- अरुण ग्रह आकार में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है और सूर्य से दूरी में सांतवे नंबर पर है।
- मीथेन गैस ज्यादा होने की वजह से यह हरे रंग का दिखाई देता है।
- अरुण ग्रह भी शुक्र ग्रह की तरह पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है।
- अरुण अपने अक्ष पर इतना झुका हुआ है कि लेटा हुआ दिखाई देता है। इसलिए इसे लेटा हुआ ग्रह भी कहा जाता है।
- यह सूर्य की परिक्रमा करने में 84 साल का समय लगाता है और इसका घूर्णन काल 10 से 25 घंटे है।
- अरुण ग्रह में भी शनि ग्रह के तरह चरों ओर वली पाए जाते हैं। जिनके नाम अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और इप्सिलौन हैं।
- अरुण ग्रह को 13 मार्च, 1781 ई. में सर विलियम हर्शल ने खोजा था।
- अरुण ग्रह पृथ्वी के आकर का चार गुना बड़ा है। लेकिन इसे बिना दूरबीन के देखा नहीं जा सकता।
- अरुण ग्रह के 21 उपग्रह हैं।
अरुण ग्रह (Uranus In Hindi) :
अरुण ग्रह हमारे सौरमंडल में सूर्य से सातवाँ ग्रह है। व्यास के आधार पर यह सौरमंडल का तीसरा बड़ा और द्रव्यमान के आधार पर चौथा बड़ा ग्रह है। अरुण ग्रह आकार में तीसरा बड़ा तथा सूर्य से दूरी में सातवें स्थान पर है। द्रव्यमान में यह पृथ्वी से 14.5 गुना ज्यादा भारी और आकार में पृथ्वी से 4 गुना ज्यादा है लेकिन औसत रूप से देखा जाए तो पृथ्वी से बहुत कम घना है क्योंकि पृथ्वी पर पत्थर और अन्य भारी पदार्थ ज्यादा प्रतिशत में हैं जबकि अरुण पर गैस ज्यादा है।
अरुण ग्रह आकार में पृथ्वी से 63 गुना ज्यादा बड़ा है। अरुण ग्रह की खोज 13 मार्च, 1781 में विलियम हरशल ने इसकी खोज की थी। अरुण एक ऐसा ग्रह है जिसे दूरबीन द्वारा देखा जा सकता है। अरुण ग्रह में घना वायुमंडल पाया जाता है जिसमें मुख्य रूप से हाइड्रोजन व अन्य गैसें हैं। अरुण ग्रह अपनी धुरी पर सूर्य की तरफ इतना झुका हुआ है कि लेटा हुआ दिखाई देता है। इसके सभी उपग्रह भी पृथ्वी की विपरीत दिशा में परिभ्रमण करते हैं।
अरुण ग्रह की रुपरेखा :
अरुण ग्रह की सूर्य से दूरी 287 करोड़ 6 लाख 58 हजार 186 किलोमीटर है। अरुण ग्रह के ज्ञात उपग्रह 27 है और द्रव्यमान 86,81,030 अरब किलोग्राम है। अरुण ग्रह का भूमध्यरेखीय व्यास 51,118 किलोमीटर है और ध्रुवीय व्यास 49,964 किलोमीटर है। अरुण ग्रह की भूमध्य रेखा की लंबाई 159,354 किलोमीटर है। अरुण ग्रह का एक साल पृथ्वी के 84.2 साल या 30,685.15 दिन के बराबर है। अरुण ग्रह की सतह का तापमान -197०C और खोज तिथि 13 मर्च , 1781 में विलियम हर्शेल द्वारा है।
अरुण ग्रह की कक्षा और घूर्णन :
अरुण ग्रह शुक्र ग्रह की तरह पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है जबकि अन्य ग्रह पश्चिम से पूर्व की तरफ घूमते हैं। यह सूर्य की परिक्रमा 84 साल में एक बार कर पाता है और इसका घूर्णन 10 से 25 घंटे है। इसकी सूर्य से औसत दूरी लगभग 3 अरब किलोमीटर है। अरुण ग्रह पर सूर्य प्रकाश की तीव्रता पृथ्वी की तुलना में लगभग 1/1400 है।
सबसे पहले इसके कक्षीय तत्वों की गणना सन् 1783 में पियरे सीमोन लाप्लास द्वारा की गई थी। वक्त के साथ अनुमानित और अवलोकित कक्षाओं के मध्य की विसंगतियाँ नजर आनी आरंभ हो गई और सन् 1841 में जॉन काउच एडम्स ने सबसे पहले प्रस्तावित किया कि यह अंतर किसी अदृश्य ग्रह के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव की वजह से हो सकता है।
सन् 1845 में उर्बैन ली वेर्रियर ने अरुण की कक्षा पर अपना स्वतंत्र अनुसंधान शुरू किया। 23 सितंबर, 1846 को जोहान गोटफ्राइड गाले ने एक नया ग्रह खोजा बाद में इसका नाम वरुण रखा गया। अरुण के अंदर की घूर्णन अवधि 17 घंटे 14 मिनट है। सभी महाकाय ग्रहों की तरह इसका ऊपरी वायुमंडल भी घूर्णन की दिशा में काफी शक्तिशाली हवाओं को महसूस करता है।
अरुण ग्रह का अक्षीय झुकाव :
अरुण ग्रह अपने अक्ष पर लगभग 82० झुका हुआ है जिससे यह लेटा हुआ दिखाई देता है इसलिए इसे लेटा हुआ ग्रह भी कहा जाता है। अरुण का अक्षीय झुकाव 97.77 डिग्री है इसलिए इसकी घूर्णन धुरी सौरमंडल तल के साथ लगभग समानांतर है। यह उसको अन्य प्रमुख ग्रहों के विपरीत पूरी तरह से भिन्न मौसमी परिवर्तन देता है।
अन्य ग्रह सौरमंडल तल पर डोलते लटुटओं की तरह घूमते हुए देखे जा सकते हैं जबकि अरुण एक डोलती लुढ़कती गेंद की तरह परिभ्रमण करता है। अरुण संक्रांति के समय के आसपास, एक ध्रुव लगातार सूर्य के सामने रहता है जबकि दूसरा ध्रुव परे रहता है।
सिर्फ भूमध्यरेखा के आसपास का संकरा पट्टा द्रुत दिन-रात के चक्रों को महसूस करता है लेकिन क्षितिज पर बहुत नीचे सूर्य के साथ जिस प्रकार से पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों में होता है। अरुण की कक्षा के दूसरी तरफ सूर्य के सामने के ध्रुवों का अभिविन्यास उल्ट है। हर ध्रुव 42 सालों के आसपास लगातार उजाला पाता है फिर अलगे 42 साल अँधेरे में गुजारता है। विषुवों के समय के पास सूर्य अरुण के विषुववृत्त के सामने होता है और दिन-रात के चक्रों की एक समयावधि देता है उसी तरह जैसी वह अधिकतर अन्य ग्रहों में देखी गई। अरुण अपने सबसे हाल के विषुव पर 7 दिसंबर, 2007 को पहुंचा था।
अरुण ग्रह की दृश्यता :
सन् 1994 से 2006 तक अरुण का आभासी परिमाण +5.6 और +5.9 के मध्य घटता-बढ़ता रहा, नग्न आखों की दृश्यता की सीमा के ठीक अंदर रखने पर परिमाण +6.5 का होता है। इसका कोणीय व्यास 3.4 और 3.7 आर्क सेकेण्ड है, तुलना के लिए शनि ग्रह के लिए 16 से 20 आर्क सेकेण्ड और बृहस्पति के लिए 32 से 45 आर्क सेकेण्ड है।
विमुखता पर अरुण रात के समय आकाश में नग्न आँखों से दिखता है और दूरबीन के साथ शहरी परिवेश में भी एक आसान लक्ष्य बन जाता है। 15 और 23 सेंटीमीटर व्यास के बड़े शौकिया दूरबीनों के साथ यह ग्रह एक हल्की हरी नीली चकती के जैसा दिखाई देता है। 25 सेंटीमीटर या इससे व्यापक की एक बड़ी दूरबीन के साथ बादल के स्वरूप को यहाँ तक कि कुछ बड़े उपग्रहों को देख सकते हैं।
अरुण ग्रह की आंतरिक संरचना :
अरुण का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान की तुलना में 14.5 गुना है जो वृहदाकार ग्रहों में सबसे कम है। इसकी त्रिज्या वरुण ग्रह की तुलना में थोड़ी सी अधिक और पृथ्वी की त्रिज्या की चार गुना है। नतीजतन 1.27 ग्राम/सेंटीमीटर3 का घनत्व अरुण को शनि के बाद सबसे कम घना ग्रह बनाता है। यह मान इंगित करता है कि यह मुख्य रूप से विभिन्न प्रकार के बर्फों से बना है जैसे- जल, अमोनिया और मीथेन।
अरुण ग्रह के आंतरिक भाग में बर्फ की समग्र मात्रा सही से ज्ञात नहीं है, मॉडल के चुनाव के हिसाब से भिन्न-भिन्न आंकड़े उभरकर सामने आते है, यह पृथ्वी के द्रव्यमान के 9.3 और 13.5 के मध्य होना चाहिए। हाइड्रोजन और हीलियम समग्र का सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा बनाते है। बाकी गैर बर्फ की मात्रा चट्टानी सामग्री से बनी है।
अरुण ग्रह की संरचना का मानक मॉडल यह है कि यह ग्रह तीन परतों से बना है। इसके केंद्र में एक चट्टानी कोर, मध्य में एक बर्फीला मेंटल और एक बाहरी गैसीय छिलका। कोर 0.55 पृथ्वी द्रव्यमान के साथ अपेक्षाकृत छोटा है और त्रिज्या अरुण की 20% त्रिज्या से कम है, मेंटल 13.4 पृथ्वी द्रव्यमान के साथ ग्रह की एक बड़ी राशि शामिल करता है जबकि ऊपरी वायुमंडल 0.5 पृथ्वी द्रव्यमान की तौल के साथ तुलनात्मक रूप से अवास्तविक है और अरुण के अंतिम किनारे की 20% त्रिज्या पर विस्तारित है। अरुण की कोर का घनत्व 9 ग्राम/सेंटीमीटर3 के आसपास है, केंद्र में 80 लाख बार का दबाव और लगभग 5000 केल्विन का तापमान है।
अरुण ग्रह का आंतरिक ताप :
अरुण का आंतरिक ताप साफ तरीके से अन्य वृहदाकार ग्रहों की तुलना में कम जान पड़ता है, खगोलीय शब्दों में इसके पास एक निम्न तापीय प्रवाह है। अरुण का आंतरिक तापमान इतना कम क्यों है यह अभी भी समझ से बिलकुल परे है। वरुण जो आकार और संरचना में अरुण का द्विगुणा है, 2.61 गुना अधिक ऊर्जा अंतरिक्ष में विकृत करता है जितना वह सूर्य से प्राप्त करता है।
अरुण द्वारा अवरक्त वर्णक्रम के भाग से छोड़ी गई कुल शक्ति उसके अपने वातावरण में अवशोषित सौर ऊर्जा की 1.06 ± 0.08 गुना है। असल में अरुण का तापीय प्रवाह सिर्फ 0.042 ± 0.047 वॉट/मी२ है, जो 0.075 वॉट/मी२ के लगभग पृथ्वी के आंतरिक तापीय प्रवाह से कम है।
अरुण ग्रह के ट्रोपोपाउस में दर्ज हुआ निम्नतम तापमान 49 केल्विन है जो अरुण को सौरमंडल में सबसे ठंडा ग्रह बनाता है। इस विसंगति के लिए एक परिकल्पना सुझाव देती है कि जब अरुण एक विशालकाय प्रहारित निकार के द्वारा ठोका गया, अरुण की अधिकांश आद्य गर्मी के निष्कासन की वजह से बना, यह गर्मी एक खत्म हो चुके कोर तापमान के साथ छोड़ी गई थी। एक अन्य परिकल्पना है कि अरुण के ऊपरी परतों में किसी प्रकार का अवरोध उपस्थित है जो कोर की गर्मी को सतह तक पहुंचने से रोकता है।
अरुण का चुंबकीय क्षेत्र :
वॉयेजर 2 की पहुंच से पूर्व अरुण के मेग्नेटोस्फेयर का कोई भी मापन नहीं लिया गया था इसलिए इसकी प्रकृति एक रहस्य बनी हुई है। सन् 1986 से पहले खगोलविदों ने अरुण के चुंबकीय क्षेत्र को सौरवायु के साथ की रेखा में होने की उम्मीद की थी इसके बाद इसका ग्रह के ध्रुवों के साथ मिलान हो गया था जो क्रांतिवृत्त में स्थित है।
वॉयेजर के अवलोकनों ने दर्शाया कि दो कारणों की वजह से अरुण का चुंबकीय क्षेत्र विशिष्ट है, एक तो क्योंकि यह ग्रह के ज्यामितीय केंद्र से शुरू नहीं होता है और दूसरा क्योंकि यह घूर्णी अक्ष से 59० पर झुका हुआ है। असल में यह चुंबकीय द्विध्रुव ग्रह के केंद्र से दक्षिण घूर्णी ध्रुव की तरफ ग्रहीय व्यास के अधिकतम एक तिहाई जितना खिसक गया है।
उच्च असममितीय मैग्नेटोस्फेयर में इस अप्रत्याशित ज्यामितीय परिणामस्वरूप, जहाँ दक्षिणी अर्धागोलार्ध की सतह पर चुंबकीय क्षेत्र का सामर्थ्य निम्नतम 0.1 गॉस हो सकता है, इसी तरह उत्तरी अर्धागोलार्ध में यह उच्चतम 1.1 गॉस हो सकता है। सतह पर औसत क्षेत्र बल 0.23 गॉस है। तुलना के लिए पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र मोटे तौर पर दोनों ध्रुव पर शक्तिशाली है और चुंबकीय भूमध्यरेखा मोटे तौर पर अपनी भौगोलिक भूमध्यरेखा के साथ समानांतर है।
अरुण के चंद्रमा :
अरुण ग्रह के 27 उपग्रह है जिसमें प्रमुख हैं – मिरांडा, एरियल, ओबेरॉन, टाइटैनिया, कौर्ड़ेनिया, ओफेलिया आदि। इन उपग्रहों के लिए नामों को शेक्सपीयर और अलेक्जेंडर पोप की कृतियों के पात्रों से चुना गया है। यह युरेनस उपग्रहीय प्रणाली गैस दानवों के मध्य सबसे कम बड़ी है सचमुच इन प्रमुख उपग्रहों का संयुक्त द्रव्यमान अकेले ट्राईटोन के आधे से भी कम होगा।
इन उपग्रहों में सबसे बड़े टाईटेनिया की त्रिज्या मात्र 788.9 किलोमीटर या चाँद के आधे से भी कम है लेकिन शनि के दूसरे सबसे बड़े चंद्रमा रिया से थोड़ी सी अधिक है जो टाईटेनिया को सौरमंडल में आठवां सबसे बड़ा चन्द्रमा बनाता है। इन चंद्रमाओं का अपेक्षाकृत निम्न एल्बिडो का विचरण अम्ब्रियल के लिए 0.20 से एरियल के लिए 0.35 है।
यह चंद्रमा एक संपीडित बर्फीली चट्टानें हैं जो मोटे तौर पर 50% बर्फ और 50% चट्टान से बनी है। यह बर्फ अमोनिया और कार्बनडाई ऑक्साइड को शामिल किए हो सकते हैं। इन उपग्रहों में से एरियल की सतह कुछ संघात के साथ नवीकृत जान पडती है जबकि अम्ब्रियल की पुरानी दिखाई देती है।
अरुण ग्रह के विषय में रोचक तथ्य :
इसका आकार पृथ्वी से चार गुना बड़ा है लेकिन इसे बिना दूरबीन के देखा नहीं जा सकता है। मीथेन गैस की अधिकता की वजह से यह हरे रंग का दिखाई देता है। अरुण ग्रह में शनि की चारो तरफ वलय पाए जाते हैं जिनके नाम – अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा एवं इप्सिलॉन।
अरुण और वरुण ग्रह के वातावरण में बृहस्पति और शनि की तुलना में बर्फ ज्यादा है – पानी की बर्फ के अलावा इनमें जमी हुई अमोनिया और मीथेन गैसों की बर्फ भी है। अरुण ग्रह का नाम आकाश के रोमन देवता के नाम पर रखा गया है। अरुण ग्रह पर सूर्योदय पश्चिम दिशा में और सूर्यास्त पूर्व में होता है। अरुण ग्रह पर दिन लगभग 11 घंटे का होता हो।
हमारे सौरमंडल में चार ग्रहों को गैस दानव कहा जाता है क्योंकि इनमें मिट्टी पत्थर की जगह पर ज्यादातर गैस है और इनका आकार बहुत ही विशाल है। अरुण इनमें से एक है – बाकी तीन बृहस्पति, शनि और वरुण हैं। इनमें से अरुण की बनावट वरुण से बहुत मिलती-जुलती है।
अरुण और वरुण के वातावरण में बृहस्पति और शनि की तुलना में बर्फ ज्यादा है – पानी की बर्फ के अलावा इनमें जमी हुई अमोनिया और मीथेन गैसों की बर्फ भी है इसलिए कभी-कभी खगोलशास्त्री इन दोनों को बर्फीले गैस दानव नाम की श्रेणी में डाल देते हैं। सौरमंडल के सभी ग्रहों में से अरुण का वायुमंडल सबसे ठंडा पाया गया है और उसका न्यूनतम तापमान -49 कैल्विन देखा गया है।
इस ग्रह में बादलों के कई तल देखे गए हैं मानना है कि सबसे नीचे पानी के बादल हैं और सबसे ऊपर मीथेन गैस के बादल हैं। यह भी माना जाता है कि अगर किसी तरह के अरुण के बिलकुल बीच में जाकर उसका केंद्र देखा जाए तो वहां बर्फ और पत्थर पाए जाते हैं। इसका दिन लगभग 11 घंटे का होता है। इसका तापमान 18०C है और इसके 21 उपग्रह है।
नासा का वायेजर 2 जनवरी, 1986 में अरुण के पास पहुंचा। अरुण ग्रह की सतह से 81,000 किलोमीटर उपर इसके चक्कर लगाने लगा। इसने इस ग्रह के 11 छोटे चंद्रमाओं को खोजा था। अरुण के जो उपग्रह है उनके नाम शेक्सपीयर और अलैग्जेंडर पोप की रचनाओं के पात्रों के नाम के ऊपर रखे गए हैं।
अरुण ग्रह की धुरी के झुकाव का कोण 97 डिग्री है। इसका अर्थ यह है कि अरुण दक्षिणी ध्रुव सीधे पृथ्वी की तरफ इशारा किया हुआ है। ग्रह के इस अनूठे झुकाव की वजह से यहाँ की एक रात पृथ्वी के 21 सालों के बराबर होती है इसका अर्थ यह है कि यहाँ पर 21 सालो तक सूर्य की रोशनी तथा गर्मी नहीं आती है।
इस ग्रह पर वातावरण में मुख्य रूप से हाइड्रोजन, हीलियम और मीथेन गैस है। मीथेन सूर्य से प्राप्त सभी लाल किरणों को अवशोषित कर नीले रंग को दर्शाता है इसी वजह से यह ग्रह खुबसूरत नीले रंग में दिखाई देता है। वीनस के समान अरुण ग्रह भी पूर्व से पश्चिम तक घूर्णन करता है ठीक पृथ्वी के विपरीत। अरुण ग्रह की कक्षीय गति प्रति सेकेण्ड 6.6 किलोमीटर है। अरुण ग्रह के पास बहुत पतले काले रंग की दो रिंग्स है।