कंप्यूटर क्या है (Computer In Hindi) :
कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो इनफार्मेशन को प्रोसेस करता है अथार्त यह एक इनफार्मेशन प्रोसेसर है। कंप्यूटर एक तरफ से कच्ची इनफार्मेशन लेता है, उसे स्टोर करता है करता है फिर उस इनफार्मेशन पर प्रिक्रिया करता है तब रिजल्ट दूसरी तरफ पर निकलते हैं। कंप्यूटर की भाषा में कहा जाए तो इनफार्मेशन लेने को इनपुट, इनफार्मेशन मेमोरी में स्टोर होती है, इनफार्मेशन पर प्रक्रिया करता है जिसे प्रोसेसिंग कहा जाता है और इसके रिजल्ट को आउटपुट कहा जाता है।
एक बार जब आप समझ जाएंगे कि कंप्यूटर इनपुट कैसे लेता है, मेमोरी में स्टोर करता है, इसपर प्रोसेसिंग करता है और आउटपुट देता है तो आपको कंप्यूटर को समझने में आसानी हो जाएगी। computer शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के COMPUTE शब्द से हुई जिसका अर्थ होता है गणना करना। अतः यह स्पष्ट है कि कंप्यूटर का सीधा संबंध गणना करने वाले यंत्र से है वर्तमान में इसका क्षेत्र सिर्फ गणना करने तक सिमित न रहकर अत्यंत व्यापक हो चूका है।
कंप्यूटर अपनी उच्च संग्रह क्षमता, गति , स्वचालन, क्षमता, शुद्धता, सार्वभोमिकता, विश्वसनीयता, याद रखने की शक्ति की वजह से हमारे जीवन के हर क्षेत्र में आवश्यक होता जा रहा है। कंप्यूटर से कम समय में ज्यादा तेजी से गणनाएं की जा सकती है और कंप्यूटर द्वारा दिए गए परिणाम ज्यादा शुद्ध होते हैं।
आज के समय में विश्व के हर क्षेत्र में कंप्यूटर का इस्तेमाल हो रहा है जैसे – अन्तरिक्ष, फिल्म निर्माता, यातायात, उद्योग व्यापार, रेलवे स्टेशन, स्कुल, कॉलेज, एयरपोर्ट आदि। कंप्यूटर पर यहाँ एक ओर वायुयान, रेलवे तथा होटलों में सीटों का आरक्षण होता है वहीं दूसरी ओर बैंकों में कंप्यूटर के कारण कामकाज सटीकता और तेजी से होता है।
पर्सनल कम्पूटर क्या है : पर्सनल कंप्यूटर व्यक्तिगत उपयोग के लिए छोटा, अपेक्षाकृत कम खर्चीला डिजाइन किया गया कंप्यूटर है। यह माइक्रोप्रोसेसर प्रौद्योगिकी पर आधारित है। व्यापार में इसका उपयोग शब्द संसाधन, लेखांकन, डेस्कटॉप प्रकाशन, स्प्रेडशीट और डेटाबेस प्रबंधन के लिए होता है। घर में पर्सनल कंप्यूटर का उपयोग मनोरंजन के लिए, ईमेल देखने के लिए और छोटे-छोटे दस्तावेज तैयार करने के लिए होता है।
कंप्यूटर की विशेषताएं : यह तीव्र गति से कार्य करता है यानि समय की बचत होती है। यह त्रुटिरहित कार्य करता है। यह स्थायी और विशाल भंडारण क्षमता की सुविधा देता है। यह पूर्व निर्धारित निर्देशों के अनुसार तेजी से निर्णय लेने में सक्षम है।
कंप्यूटर के उपयोग : कंप्यूटर का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में, वैज्ञानिक अनुसंधान में, रेलवे और वायुयान आरक्षण में, बैंक में, रक्षा में, व्यापार में, संचार में, मनोरंजन में होता है।
कंप्यूटर के कार्य : कंप्यूटर का काम डेटा संकलन, डेटा संचयन, डेटा संसाधन, डेटा निर्गमन करना है।
कंप्यूटर के पार्ट्स (Computer parts In Hindi) :
कंप्यूटर के इनपुट, स्टोरेज, प्रोसेसिंग और आउटपुट इन चारों प्रोसेस में किसी भी कंप्यूटर सिस्टम के सभी मुख्य भाग शामिल हैं-
1. इनपुट : जब भी आप कीबोर्ड से टाइप करते हैं या माउस से क्लिक करते हैं तब आप कंप्यूटर को इनपुट दे रहे होते हैं जिसपर वह प्रोसेसिंग करता है। माइक्रोफोन से भी आप कंप्यूटर को इनपुट दे सकते हैं।
2. मेमोरी/स्टोरेज : जब आप किसी ही डोक्युमेंट को बनाते हैं तो पहले वह रैम में स्टोर रहती है जो टेंपररी ममोरी होती है। जब आप डोक्युमेंट सेव करते हैं तो वह परमानेंट मेमोरी जैसे हार्ड ड्राइव पर स्टोर हो जाती है।
3. प्रोसेसिंग : आपके कंप्यूटर का प्रोसेसर एक माइक्रोचिप होती है जो मदरबोर्ड पर स्थित होती है।
4. आउटपुट : कंप्यूटर के आउटपुट को आप अपने मॉनिटर पर देख सकते हैं या प्रिंट करते हैं। मॉनिटर और प्रिंटर आउटपुट डिवाइसेस हैं।
कंप्यूटर में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर (Hardware and software in computer) :
कंप्यूटर कई पार्ट्स और कंपोनेंट्स से बना होता है जो यूजर फंक्शनलिटी को आसान बनाता है। कंप्यूटर के दो मुख्य पार्ट होते हैं-
हार्डवेयर : हार्डवेयर में कंप्यूटर के फिजिकल पार्ट आते हैं जिसमें मदरबोर्ड, मेमोरी, स्टोरेज, कम्युनिकेशन डिवाइसेस और अन्य कीबोर्ड माउस जैसे पेरीफेरल डिवाइसेस शामिल हैं।
सॉफ्टवेयर : सॉफ्टवेयर ऐसे इंस्ट्रक्शंस का सेट होता है जो बताता है कि हार्डवेयर को क्या करना है और कैसे करना है सॉफ्टवेयर के उदाहरणों में ओएस, वेब ब्राउजर, गेम और वर्ड प्रोसेसर शामिल हैं। सॉफ्टवेयर दो प्रकार के होते हैं एक सिस्टम सॉफ्टवेयर और दूसरा एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर।
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application software In Hindi) :
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर जिसे विशेष उपयोगिताओं के लिए बनाया गया है। एप्लीकेशन प्रोग्राम सामान्य उद्देश्यों के लिए बनाए जाते हैं जैसे उपज का लेखा-जोखा, सामान्य बुक और खाता-बही बनाना आदि। यह पैकेज बैंकों, अस्पतालों, बिमा कंपनियों, पब्लिकेशनों के लिए बनाए जाते हैं। एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को दो भागों में बांटा जाता है –
1. विशेष उद्देश्यीय एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर : यह वे प्रोग्राम है जो उपभोक्ता की जरूरतों क अनुरूप विशेष तौर पर बनाए जाते हैं। इन सॉफ्टवेयर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह उपभोक्ताओं की सभी जरूरतों को पूरा करते हैं। इस तरह जे सॉफ्टवेयरों की मुख्य हानि यह होती है कि ये सामान्य उद्देश्यीय सॉफ्टवेयरों की तुलना में महंगे होते हैं।
2. सामान्य उद्देश्यीय एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर : यह वे प्रोग्राम है जो लोगों के सामान्य जरुरी कामों को करने के लिए बनाए जाते हैं। हर प्रोग्राम इस तरीके से लिखा जाता है कि वह बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं पर लागू हो। इस सॉफ्टवेयर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह सस्ता है लेकिन सबसे बड़ी हानि यह है कि यह उपभोक्ताओं की सभी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता।
कंप्यूटर के बेसिक पार्ट्स (Basic Computer Parts In Hindi) :
कंप्यूटर में कुछ बेसिक पार्ट होते हैं जिनका भिन्न-भिन्न रोल होता है और वे कंप्यूटिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
1. कंप्यूटर केस : कंप्यूटर केस धातु और प्लास्टिक का बॉक्स होता है जिसमें कंप्यूटर के मुख्य कंपोनेंट्स होते हैं जिसमें मदरबोर्ड, सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट, हार्ड ड्राइव और पॉवर सप्लाई यूनिट शामिल है। कंप्यूटर केस के सामने आमतौर पर एक ऑन/ऑफ बटन और ऑप्टिकल ड्राइव होते हैं। कंप्यूटर केस भिन्न-भिन्न शेप और साइज में आते हैं।
2. मॉनिटर : मॉनिटर कंप्यूटर केस के अंदर स्थित वीडियो कार्ड के साथ काम करता है और स्क्रीन पर टेक्स्ट, इमेजेस और वीडियो डिस्प्ले करता हैं। मॉनिटर के एलसीडी और LED टाइप होते हैं। पुराने मॉनिटर CRT होते थे जिन्हें अब यूज नहीं किया जाता। कुछ मॉनिटर में बिल्ट इन स्पीकर भी होता है।
3. कीबोर्ड : कई प्रकार के इनपुट डिवाइस हैं लेकिन विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में कीबोर्ड ही किसी भी कंप्यूटर में सबसे ज्यादा प्रयोग किए जाने वाला इनपुट डिवाइस हैं। कंप्यूटर के साथ कम्युनिकेट करने के लिए कीबोर्ड एक मुख्य तरीका है। बहुत से भिन्न-भिन्न तरह के कीबोर्ड हैं जैसे- स्टैण्डर्ड, मल्टीमीडिया, पोर्टेबल और फोल्डबल।
4. माउस : कंप्यूटर के साथ कम्युनिकेट करने के लिए माउस भी एक महत्वपूर्ण टूल है। आमतौर पर इसे एक पोइंटिंग डिवाइस के रूप में जाना जाता है इसे आप स्क्रीन पर ओब्जेक्ट्स को पॉइंट करने के लिए इस्तेमाल करते हैं उन पर क्लिक करते हैं और उन्हें मूव करते हैं। माउस के तीन मुख्य प्रकार है- ऑप्टिकल, मैकेनिकल और वायरलेस। मैकेनिकल अब पुराना टाइप है।
कंप्यूटर्स के साथ उपयोग होने वाले पेरीफेरल्स (Peripherals used with computers In Hindi) :
कंप्यूटर के साथ आप बहुत तरह के डिवाइसेस को प्लग करते हैं। इन्हें पेरीफेरल कहा जाता है। चलो सबसे आम पेरिफेरल में से कुछ पर एक नजर डालें।
1. प्रिंटर्स : प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइसेस हैं जिसे हम डोक्युमेंटस, फोटो या कुछ भी प्रिंट करने के लिए उपयोग करते हैं। प्रिंटर बहुत से टाइप के होते हैं जैसे – Dot-Matrix Printers, Daisy wheel printers, Line printers, Drum printer, Ink-jet printers, Laser printers, Multifunction printer.
2. स्कैनर : स्कैनर इनपुट डिवाइस हैं। इमेजेस या डोक्युमेंटस स्कैन कर पीसी में आप इन्हें सेव कर सकते हैं। स्कैन के कुछ टाइप इस तरह के होते हैं जैसे – Flatbed, Sheet-fed, Handheld और Drum scanners.
3. स्पीकर्स/हैडफोनस : स्पीकर या हेडफोन आउटपुट डिवाइस होते हैं। इनसे आप कंप्यूटर में प्ले हो रहे साउंड को सुन सकते हैं।
4. माइक्रोफोनस : माइक्रोफोन एक इनपुट डिवाइस का प्रकार है। कंप्यूटर में अपनी साउंड को रिकोर्ड करने या किसी के साथ बात करने के लिए एक माइक्रोफोन कनेक्ट कर सकते हैं। बहुत से लैपटॉप इंटरनल माइक्रोफोन के साथ आते हैं।
5. वेब कैमेरास : वेब कैमरा या वेबकैम एक इनपुट डिवाइस है जो वीडियो रिकॉर्ड कर सकता है और इमेज कैप्चर कर सकता है। रियल टाइम में वीडियो रिकॉर्ड करने या वीडियो चैट अथवा वीडियो कॉन्फरसिंग करने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है।
कंप्यूटर के अंदर के भाग (Inside Parts In Computer In Hindi) :
क्या आपने कभी भी अपने कंप्यूटर केस के भीतर देखा है? इसके छोटे पार्ट कॉम्प्लिकेटेड लग सकते हैं लेकिन कंप्यूटर केस के भीतर वास्तव में यह सब रहस्यमय नहीं है। यहाँ पर आप कुछ बुनियादी पार्ट के बारे में थोडा और ज्यादा समझेंगे।
1. मदरबोर्ड : मदरबोर्ड कंप्यूटर का मुख्य सर्किट बोर्ड है। यह एक पतली प्लेट है जिसमें सीपीयू, हार्ड ड्राइव और ऑप्टिकल ड्राइव के लिए कनेक्टर्स, वीडियो और ऑडियो को कंट्रोल करने के लिए एक्सपेंशन कार्ड और आपके कंप्यूटर के पोर्ट के कनेक्शन हैं। मदरबोर्ड कंप्यूटर के प्रत्येक कंपोनेंट्स को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कनेक्ट करता है।
2. सीपीयू/प्रोसेसर : सीपीयू जिसे प्रोसेसर भी कहा जाता है कंप्यूटर के केस में मदरबोर्ड पर स्थित होता है। इसे कंप्यूटर का ब्रेन कहा जाता है। यह इनपुट की गई इनफार्मेशन पर प्रोसेस कर आउटपुट प्रोड्यूस करता है। सीपीयू आमतौर पर एक सिलिकॉन चिप के साथ दो इंच सिरेमिक स्क्वायर होता है। यह चिप मदरबोर्ड के सीपीयू सॉकेट में फिट बैठती है जिसे हित सिंक से कवर किया जाता ही जो सीपीयू से गर्मी को सोख लेता है। जैसा आप सोचते हैं कि सीपीयू की स्पीड और परफॉरमेंस ही वह सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर है जो निर्धारित करता है कि कंप्यूटर कैसे काम करेगा। प्रोसेसर की स्पीड को मेगाहर्टज या गीगाहर्टज में मापा जाता है। फास्टर प्रोसेसर इंस्ट्रक्शन को ज्यादा तेजी से एक्सीक्यूट कर सकता है।
3. RAM : RAM आपके सिस्टम की शॉर्ट-टर्म मेमोरी है। कंप्यूटर में रन हो रहे सभी प्रोसेस को टेंपरेरी रूप से RAM में स्टोर किया जाता है। कंप्यूटर में जितनी ज्यादा कैपेसिटी की रैम होगी उतने ही ज्यादा एप्लीकेशन पर आप एक साथ काम कर सकते हैं। कंप्यूटर बंद होने पर यह शॉर्ट-टर्म मेमोरी गायब हो जाती है। अगर आप किसी वर्ड, स्प्रेडशीट या दूसरे प्रकार की फाइल पर काम कर रहे हैं तो आपको इसे खोने से बचने के लिए इसे सेव करना होगा। जब आप कोई फाइल सेव करते हैं तो यह डेटा हार्ड ड्राइव पर स्टोर होता है जो परमानेंट स्टोरेज के रूप में काम करता है। RAM इ स्पीड MB या GB में होती है। आपके पास जितनी ज्यादा RAM होती है उतनी ही ज्यादा चीजें कंप्यूटर में एक समय में कर सकते हैं।
4. हार्ड ड्राइव : हार्ड ड्राइव डेटा का परमानेंट स्टोरेज है। आपके कंप्यूटर का सारा डाटा इसी पर स्टोर होता है। हार्ड डिस्क या HDD के आईडीई हार्ड ड्राइव्स, SATA हार्ड ड्राइव्स और SCI हार्ड ड्राइव्स मुख्य प्रकार हैं। आज पर्सनल कंप्यूटर में हार्ड डिस्क 80GB, 120GB, 160GB, 250GB, 320GB, 500GB, 1TB, 2TB कैपेसिटी की होती हैं।
5. ऑप्टिकल ड्राइव : ज्यादातर डेस्कटॉप या नोटबुक कंप्यूटर ऑप्टिकल ड्राइव के साथ आते हैं जो एक CD/DVD या ब्लू रे डिस्क होती है।
6. पॉवर सप्लाई यूनिट : Switched-Mode Power Supply वॉल आउलेट से AC इनपुट लेता है पॉवर फैक्टर करेक्शन करता है और फिर आउटपुट को कम वोल्टेज DC आउटपुट में कंवर्ट करता है। यह मदरबोर्ड और अन्य कंपोनेंट्स के लिए केबल के माध्यम से बिजली भेजता है।
कंप्यूटर का इतिहास (History of computer In Hindi) :
मानव के लिए गन्ना करना शुरू से ही मुश्किल रहा है। मनुष्य बिना किसी मशीन के एक सीमित स्तर तक ही गणना कर सकता है। अधिक लंबी गणना करने के लिए मनुष्य की मशीन पर ही निर्भर रहना पड़ता है इसी जरूरत को पूरा करने के लिए मनुष्य ने कंप्यूटर का निर्माण किया। पूरे कंप्यूटर का निर्माण 3000 हजार वर्ष पूर्व से लेकर सन् 1948 तक पूरा हुआ था।
कंप्यूटर के लाभ (Benefits of Computer In Hindi) :
आज के समय में हर जगह पर कंप्यूटर का बहुत बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जा रहा है इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मनुष्य के मुकाबले बहुत तीव्रता से काम करता है, यह बहुत बड़ी गणना को कुछ ही सेकेंडों में कर सकता है। आज हर चीज कंप्यूटर पर उपलब्ध है आप बहुत सारा डाटा कंप्यूटर में स्टोर कर सकते हैं और उसे कभी भी उपयोग में ला सकते हैं और अगर आपके पास इंटरनेट की सुविधा है तो आप क्लाउड स्टोरेज का उपयोग करके इंटरनेट पर भी अपने डाटा को सुरक्षित रख सकते हैं।
आप कभी-भी और कहीं भी अपने दोस्तों के संपर्क में वीडियो कॉल, ईमेल, सोशल नेटवर्किंग जैसी सुविधाओं के माध्यम से जुड़े रह सकते हैं। आप इंटरनेट पर कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। बैंकिंग जैसी सुविधाओं में कंप्यूटर तकनीक बहुत आगे चल रही है। आप अपने घर बैठे-बैठे अपने मोबाइल फोन से या कंप्यूटर से किसी भी रूपए ट्रांसफर कर सकते हैं।
आज के समय में मोबाइल रिचार्ज, बिजली का बिल जमा करवाने से लेकर ऑनलाइन शोपिंग यहाँ तक कि हवाई जहाज तक कंप्यूटर द्वारा उडाए जा रहे हैं वह भी बिना कोई गलती किए। शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में कंप्यूटर ने दुनिया को ही बदल दिया है। आप घर पर बैठकर ही बेस्ट टीचर्स/संस्थाओं से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं और चिकित्सा की बात की जाए तो दुनिया के बेहतरीन डॉक्टर्स से इंटरनेट पर ही बातचीत कर सकते हैं और अब तो मेडिकल स्टोर जाने की आवश्यकता भी नहीं है आप घर बैठे ही दवाईयां ऑर्डर कर सकते हैं चाहे वह आपके शहर में मिलती हों या न मिलती हों।
कंप्यूटर की हानि (Computer losses In Hindi) :
यहाँ पर कंप्यूटर लोगों को स्मार्ट बना रहा है वहीं पर इसका आवश्यकता से अधिक प्रयोग बीमारी भी बन रहा है। कंप्यूटर और मोबाइल का ज्यादा प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहा है। मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन पर अधिक निरंतर देखते रहने से सबसे अधिक आँखों को नुकसान पहुंचता है। लोगों का एक-दूसरे से मिलना-जुलना बंद हो गया है। ज्यादातर लोग किसी के घर जाकर मिलने से बेहतर उनसे नेटवर्किंग साईट जैसे फेसबुक और व्हाट्सएप चैट करना अधिक पसंद करते हैं यहाँ तक कि एक घर में रहने वाले चार व्यक्ति भी अपने-अपने मोबाइल फोन से ही चिपके रहते हैं।
बड़ी-बड़ी कंपनियों और फैक्ट्रियों में बहुत से मजदूरों का काम कंप्यूटर और रोबोट करने लगे हैं जिससे बेरोजगारी की समस्या बढ़ रही है। इंटरनेट बैंकिंग का प्रयोग सावधानी से न करने की जगह पर आपके पर्सनल डाटा के चोरी होने का खतरा बना रहता है जिससे कई यूजर्स को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। ऐसा सोशल नेटवर्किंग साइट पर भी सावधानी से काम न करने पर भी होता है। इंटरनेट के माध्यम से ठगी बहुत बड़े पैमाने पर बढ़ गए हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है : सही शब्दों में ऑपरेटिंग सिस्टम के बिना कंप्यूटर टिन के डिब्बे से ज्यादा और कुछ भी नहीं है। ऑपरेटिंग सिस्टम ही वह माध्यम होता है जिसकी मदद से हम अपनी बात कंप्यूटर हार्डवेयर तक पहुंचा पाते हैं या हार्डवेयर को कमांड दे पाते हैं। ऑपरेटिंग हार्डवेयर और यूजर्स के बीच एक बांध का काम करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम के माध्यम से ही हम कीबोर्ड से कोई लैटर टाइप करके प्रिंटर से उसका प्रिंट निकाल सकते हैं।
ब्राउजर : एक ऐसा अनुप्रयोग जिसके द्वारा विश्वजाल पर उपलब्ध जालस्थलों को देखा और उनपर काम किया जाता हैकुछ प्रचलित ब्राउजर हैं- इंटरनेट एक्सप्लोरर, मोजिला फायरफॉक्स, गूगल क्रोम एवं एप्पल सफारी आदि।
ब्राउजर एक्सटेंशन : यह एक ऐसा छोटा प्रोग्राम होता है जो ब्राउजर के साथ जुड़कर उसकी क्षमताओं का विस्तार करता है। यह प्लगिन से अलग होता है क्योंकि जहाँ प्लगिन के द्वारा ब्राउजर नए प्रारूप की जानकारी पर काम कर सकता है वहीं एक्सटेंशन ब्राउजर में पहले से उपलब्ध क्षमताओं को नए स्वरूप में प्रयोग करके उसकी क्षमताओं को निखारते हैं। फायरफॉक्स के 4500 से ज्यादा एक्सटेंशन उपलब्ध हैं। क्रोम, सफारी, ऑपरा के लिए भी बहुत संख्या में एक्सटेंशन उपलब्ध हैं।
इंटरनेट : इंटरनेट का अर्थ उच्चस्तरीय कंप्यूटर का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक-दूसरे से जुडाव है। ये जुडाव नेटवर्क केबलों, टेलीफोन केबलों, माइक्रोवेव दिश, सैटेलाइट और दूसरे तरह के आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के द्वारा संभव किया जाता है। इंटरनेट विश्व के विभिन्न नेटवर्कों से संबंध रखने वालों हजारों कंप्यूटर का एक जुडाव है। इससे नेटवर्किंग के माध्यम से विश्व में किसी भी जगह से विभिन्न प्रकार की सूचनाओं में भागीदारी की जा सकती है।
यूआरएल : यूआरएल एक इंटरनेट पर किसी भी संसाधन का पता देने के लिए स्टैंडर्ड तरीका है। यह इंटरनेट पर उपलब्ध सूचनाओं का पता बताता है और उस सुचना के प्रोटोकॉल और डोमेन नेम को भी दर्शाता है।
यूपीएस : यूपीएस का पूरा नाम Uninterruptible Power Supply है। यह बैटरी से संचालित उपकरण है जिसके द्वारा कंप्यूटर में अनवरत विद्युत आपूर्ति बनी रहती है। यह कंप्यूटर को तब पॉवर देता है जब अचानक मुख्य सप्लाई से पॉवर कट जाती है। यूपीएस के भीतर एक बैटरी लगी होती है जो 20 से 40 मिनट तक पॉवर दे सकती है। इससे हमें यह फायदा होता है कि जब मुख्य सप्लाई से पॉवर आणि बंद हो जाती है उस वक्त हम कंप्यूटर को ढंग से बंद कर सकते हैं।
टीसीपी/आईपी : टीसीपी का अर्थ है ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल और आईपी का अर्थ है इंटरनेट प्रोटोकॉल। यह नियमों का एक समूह है जो इंटरनेट कैसे काम करता है यह फैसला करता है। यह दो कंप्यूटर के मध्य सूचना स्थांतरण और संचार को संभव करता है। इनका प्रयोग डाटा को सुरक्षित ढंग से भेजने के लिए किया जाता है। टीसीपी की भूमिका डाटा को छोटे-छोटे भागों में बांटने की होती है और आईपी इन पैकिटों पर लक्ष्य स्थल का पता अंकित करता है।
आईपी एड्रेस : आईपी एड्रेस चार संख्याओं का एक समूह है जो डॉट से अलग किया जाता है। जिसका एक भाग नेटवर्क का पता और दूसरा भाग नोड पता है। नेटवर्क में जुड़े प्रत्येक नोड का आईपी एड्रेस खास और भिन्न-भिन्न होता है।
डोमेन नेम : डोमेन नेम एक विशेष नाम है जो इंटरनेट साईट की पहचान बताता है। किसी इंटरनेट वेबसाइट का यूआरएल के अंत में डॉट के बाद के नेम को डोमेन कहते हैं। यह किसी संस्था या देश को इंगित करता है। कुछ महत्वपूर्ण डोमेन नेम हैं –
.acro – एविएशन
.gov – सरकारी संस्था
.in – भारत
.net – नेटवर्क
.name – पर्सनल
.jobs – नोकरी
.biz – बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन
.edu – शैक्षिक संस्था
.org – ऑर्गेनाइजेशन
.mil – सैनिक
.asia – एशिया
.com – कॉमर्शियल
कंप्यूटर की भाषाएँ : मनुष्य को एक-दूसरे से बात करने के लिए भाषा की जरुरत होती है। भाषा संचार का एक साधन है बिलकुल उसी तरह कंप्यूटर से बात करने के लिए हमें कंप्यूटर की भाषाओँ की जानकारी होनी चाहिए। कंप्यूटर की भाषाएँ अनेक तरह की होती हैं जिनके अपने ही संकेत, कैरेक्ट और प्रयोग करने के नियम होते हैं जो इंसान को कंप्यूटर से बात करने में मदद करते हैं।
तार्किक रूप से संबंधित निर्देशों का समूह जिसे क्रमानुसार व्यवस्थित किया होता है ताकि वह कंप्यूटर को समस्या सुलझाने में रास्ता दिखाए प्रोग्राम कहलाता है। वे भाषाएं जिनमे प्रोग्राम लिखे जाते हैं प्रोग्रामिंग कहलाती हैं। सही परिणाम पाने के लिए इसे ठीक ढंग से प्रोग्राम किया जाना जरुरी होता है। प्रोग्रेमिंग भाषाओं को तीन वर्गों में बांटा जाता है – 1. मशीनी भाषा, 2. असेम्बली भाषा, 3. उच्च स्तरीय भाषा।
लैंग्वेज प्रोसेसर : कंप्यूटर सिर्फ मशीनी भाषा समझता है जो दो अंकों पर आधारित होती है लेकिन प्रोग्रामर मशीनी भाषा में प्रोग्राम लिखने में असमर्थ होता है। स्त्रोत भाषा में लिखे गए ये प्रोग्राम कंप्यूटर के लिए मशीनी भाषा में बदल दिए जाते हैं। ये भाषा प्रोसेसर उच्च स्तरीय भाषा को मशीनी भाषा में और मशीनी भाषा को उच्च स्तरीय भाषा में अनुवाद करते हैं। मशीनी भाषा की तुलना में उच्च स्तरीय भषा में प्रोग्राम लिखना आसान होता है।
भाषा प्रोसेसर के प्रकार (Types of language processors) :
भाषा प्रोसेसर तीन तरह के हैं-
1. अनुवादक : वह प्रोग्राम जो असेम्बली भाषा के प्रोग्रामों का अनुवाद मशीनी भाषा में करता है अनुवादक कहलाता है।
2. इंटरप्रेटर : वह प्रोग्राम जो उच्च स्तरीय भाषा में लिखे प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषा में करता है इंटरप्रेटर कहलाता है। यह एक के बाद एक लाइन का अनुवाद करता है इसलिए हर वाक्य में होने वाली त्रुटियों को मॉनिटर पर एक के बाद एक करके ददिखाता है। यहाँ पर त्रुटियों को ढूँढना और उन्हें दूर करना बहुत सरल होता है। कई बार तो हम गलती का तभी पता लगा पाते हैं जब हम कंप्यूटर पर निर्देश टाइप करते हैं।
3. कम्पाइलर : यह उच्च स्तरीय भाषा को मशीनी भाषा में बदल देता है। जब प्रोग्राम पूरी तरह से कंप्यूटर में डाल दिया जाता है तब यह पूरे प्रोग्राम को एक ही बार में अनुवाद कर देता है। इससे शीघ्रता से पूरा प्रोग्राम मशीनी भाषा में अनुवादित हो जाता है और अगर इसमें कुछ त्रुटियाँ हैं वे एक ही समय में स्क्रीन पर आ जाती हैं। जब सभी त्रुटियों को दूर कर दिया जाता है तो उस प्रोग्राम को फिर से अनुवादित किया जाता है।
मेल मर्ज : मेल मर्ज सुविधा से हम व्यक्तिगत पत्र, पत्रों के लिए लिफाफे और मेलिंग लिस्ट में लिखे हर व्यक्ति के मेलिंग लेबल तैयार कर सकते हैं। कई बार हमें एक जैसे पत्र अनेक नामों और पतों के साथ भेजने होते हैं। हमारी इस समस्या का समाधान मेल मर्ज सुविधा में है। मेल-मर्ज सुविधा से आप अनेक पत्रों को भेज सकते हैं, मेलिंग लेबल बना सकते हैं और अलग-अलग नाम और पते लिख सकते हैं।
- मेल मर्ज के भाग : मेल मर्ज के तीन भाग होते हैं-
- 1. मुख्य दस्तावेज : मेल मर्ज में उच्च दस्तावेज ही सार्वजनिक पत्र होता है जिसमें मर्ज को चलाने के लिय निर्देश होते हैं। इसमें सामान्य टेक्स्ट के साथ फिल्ड के नाम होते हैं। मुख्य दस्तावेज में सूचनाएं ठीक वैसी ही रहती हैं। वर्ड मर्ज दस्तावेजों में उन विशेष स्थानों, नामों और पतों का प्रवेशन करता है। मर्ज दस्तावेज में शब्दों को डालने से पहले आपको मुख्य दस्तावेज में फील्ड के नामों का प्रवेशन करना चाहिए।
- 2. फील्ड नेम : फील्ड नेम इस बात की तरफ संकेत करता है कि बदली जाने वाली सूचनाओं का प्रवेशन कहाँ होना है। डाटा सोर्स में, फील्ड के नाम हर कॉलम में सुचना के वर्गों की तरफ संकेत करते हैं। इनका मिलान डाटा फाइन में फील्ड नामों के साथ होना चाहिए।
- 3. डाटा स्त्रोत : डाटा फाइन में वे सूचनाएं होती हैं जिन्हें मुख्य दस्तावेज लेना होता है। डाटा सोर्स को डाटा फाइल भी कहा जाता है। आप इसमें सिर्फ वाक्यों को ही स्टोर नहीं कर सकते बल्कि कोई भी टेक्स्ट या डाटा जिसे आप बार-बार प्रयोग करना चाहते हैं स्टोर कर सकते हैं।
डेटा संचार : डेटा संचार दो या दो से अधिक केंद्रों के मध्य डिजिटल या एनालॉग डेटा का स्थानांतरण है जो आपस में संचार चैनल से जुड़ा होता है।
डॉस (DOS) : डॉस एक ऑपरेटिंग सिस्टम है। किसी कंप्यूटर सिस्टम के आसान कामों को करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर है। इसका पूरा नाम डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम उपभोक्ता और कंप्यूटर सिस्टम के बीच माध्यम का कार्य करता है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम के माध्यम से कंप्यूटर को चलाने से पहले ऑपरेटिंग सिस्टम को मेमोरी में लोड करना जरुरी है।
डॉस हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच एक माध्यम का काम करता है। यह उन कमांडों को परिवर्तित करता है जो कीबोर्ड की सहायता से ऐसी भाषा डाली जाती है जिन्हें कंप्यूटर आसानी से समझ सके। इसे डिस्क पर स्टोर किया जाता है और यह आपकी हार्ड डिस्क से मेमोरी में लोड किया जाता है।
आप विशेष कमांडों के प्रयोग से निम्नलिखित कामों ओ कर सकते हैं जैसे- फाइल को बनाना या मिटाना और फाइल के नमीं को बदलना, आप स्टोर की गई फाइलों की सूचि देख सकते हैं, आप हार्डवेयर को दो भागों में बाँट सकते हैं, नई फ्लॉपी डिस्क को फॉर्मेट कर सकते हैं, आप हार्ड डिस्क से फ्लॉपी में और फ्लॉपी डिस्क से हार्ड डिस्क में बैकअप ले सकते हैं।
एमएसवर्ड : एमएसवर्ड एक सोफ्टवेयर है जो वर्ड प्रोसेसिंग काम के लिए उपलब्ध है विंडो ऑपरेटिंग सिस्टम में। यह बहुत ही प्रचलित एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है जो न सिर्फ वर्ड प्रोसेसिंग करता है बल्क डीटीपी काम भी करता है। जब आप वर्ड में काम कर रहे होते हैं तो समय-समय पर आपको अपना दस्तावेज सेव करना पड़ता है। इसके लिए आपको ऑटो सेव विकल्प का चयन करना होता है।
हैकर : वह व्यक्ति जो अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए अन्य व्यक्तियों के कंप्यूटर और कंप्यूटर नेटवर्क से जानकारी गैर क़ानूनी तरीके से उसे हानि पहुँचने के लिए प्राप्त करता है हैकर कहलाता है। ‘
स्पैम : इंटरनेट पर लोगों को संदेश या विज्ञापन बार-बार भेजना जिसका उन्होंने अनुरोध नहीं किया है स्पैम कहलाता है यानि अवांछित संदेश या विज्ञापन लोगों को भेजना स्पैम कहलाता है।
मल्टी टास्किंग : बहुत से कामों को कंप्यूटर पर किए जाने के लिए एक-दूसरे के सहारे में जरुरत होती है। यह काम मेमोरी में एक बार में स्टोर किये जा सकते हैं और ऑपरेटिंग सिस्टम यह निर्धारित करता है कि किस प्रोग्राम को कितने वक्त के लिए प्रोसेस करना है और कब अगले प्रोग्राम को प्रोसेसिंग के लिए जाना है।
मल्टी प्रोसेसिंग : मलती टास्किंग प्रणाली में डी या दो से ज्यादा स्वतंत्र प्रोसेसर आपस में सामंजस्य प्रणाली के तहत जुड़े होते हैं। इस प्रकार की प्रणाली में एक या अनेक प्रोग्रामों से आने वाले निर्देश एक ही समय में भिन्न-भिन्न प्रोसेसरों के द्वारा प्रोसेस किए जा सकते हैं।
मॉडेम : मॉडेम एक उपकरण है जो कंप्यूटर को डेटा को संचारित करने में सक्षम बनाता है उदाहरण के लिए टेलीफोन या केबल लाइन। यह एक तरह का हार्डवेयर डिवाइस है जो एनालॉग और डिजिटल देता के बिच वास्तविक वक्त में दो तरफा नेटवर्क संचार के लिए परिवर्तित होता है। यह कंप्यूटर या राउटर को ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोड़ता है। मॉडेम की गति को बीपीएस और केबीपीएस में मापा जाता है।
सोशल नेटवर्किंग : सोशल नेटवर्किंग, दोस्तों, परिवारों, सहपाठियों, ग्राहकों और ग्राहकों के साथ संबंध बनाने के लिए इंटरनेट आधारित सोशल मिडिया कार्यक्रमों का उपयोग है। ब्रांड पहचान और वफादारी बढ़ाने के लिए विपणक सोशल नेटवर्किंग का उपयोग करते हैं।
पेन ड्राइव : पेन ड्राइव एक पोर्टेबल यूनिवर्सल सीरियल बस फ्लैश मेमोरी डिवाइस है जिससे कंप्यूटर से ऑडियो, वीडियो और डेटा फाइलों को संग्रहित और स्थानांतरित किया जाता है। यह छोटे की रिंग के आकर का होता है तथा आसानी से यूएसबी संगत प्रणालियों के बीच फाइलों के स्थानांतरण तथा संग्रहण करने के लिए उपयोग होता है। यह भिन्न-भिन्न क्षमताओं में उपलब्ध है। इसे पीसी के यूएसबी पोर्ट में लगाकर उपयोग किया जाता है। इसे फ्लैश ड्राइव भी कहा जाता है। यह ई-ई मेमोरी का एक उदाहरण है। एक पेन ड्राइव में आमतौर पर एक बड़ी भंडारण क्षमता होती है और त्वरित डेटा स्थानांतरण प्रदान करता है।
डिस्क ड्राइव : डिस्क ड्राइव्स का प्रयोग सीडी रोम या फ्लॉपी डिस्क में जमा आंकड़ों को पढने और लिखने के लिए किया जाता है। जब हम डिस्क को डिस्क ड्राइव में डालते हैं तो यह एक मोटर की सहायता से डिस्क को घुमाता है। यह सभी डिस्क आंकड़ों को भविष्य में प्रयोग के लिए स्थायी तौर पर जमा करते हैं इसलिए ये स्टोरेज उपकरण भी कहलाते हैं।
इ-कॉमर्स : इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स इंटरनेट जैसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर व्यापार करने का एक तरीका है। ई-कॉमर्स के अंतर्गत वस्तुओं या सेवाओं को खरीद या बिक्री इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम जैसे- इंटरनेट के द्वारा होता है। यह इंटरनेट पर व्यापार है। ई-कॉमर्स को व्यापक रूप से इंटरनेट पर उत्पादों की खरीदारी और बिक्री माना जाता है। वर्तमान में ई-कॉमर्स इंटरनेट के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। ई-कॉमर्स उपभोक्ताओं को समय या दूरी की बिना कोई बाधाओं के साथ वस्तुओं और सेवाओं का इलेक्ट्रॉनिक रूप से आदान-प्रदान करने की अनुमति देता है। इंटरनेट पर सामान खरीदना और बेचना ई-कॉमर्स के सबसे पसंदीदा उदाहरणों में से एक है।
माउस व्हील एक तीसरा बटन : माउस व्हील एक तीसरे बटन की तरह काम करता है। किसी भी लिंक पर माउस व्हील को क्लिक करने से वह जालपृष्ठ सीधे एक नए टैब में खुल जाता है। किसी भी खुले हुए टैब पर माउस व्हील क्लिक करने पर वह टैब बंद हो जाता है।
बड़ा टेक्स्ट एक साथ सेलेक्ट करने के लिए : किसी भी टैक्स्ट एडिटर में बड़ा टैक्स्ट एक साथ सेलेक्ट करने के लिए टैक्स्ट के आरंभ में एक क्लिक करें और फिर शिफ्ट दबाकर अंत में एक बार क्लिक करें। इससे टैक्स्ट को आसानी से सेलेक्ट किया जा सकता है।
यूट्यूब पर प्रदर्शित वीडियो की गुणवत्ता कम ज्यादा करके : हम कंप्यूटर के लोड होने का समय भी कम या अधिक कर सकते हैं और वीडियो को थोडा अच्छा या थोडा खराब देख सकते हैं। गुणवत्ता जितनी अच्छी होगी लोड होने में उतना ज्यादा समय लगेगा। वीडियो की गुणवत्ता प्लेयर के निचले दाएँ भाग में एक संख्या के रूप में लिखी होती है और उसी जगह क्लिक करके उसे बदला भी जा सकता है। ये संख्याएं कुछ इस तरह से होती हैं 240p, 360p, 720p, 1080p आदि। जितनी बड़ी संख्या उतनी अच्छी गुणवत्ता होती है।
कुंजी की सहायता से जालपृष्ठ को रिफ्रेश या रीलोड करना : F5 कुंजी से हम किसी भी जालपृष्ठ को रिफ्रेश या रीलोड कर सकते हैं।
कुंजी की मदद से आगे पीछे के जालपृष्ठ पर जाना : Alt कुंजी के साथ <left arrow> ya <right arrow> से हम पहले या बाद के जालपृष्ठ पर जा सकते हैं।
Ctrl कुंजी के साथ + या – दबाने से : किसी भी जालपृष्ठ के आकार को बड़ा या छोटा किया जा सकता है बड़ा या छोटा करते हुए मूल आकार में लेन के लिए Ctrl + o का प्रयोग कर सकते हैं।
नए जालस्थल का पता लिखना हो तो : बिना माउस क्लिक किए Alt + D दबा कर हम एड्रेस बार पर पहुंच सकते हैं।
सभी ब्राउजरों के लिए उपलब्ध : XMarks एक्सटेंशन के द्वारा एक कंप्यूटर पर किसी एक ब्राउजर में लगाए गए पुस्तचिंह अनेकों और ब्राउजरों पर एक साथ लाए जा सकते हैं। सिर्फ उन सब जगह एक्समार्क्स इनस्टॉल होना चाहिए। यही नहीं, इस एक्सटेंशन के द्वारा ब्राउजिंग इतिहास, खुले टैब और कूटशब्दों के साथ भी यही किया जा सकता है।
इंटरनेट पर चैट और बातचीत करने के लिए : कई भिन्न-भिन्न सॉफ्टवेयर है जैसे – गूगल टॉक, याहू मैसेंजर, स्काईप आदि। इन सबको भिन्न-भिन्न प्रयोग करने की जगह अगर पिडगिन नाम के मुक्त सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया जाए तप यह लगभग सभी चैट सॉफ्टवेयर को काम अकेले ही कर सकता है। इसके द्वारा किसी भी एकाउंट से चैट की जा सकती है चाहे वो गूगल हो, हॉटमेल, याहू, फेसबुक या कोई और। यही नहीं इसमें एक ही बार में अनेक एकाउंट से चैट या बात की जा सकती है। इसका एक और आकर्षण यह है कि यह विंडोज के साथ-साथ अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे मैक ओएस, लिनक्स, बीएसडी, आदि पर भी उपलब्ध है।
गूगल प्लस : गूगल प्लस फेसबुक की तरह का एक सामाजिक जालस्थल है जिसे गूगल ने बनाया है। इसका प्रमुख आकर्षण यह है की आपको आवश्यक रूप से अपने परिचितों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटना होता है जो बड़ी आसानी से हो जाता है। प्रत्येक श्रेणी में अलग जानकारी डाली जा सकती है जो बाकी सभी श्रेणियों से छुपी रहती है।
कूटशब्दों में अंकों और चिन्हों का प्रयोग : कूटशब्दों में अंकों और चिन्हों का प्रयोग करने को अक्सर कहा जाता है लेकिन आजकल के हैकरों की उन्नत तकनीक और टेक कंप्यूटरों को आगे यह तभी उपयोगी है जब इन्हें मूल कूटशब्द की लंबाई बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाए। इनकी जगह या इनके साथ कूटशब्द को सुरक्षित बनाने के लिए उसका लंबा होना अधिक है। एक सरल लेकन 15 से 20 अक्षर लंबा कूटशब्द एक अंकों और चिन्हों वाले 8 से 10 अक्षर लंबे कूटशब्द की तुलना में कई गुना अधिक सुरक्षित है।
अलग-अलग जालस्थलों के लिए : कभी भी एक ही शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि अगर किसी भी कारणवश किसी एक जालस्थल का भी कूटशब्द हैक हो गया तो आपके अन्य जालस्थलों के कूटशब्द भी जाने जा सकते हैं। विशेष रूप से बैंक जालस्थलों के कूटशब्द बिलकुल अलग रखने चाहिएं।
विज्ञापन रहित वेब यात्रा के लिए : Adblock Plus – मोजिला फायरफॉक्स के लिए अत्यंत फायदेमंद एक्सटेंशन है जो जालस्थलों से विज्ञापन हटा देता है। इससे जालस्थल बहुत साफ-सुथरे दीखते हैं और बैंडविड्थ की भी बचत होती है। यह गूगल क्रोम क लिए भी उपलब्ध है।
चीजें कैसे काम करती है : इस बारे में जानकारी के लिए Howstuffworks.com एक उपयोगी जालस्थल है। इस जालस्थल पर चित्रों और चलचित्रों की सहायता से जानकारी को बहुत ही रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
जालस्थल पर मानचित्र सेवा के लिय : जालस्थल पर मानचित्र सेवा के लिए Maps.google.com उपयोगी है। खोज के लिए किसी जगह का नाम देने पर वहां का मानचित्र उपलब्ध हो जाता है जो एक देश जितने बड़े से लेकर कर एक मोहल्ले जितनी छोटी जगह के हो सकते हैं। यहाँ पर मानचित्र के साथ उपग्रह द्वारा लिए गए चित्र भी हैंविस जालस्थल की एक और उपयोगिता यह है कि इस पर एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के दिशा निर्देश भी मिल जाते हैं।
विकी : ऐसे जालस्थल जिनके पन्नों में किसी भी तरह का बदलाव ब्राउजर में ही किया जा सकता है उन्हें विकी कहते हैं। कुछ प्रमुख विकी साइट्स हैं – विकिपीडिया, कविताकोश, भारतकोश आदि।
अगर एनिमेशन वाले विज्ञान रोकना चाहें तो : फ्लैश ब्लॉक एक ऐसा ब्राउजर एक्सटेंशन है जो सभी फ्लैश सामग्री को रोक देता है हालाँकि अगर हम चाहें तो चुने हुए जालस्थलों पर फ्लैश चलाने की अनुमति भी दे सकते हैं।
सैकड़ों जाल अनुप्रयोगों का भंडार : गूगल के ही जालपृष्ठ पर आई-गूगल के नाम से सैंकड़ों जाल अनुप्रयोग उपलब्ध हैंइनमें गूगल की सभी सेवाओं के साथ समाचार, मौसम, खेल, ज्योतिष सभी कुछ अपनी रूचि के अनुसार जोड़ा जा सकता है। जालपृष्ठ का रंग-रूप भी इच्छानुसार बदला जा सकता है। इसका लिंक गूगल के मुखपृष्ठ पर होता है लेकिन अगर यह किसी वजह से नहीं दिख रहा तो जालपृष्ठ के ऊपरी दाएँ कोने पर sign in के बगल में पहिए पर क्लिक करें और विकल्पों में से आई गूगल चुन लें। आई गुगा से वापस साधारण गूगल पर जाना चाहें तो इसी पहिए [पर क्लिक करके google classic का विकल्प चुन सकते हैं।
डिफ्रैगमैंट करने का सॉफ्टवेयर : वैसे तो विंडोज में पहले से ही होता है लेकिन एक तो यह पीछे हो रही कार्यवाही को दर्शाता नहीं है और दूसरे यह बहुत अच्छा काम भी नहीं करता है। इसकी जगह बहुत मुफ्त सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं।