham banate hain.
108. अच्छे और बुरे अनुभव कुछ-न-कुछ सिखाते जरुर हैं।
Ache bure anubhav kuch-na-kuch sikhate jarur hain.
109. जीवन की सबसे बड़ी विफलता है, हमारा असत्यवादी होना।
Jiva ki sabse badi vifalta hai, hamara astyvadi hona.
110. जो दूसरों से नफरत करते हैं उन्हें कभी शांति नहीं मिलती।
Jo dusron se nafrat karte hain unhen kabhi shanti nhin milti.
111. हर इंसान की प्रतिस्पर्धा खुद से होनी चाहिए दूसरों से नहीं।
Har insaan ki pratispardha khud se honi chahiye dusron se nhin.
112. अज्ञानी आदमी एक बैल के समान है। वह ज्ञान में नहीं आकार में बढ़ता है।
Agyani aadmi ek bail ke saman hai. Vah gyan me nhin aakar me badhta hai.
113. वह व्यक्ति जो 50 लोगों को प्यार करता है, 50 दुखों से घिरा होता है, जो किसी से भी प्यार नहीं करता है उसे कोई संकट नहीं है।
Vah vyakti jo 50 logon ko pyar karta hai, 50 dukhon se ghira hota hai, jo kisi se bhi pyar nhin karta hai use koi sankat nhin hai.
114. पैर तभी पैर महसूस करता है जब वह जमीन को छूता है।
Pair tabhi pair mahsus karta hai jab vah jamin ko chuta hai.
115. कोई भी व्यक्ति सर मुंडवाने से या फिर उसके परिवार से, या फिर उसकी जाति में जन्म लेने से संत नहीं बन जाता, जिस व्यक्ति में सच्चाई और विवेक होता है, वही धन्य है। वही संत है।
Koi bhi vyakti sar mundvane se ya fir uske parivar se, ya fir uski jati me janm lene se sant nhin ban jata, jis vyakti me sachhayi vivek hota hai, vahi dhany hai. Vahi sant hai.
116. एक समझदार व्यक्ति अपने अंदर की कमियों को उसी तरह से दूर कर लेता है जिस तरह से एक सुनार चांदी की अशुद्धियों को, चुन-चुन कर, थोडा-थोडा करके और इस प्रिक्रिया को बार-बार दोहरा कर दूर करता है।
Ek samajhdar vyakti apne andar ki kamiyon ko usi tarah se dur kar leta hai jis tarah se ek sunar chandi ki ashuddhiyon ko, chun-chunkar, thoda-thoda karke is prikriya ko baar-baar dohra kar do karta hai.
117. जो व्यक्ति क्रोधित होने पर अपने गुस्से को संभाल सकता है वह उस कुशल ड्राईवर की तरह है जोकि एक तेजी से भागती हुई गाड़ी को संभाल लेता है और जो ऐसा नहीं कर पाते वे केवल अपनी सीट पर बैठे हुए एक्सीडेंट का इंतजार करते रहते हैं।
Jo vyakti krodhit hone pr apne gusse ko sanbhal sakta hai vah us kushal driver ki tarah hai joki ek teji se bhagti huyi gadi ko snbhal leta hai jo aesa nhin kar pate ve keval apni siit pr baithe huye aeksident ka intjaar karte rahte hain.
118. यह दुनिया अंधी है। बहुत ही कम लोग चीजों को उसके सही स्वरूप में देख पाते हैं। जरा दुनिया को गौर से तो देखिए, यह राजा-महाराजाओं के रथ की तरह कितनी लुभावनी होती है। हालाँकि मुर्ख लोग इसमें डूबे रहते हैं, फिर भी समझदार लोगों को ये नहीं बांध पाती। यह पानी के लिए एक बुलबुले की तरह कितना अस्थिर होती है। यह देखिए कि इसमें से कितना कुछ एक भ्रम की तरह होता है। जो व्यक्ति दुनिया को इस नजरिए से देखते हैं, यमराज को वे लोग नजर नहीं आते। खुद को ऊपर उठाईये। आलसी मत बनिए। धर्म द्वारा दिखाए गए अनेक रास्तों में से अच्छे रास्तों पर चलिए।
Yh duniya andhi hai. Bahut hi kam log chijon ko uske sahi svrup me dekh pate hain. Jara duniya ko gaur se to dekhiye, yh raja-maharajaon ke rath ki tarah kitni lubhavni hoti hai. Halanki murakh log ismen dube rahte hain, fir bhi samajhdar logon ko ye nhin baandh pati. Yh pani ke liye ek bulbule ki tarah kitana asthir hoti hai. Yh dekhiye ki ismen se kitna kuch ek bhram ki tarah hota hai. Jo vyakti duniya ko is najariye se dekhte hain, yamraj ko ve log najar nhin aate. Khus ko upar uthayiye. Aalsi mat baniye. Dharm dvara dikhaye gaye anek raston me se acche raston pr chaliye.
119. अगर व्यक्ति से कोई गलती हो जाती है तो कोशिश करें कि उसे दोहराएं नहीं, उसमें आनंद ढूंढने की कोशिश न करें, क्योंकि बुराई में डूबे रहना दुःख को न्योता देता है।
Agar vyakti se koi galti ho jati hai to koshish karen ki use dohrayen nhin, usmen aanand dhundhne ki koshish na karen, kyonki burayi me dube rahna dukh ko nyota deta hai.
120. सभी व्यक्तियों को सजा से डर लगता है, सभी मौत से डरते हैं। बाकी लोगों को भी अपने जैसा ही समझिए, खुद किसी जीव को न मारें और दूसरों को भी ऐसा करने से मना करें।
Sabhi vyaktiyon ko saja se dar lagta hai, sabhi maut se darte hain. Baki logon ko bhi apne jaisa hi samjhiye, khud kisis jiv ko na maren dusron ko bhi aesa karne se mana karen.
121. मन सभी मानसिक अवस्थाओं से ऊपर है।
Man sabhi mansik avsthaon se upar hai.
122. शुद्धता और अशुद्धता किसी एक पर निर्भर करती है। कोई एक किसी दुसरे को शुद्ध नहीं कर सकता।
Shuddhta ashuddhta kisi ek pr nirbhar karti hai. Koi ek kisi dusre ko shuddh nhin kar sakta.
123. अपने अंदर ही देखें। आपको 1000 बुद्ध की कला दिखाई देगी।
Apne andar hi dekhen. Aapko 1000 buddh ki kala dikhayi degi.