1. प्रेमी, पागल, और कवि एक ही चीज से बने होते हैं।
Premi, pagal, kavi ek hi chij se bane hote hain.
2. राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है मैं एक ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी आजाद है।
Rakh ka har ek kan meri garmi se gatiman hai main ek aesa pagal hun jo jail me bhi aajad hai.
3. अगर बहरों को सुनाना है तो आवाज को बहुत जोरदार होना होगा। जब हमने बम गिराया तो हमारा उद्देश्य किसी को मारना नहीं था। हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था। अंग्रेजों को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आजाद करना चाहिए।
Agar bahron ko sunana hai to aavaj ko bahut jdar hona hoga. Jab hamne bamb giraya to hamara uddeshya kisi ko marna nhin tha. Hamne angreji hukumat pr bamb giraya tha. Angrejon ko Bharat chodna chahiye use aajaad karna chahiye.
4. किसी को क्रांति शब्द की व्याख्या शाब्दिक अर्थ में नहीं करनी चाहिए। जो लोग इस शब्द का उपयोग या दुरूपयोग करते हैं उनके फायदे के हिसाब से इसे अलग-अलग अर्थ और अभिप्राय दिए जाते हैं।
Kisi ko kranti shabd ki vyakhya shabdik arth me nhin karni chahiye. Jo log is shabd ka upyog ya durupyog karte hain unke fayde ke hisab se ise alag-alag arth abhipray diye jate hain.
5. जरुरी नहीं था कि क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो। यह बम और पिस्तौल का पन्थ नहीं था।
Jaruri nhin tha ki kranti me abhishapt sangharsh shamil ho. Yh bamb pistol ka panth nhin tha.
6. आमतौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसके आदि हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं। हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की जरुरत है।
Aamtaur pr log chijen jaisi hain uske aadi ho jate hain badlav ke vichar se hi kanpne lagte hain. Hamen isi nishkriyta ki bhavna ko krantikari bhavna se badalne ki jarurat hai.
7. जो व्यक्ति भी विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा और उसे चुनौती देनी होगी।
Jo vyakti bhi vikas ke liye khada hai use har ek rudhivadi chij ki aalochna karni hogi, usmen avishvas karna hoga use chunauti deni hogi.
8. मैं इस बात पर जोर देता हूँ कि मैं महत्वाकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ। पर मैं जरुरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूँ और वही सच्चा बलिदान है।
Main is baat pr j deta hun ki main mahatvkanksha, aasha jivan ke prati aakarshan se bhara huaa hun. Pr main jarurat padne pr ye sab tyag sakta hun vahi saccha balidan hai.
9. अहिंसा को आत्मबल के सिद्धांत का समर्थन प्राप्त है जिसमें अंततः प्रतिद्वंदी पर जीत की आशा में कष्ट सहा जाता है, लेकिन तब क्या हो जब ये प्रयास अपना लक्ष्य प्राप्त करने में असफल हो जाएं? तभी हमें आत्म-बल को शारीरिक बल से जोड़ने की जरुरत पड़ती है ताकि हम अत्याचारी और क्रूर दुश्मन के रहमोकरम पर न निर्भर करें।
Ahinsa ko aatmbal ke siddant ka samarthan prapt hai jismen antatah pratidvandi pr jeet ki aasha me kasht saha jata hai, lekin tab kya ho jab ye prayas apna lakshya prapt karne me asafal ho jayen? Tabhi hamen aatm-bal ko sharirik bal se jodne ki jarurat padti hai taki ham atyachari krur dushman ke rahmokaran pr na nirbhar karen.
10. किसी भी कीमत पर बल का प्रयोग न करना काल्पनिक आदर्श है और नया आंदोलन जो देश में शुरू हुआ है और जिसके आरंभ की हम चेतावनी दे चुके हैं वो गुरु गोबिंद सिंह और शिवाजी, कमाल पाशा और राजा खान, वाशिंगटन और गैरीबाल्डी, लाफायेतटे और लेनिन के आदर्शों से प्रेरित है।
Kisi bhi kimat pr bal ka prayog na karna kalpnik aadarsh hai naya aandolan jo desh me shuru huaa hai jiske aaranbh ki ham chetavni de chuke hain vo Guru Gobind Sing Shivaji Kamal Pasha Raja Khan, Wasingtan Gairibaldi, Lafayetate Lenin ke aadarshon se prerit hai.
11. इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है, जैसा कि हम विधान सभा में बम फेंकने को लेकर थे।
Insaan tabhi kuch karta hai jab vo apne kaam ke auchitya ko lekar sunishchit hota hai, jaisa ki ham vidhan sabha me bamb fenkne ko lekar the.
12. व्यक्तियों को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते।
Vyaktiyon ko kuchal kar, ve vicharon ko nhin maar sakte.
13. कानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक कि वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करें।
Kanun ki pavitrata tabhi tak bani rah sakti hai jab tak ki vo logon ki iccha ki abhivyakti karen.
14. क्रांति मानव जाति का एक अपरिहार्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का एक कभी न खत्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है, श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है।
Kranti manav jati ka ek apariharya adhikar hai. Svatantrata sabhi ka ek kabhi na khatam hone vala janm-siddh adhikar hai, shram samaj ka vastvik nirvahak hai.
15. निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।
Nishthur aalochna svatantr vichar ye krantikari soch k do aham lakshan hain.
16. मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।
Main ek manav hun jo kuch bhi manvta ko prabhavit karta hai usse mujhe matlab hai.
17. जिंदगी तो अपने दम पर ही जी जाती है… दूसरों के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।
Zindgi to apne dam pr hi jii jati hai… dusron ke kandhon pr to sirf janaje uthaye jate hain.
18. तेरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूठ जाना, कि खुश से मर न जाते अगर एतबार होता।
Tere vade pr jiye ham to ye jaan jhuth jana, ki khush se mar na jate agar aetbar hota.
19. अपने दुश्मन से बहस करने के लिए उसका अभ्यास करना बहुत जरुरी है।
Apne dushman se bahas karne ke liye uska abhyas karna bahut jaruri hai.
20. क्रांति लाना किसी भी इंसान की ताकत के बहार की बात है। क्रांति कभी भी अपने आप नहीं आती बल्कि किसी विशिष्ट वातावरण, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों में ही क्रांति लायी जा सकती है।
Kranti lana kisi bhi insaan ki takat ke bahar ki baat hai. Kranti kabhi bhi apne aap nhin aati balki kisi vishisht vatavaran, samajik aarthik paristhitiyon me hi kranti layi ja sakti hai.
21. देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं।
Deshbhakton ko aksar log pagal kahte hain.
22. क्रांति की तलवार विचारों की शान से तेज होती है।
Kranti ki talvar vicharon ki shan se tej hoti hai.
23. जिंदगी का उद्देश्य अब दिमाग को नियंत्रित करना नहीं बल्कि उसके साथ तालमेल बिठाना है, मुक्ति पाना नहीं बल्कि उसका बेहतरीन उपयोग करना है और सच, सुंदरता और अच्छाई को जानना नहीं बल्कि दैनिक जीवन के अनुभवों को जानना है। क्योंकि सामाजिक विकास कुछ लोगों के उदात्तीकरण से नहीं बल्कि लोकतंत्र के सम्पन्निकरण से होता है। वैश्विक बन्धुता सभी को समान रूप से अधिकार देने से ही आती है।
Zindgi ka uddeshya ab dimaagko niyantrit karna nhin balki uske sath talmel bithana hai, mukti pana nhin balki uska behtrin upyog karna hai sach, sundarta achayi ko janana nhin balki dainik jivan ke anubhavon ko janana hai. Kyonki samajk vikas kuch logon ke udattikaran se nhin balki loktantr ke sampannikaran se hota hai. Vaishvik bandhuta sabi ko sman rup se adhikar dene se hi aati hai.
24. प्रेम हमेशा व्यक्ति के चरित्र को ऊपर उठता है, यह कभी उसे कम नहीं करता, बल्कि प्रेम और प्रदान करता है।
Prem hamesha vyakti ke charitr ko upar uthata hai, yh kabhi use kam nhin karta, balki prem pradan karta hai.
25. महान आवश्यकता के समय, हिंसा अनिवार्य है।
Mahan aavshyakta ke samay, hinsa anivarya hai.
26. जन संघर्ष के लिए अहिंसा आवश्यक है।
Jan sanghrsh ke liye ahinsa aavshyak hai.
27. आत्मबल को शारीरिक बल के साथ जोड़ा जाना चाहिए ताकि अत्याचारी दुश्मन की दया पर बने न रहे।
Aatmbal ko sharirik bal ke sath joda jana chahiye taki atyachari dushama ki daya pr bane na rahe.
28. अगर आप मानते हैं कि एक सर्वशक्तिमान परमेश्वर है, जिसने पृथ्वी या ब्रह्मांड बनाया है, तो कृपया सबसे पहले मुझे बताएं, उसने इस दुनिया को क्यों बनाया? यह दुनिया जो दुःख से भरी है, जहाँ एक व्यक्ति भी शांति में नहीं रहता… कहाँ है भगवान? वह क्या कर रह है? क्या वह ये सब देखकर खुश हो रहा है?
Agar aap mante hain ki ek sarvshaktiman parmeshavr hai, jisne prathvi ya brahmand banaya hai, to krapya sabse pahle mujhe batayen, usne is duniya ko kyon banaya? Yh duniya jo dukh se bhari hai, jahan ek vyakti bhi shanti me nhin rahta… kahan hai bhgvan? Vah kya kar raha hai? Kya vah ye sab dekhkar khush ho raha hai?
29. अपने व्यक्तित्व को पहले कुचल दें, निजी आराम के सपने से मुक्त हो जाएँ और फिर काम करना शुरू करें, इंच से इंच आपके बढना होगा। इसे साहस, ताप और दृढ संकल्प की आवश्यकता है। कोई कठिनाई और कोई विपत्ति आपकी हिम्मत नहीं तोड़ सकती। कोई विफलता और धोखा आपको निराश नहीं करेगा। ये सब चीजें आपके अंदर की क्रांतिकारी इच्छाशक्ति को खत्म कर सकती हैं लेकिन कष्टों और त्यागों की परीक्षा के माध्यम से आप जीत हासिल करेंगे। और ये जीत क्रांति की बहुमूल्य संपत्ति होगी।
Apne vyaktitv ko pahle kuchal den, niji aaram ke sapne se mukt ho jayen fir kaam karna shuru karen, inch se inch aapke badhna hoga. Ise sahas, taap dradh sankalp ki aavshyakta hai. Koi kathinayi koi vipatti aapki himmat nhin tod sakti. Koi vifalta dhokha aapko nirash nhin karega. Ye sab chijen aapke andar ki krantikari ichashakti ko khatam kar sakti hain lekin kashton tyagon ki pariksha ke madhyam se aap jeet hasil karenge. ye jeet kranti ki bahumulya sanpatti hogi.
30. जब आक्रमण रूप से लागू किया जाता है तो बल हिंसा होता है और इसलिए, नैतिक रूप से अनुचित है, लेकिन जब किसी वैध कारण के आगे उपयोग किया जाता है, तो इसे नैतिक समर्थन मिलता है।
Jab aakraman rup se lagu kiya jata hai to bal hinsa hota hai isliye, naitik rup se anuchit hai, lekin jab kisi vaidh karan ke aage upyog kiya jata hai, yo ise naitik samarthan milta hai.
31. दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उलफत, मेरी मिटटी से भी खुशबू-ए वतन आएगी।
Dil se niklegi na markar bhi vatan ki ulfat, meri mitti se bhi khushbu-ae vatan aayegi.
32. मेरा एक ही धर्म है देश की सेवा करना।
Mera ek hi dharm hai desh ki seva karna.
33. बुराई इसलिए नहीं बढती कि बुरे लोग बढ़ गए हैं बल्कि बुराई इसलिए बढती है क्योंकि बुराई सहन करने वाले लोग बढ़ गए हैं।
Burayi isliye nhin badhti ki bure log badh gaye hain balki burayi isliye badhti hai kyonki burayi sahan karne vale log badh gaye hain.
34. मेरे सीने में जो जख्म है वो सब फूलों के गुच्छे है हमें तो पागल ही रहने दो हम पागल ही अच्छे हैं।
Mere sine me jo jakham hai vo sab fulon ke gucche hai hamen to pagal hi rahne do ham pagal hi acche hain.
35. जो व्यक्ति भी विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा और उसे चुनौती देनी होगी।
Jo vyakti bhi vikas ke liye khada hai use har ek rudhivadi chij ki aalochna karni hogi, usmen avishvas hoga use chunauti deni hogi.
36. सूर्य विश्व में हर किसी देश पर उज्जवल हो कर गुजरता है लेकिन उस समय ऐसा कोई देश नहीं होगा जो भारत देश के समान इतना स्वतंत्र, इतना खुशहाल, इतना प्यारा हो।
SUrya vishv me har kisi desh pr ujjval ho kar gujarta hai lekin us amay aesa koi desh nhin hoga jo bharat desh ke saman itna savtantr, itna khushhal, itna pyara ho.
37. लिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा… मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।
Likh raha hun main anjam jiska kal aagaj aayega… mere lahu ka har ek katra inklab layega.
38. महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिन्दा रहते हैं।
Mahan samarajy dhvans ho jate hain pr vichar jinda rahte hain.
39. क्रांतिकारी सोच के दो आवश्यक लक्षण हैं बेरहम निंदा और स्वतंत्र सोच।
Krantikari soch ke do aavshyak lakshan hain beraham ninda savtantra soch.
40. बाबाजी, मैंने जीवन में कभी वाहे गुरु को याद नहीं किया। कई बार तो मैंने देश की अवनति और लोगों के दुःख के लिए उन्हें दोषी ठहराया है। अब जब मौत मेरे सामने खड़ी है वाहे गुरु की अरदास करू तो वह कहेगा कि मैं बहुत डरपोक और बेइमान आदमी हूँ। अब मुझे इस संसार से वैसे ही विदा हो जाने दो जैसा मैं हूँ। मेरी क्रांति यह नहीं रहेगी कि भगत सिंह कायर था और उसने अपनी मौत से घबराकर वाहे गुरु को याद किया था।
Babaji, maine jivan me kabhi vahe uru ko yaad nhin kiya. Kayi baar to maine desh ki avnati logon ke dukh ke liye unhen doshi thahraya hai. Ab jab maut mere samne khadi hai vahe guru ki ardas karun to vah kahega ki main bahut darpok beyiman aadmi hun. Ab mujhe is sansar se vaise hi vida ho jane do jaisa main hun. Meri kranti yh nhin rahegi ki Bhagat Singh kayar tha usne apni maut se ghabrakar vahe guru ko yaad kiya tha.
41. मजिस्ट्रेट साहब, आप भाग्यशाली हैं कि आज आप अपनी आँखों से यह देखने का अवसर पा रहे हैं कि भारत के क्रांतिकारी किस तरह खुशी से अपने सर्वोच्च आदर्श के लिए मृत्यु का आलिंगन कर सकते हैं।
Mezistret sahab, aap bhagyashali hain ki aaj aap apni aankhon se yh dekhne ka avsar paa rahe hain ki Bharat ke krantikari kis tarah khushi se apne sarvocch aadarsh ke liye mratyu ka aalingan kar sakte hain.
42. हमें धैर्यपूर्वक फांसी की प्रतीक्षा करनी चाहिए। यह मृत्यु सुंदर होगी, लेकिन आत्महत्या करना, सिर्फ कुछ दुखों से बचने के लिए आपने जीवन को समाप्त कर देना तो कायरता है। मैं आपको बताना चाहता हूँ कि आपत्तियां व्यक्ति को पूर्ण बनाने वाली हैं।
Hamen shairyapurvak fansi ki pratiksha karni chahiye. Yh mratyu sundar hogi, lekin aatmhtya karna, sirf kuch dukhon se bachne ke liye apne jivan ko samapt kar dena to kayarta hai. Main aapko batana chahta hun ki aapattiyan vyakti ko purn banane vali hain.
43. जैसे पुराना कपडा उतारकर नया बदला जाता है, वैसे ही मृत्यु है। मैं उससे डरूंगा नहीं, भागूंगा नहीं। कोशिश करूंगा कि पकड़ा जाऊं पर यूँ ही नहीं कि पुलिस आई और पकड़ कर ले गई। मेरे पास एक तरीका है कि कैसे पकड़ा जाऊं। मौत आएगी, आएगी ही पर मैं अपनी मौत को इतनी महंगी और भारी बना दूंगा कि ब्रिटिश सरकार रेत के ढेर की तरह उसके बोझ से ढक जाए।
Jaise purana kapda utarkar naya badla jata hai, vaise hi mratyu hai. Main usse darunga nhin, bhagunga nhin. Koshish karunga ki pakda jaaun pr yun nhin ki pulis aayi pakad kar le gayi. Mere paas ek tarika hai ki kaise pakda jaaun. Maut aayegi, aayegi hi pr main apni maut ko itni mahngi bhari bana dunga ki british srkar ret ke dher ki tarah uske bojh se dhak jaye.
44.आज मेरी कमजोरियां लोगों के सामने नहीं हैं। अगर मैं फांसी से बच गया तो वे जाहिर हो जाएंगी और इंकलाब का निशान मद्धिम पड़ जाएगा या शायद मिट ही जाए, लेकिन मेरे दिलेराना ढंग से हंसते-हंसते फांसी पाने की सूरत में हिन्दुस्तानी माताएं अपने बच्चों के भगत सिंह बनने की आरजू किया करेंगी और देश की आजादी के लिए बलिदान होने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि इंकलाब को रोकना इम्पीरियलिज्म की तमाम सर शैतानी कुबतों के बस की बात न रहेगी।
Aaj meri kamjiyan logon ke samne nhin hai. Agar main fansi se bach gya to ve jahir ho jayengi inklab ka nishan maddhim pad jayega ya shayad mil hi jaye, lekin mere dilerana dhang se hanste-hanste fansi pane ki surat me hindustani matayen apne bacchon ke Bhagat Singh banane ki aarju kiya karengi desh ki aajadi ke liye balidan hone valon ki tadat itni badh jayegi ki inklab ko rokna impearialijm ki tamam sar shaitani kubaton ke bas ki baat na rahegi.
45. मेरा नाम हिंदुस्तानी इंकलाब पार्टी का निशान बन चुका है और इंकलाब पसंद पार्टी के आदर्शों और बलिदानों ने मुझे बहुत ऊंचा कर दिया है। इतना ऊंचा कि जिंदा रहने की सूरत में इससे ऊंचा मैं हरगिज नहीं हो सकता। इसके सिवा कोई लालच मेरे दिल में फांसी से बचे रहने के लिए कभी नहीं आया, मुझसे ज्यादा खुशकिस्मत कौन होगा। मुझे आज तक अपने आप पर बहुत नाज है। मुझमें अब कोई ख्वाहिश बाकी नहीं है। अब तो बड़ी बेताबी से आखिरी इम्तहां का इंतजार है। आरजू है कि यह और करीब हो जाए।
Mera nam hindustani inklan party ka nishan ban chuka hai inklab pasand party ke aadarshon balidanon ne mujhe bahut uncha kar diya hai. Itna uncha ki jinda rahne ki surat me isse uncha main hargij nhin ho sakta. Iske siva koi lalach mere dil me fansi se bache rahne ke liye kabhi nhin aaya, mujhmr jyada khushkismat kaun hoga. Mujhe aaj tak apne aap pr bahut naaj hai. Mujhmen ab koi khvahish baki nhin hai. Ab to badi betabi se aakhiri imthan ka intjaar hai. Aarju hai ki yh karib ho jaye.
46. जिंदा रहने की ख्वाहिश कुदरती तौर पर मुझमें भी होनी चाहिए। मैं इसे छिपाना नहीं चाहता, लेकिन मेरा जिंदा रहना एक शर्त पर है। मैं कैद होकर या पाबंद होकर जिंदा रहना नहीं चाहता।
Jinda rahne ki khvahsh kudrati taur pr mujhme bhi honi chahiye. Main ise chipana nhin chahta, lekin mera jinda rahna ek shart pr hai. Main kaid hokar ya paband hokar jinda rahna nhin chahta.
47. मुझे फांसी का दंड मिला है, किंतु तुम्हें आजीवन कारावास दंड मिला है। तुम जीवित रहोगे और तुम्हें जीवित रहकर दुनिया को यह दिखाना है कि क्रांतिकारी अपने आदर्शों के लिए मर ही नहीं सकते, बल्कि जीवित रहकर हर मुसीबत का मुकाबला भी कर सकते हैं। मृत्यु सांसारिक कठिनाइयों से मुक्ति प्राप्त करने का साधन नहीं बननी चाहिए, बल्कि जो क्रांतिकारी संयोगवश फांसी के फंदे से बच गए हैं उन्हें जीवित रहकर दुनिया को यह दिखा देना चाहिए कि वे न केवल अपने आदर्शों के लिए फांसी पर चढ़ सकते हैं, जेलों की अंधकारपूर्ण छोटी कोठरियों में पुल-घुलकर निकृष्टतम दरजे के अत्याचार को सहन भी कर सकते हैं।
Mujhe fansi ka dand mila hai, kintu tumhen aajivan karavas dand mila hai. Tum jivit rahoge tumhen jivit rahkar duniya ko yh dikhana hai ki krantikari apne aadarshon ke liye mar hi nhin sakte, balki jivit rahkar har musibat ka mukabla bh kar sakte hain. Mratyu sansarik kathinayiyon se mukti prapt karne ka sadhan nhin banani chahiye, balki jo krantikari snyogvash fansi ke fande se badh gaye hain unhen jivit rahkar duniya ko yh dikha dena chahiye ki ve na keval apne aadarshon ke liye fansi pr chadh sakte hain, jailon ki andhkarpurn choti kothriyon me pul-ghulkar nikrashttam darje ke atyachar ko sahan bhi kar sakte hain.
48. मुझे दंड सुना दिया गया है और फांसी का आदेश हुआ है। इन कोठरियों में मेरे अतिरिक्त फांसी की प्रतीक्षा करने वाले बहुत-से अपराधी हैं। ये यही प्रार्थना कर रहे हैं कि किसी तरह फांसी से बच जाएं, परंतु उनके बीच शायद मैं ही एक ऐसा आदमी हूं जो बड़ी बेताबी से उस दिन की प्रतीक्षा कर रहा हूं जब मुझे अपने आदर्श के लिए फांसी के फंदे पर धूलने का सौभाग्य प्राप्त होगा। मैं खुशी के साथ फांसी के तख्ते पर चढ़कर दुनिया को दिखा दूंगा कि क्रांतिकारी अपने आदर्शों के लिए कितनी वीरता से बलिदान दे सकते हैं।
Mujhe dand suna diya gaya hai fansi ka aadesh huaa hai. In kothriyon me mere atirikt fansi ki pratiksha karne vale bahut se apradhi hain. Ye yahi prarthna kar rahe hain ki kisi tarah fansi se bach ayen, parantu unke bich shayad main hi ek aesa aadmi hun jo badi betabi se us din ki pratiksha kar raha hun jab mujhe apne aadarsh ke liye fansi ke fande pr jhulne ka saubhagya prapt hoga. Main khushi ke sath fansi ke takhte pr chadhkar duniya ko dikha dunga ki krantikari apne aadarshon ke liye kutni virta se balidan de sakte hain.
49. क्रांति से हमारा अभिप्राय समाज की वर्तमान प्रणाली और वर्तमान संगठन को पूरी तरह उखाड़ फेंकना है। इस उद्देश्य के लिए हम पहले सरकार की ताकत को अपने हाथ में लेना चाहते हैं। इस समय शासन की मशीन धनिकों के हाथ में है। सामान्य जनता के हितों की रक्षा के लिए तथा उनपर आदर्शों को क्रियात्मक रूप देने के लिए अर्थात समाज का नए सिरे से संगठन कार्ल मार्क्स के सिद्धांतों के अनुसार करने के लिए हम सरकार की मशीन को अपने हाथ में लेना चाहते हैं। हम इसी उद्देश्य के लिए लड़ रहे है, पंरतु इसके लिए हमें साधारण जनता को शिक्षित करना चाहिए।
Kranti se hamara abhipray samaj ki vartman pranali vartman sangathan ko puri tarah ukhad fenkna hai. Is uddeshya ke liye ham pahle sarkar ki takat ko apne hath me lena chahte hain. Is samay shasan ki mashin dhanikon ke hath me hai. Samanya janta ke hiton ki raksha ke liye tatha unpar aadarshon ko kriyatamk rup dene ke liye athart samaj ka naye sire se sangathan Carl Marks ke siddhanton ke anusar karne ke liye ham sarkar ki mashin ko apne hath me lena chahte hain. Ham isi uddeshya ke liye lad rahe hai, parntu iske liye hame sadharan janta ko shikshit karna chahiye.
50. यदि हमारे नौजवान इसी प्रकार प्रयत्न करते जाएंगे, तब जाकर एक साल में स्वराज्य तो नहीं, किंतु भारी कुर्बानी और त्याग की कठिन परीक्षा में से गुजरने के बाद वे अवश्य विजयी होंगे। क्रांति चिरंजीवी हो।
Yadi hamare naujvan isi prakar prayatn karte jayenge, tab jakar ek saal me svraj to nhin, kintu bhari kurbani tyag ki kathin pariksha me se gujrne ke bad ve avshya vijyi honge. Kranti chiranjivi ho.
51. हमारा लक्ष्य शासन शक्ति को उन हाथों के सुपुर्द करना है, जिनका लक्ष्य समाजवाद हो, इसके लिए मजदूरों और किसानों को संगठित करना आवश्यक होगा, क्योंकि उन लोगों के लिए लॉर्ड रीडिंग या इर्विन की जगह तेजबहादुर या पुरुषोत्तम दास, ठाकुर दास के उग जाने से कोई भारी फर्क न पड़ सकेगा।
Hamara lakshya shasan shakti ko un hathon ke supurd karna hai, jinka lakshya samajvad ho, iske liye majduron kisanon ko sangathit karna aavshyak hoga, kyonki un logon ke liye Ld Reading ya Irvin ki jagah Tejbahadur ya PUrushottam Das, Thakur Das ke ug jane se koi bhari fark na pad sakega.
52. भारत की वर्तमान लड़ाई ज्यादातर मध्य श्रेणी के लोगों के बलबूते पर लड़ी जा रही है, जिसका लक्ष्य बहुत सीमित है। कांग्रेस दुकानदारों और पूंजीपतियों के जरिए इंग्लैंड पर आर्थिक दबाव डालकर कुछ अधिकार ले लेना चाहती है, परंतु जहां तक देश के करोड़ों मजदूरों और किसान जनता का ताल्लुक है, उनका उद्धार इतने से नहीं हो सकता। यदि देश की लड़ाई लड़नी हो, तो मजदूरों, किसानों और सामान्य जनता को आगे लाना होगा, इन्हें लड़ाई के लिए संगठित करना होगा। नेता उन्हें अभी तक आगे लाने के लिए कुछ नहीं करते, न कर ही सकते है। इन किसानों को विदेशी हुकूमत के जुए के साथ-साथ भूमिपतियों और पूंजीपतियों के जुए से भी उद्धार पाना है।
Bharat ki vartman ladayi jyadatar madhya shreni ke logon ke balbute pr ladi ja rahi hai, jiska lakshya bahut simit hai. Congress dukandaron punjipatiyon ke jariye Inglend pr aarthik dbav dalkar kuch adhiktar le lena chahti hai, parantu jahan tak desh ke karodon majduron kisan janta ka talluk hai, unka uddhar itne se nhin ho sakta. Yadi desh ki ladayi ladni ho, to majduron, kisanon samanya janta ko aage lana hoga, inhen ladayi ke liye sangathit karna hoga. Neta unhen abhi tak aage lane ke liye kuch nhin karte, na kar hi sakte hai. In kisanon ko videshi hukumat ke juye ke sath-sath bhumipatiyon punjipatiyon ke liye juye se bhi uddhar pana hai.
53. समझौता भी ऐसा हथियार है, जिसे राजनीतिक जद्दोजहद के बीच में पग-पग पर इस्तेमाल करना आवश्यक हो जाता है जिससे एक कठिन लड़ाई से थकी हुई कौम को थोड़ी देर के लिए आराम मिल सके और वह आगे के युद्ध के लिए अधिक ताकत के साथ तैयार हो सके, परंतु इन सारे समझौतों के बावजूद जिस चीज को हमें भूलना न चाहिए वह हमारा आदर्श है जो हमेशा हमारे सामने रहना चाहिए। जिस लक्ष्य के लिए हम लड़ रहे हैं उनके संबंध में हमारे विचार बिल्कुल स्पष्ट और दृढ़ होने चाहिए।
Samjhauta bhi aesa hathiyar hai, jise rajnitik jaddojahad ke bich me pag-pag pr istemal katna aavshyak ho jata hai jisse ek kathin ladayi se thaki huyi kaum ko thodi der ke liye aaram mil sake vah aage ke yuddh ke liye adhik takat ke sath taiyar ho sake, parantu in sare samjhauton ke bavjud jis chij ko hamne bhulna na chahiye vah hamara aadarsh hai jo hamesha hamare samne rahna chahiye. Jis lakshya ke liye ham lad rahe hain unke sanbnadh me hamare vichar bilkul spasht dradh hone chahiye.
54. हमारे दल को नेताओं की आवश्यकता नहीं है। अगर आप दुनियादार हैं, बाल-बच्चों और गृहस्थी में फंसे है, तो हमारे मार्ग पर मत आइए। आप हमारे उद्देश्य में सहानुभूति रखते हैं तो और तरीकों से हमें सहायता दीजिए। नियंत्रण में रह सकने वाले कार्यकर्ता ही इस आदोलन को आगे ले जा सकते हैं।
Hamare dal ke netaon ki aavshyakta nhin hai. Agar aap duniyadar hain, baal-bachon grahsthi me fanse hai, to hamare marg pr mat aayiye. Aap hamare uddeshya me sahanubhuti rakhte hain to tarikon se hamen sahayta dijiye. Niyantran me rah sakne vale karyakarta hi is aandolan ko aage le ja sakte hain.
55. समझौता कोई ऐसी हेय और निंदा योग्य वस्तु नहीं, जैसा कि साधारणत: हम लोग समझते है, बल्कि समझौता राजनीतिक संग्रामों का एक अत्यावश्यक अंग है। कोई भी कौम जो किसी अत्याचारी शासन के विरुद्ध खड़ी होती है, यह जरूरी है कि वह आरंभ में असफल हो और अपनी लंबी जद्दोजहद के मध्यकाल में इस प्रकार के समझौते के जरिए कुछ राजनीतिक सुधार हासिल करती जाए, परंतु पहुंचते-पहुंचते अपनी ताकतों को इतना संगठित और दृढ़ कर लेती है और उसका दुश्मन पर आखिरी हमला इतना जोरदार होता है कि शासक लोगों की ताकतें उस वक्त तक यह चाहती हैं कि उसे दुश्मन के साथ कोई समझौता कर लेना चाहिए।
Samjhauta koi aesi hey ninda yogya vastu nhin, jaisa ki sadharantah ham log samajhte hain, balki samjhauta rajnitik sangramon ka ek atyavshyak ang hai. Koi bhi kaum jo kisi atyachari shasn ke viruddh khadi hoti hai, yh jaruri hai ki vah aaranbh me asafal ho apni lambi jaddojahad ke madhykal me is prakar ke samjhaute ke jariye kuch rajnitik sudhar hasil karti jaye, parantupahunchte-pahunchte apni takaton ko itna sangathit dradh kar leti hai uska dushman pr aakhiri hamala itna jdar hota hai ki shasak logon ki takaten us vakt tak yh chahti hain ki use dushman ke sath samjhauta kar lena chahiye.
56. यदि आप सोलह उगने के लिए लड़ रहे हैं और एक आना मिल जाता है, तो वह एक आना जेब में डालकर बाकी पंद्रह उगने के लिए फिर जंग छेड़ दीजिए। हिन्दुस्तान के माडरेटों की जिस बात से हमें नफरत है, वह यही है कि उनका आदर्श कुछ नहीं है। वे एक आने के लिए ही लड़ते हैं और उन्हें मिलता कुछ भी नहीं।
Yadi aap 16 ugne ke liye lad rahe hain ek aana mil jata hai, to vah ek aana jeb me dalkar baki 15 ugne ke liye fir jang ched dijiye. Hindustan ke maadreton ki jis baat se hamen nafrat hai, vah yahi hai ki unka aadarsh kuch nhin hai. Ve ek aane ke liye hi ladte hain unhen milta kuch bhi nhin.
57. यह बात प्रसिद्ध है कि मैं एक आतंककारी (टेररिस्ट) रहा हूं परंतु मैं आतंककारी नहीं हूं। मैं एक क्रांतिकारी हूं जिसके कुछ निश्चित विचार और निश्चित आदर्श हैं और जिसके सामने एक लंबा प्रोग्राम है। मुझे यह दोष दिया जाएगा, जैसा कि लोग रामप्रसाद बिस्मिल को भी देते थे कि फांसी की काल कोठारी में पड़े रहने से मेरे विचारों में भी कोई परिवर्तन उग गया है, परंतु ऐसी बात नहीं। मेरे विचार अब भी वही हैं, मेरे हृदय में अब भी उतना ही और वैसा ही उत्साह और वही लक्ष्य है जो जेल से बाहर था, पर मेरा यह दृढ़-विश्वास है कि हम बम से कोई लाभ प्राप्त नहीं कर सकते। यह बात हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के इतिहास से भी आसानी से मालूम पड़ती है। बम फेंकना न सिर्फ व्यर्थ है, अपितु बहुत बार हानिकारक भी है। उसकी आवश्यकता किंहीं विशेष परिस्थितियों में ही पड़ती है, हमारा मुख्य लक्ष्य मजदूर और किसानों का संगठन होना चाहिए।
Yh baat prasiddh hai ki main ek aatankkari raha hun parantu main aatankkari nhin hun. Main ek krantikari hun jiske kuch nishchit vichar nishchit aadarsh hain jiske samne ek lamba program hai. Mujhe yh dosh diya jayega, jaisa ki log Ramprasad Bismil ko bhi dete the ki fansi ki kaal kothari me pade rahne se mere vicharon me bhi koi parivartan ug gaya hai, parntu aesi baat nhin. Mere vichar ab bhi vahi hain, mere hradya me ab bhi utna hi utsah vahi lakshya hai jo jail se bahar tha, pr mera yh dradh-vishvas hai ki ham bamb se koi labh prapt nhin kar sakte. Yh baat hindustan socailist repblicon army ke itihas se bhi aasani se malum padti hai. Bamb fenkan na sirf vyarth hai, apitu bahut baar hanikarak bhi hai. Uski aavshyakta kinhin vishesh paristhitiyon me hi padti hai, hamara mukhya lakshya majdur kisnon ka sangathan hona chahiye.
58. जहां तक हमारे भाग्य का संबंध है, हम बड़े बलपूर्वक आपसे यह कहना चाहते हैं कि अपने हमें फांसी पर लटकाने का निर्णय कर लिया है, आप ऐसा करेंगे ही, आपके हाथों में शक्ति है और आपको अधिकार भी प्राप्त हैं, परंतु इस प्रकार आप ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस वाला’ सिद्धांत ही अपना रहे हैं और आप उस पर कटिबद्ध है। हमारे अभियोग की सुनवाई इस वक्तव्य को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि हमने कभी कोई प्रार्थना नहीं की और अब भी हम आपसे किसी प्रकार की दया की प्रार्थना नहीं करते। हम केवल आपसे यह प्रार्थना करना चाहते हैं कि आपकी सरकार के ही एक न्यायालय के निर्णय के अनुसार हमारे विरुद्ध युद्ध जारी रखने का अभियोग है, इस स्थिति में हम युद्ध-बंदी हैं, अत: इस आधार पर हम आपसे मांग करते हैं कि हमारे साथ युद्ध-बंदियों जैसा ही बर्ताव किया जाए और हमें फांसी देने के बदले गोली से उड़ा दिया जाए।
Jahan tak hamare bhagya ka sanbandh hai, ham bade balpurvak aapse yh kahana chahte hain ki apne hamen fansi pr latkane ka nirnya kar liya hai, aap aesa karenge hi, aapke hathon me shakti hai aapko adhikar bhi prapt hain, parntu is prakar aap jiski lathi uski bhains vala siddhant hi apna rahe hain aap us pr katibaddh hai. Hamare abhiyog ki sunvayi is vaktvya ko siddh karne ke liye pryapt hai ki hamne kabhi koi prarthna nhin ki ab bhi ham aapse kisi prakar ki daya ki prarthna nhin karte. Ham keval aapse yh prarthna karna chahte hain ki aapki sarkar ke hi ek nyayalya ke nirnaya ke anusar hamare viruddh yuddh jari rakhne ka abhiyog hai, is sthiti me ham yuddh-bandi hain, atah is aadhaar pr ham aapse mang karte hain ki hamare sath yuddh bandiyon jaisa hi bartav kiya jaye hamne fansi dene ke badle goli se uda diya jaye.
59. हम यह कहना चाहते हैं कि युद्ध छिड़ा हुआ है और यह लड़ाई तब तक चलती रहेगी, जब तक कि शक्तिशाली व्यक्तियों ने भारतीय जनता और श्रमिकों की आय के साधनों पर अपना एकाधिकार कर रखा है। चाहे ऐसे व्यक्ति अंग्रेज पूंजीपति हों या अंग्रेजी शासक या सर्वथा भारतीय ही हों, उन्होंने आपस में मिलकर एक लूट जारी रखी हुई है। चाहे शुद्ध भारतीय पूंजी-पतियों के द्वारा ही निर्धनों का खून चूसा जा रहा हो, तो भी इस स्थिति में कोई अंतर नहीं पड़ता।
Ham yh kahna chahte hain ki yuddh huaa hai yh ladayi tab tak chalti rahegi, jab tak ki shaktishali vyaktiyon ne bharitya janta shraminon ki aay ke sadhanon pr apna ekadhikar kar rakha hai. Chahe aese vyakti angrej punjipati hon ya angreji shasak ya sarvtha bhartiya hi hon, unhone aapas me milkar ek loot jari rakhi huyi hai. Chahe shuddh bhartiya punji-patiyon ke dvara hi nirdhanon ka khun chusa ja raha ho, to bhi is sthiti me koi antar nhin padta.
60. हम नौजवानों को बम और पिस्तौल उठाने की सलाह नहीं दे सकते। विद्यार्थियों के लिए और भी महत्त्वपूर्ण काम हैं। राष्ट्रीय इतिहास के नाजुक समय में नौजवानों पर बहुत बड़े दायित्व का भार है और सबसे ज्यादा विद्यार्थी ही तो आजादी की लड़ाई में अगली पांतों में लड़ते हुए शहीद हुए है। क्या भारतीय नौजवान इस परीक्षा के समय में वही संजीदा इरादा दिखाने में झिझक दिखाएंगे।
Ham naujvanon ko bamb pistol uthane ki salah nhin de sakte. Vidyarthiyon ke liye bhi mahatvpurnkaam hain. Rashtriy itihas ke najuk samay me naujvanon pr bahut bade dayitv ka bhaar hai sabse jyada vidyarthi hi to aajadi ki ladayi me agli panton me ladte huye shahid huye hain. Kya bhartiya naujvan is pariksha ke samay me vahi sanjida irada dikhane me jhijhak dikhayenge.
61. किसी ने सच ही कहा है, सुधार बूढ़े आदमी नहीं कर सकते। वे तो बहुत ही बुद्धिमान और समझदार होते हैं। सुधार तो होते हैं युवकों के परिश्रम, साहस, बलिदान और निष्ठा से, जिनको भयभीत होना आता ही नहीं और जो विचार कम और अनुभव अधिक करते हैं।
Kisi ne sach hi kaha hai, sudhar budhe aadmi nhin kar sakte. Ve to bahut hi buddhiman samajhdar hote hain. Sudhar to hote hain yuvakon ke parishram, sahas, balidan nishtha se, jinko bhaybhit hona aata hi nhin jo vichar kam anubhav adhik karte hain.