- सूर्य एक तारा है।
- सूर्य का व्यास लगभग 13,92,000 किलोमीटर माना जाता है।
- वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य की पृथ्वी से न्यूनतम दूरी 14.70 करोड़ किलोमीटर है।
- सूर्य की पृथ्वी से अधिकतम दूरी 15.21 करोड़ किलोमीटर है।
- सूर्य की उम्र लगभग 5 विलियन वर्ष है।
- सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी पर पहुँचने में 8 मिनट 16.6 सेकेण्ड का समय लगता है।
- सूर्य में 71% हाइड्रोजन, 26.5% हीलियम और 2.5% अन्यों का रासायनिक मिश्रण होता है।
- सूर्य के साथ-साथ सभी तारों में हाइड्रोजन और हीलियम के मिश्रण को संलयन अभिक्रिया भी कहा जाता है।
सूर्य (Sun In Hindi) :
सूर्य एक विशालकाय तारा है जिसके चारों तरफ आठों ग्रह और अनेकों उल्काएं चक्कर लगाते रहते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक जलता हुआ विशाल पिंड है। इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के बल पर ही समस्त ग्रह इसकी तरफ खिंचे रहते है अन्यथा सभी अंधकार में न जाने कहाँ लीन हो जाए।
वेदों के अनुसार सूर्य इस जगह की आत्मा है यही सूर्य नहीं अनेक दुसरे सूर्य भी। सूर्य की पृथ्वी से न्यूनतम दूरी 14.70 करोड़ किलोमीटर है और अधिकतम दूरी 15.21 करोड़ किलोमीटर है। सूर्य का व्यास लगभग 13,92,000 किलोमीटर है। सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर 8 मिनट 16.6 सेकेण्ड में पहुंचता है। सूर्य की आयु करीब 5 बिलियन वर्ष है।
सूर्य में हाईड्रोजन 71%, हीलियम 26.5%, अन्य 2.5% का रासायनिक मिश्रण होता है। सूर्य के साथ सभी तारों में हाईड्रोजन और हीलियम के मिश्रण को संलयन अभिक्रिया कहा जाता है। सूर्य में हल्के-हल्के धब्बे को सौर्यकलन कहते हैं जो चुंबकीय विकिरण उत्सर्जित करते हैं जिससे पृथ्वी के बेतार संचार में खराबी आ जाती है।
इस जलते हुए गैसीय पिंड को दूरदर्शी यंत्र से देखने पर इसकी सतह पर छोटे-छोटे धब्बे दिखाई देते हैं जिन्हें सौर कलंक कहा जाता है। ये कलंक अपने स्थान से सरकते हुए दिखाई देते हैं। जिस तरह पृथ्वी और अन्य ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं उसी तरह सूर्य भी आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा करता है।
सूर्य की विशेषताएं :
सूर्य एक G टाइप मुख्य अनुक्रम तारा है जो सौरमंडल के कुल द्रव्यमान का लगभग 99.86% समाविष्ट करता है। लगभग 90 लाखवें भाग के अनुमानित चपटेपन के साथ यह लगभग गोलाकार है इसका अर्थ है कि इसका ध्रुवीय व्यास इसके भूमध्यरेखीय व्यास से सिर्फ 10 किलोमीटर से अलग है जैसा कि सूर्य प्लाज्मा का बना है और ठोस नहीं है यह अपने ध्रुवों की अपेक्षा अपनी भूमध्यरेखा पर अधिक तेजी से घूमता है।
यह व्यवहार अंतरीय घूर्णन के रूप में जाना जाता है और सूर्य के संवहन व कोर से बाहर की तरफ बहुत अधिक तापमान ढलान की वजह से पदार्थ की आवाजाही की वजह से हुआ है। यह सूर्य के वामावर्त कोणीय संवेग के एक बड़े हिस्से का वहन करती है जैसा क्रांतिवृत्त के उत्तरी ध्रुव से देखा गया और इस तरह कोणीय वेग पुनर्वितरित होता है।
इस वास्तविक घूर्णन की अवधि भूमध्यरेखा पर लगभग 25.6 दिन और ध्रुवों में 33.5 दिन की होती है हालाँकि सूर्य की परिक्रमा के साथ ही पृथ्वी के सापेक्ष हमारी निरंतर बदलती स्थिति की वजह से इस तारे का अपनी भूमध्यरेखा पर स्पष्ट घूर्णन लगभग 28 दिनों का है। इस धीमी गति के घूर्णन का केंद्रापसारक प्रभाव सूर्य की भूमध्यरेखा के सतही गुरुत्वाकर्षण से 1.8 करोड़ गुना कमजोर है। ग्रहों के ज्वारीय प्रभाव भी कमजोर हैं और सूर्य के आकार को खास प्रभावित नहीं करते है।
सूर्य का कोर :
सूर्य का कोर इसके केंद्र से लेकर सौर त्रिज्या के लगभग 20 से 25% तक विस्तारित माना गया है। इसका घनत्व 150 ग्राम/सेंटीमीटर3 तक और तापमान 15.7 करोड़ केल्विन के लगभग है। इसके विपरीत सूर्य की सतह का तापमान लगभग 5800 केल्विन है। सोहो मिशन डेटा के हाल के विश्लेषण विकिरण क्षेत्र के बाकी हिस्सों की तुलना में कोर के तेज घूर्णन दर का पक्ष लेते है।
सूर्य के अधिकांश जीवन में ऊर्जा p-p श्रंखला कहलाने वाली एक चरणबद्ध श्रंखला के माध्यम से नाभिकीय संलयन द्वारा उत्पादित हुई है यह प्रक्रिया हाइड्रोजन को हीलियम में रूपांतरित करती है। सूर्य की उत्पादित ऊर्जा का मात्र 0.8% CNO चक्रEn से आता है। कोर में प्रोटान-प्रोटान श्रंखला दर के सेकेण्ड 9.2×1037 बार पाई जाती है। यह अभिक्रिया चार मुक्त प्रोटोनों का प्रयोग करती है यह प्रत्येक सेकेण्ड लगभग 3.7×1038 प्रोटानों को अल्फा कणों में बदल देती है या लगभग 6.2× 1011 किलो प्रति सेकेण्ड।
हाइड्रोजन से हीलियम संलयन के बाद हीलियम ऊर्जा के रूप में संलयित द्रव्यमान का लगभग 0.7% छोडती है सूर्य 42.6 करोड़ मीट्रिक टन प्रति सेकेण्ड की द्रव्यमान ऊर्जा रूपांतरण दर पर ऊर्जा छोड़ता है, 384.6 योटा वाट या 9.192× 1010 टीएनटी मेगाटन प्रति सेकेण्ड। राशि ऊर्जा पैदा करने में नष्ट हुई है बल्कि यह राशि बराबर की इतनी ही ऊर्जा में तब्दील हुई है और ढोकर उत्सर्जित होने के लिए दूर ले जाई गई जैसा द्रव्यमान ऊर्जा तुल्यता अवधारणा का वर्णन हुआ है।
जीवन चक्र :
सूर्य आज सबसे ज्यादा स्थिर अवस्था में अपने जीवन के लगभग आधे रास्ते पर है। इसमें कई अरब सालों से नाटकीय रूप से कोई बदलाव नहीं हुआ है और आने वाले कई सालों तक यूँ ही अपरिवर्तित बना रहेगा हालाँकि एक स्थिर हाइड्रोजन दहन काल के पहले का और बाद का तारा बिलकुल अलग होता है।
सूर्य का निर्माण :
सूर्य एक विशाल आणविक बादल के हिस्से के ढहने से लगभग 4.57 अरब साल पहले गठित हुआ है जो अधिकांशतः हाइड्रोजन और हीलियम का बना है और शायद इन्हीं ने कई अन्य तारों को बनाया है। यह आयु तारकीय विकास के कंप्यूटर मॉडलों के प्रयोग और न्युक्लियोकोस्मोक्रोनोलोजी के माध्यम से आकलित हुई है।
परिणाम प्राचीनतम सौरमंडल सामग्री की रेडियोमीट्रिक तिथि के अनुरूप है, 4.567 अरब वर्ष। प्राचीन उल्कापातो के अध्धयन अल्पजीवी आइसोटोपो के स्थिर नाभिक के निशान दिखाते हैं। यह इंगित करता है कि वह स्थान जहाँ पर सूर्य बना उसके समीप एक या एक से अधिक सुपरनोवा जरुर पाए जाने चाहिएं।
किसी समीपी सुपरनोवा से निकली आघात तरंग ने आणविक बादल के अंदर की गैसों को संपीडित करके सूर्य के निर्माण को शुरू किया होगा तथा कुछ क्षेत्र अपने खुद के गुरुत्वाकर्षण के अधीन ढहने से बने होंगे। जैसे ही बादल का कोई टुकड़ा ढहा कोणीय गति के संरक्षण की वजह से यह भी घूमना आरंभ हुआ और बढ़ते दबाव के साथ गर्म होने लगा।
बहुत बड़ी द्रव्य राशि केंद्र में केन्द्रित हुई जबकि बाकी बाहर की तरफ चपटकर एक डिस्क में तब्दील हुई जिनसे ग्रह और अन्य सौरमंडलीय निकाय बने। बादल के कोर के भीतर के गुरुत्व और दबाव ने बहुत अधिक ऊष्मा उत्पन्न की वैसे ही डिस्क के इर्द-गिर्द से और अधिक गैस जुडती गई, अंततः नाभिकीय संलयन को सक्रिय किया। इस तरह सूर्य का जन्म हुआ।
मुख्य अनुक्रम :
सूर्य अपनी मुख्य अनुक्रम अवस्था से होता हुआ लगभग आधी राह पर है जिसके दरम्यान नाभिकीय संलयन अभिक्रियाओं ने हाइड्रोजन को हीलियम में बदला। प्रत्येक सेकेण्ड सूर्य की कोर के अंदर 40 लाख टन से ज्यादा पदार्थ ऊर्जा में परिवर्तित हुआ है और न्यूट्रिनो और सौर विकिरण का निर्माण किया है। इस दर पर सूर्य अब तक लगभग 100 पृथ्वी द्रव्यमान जितना पदार्थ ऊर्जा में परिवर्तित कर चुका है। सूर्य एक मुख्य अनुक्रम तारे के रूप में लगभग 10 अरब साल जितना खर्च करेगा।
कोर हाईड्रोजन समापन के बाद :
सूर्य के पास एक सुपरनोवा के रूप में विस्फोट के लिए पर्याप्त द्रव्यमान नहीं है। बावजूद यह एक लाल दानव चरण में प्रवेश करेगा। सूर्य का लगभग 5.4 अरब साल में एक लाल दानव बनने का पूर्वानुमान है। यह आकलन हुआ है कि सूर्य पृथ्वी सहित सौरमंडल के आंतरिक ग्रहों की वर्तमान कक्षाओं को निगल जाने जितना बड़ा हो जाएगा।
इससे पूर्व कि यह एक लाल दानव बनता है सूर्य की चमक लगभग दोगुनी हो जाएगी और पृथ्वी शुक्र जितना आज है उससे भी ज्यादा गर्म हो जाएगा। एक बार कोर हाइड्रोजन समाप्त हुई सूर्य का उपदानव चरण में विस्तार होगा और लगभग आधे अरब सालों के उपरांत आकार में धीरे-धीरे दोगुना हो जाएगा।
उसके बाद यह आज की तुलना में दो सौ गुना बड़ा और दस हजार गुना और ज्यादा चमकदार होने तक आगामी लगभग आधे अरब वर्षों से अधिक तक और ज्यादा तेजी से फैलेगा। यह लाल दानव शाखा का वह चरण है जहाँ पर सूर्य लगभग एक अरब साल बिता चुका होगा और अपने द्रव्यमान का एक तिहाई के इर्द-गिर्द गंवा चुका होगा।
सूर्य के पास अब सिर्फ कुछ लाख साल बचे है लेकिन वे बेहद प्रसंगपूर्ण है। पहले कोर हीलियम चौंध में प्रचंडतापूर्वक सुलगता है और सूर्य चमक के 50 गुना के साथ आज की तुलना में थोड़े कम तापमान के साथ अपने हाल के आकार से 10 गुना के आसपास तक वापस सिकुड़ जाता है।
सौर अंतरिक्ष मिशन :
सूर्य के निरिक्षण के लिए रचे गए प्रथम उपग्रह नासा के पायनियर 5, 6, 7, 8 थे। यह 1959 और 1968 के मध्य प्रक्षेपित हुए थे। इन यानों ने पृथ्वी और सूर्य से बराबर दूरी की कक्षा में सूर्य परिक्रमा करते हुए सौर वायु और सौर चुंबकीय क्षेत्र का पहला विस्तृत मापन किया। सन् 1970 में दो अंतरिक्ष यान हेलिओस और स्काईलैब अपोलो टेलिस्कोप माउंट ने सौरवायु और सौर कोरोना के महत्वपूर्ण नए डेटा वैज्ञानिकों को प्रदान किए।
हेलिओस 1 और 2 यान अमेरिकी-जर्मनी सहकार्य थे। इसने अंतरिक्ष यान को बुध की कक्षा के अंदर उपसौर की तरफ ले जा रही कक्षा से सौर वायु का अध्धयन किया। सन् 1973 में स्काईलैब अंतरिक्ष स्टेशन नासा द्वारा प्रक्षेपित हुआ। इसने अपोलो टेलिस्कोप माउंट खे जाने वाला एक सौर वेधशाला मॉड्यूल शामिल किया जो स्टेशन पर रहने वाले अन्तरिक्ष यात्रियों द्वारा संचालित हुआ था।
स्काईलैब ने पहली बार सौर संक्रमण क्षेत्र का और सौर कोरोना से निकली पराबैंगनी उत्सर्जन का समाधित निरिक्षण किया। खोजों ने कोरोनल मास एजेक्सन के पहले प्रेक्षण शामिल किए जो फिर कोरोनल ट्रांजिएंस्त और फिर कोरोनल होल्स कहलाये अब घनिष्ठ रूप से सौर वायु के साथ जुड़े होने के लिए जाना जाता है।
सन् 1980 का सोलर मैक्सीमम मिशन नासा द्वारा शुरू किया गया था। यह अंतरिक्ष यान उच्च सौर गतिविधि और सौर चमक के वक्त के दरम्यान गामा किरणों, एक्स किरणों और सौर ज्वालाओं से निकली पराबैंगनी विकिरण के निरिक्षण के लिए भेजा गया था।
प्रक्षेपण के सिर्फ कुछ ही महीने बाद किसी इलेक्ट्रॉनिकस खराबी के कारण यान जस की तस हालत में चलता रहा और उसने अगले तीन साल इसी निष्क्रिय अवस्था में बिताए थे। सन् 1984 में स्पेस शटल चैलेंजर मिशन STS-41C ने उपग्रह को सुधार दिया और कक्षा में फिर से छोड़ने से पहले इसकी इलेक्ट्रॉनिकस की मरम्मत की गई। जून 1989 में पृथ्वी के वायुमंडल में दुबारा प्रवेश से पहले सोलर मैक्सीमम मिशन ने मरम्मत के बाद सौर कोरोना की हजारों छवियों का अधिग्रहण किया था।
पुराणों के अनुसार सूर्य :
भूलोक और द्युलोक के बीच में अंतरिक्ष लोक है। इस द्युलोक में सूर्य भगवान नक्षत्र तारों के बीच में विराजमान रहकर तीनों लोकों को प्रकाशित करते हैं। पुरानों के अनुसार सूर्य देवता के पिता का नाम महर्षि कश्यप और माता का नाम अदिति है। इनकी पत्नी का नाम संज्ञा है जो विश्वकर्मा की पुत्री है। संज्ञा से यम नाम के पुत्र और यमुना नाम की पुत्री प्राप्त हुए और अपनी दूसरी पत्नी छाया से इन्हें एक महान प्रतापी पुत्र हुए थे जिनका नाम शनि है।
सूर्य के अशुभ होने पर कष्ट :
अगर लग्न कुंडली में सूर्य सही स्थित न हो या किसी वजह से अशुभ हो जाए तो ऐसा जातक कमजोर होगा। आँखों की बीमारी हो सकती है, हड्डियाँ कमजोर होने की संभावना होती है, अधिक खराब हो जाए तो हार्ट सर्जरी, हार्ट ब्लॉकेज, मान-सम्मान में कमी आती है, पिता के सुख में कमी आती है, प्रतिष्ठा में बट्टा लगना आदि स्थितियों से दो-चार होना पड़ता है, रक्तचाप का बढ़ जाना, नेत्र संबंधी विकार हो जाना, बालों का झड़ना या गंजापन आ जाना, तेज ज्वर से पीड़ित होना, हड्डियों संबंधी विकार होना, पिता से संबंध खराब हो जाना, विद्या, धन, यश और मान-सम्मान में कमी आना, मांस मदिरा के सेवन में लिप्त होना, आध्यात्मिक रूचि का क्षीण हो जाना, पुत्र प्राप्ति में बाधा उत्पन्न हो जाना या होने के बाद जीवित न रहना, लांछन लगना, किसी और के लिए किए का गलत परिणाम भुगतना, सरदर्द, बुखार, नेत्र रोग, मधुमेह, मोतिजीरा, पित्त रोग,, हैजा आदि बीमारियाँ हो जाना आदि।
सूर्य के शुभ लक्षण :
अगर सूर्य कुंडली में शुभ हो और शुभ स्थित हो तो ऐसे जातकों की मैनेजमेंट स्किल्स गजब की होती है। विपरीत स्थिति में बहुत उम्दा प्रदर्शन करते हैं, बड़े फैसले लेने से घबराते हैं, आने अधीनस्तों का ध्यान रखने वाले होते हैं, ऊँचे सरकारी गैरसरकारी पदों पर आसीन होते हैं, मान प्रतिष्ठा में दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की होती है।
सूर्य ग्रह की शांति के उपाए :
लग्नकुंडली में सूर्य शुभ स्थित हो और बलाबल में कमजोर हो तो सूर्य रत्न माणिक धारण करना उचित रहता है। माणिक के उपरत्न गार्नेट, रेड टर्मेलाइन हैं। माणिक के अभाव में उपरत्नों का उपयोग किया जा सकता है। किसी भी रत्न को धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से कुंडली का उचित निरिक्षण जरुर करवाएं।
प्रतिदिन सूर्य देव को प्रणाम करें, सादा जल चढ़ाएं, पिता या पिता के समान बुजुर्गों की सेवा करें, उनका आशीर्वाद लें, गुड, सोना, तांबा और गेंहूँ का दान करें, लाल चंदन को घिसकर स्नान के जल में मिलाएं, फिर इस पानी से नहाएं, गायत्री मंत्र या आदित्य ह्रदय मंत्र का जाप करें, रविवार के दिन व्रत रखें, सूर्य देव के आराध्य शिव की पूजा करें, शिव को बिल्व पत्री चढ़ाएं आदि।
शुभ रत्न :
अगर जातक की कुंडली में सूर्य देव शुभ पर कमजोर हो तो ऐसी स्थिति में माणिक्य रत्न धारण किया जा सकता है। माणिक्य रत्न चढ़ते पक्ष में रविवार को अनामिका में धारण किया जाता है। इसे सोने, पीतल या तांबे की अंगूठी में धारण करना चाहिए। यहाँ उल्लेखनीय है कि कुंडली संबंधी कोई भी उपाय करने से पहले किसी योग्य विद्वान से परामर्श जरुर करें। कौतूहलवश किया गया कोई भी उपाय आपके लिए और बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है।
सूर्य की विशेषताएं :
हिन्दू मान्यताओं में सूर्य को विशेष रूप से भगवान का रूप माना जाता है। उन्हें सत्व गुण का माना जाता है और वे आत्मा, राजा, प्रतिष्ठा, ऊँचे व्यक्तियों या पिता का प्रतिनिधित्व करते हैं। सूर्य मेष राशी में उच्च और तुला राशी में नीच होते हैं। सिंह लग्न के प्रभाव में पैदा हुए जातक सिंह राशि के अंतर्गत आते हैं। वर्तमान परिपेक्ष्य में सिंह लग्न के जातक उच्च पदासीन होते देखे गए हैं।
मुसीबत में सुबोर्डिनेट्स के हितैषी होते हैं मुश्किल समय में आसानी से घबराते नहीं हैं और विपरीत परिस्थितियों में इनके लिए निर्णय विजय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सूर्य की शुभ दिशा पूर्व है, दिन रविवार और तत्व अग्नि है। सूर्य का लिंग पुरुष और शुभ रत्न माणिक है। सूर्य का महादशा समय 6 साल है। सूर्य का शुभ अंक 1 और मित्र ग्रह गुरु, चंद्र और मंगल हैं जबकि शत्रु ग्रह शुक्र और शनि हैं। सूर्य का मूल मंत्र ॐ सूर्याय नमः है और सूर्य का बीज मंत्र ॐ ह्रां ह्रौं सः सूर्याय नमः है।
सूर्य के विषय में रोचक तथ्य :
सूर्य सूर्यमंडल में लगभग 86 प्रतिशत वजन सूर्य का है। सूर्य की उम्र लगभग 9 बिलियन साल है। पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 14,95,97,900 किलोमीटर है। शुक्र ग्रह सूर्य की परिक्रमा करने में 224.7 दिन लेता है। सूर्य पृथ्वी से लगभग 100 गुना अधिक बड़ा एक तारा है और पृथ्वी से लगभग 333,400 गुना भारी है। सूर्य का व्यास लगभग 14 लाख किलोमीटर है।
अगर सूर्य को फुटबॉल मान लिया जाए तो पृथ्वी एक कांच की गोली के बराबर होगी। सूर्य की किरणें पृथ्वी पर आने के लिए 8 मिनट 17 सेकेण्ड का समय लेती हैं। सूरज की किरणों की गति 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकेण्ड होती है। सूर्य से सबसे समीप और तेज गति का ग्रह बुध ग्रह है।
सूर्य हमारी आकाशगंगा के धुरी की परिक्रमा 25 करोड़ सालों में करता है। सूर्य 74% हाइड्रोजन, 24% हीलियम से बना है और इसके अतिरिक्त सूर्य में ऑक्सीजन, कार्बोन, लोहा, नियोन भी उपस्थित है। सूर्य की बाहरी सतह का तापमान 5760 डिग्री सेल्सियस है और सूर्य का अंदरूनी तापमान 1 करोड़ 50 लाख डिग्री सेल्सियस है। सूर्य ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी और सूर्य के मध्य में चंद्रमा आ जाता है।
पृथ्वी की तरह सूर्य भी कठोर नहीं है क्योंकि सूर्य में भारी मात्रा में गैसें पाई जाती हैं। सूर्य का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 28 गुना अधिक है। अगर धरती पर आपका वजन 60 किलोग्राम है तो सूर्य पर आपका वजन 1680 किलोग्राम होगा। सूर्य की किरणें प्लूटो तक पहुंचने में 5 घंटे 30 मिनट का समय लेती हैं। सूर्य के अंदरूनी तापमान के एक सेकेण्ड के प्रयोग से परे अमेरिका को अगले 38000 वर्षों तक बिजली की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सूर्य की परिक्रमा करने में सबसे अधिक समय प्लूटो अथार्त बौना ग्रह लेता है यह सूर्य की परिक्रमा लगभग 248 वर्षों में करता है। मंगल ग्रह सूर्य की परिक्रमा 687 दिनों में करता है। पृथ्वी पर प्रत्येक साल सूर्यग्रहण लगता है। एक साल में अधिक-से-अधिक 5 बार सूर्य ग्रहण लग सकता है और यह ग्रहण 7 मिनट 40 सेकेण्ड से लेकर 20 तक चल सकता है। सूर्य पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है। सूर्य पृथ्वी से 3 लाख 30 हजार गुना भारी है।
सूर्य 21 जून को कर्क रेखा पर और 22 दिसंबर को मकर रेखा पर लंबवत चमकता है। 21 मार्च को और 23 सितंबर को सूर्य की स्थिति भूमध्य रेखा पर सर्वत्र दिन और रात बराबर होते हैं। सूर्य भारी मात्रा में सौरवायु उत्पन्न करता है जिसमें इलेक्ट्रॉन और प्रोटान जैसे कण होते है। यह वायु इतनी तेज और शक्तिशाली होती है कि इसमें उपस्थित इलेक्ट्रॉन और प्रोटान सूर्य के शक्तिशाली गुरुत्व से भी बाहर निकल जाते हैं।
पृथ्वी जैसे शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र वाले ग्रह ऐसे कणों को पृथ्वी के पास पहुंचने से पहले ही मोड़ देते हैं। अगर सूर्य के केंद्र से एक पनीर के टुकड़े जैसे भाग को पृथ्वी की सतह पर रख दिया जाए तो कोई भी चट्टान या कोई भी चीज इसे पृथ्वी के 150 किलोमीटर भीतर तक धसने से नहीं रोक सकती। सूर्य की सतह का क्षेत्रफल पृथ्वी के क्षेत्रफल से 11990 गुना अधिक है।
सूर्य का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 28 गुना अधिक है यानि पृथ्वी पर आपका वजन 60 किलो है तो सूर्य पर यह 1680 किलो होगा। सूर्य के एक वर्ग सेंटीमीटर से जितनी ऊर्जा उत्पन्न होती है इतनी ऊर्जा 100 वाट के 64 बल्बों को जलाने के लिए बहुत होगी। सूर्य की जितनी ऊर्जा पृथ्वी पर पहुंचती है इतनी ऊर्जा संपूर्ण मानवों द्वारा खपत की ऊर्जा से 6000 गुना अधिक होती है।
पृथ्वी पर हर स्थान पर 360 दिनों में एक बार सूर्य ग्रहण जरुर नजर आता है। अब से 5 अरब साल बाद सूर्य अब से 40% अधिक चमकने लगेगा। सारे सागर, महासागर और नदियों का पानी जलवाष्प बनकर अंतरिक्ष में उड़ जाएगा। अब से 7 अरब 70 करोड़ साल बाद सूर्य लाल दानव का रूप धारण कर लेगा। यह लगभग 200 गुना बड़ा हो जाएगा और बुध ग्रह तक पहुंच जाएगा।
7 अरब 90 करोड़ साल बाद सूर्य एक सफेद वोने में बदल जाएगा तब इसका आकार केवल शुक्र ग्रह के जितना होगा। सूर्य का आकार इतना बड़ा है कि इसके भीतर 13 लाख पृथ्वी समा सकती हैं। सौरमंडल का 99.86% हिस्सा सूर्य से घिरा है बाकी सिर्फ 0.14% में ही पृथ्वी और अन्य ग्रह आते हैं। क्योंकि हमारी पृथ्वी दीर्घ वृत्ताकार में परिक्रमण करती है इसलिए सूर्य की धरती से दूरी घटती बढती रहती है।
जहाँ एक तरफ 45 डिग्री तापमान पर हम लोग गर्मी से बेहाल हो जाते हैं वहीं सूर्य के भीतर का तापमान लगभग 1,50,00,000 डिग्री सेल्सियस है। सूर्य के भीतर हर सेकेण्ड में 7 करोड़ टन हाइड्रोजन ईंधन 6 करोड़ 95 लाख टन हीलियम में बदल जाता है और बचा 5 लाख टन गामा किरणों में बदल जाता है। हमारी आकाशगंगा में 200,000,000,000 तारे उपस्थित हैं जिनमें से एक सूर्य भी हैं जो पृथ्वी के सबसे समीप का तारा है। हर सेकेण्ड में सूर्य से एक खरब परमाणु बमों जितनी एनर्जी निकल रही है।