सिद्धासन दो शब्दों से मिलकर बना है सिद्ध + आसन = सिद्धासन। जहाँ पर सिद्ध का अर्थ होता है सिद्धि प्राप्त करना और आसन = आसन के द्वारा अथार्त अलौकिक सिद्धियाँ प्राप्त करने वाला होने के कारण इसका नाम सिद्धासन पड़ा है। योगासन की दुनिया में सिद्धासन का बहुत ही महत्व है। 84 लाख आसनों में सिद्धासन को सबसे सर्वश्रेष्ठ आसनों में रखा गया है क्योंकि यह आसन व्यक्ति को मोक्ष की तरफ ले जाता है। सिद्ध योगी इस आसन को बहुत ज्यादा करते हैं। इसलिए उनका यह आसन प्रिय आसन है। ध्यान की अवस्था में अधिकतर साधु इसी आसन में बैठते हैं। चलिए जानते हैं इसके फायदे और इसे कैसे किया जाए।
सिद्धासन करने के विधि :
1- – सबसे पहले समतल जमीन पर कोई चटाई बिछाकर उस पर अपने पैर खोल कर बैठ जाएँ।
2- अब अपने बाएं पैर की एडी को अपने गुप्त अंग के मध्य भाग में रखें।
3- फिर अपने दायें पैर को उठायें और गुप्त अंग के मध्य भाग पर रखें।
4- इस बात पर ध्यान दें कि आप के दोनों पैरों के पंजे, जांघ और पिंडली के मध्य रहें।
5- अब अपने दोनों हाथ घुटने पर रखे रहें और दोनों हाथों की पहली उंगली (तर्जनी) एंव अँगूठा एक-दूसरे को स्पर्श करते रहें।
6- अब अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें तथा आँखें बंद करें तथा सांस को सामन्य रखें।
7- इसी अवस्था में 5-7 मिनट तक रहें।
सिद्धासन से होने वाले लाभ :
1- इसका नियमित अभ्यास करने से जठराग्नि तेज होती है।
2- एकाग्रता बढती है।
3- स्मरणशक्ति बढ़ने के साथ-साथ दिमाग स्थिर रहता है।
4- ध्यान करने के लिए यह आसन बहुत ही उपयोगी है।
5- यह आसन ब्रह्मचर्य की रक्षा करता है।
6- कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करता है।
7- श्वास के रोग, हृदय रोग, अजीर्ण, दमा इत्यादि रोगों में बहुत लाभदायक है।
8- इस आसन को करने से यौन रोग दूर होते हैं।
9- इस आसन के अभ्यास से काम वासना पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
10- सिद्धासन में बैठकर जो कुछ पढ़ा जाता है वह अच्छी तरह याद रह जाता है। विद्यार्थियों के लिए यह आसन विशेष लाभदायक है।
11- सिद्धासन को करने से छः मास के भीतर ही कुम्भक सिद्ध हो होता है।
12- सिद्धासन के प्रताप से ना केवल निर्बीज समाधि सिद्ध होती है बल्कि मूलबन्ध, उड्डीयान बन्ध और जालन्धर बन्ध अपने आप होने लगते हैं।
13- सिद्धासन नाड़ियों के शुद्धिकरण में बहुत मदद करता है।
14- सिद्धासन से बवासीर की समस्या पर बहुत हद तक काबू पाया जा सकता है।
15- सिद्धासन से व्यक्ति इ सोच सकारात्मक होती है।
सिद्धासन करते समय की सावधानियां बरतें :
1- यह आसन हमेसा खाली पेट करना चाहिए।
2- इस आसन को कम से कम 10 मिनट तक करना चाहिए।
3- प्रातः या संध्या काल में एक बार ही इस आसन को करें।
4- जिन रोगियों को घुटने में दर्द हो वे इसे कदापि न करें।
5- महिलाओं को भी यह आसन वर्जित है।
6- सिद्धासन को बलपूर्वक नहीं करना चाहिए।
7- इस आसन को शांत एवं आराम भाव से करना चाहिए।
8- कमरदर्द की शिकायत रहने वाले लोगों को सिद्धासन नहीं करना चाहिए।